आपके आसपास घटने वाली अलौकिक घटनाए और भूत प्रेतों का अस्तित्व क्या इनके बीच सम्बन्ध है ?


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भूत प्रेत का अस्तित्व होता है या ये सिर्फ हमारी कल्पना है ? हम बचपन से सुनते आए है की भुत प्रेत होते है. लेकिन क्या किसी ने उन्हें देखा भी है. जहां तक बचपन की बात है बच्चे कान के कच्चे होते है. दादी से कहानी सुनी और सपने देखने लग गए भूतो के, ऐसे में अगर रात को जगना पड़े तो भी हिम्मत नहीं पड़ती थी.

खैर ये तो था बचपन जिसमे हमारी कल्पना शक्ति इतनी जबरदस्त थी की बस सोचा और हमारे सामने हमारी हमारी कल्पना कल्पना साकार हो जाती थी.

पर जैसे बड़े होते गए इस तरह सवालों से दूर हो जाते है. लेकिन फिर भी जिंदगी में लगभग कुछ ऐसा अनुभव होता है जिसे समझ पाना सरल नहीं.

आज कुछ इस तरह के अनुभव जानते है जो बताएंगे क्या वाकई भूत प्रेत का अस्तित्व होता है या नहीं. क्या वाकई भूत प्रेत होते है या ये सिर्फ हमारे मन का वहम मात्र होता है ?

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भूत प्रेत का अस्तित्व है या नहीं

सबसे पहले तो बात करते है इंसानी मन और उसकी कल्पना की जिसके साथ कुछ रहस्य जुड़े है जो हमें भूतो के होने का अहसास करवाते है मगर सच में ऐसा नहीं होता है.

जैसे की किसी के होने का आभास होना, किसी की परछाई दिखना या किसी को देख कर कुछ देर के लिए शून्य हो जाना.

ये सब हमारे मस्तिष्क के प्रतिक्रिया का परिणाम है जो एक अवस्था से अचानक दूसरी अवस्था में जाने पर करता है.

भूत प्रेत का अस्तित्व है या नहीं

विज्ञान जिस चीज को देख नहीं लेता है उसे मानता नहीं है. विज्ञान इनके अस्तित्व को नकारता भी है और दूसरी और इस पर research करता है.

इसलिए इन्हे मानना और ना मानना ये निर्भर करता है की हम इनके बारे में सोचते है. क्यों की ब्रह्मांड के कई रहस्य है जो मानव समझ से परे है.

लेकिन धीरे धीरे विज्ञानं के सामने आते रहते है. और कई बार इंसान खुद इन अलौकिक रहस्य को महसूस करता रहता है, इसलिए इनके अस्तित्व को नकार भी नहीं सकते और विज्ञान मान नहीं सकता.

इसलिए आज भी ये एक कोतुहल का विषय बना हुआ है.

भूत प्रेत का अस्तित्व होता हैं ये बात वो मानते है जिनके साथ कुछ अलौकिक घटना घटती है जो विज्ञान की नजर में असम्भव होता है.

इसलिए ये भी कह सकते है की इनके अस्तित्व को नकार नहीं सकते है पर ज्यादातर घटनाओ में इंसानी मस्तिष्क ही कल्पनाओ को, मन के डर को दर्शाने लगता है तो ये भी है की हर घटना अलौकिक नहीं होती है.

आइये जानते है ऐसी ही कुछ घटनाओं के बारे में.

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Astral body experience यानि सूक्ष्म शरीर का अनुभव बिलकुल जाग्रत रहते हुए अपने आसपास के वातावरण को महसूस करना.

सूक्ष्म शरीर बाह्य वातावरण में चल फिर सकता है. कही भी आ जा सकता है. इस लिए हमें लगता है की हम जाग्रत है लेकिन असल में अपने ही शरीर से बाहर हम विचरण करने लगते है.

भूत प्रेत का अस्तित्व और सूक्ष्म शरीर दोनों में एक समानता है की इन दोनों में ही हम ऊर्जा स्वरूपी आत्माओ और शक्तियों से भेंट कर सकते है.

सूक्ष्म शरीर के बाह्य विचरण का कारण

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जब हम एक ही चीज पर concentrate हो जाते है. तब रात्रि में सोने के बाद भी हमारा दिमाग activate रहता है. इस वजह से शरीर की ऊर्जा एक जगह पर फोकस होकर सूक्ष्म शरीर का रूप लेती है.

हम आसपास विचरण कर लेते है और जब जागते है तब ये सब एक स्वपन जैसा लगता है.

ऐसा होना हमारे नियंत्रण में नहीं होता होता है. इसलिए सूक्ष्म शरीर को नियंत्रित नहीं कर पाते है. अगर विचारों की मात्र को control कर लिया जाये तो ऊर्जा को भावना शक्ति द्वारा हम सूक्ष्म शरीर का निर्माण कर सकते है.

सूक्ष्म शरीर प्राण ऊर्जा से निर्मित होता है इसलिए इसके लिए प्राण ऊर्जा अभ्यास किया जा सकता है.

परछाई का आभास होना

कई बार सुबह उठते ही हमें परछाई का आभास होता है. ये परछाई साफ नहीं होती है न ही गतिमान होती है. कुछ समय बाद हमें वो दिखाई देना बंद हो जाती है. ये होता है आभासी यानि मन को कुछ होने का आभास होना पर असलियत में होती नहीं.

आभासी में मन जो सोचता है परछाई वैसे ही react करती है. भूत प्रेत का अस्तित्व होना या फिर उनका दिखना बिलकुल ऐसे ही महसूस किया जाता है.

आभासी परछाई का रहस्य

आभासी परछाई मन की धुँधली परछाई होती है. सोते वक़्त अक्सर हम बुरे सपने देखते है या या फिर अवचेतन मन के जाग्रत होने की वजह से जब अचानक उठ जाते है तो स्वप्न के प्रभाव से, चेतन मन के जाग्रत हो पाने की वजह से हमें परछाई दिखती है.

फिर कुछ देर बाद चेतना जाग्रत होने लगती है तब ये आभासी परछाई गायब जाती है.

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अवचेतन मन की कल्पना का साकार हो जाना

कई बार मन का डर हमें वो दिखाने लगता है,जो हम मन में सोचते है. यानि कल्पना साकार रूप लेने लगती है वैसे तो अगर ये शक्ति नियत्रण में हो तो हम इससे अपने personality में amazing change ला सकते है.

लेकिन जब मन में negative thought चलते है तब ये विपरीत कार्य करती है मन के छिपे डर को उभरने लगती है. ऐसे में इस बात को ज्यादातर नकार दिया जाता है की भूत प्रेत का अस्तित्व होता है और इसे महज मन का वहम मान लिया जाता है.

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सदुपयोग कैसे करे ?

जब मन में डर उभरने लगे तब अपने अवचेतन मन की शक्ति को याद करे positive thought नकारात्मक विचारों को को दूर करता है. और साथ ही हमारे व्यक्तित्व में सुधार भी लाता है. अवचेतन मन और लुसिड ड्रीम का मिश्रण हमें सपनो में भी आभासी दुनिया में बने रहने का अहसास करवाता है.

इसका सबसे बड़ा फायदा ये है की हम इसके द्वारा खुद में वो बदलाव ला सकते है जो हम अन्य किसी अभ्यास में नहीं लापाते है जैसे की खुद में सुधार.

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भूत प्रेत का अस्तित्व v/s मन का वहम

ज्यादातर पारलौकिक घटनाए हमारे खुद के मन की कल्पना होती है. किसी चीज का आभास होना, धुंधला दिखाई देना या फिर किसी का छूने का अहसास हालाँकि हर केस में पारलौकिक नहीं होता है लेकिन फिर भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है की भूत प्रेत का अस्तित्व होता है नहीं.

आपके साथ ऐसी कोई घटना घटी हो जो आपको लगता है की पारलौकिक है तो हमारे साथ शेयर करना न भूले.

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