इंसानी स्वभाव है कई बार खुद को जानबूझ कर सही साबित करनेके लिए दूसरो से बोलते रहना. हम दिन भर दूसरो से झूठ बोलते बोलते कब खुद से झूठ बोलना शुरू कर देते है पता ही नहीं चलता है.
self-deception का सबसे बड़ा reason है खुद को निचा देखने का भय, दुसरे हमें गलत समझेंगे इसका डर हमें झूठ बोलने के लिएप्रेरित करता है. खुद से झूठ बोलने के नुकसान क्या हो सकते है इसका अंदाजा होने के बावजूद वो कौनसी वजह है जिनकी वजह से हम बिना किसी परिणाम की परवाह किये बगैर दूसरो से खुद से झूठ बोलने लगते है.
अगर आप भी उन लोगो में से एक है जो अपनी गलतियों पर पर्दा डालने या खुद को सही साबित करने करने के लिए दूसरो से अक्सर झूठ बोलते रहते है और खुद को दिलासा दिलाते है की आप जो कर रहे है वो सही है तो सतर्क हो जाइये क्यों कीआप अनजाने में ही खुद की पहचान खो रहे है.
दिनभर बोले गए झूठ फिर चाहे वो खुद कोसही साबित करने के लिए हो या फिर दूसरो को पसंद है वही बोलना आपके लिए आने वाले समय में कई तरह के खतरे लाता है इसलिए समय रहते ही आपको खुद से झूठ बोलना छोड़ना होगा न सिर्फ खुद से बल्कि दूसरो से भी, कैसे आइये समझते है की झूठ वास्तव मेंक्या है.
खुद से झूठ बोलना वास्तव में है क्या ?
ऐसी धारणा जो हमारी गलतियों पर पर्दा डाल देती है और हमें गलत होने से बचाती है झूठ का हिस्सा है. ये हमारी धारणाओं का एक जाल होता है जो हमें ये अहसास करवाता है की हम सही है जबकि वास्तव में हम एक के बाद एक गलती करते रहते है और धारणा में ही जीने लगते है.
कई बार तो ये धारणा इतनी प्रबल हो जाती है की सच्चाई सामने होते हुए भी हम उसे स्वीकार नहीं पाते है. जब हमें इसका अहसास होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और फिर हमारे सामने guilty feel करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है जब कि, हम सच्चाई को स्वीकार कर गलती सुधार सकते है लेकिन हमारी अपनी धारणा हमें ऐसा करने से रोकती रहती है. चलिए जानते है क्या है झूठ बोलने की वजह ?
खुद से झूठ बोलना और इसके पीछे की मुख्य वजह
हम दिनभर में कई बार दूसरो से झूठ बोलने के चक्कर में भूल जाते है की हम खुद से भी झूठ बोलने लगे है. खुद से ही झूठ बोलने के पीछे कई कारण हो सकते है जिनमे मुख्य है.
- ये आरामदायक है और हमें comfortable feel करवाता है.
- ये अनुकूल है जिसकी वजह से हम इसे बिना किसी बदलाव के बारबार कर सकते है.
- झूठ बोलने से हमें खुद को अच्छा दर्शाने में help मिलती है.
- हमारी जिम्मेदारियों से भागने का सबसे अच्छा बहाना है झूठ बोलना फिर चाहे वो खुद से ही क्यों ना बोला गया हो.
उदाहरण के लिए आज के समय में पति और पत्नी के बिच के रिश्ते ज्यादातर झूठ से चल रहे है. दोनों ही partner को cheat करते है. इसके पीछे उनका सोचना होता है की अगर उनका partner उनके प्रति ही ज्यादा प्यार और affection show करता तो उन्हें किसी और से रिश्ता रखने की क्या जरुरत पड़ती ?
खुद से बोले जाने वाले झूठ में ये सबसे आम है और खुद की गलती को छुपाने के लिए ज्यादातर लोग ऐसे झूठ का सहारा लेते है. वजह एक ही है
हमे पता होता होता है की हम गलत कर रहे है लेकिन ऐसा करना हमे comfortable feel करवाता है.
Most common example of self-lie / deception
Private firms: हमे ऐसी जगह जॉब मिल जाती है जहाँ पर salary तो बढ़िया है लेकिन work load उससे भी कही ज्यादा है. हम घंटो तक काम करतेरहते है जिसकी वजह से हमे sickness भी होने लगती है लेकिन हर बार हम यही सोच करकाम करते रहते है की कुछ देर और बस और अंत में bed rest की नौबत आ जाती है.
college और school में student पुरे साल पढने के मामले में आलस दिखाते है और आज मूड नहीं है जैसी बाते खुद को कह कर पढ़ाई से पीछा छुडाते है लेकिन जब exam में fail हो जाते है तब कई सारे excuse बनाकर खुद को अगले साल मेहनत करने के लिए दिलासा दिलाते है. मै खुद इसका example हूँ J
कुछ लोग घूमना पसंद करते है क्या वाकई ऐसा करना उनका शौक है या फिर खुद की तन्हाई को दूर करने का एक जरिया ? ये कुछ common example है जो daily life में बताते है की हम किस तरह खुद से झूठ बोलना शुरू कर चुके है.
Top 9 sign आप बोल रहे है खुद से झूठ
दिनभर की कई गतिविधि में हम झूठ बोलते है लेकिन हमें पता ही नहीं चलता है क्यों की self-deception एक unconscious process है जिसमे सही और गलत का तर्क नहीं किया जा सकता है. ये सिर्फ आत्म-मंथन से ही पता चलता है की जो हम कररहे है वो एक दिखावा है या सच. चलिए जानते है self-deception के बारे में.
क्या कभी आपको लगा है की आप किसी से भाग रहे है ?
कई बार हमारे साथ ऐसा कुछ हो जाता है की हम उसे सुलझाने की बजाय छिपाने की कोशिश करने लगते है.
कुछ गलतिया ऐसी हो जाती है जिन्हें सही करने की बजाय हम उन्हें छिपाने की कोशिश करते है, इसके अलावा जब हम किसी काम में fail होजाते है तो उसे सही करने की बजाय उसे दूसरो से छुपाने की कोशिश करना ये सब दर्शाते है की हम किसी से भागने की कोशिश कर रहे है.
दुसरे लोगो के behave को justify करने की कोशिश करना
क्या अपने कभी अपने आप को दूसरो के व्यव्हार को लेकर satisfy करने की कोशिश की है ? for example आपके किसी दोस्त ने आपको disappointed कर दिया और आप खुद को ये कह कर दिलासा दिलाते है की वो एक मतलबी दोस्त है और खुद के अलावा दूसरो की परवाह नहीं करता है.
या फिर आपके किसी खास ने आप पर गुस्सा कर दिया तो आप उसे गुस्से वाला बता कर खुद को satisfy करने की कोशिश की हो.
जब हम दूसरो के व्यव्हार को अपने अनुसार नहीं पाते है तब उन्हें justify करना और अपने मन के मुताबिक उनके बारे में धारणा बना लेना ये बताता है की आप दूसरो के व्यव्हार को अपने मन में justify करने लगे है.
आप खुद के behave and action को सही बताते है
सबसे ज्यादा की जाने वाली गलती जो आपके रिश्तो को ख़राब कर सकती है. हम दिनभर में दूसरो के साथ misbehave भी कर देते है या किसी को hurt कर देते है लेकिन जब हमें ये realize होता है की हमने क्या कर दिया तब खुद को ये कह कर दिलासा देना की “मैंने सही किया वो इसी के लायक था” या फिर “मैंने उसे hurt नहीं किया बल्कि ये उसके लिए एक lesson था.”
ये सब करना हमें सही भी लगता है और गलत भी क्यों की अन्दर ही अन्दर हमें खुद पता होता है की ये गलत है लेकिन सामने से हम ऐसा शो नहीं करते है. चाहे इसके लिए खुद से झूठ बोलना ही क्यों न पड़े.
किसी भी परिस्थिति में खुद की गलती स्वीकार न करना
आपका सामना ऐसे लोगो से जरुर हुआ होगा जो किसी भी परिस्थितिमें खुद की गलती को accept नहीं करते है. ऐसे लोग जानते है की उन्होंने गलती की है लेकिन फिर भी उनका ऐसे शो करना की वो सही है और इसे लेकर किसी भी हद तक दूसरो को justify करने की उनकी आदत ये दर्शाती है की वो कितनी rigid & narrow mind thinking वाले लोग है.
ऐसे लोगो को खुद को दूसरो की नजरो में निचा या गलत देखना पसंद नहीं करते है इसलिए वो ये जानते हुए भी की वो गलत है इसे accept नहीं करते है.
इसके पीछे उनका डर छुपा हुआ होता है. इसलिए सच्चाई को फेस करने की बजाय वो इससे जितना हो सके दूर होने की कोशिश करते है. ऐसे लोगो के लिए दूसरो से ही नहीं खुद से झूठ बोलना भी सहज होता जाता है.
खुद को जानबूझ कर सही अनुभव करवाना
लाइफ में ऐसे लोगो की कमी नहीं है जो दिखावे की जिंदगी जीतेहै. ऐसी जगह जाना जहाँ वो जाना पसंद नहीं करते, वो करना जो उनकी क्षमता से बाहर है.
सिर्फ दूसरो को दिखाने के लिए, वो करना जो उन्हें पसंद नहीं है लेकिन समाज में करना शान माना जाता है.
ऐसे लोग अपनी पहचान खो देते है और एक दिखावे की जिंदगी जीने लगते है. खुद की पहचान खो देने के बाद दिलासा दिलाना की वो जो कर रहे है उससे उन्हें समाज में उच्च स्तर पर देखा जाता है इस वजह से करना सही है और करते रहना आगे चलकर उनकी असली पहचान को छुपा देता है. कही आप भी उन लोगो में नहीं जो अपनी पहचान खो चुके है.
खुद की कल्पनाओ में ही जीने लगना
कई बार ऐसा भी देखने में आता है की कुछ लोग अपने मन में काफी सारी कल्पनाए रखते है और सोचते है की दुनिया वैसी ही है जैसी वो अपनी कल्पनाओ में महसूस करते है.
वास्तव में ऐसा नहीं हो पाने की वजह से वो इसे accept करने की बजाय अपनी ही बनाई कल्पनाओ में सच को महसूस करने की कोशिश करने लगते है.
उदाहरण के लिए आपको पता हो की ये गलत है और आगे भी गलत रहेगा लेकिन ये सोच कर खुद को दिलासा देना की आगे चलकर शायद सब सही और उनके मन के अनुसार हो जाए.
दूसरो की सलाह लेना पसंद न होना
खुद से झूठ बोलना और दूसरो के चैलेंज को स्वीकार न करना फिरचाहे वो अच्छे मन से ही क्यों न सुझाए गए हो दर्शाता है की आप किसी से डर रहे है.
कई बार हमारे साथ ऐसा होता है की जब भी हम किसी प्रोजेक्ट को लेकर सोचते है और उस समय कोई भी व्यक्ति जो हमारे प्रोजेक्ट को लेकर अपनी राय हमारे साथ शेयर करता है हम उसकी बात भी सुनना पसंद नहीं करते है बजाय उन लोगो के जो हमारे प्रोजेक्ट कोलेकर सोचे गए हमारे काम को सही ठहराते है.
उस वक़्त हम सिर्फ वही सुनते है जो हम सुनना चाहते है. हमारा प्रोजेक्ट और उसके लिए प्लान सबकुछ सही है बजाय उसमे किसी तरह के बदलाव के हम सिर्फ इतना ही सुनना चाहते है. उसमे किसी तरह का बदलाव हमें पसंद नहीं फिर चाहे वोउसे और बेहतर ही क्यों न बनाता हो.
ऐसी thinking हमारे खुद की insecure होने की condition को दर्शाता है. जब हम ऐसा करते है तब हमारे खुद के मन में डाउट होता है और हम इस समय सिर्फ उन लोगो की सुनते है जो हमें सही ठहराए.
हर वक़्त एक ही guilty को feel करते रहना और खुद से झूठ बोलना
हो सकता है ऐसा कम लोगो के साथ हो की वो हमेशा एक पूर्वधारणाके जाल में फंसे रहते है. वो किसी भी कदम को उठाते समय भी अपनी गलतियों के बारे में सोचते है.
लाइफ में किसी भी मोड़ पर फिर चाहे वो कुछ भी हो लेकिन मन में एक डर रहना की मेरे इस काम में पिछली गलती न हो जाए ऐसी guilty हर वक़्त मन में रहना जिसकी वजह से कई बार तो सही होते हुए भी अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाते है. येदर्शाता है की आप खुद से कितना झूठ बोलते आ रहे है.
दिल और दिमाग दोनों के बिच तालमेल न बन पाना
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है की आपका दिमाग आपको कहता हैकी सबकुछ सही है और सही होगा लेकिन आपका दिल बार बार आपको अहसास दिलाता है की कुछ न कुछ गलत हो रहा है.
लाइफ में कई काम हम ऐसे करते है जिनके लिए हमारा दिल नहीं मानता है लेकिन हम बार बार खुद को दिलासा देते रहते है की ये सही है इसलिए इसे करने में कोई दिक्कत नहीं है.
उदाहरण के लिए पहली बार चोरी करना या किसी से झूठ बोलना जिसमे दिल बार बार घबराने लगता है जिसकी वजह से हमें बार बार feel होता है की गलत हो रहा है लेकिन हम खुद को सही ठहराने की कोशिश करने लगते है की सबकुछ सही हो जायेगा.
ऐसे लोगो के लिए दूसरो से और खुद से झूठ बोलना सहज नहीं होता है और वो इसके लिए अंतर संघर्ष से गुजरते रहते है.
खुद को झूठ बोलने से कैसे रोके ?
इंसानी स्वभाव का हिस्सा है झूठ बोलना और खुद को सही ठहराने की कोशिश करना इस लिए ये कोई गलत बात नहीं की इसके लिए खुद को guilty feel करतेरहे.
अगर आपको लगता है की इसकी वजह से आप खुद को uncomfortable feel कर रहे है तो घबराए नहीं क्यों की ऐसा सिर्फ आपके साथ नहीं हो रहा है.
लगभग सभी इस कंडीशन सेगुजरते है जिसमे उन्हें खुद को बचाने के लिए या किसी बुरी स्थिति से बाहर निकलनेके लिए झूठ बोलना पड़ता है लेकिन ये उनके लिए सहज नहीं होता है. क्या होगा अगर हमउन वजहों को रोक दे तो हमें खुद से झूठ बोलना ही ना पड़े.
अगर आप उन्ही में से है तो निचे कुछ एडवाइस है जिन्हें आप फॉलो कर सकते है.
खुद की सही भावनाओ को एक डायरी में लिखे
ऐसा संभव नहीं की हम दूसरो से हर बार सच ही बोले. कई परिस्थिति में हमें दूसरो से झूठ बोलना पड़ जाता है और हम बोलते भी है. अगर आपके साथ ऐसा ही है और आप खुद को uncomfortable feel करने लगे है तो अपने true emotions को आप diary में लिख सकते है.
डायरी लिखना सबसे अच्छा माध्यम है क्यों की हम इसमें कुछ भी शेयर कर सकते है और किसी के सामने खुद को गलत ठहराने से भी बच जाते है. डायरी हमारे सभी सीक्रेट को अपने अन्दर समेटने में कामयाब साधनों में सबसे best है.
आपअपने सभी true emotion को डायरी में लिख सकते है फिर चाहे वो आपकी गलती हो, उपलब्धि हो या फिर कोई ऐसी बात जिसे आप दूसरो के साथ शेयर नहीं कर सकते है.
Examine yourself – खुद से झूठ बोलना क्यों पड़ा?
अगर आप खुद को दूसरो के सामने निचा नहीं देख सकते है या आपये मानने में झिझक महसूस करते है की आपसे गलती हुई है तो आप अकेले में अपने विचारो का आत्ममंथन कर सकते है. खुद के लिए कम से कम हर रोज आधा घंटा निकाले और सोचे आप कितने सही है और कितने गलत.
अगर आपका schedule busy भी है तो भी कुछ समय जरुर निकाले.जब आप खुद का सामना नहीं कर सकते तो दूसरो का सामना कैसे कर पाओगे ?
सबसे पहले खुदको जांचे परखे की आप कहाँ पर सही है और कहाँ गलत, इसके बाद उन गलतियों पर पर्दा डालने की बजाय उन्हें सुधारने की कोशिश करे.
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दूसरो के लिए नहीं बल्कि बने खुद के प्रति लॉयल
क्या आप दूसरो के सामने या खुद को सिर्फ इसलिए झूठ बोलते है ताकि उनकी और अपनी नजरो में सही बन सके. अगर आप ऐसा कर रहे है तो सोचे आप ऐसा कर किसे धोखा दे रहे है दूसरो को या खुद को ? हम दूसरो से झूठ बोलते है और सोचते हैकी उन्हें पता नहीं होगा लेकिन ऐसा सोचना हमारी गलतफहमी होती है.
कई बार स्थिति ऐसी बन जाती है की हम दुसरे लोगो के बिच खुद को सही दिखाने के लिए झूठ बोल ही देते है, ऐसा करने पर हमें लगता है की अब हम दूसरो की नजर में सही बन जायेंगे लेकिन क्या होगा जब उन्हें सच का पता चलेगा ?
इसलिए हमेशा खुद से झूठ बोलना पड़े ऐसी वजहों से बचने की कोशिश करे.
झूठ किसी के छिपाए नहीं छुपता है इसलिए दूसरो की नजर में सही बनने की बजाय खुद की नजर में सही बने. ऐसा होगा तब आप किसी के प्रति जिम्मेवार नहीं होंगे सिवाय खुद के.
दूसरो की नजर में सही बनने की बजाय खुद के प्रति लॉयल बनना ही है असली inner-self journey की सही शुरुआत.
खुद के अलावा दूसरो के point of view को सुने और समझे
हो सकता है की अलग अलग लोगो की राय जो point of view में differentहोती है सुनना आपको थोडा confusion में डाल देती हो लेकिन हमेशा खुद के अलावा हमें दूसरो को भी सुनना चाहिए. जरुरी नहीं की सबकी राय पर अमल किया जाए लेकिन आज नहीं तो कल हो सकता है की उन्ही में कोई आईडिया ऐसा हो जो आपकी लाइफ ही बदल दे.
- an small idea can change your life
- an small idea can bring a big change in life
जरुरत और इच्छा में फर्क करना समझे ताकि खुद से झूठ बोलना न पड़े
जरूरते हमेशा सही होती है बजाय हमारी इच्छा की. आज हमें क्या चाहिए इसके लिए काम करे न की हमारी क्या इच्छा है इसे सोच कर.
जरूरते पूरी हो सकती है इच्छाए नहीं. जो लोग अपनी इछाओ के पीछे भागते है वो आगे चलकर खुद को दिलासा देने के लिए झूठ बोलने लगते है. इसलिए ये बेहद जरुरी है की आप खुद की जरुरतऔर इच्छाओ में फर्क करना समझे.
खुद से झूठ बोलना – क्या सही है क्या गलत ?
अगर आप भी कई बार खुद को दिलासा दिलाने के लिए झूठ बोल रहे है तो इसे लेकर nervous न हो क्यों इंसानी स्वभाव है खुद को सही दर्शाने के लिए झूठ बोलना जिससे उन्हें एक temporary satisfaction मिलता है.
खुद से झूठ बोलना कोईगलत काम नहीं अगर आप इसे सही समय परस्वीकार कर लेते है. इसे लेकर खुद को punish करने की बजाय लॉयल बनने की कोशिश करे.आप पाएंगे की आपको किसी से झूठ बोलने की जरुरत ही नहीं है.
झूठ बोलना इंसानी स्वभाव में से एक है और स्वभाविक क्रिया है इसलिए खुद को दोषी मानने की बजाय इसे सुलझाने की कोशिश करे.