आपने कई किस्से कहानियो और दादा दादी की भूतो की कहानी में पढ़ा और सुना होगा की आत्माए अक्सर हमारे आसपास भटकती रहती है क्यों की उनकी last wish पूरी नहीं हो पाती है. इस अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए वो हमारे आसपास जरिया तलाश करती है की कब उनकी wish पूरी हो और उने मुक्ति मिले.
real ghost scary story Hindi की इस सीरीज में हम बात करने वाले है real scary story of last wish Hindi में. जिसमे एक सत्य घटना में बताया गया है की किस तरह हमें अपनी अंतिम इच्छा को समय रहते पूरा कर लेना चाहिए या फिर किसी अपने खास की अंतिम इछाओ को पूरा करना चाहिए ताकि उन्हें मरने के बाद भटकना ना पड़े.
सबसे बड़ा सवाल क्या अधूरी इच्छा पूरी ना होने की वजह से मरने के बाद इन्सान की आत्मा भटकती रहती है ?
हम किसी तरह के अन्धविश्वास को बढावा नहीं देते है. हमारा उदेश्य सिर्फ आपको सत्य घटनाओ से अवगत करवाना और आपका मनोरंजन करना है.
हमारे आसपास कही न कही हमें इसके उदाहरण देखने को मिल ही जाते है. तो चलिए शुरू करते है फिलिस्तान की एक सच्ची और रहस्यमयी भविष्यवाणी की घटना से जुड़ी कहानी की जिसमे मरने वाले ने कैसे अपनी सभी इछाओ को पूरा कर शांति से मौत को चुना. ये एक सच्ची कहानी है जो last wish की बुक से ली गयी है.
real scary story of last wish Hindi
बाईकस बहुत धनी आदमी था. लन्दन, रोम, बर्लिन और अन्य कई देशो में वो घुमने जाते थे लेकिन उनका स्थाई निवास बोस्टन शहर में ही था. बाईकस एक यहूदी परिवार के सदस्य थे और उनसे मेरी पहली मुलाकात वही हुई थी.
देशाटन के उदेश्य मैं एक बार विश्व भ्रमण पर था की एक बहुत ही खुबसूरत महिला जिसकी सुन्दरता का कोई मुकाबला नहीं था, मुझसे परामर्श करने आई. यह उस धनि व्यक्ति बाईकक्स की धर्मपत्नी रुबेन थी.
रुबेन ऐसे लोगो को बहुत पसंद करती थी जो कला के हुनर में माहिर होते थे और वो खुद अपने शहर के संगीतकारों का नेतृत्व करती थी. उनकी सबसे बड़ी खासियत थी की वो जहा भी जाती अपने आसपास के माहौल को महका देती थी.
जब वह मुस्कुराती हुई होटल से मेरे कमरे में प्रविष्ट हुई तो उसे देखकर नहीं लगता था की उसे अपना भविष्य जानना था क्यों की सारे ज़माने की खुशिया और आराम उसे पहले से मिल चुके थे. मेने जब उनके बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला की वो बाहरी और आन्तरिक व्यक्तित्व दोनों से समान है.
मिसेस बाईकस का अपने काल के बारे में जानना
मैंने उनके हाथो की लकीरे देखि और उनके बारे में बताना शुरू किया. लेकिन ! लगा जैसे उन्हें इन सबमे कोई रूचि नहीं थी. उन्होंने पूछा “क्या निकट भविष्य में मेरी मौत निश्चित है”? आप मुझे मेरे भूतकाल और भविष्य के बारे में बताये.
गहन मंथन किया गया. ये एक ऐसा जटिल सवाल था जहा पर सभी विद्या उलझ जाती है. खैर सत्य से अवगत करवाना मेरा काम था तो कह दिया. आपकी तो नहीं लेकिन आपके पति की है. लेकिन इससे आप पर क्या बीतती है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
“क्या बात कर रहे है भला आप ? मेरे पति तो हट्टे-कट्टे है. उनकी मौत कैसे हो सकती है. आप एक बार उनसे जरुर मिले.” मेरी बात पर कहकर हंसती हुई वो बोली.
इसके बाद मिसेस रुबेन ने मुझसे रात को ओपेरा में मिलने और विख्यात संगीतकारों के साथ उनके बंगले पर डिनर के लिए आमंत्रित किया. डिनर पर मेरी मुलाकात उनके पति से हुई वो वास्तव में वैसे ही थे जैसा उनकी पत्नी ने बताया था. बाईकस का व्यव्हार बहुत ही सरल था और वो बहुत जल्द ही किसी के साथ घुल मिल जाते थे.
मेने उनके साथ भविष्यवाणी की कोई बात नहीं छेड़ी क्यों की मुझे भी शंका होने लगी थी की कही में गलत न सिद्ध हो जाऊ.
last wish और मिसेस बाईकस की उत्सुकता
एक माह बीत चूका था.
मिसेस बाईकस ने अपने पति से पूछा “कितना समय लग जाएगा आपके इस काम्प्लेक्स को तैयार हो जाने में”
“यह काम्प्लेक्स अगले 5 साल में तैयार हो जायेगा लेकिन में इसी साल से अपने कार्यालय पहुँच जाऊंगा क्यों की वो सबसे पहले तैयार होगा”
मिसेस बाईकस ने खुश होते हुए कहा “बहुत खूब ! लेकिन पांच साल बाद आपने क्या प्लान किया है ?”
मिस्टर बाईकस ने कहा की इतने समय में वो सेवा निवृत हो जाएंगे. एक बढ़िया प्लेन खरीदेंगे और पूरी दुनिया घुमने चलेंगे. उनकी दिल्ली इच्छा है की मरने से पहले वो बेतुल मुकद्दस की यात्रा जरुर करेंगे.
ऐसे ही बातो का दौर चलता रहा और में उन्हें हंसी ख़ुशी छोड़ कर वापस आ गया था. लेकिन मेरी अंतरात्मा इस बात से परेशान थी की कुछ समय बाद ही मिस्टर बाईकस की मौत होने वाली है. लेकिन उन्हें देखकर दिमाग यकीन नहीं कर रहा था और दिल बार बार किसी अनहोनी का संकेत दे रहा था.
भविष्यवाणी का सच साबित होना और last wish जाहिर करना
सुबह में घर से प्रात: भ्रमण के लिए निकलने ही वाला था की एक व्यक्ति मेरे पास बुरी तरह हांफता हुआ आया और बोला की मिस्टर बाईकस ने आपको अभी याद किया है.
मेने पूछा – क्या हुआ उनका स्वास्थ्य तो बिलकुल ठीक है क्या ?
“मामला क्या है मै खुद नहीं जानता. यह अवश्य है की जब सुबह वो नाश्ते के लिए पहुंचे तब उनकी शक्ल जर्द नजर आ रही थी. सर से पाँव तक बुरी तरह लरज रहे थे.”
सुनते ही में चल दिया. वो लाइब्रेरी में मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे. मिसेस बाईकस बुरी तरह टूट चुकी थी और रो रही थी.
मेरी तरफ देखते हुए मिस्टर बाईकस ने कहा की “आप अद्भुत और रहस्यमयी कला के जानकार लगते है क्या आप मेरी समस्या का निवारण कर सकते है.” में जब अपने नए काम्प्लेक्स की योजना से जुड़ी बाते कर रहा था तभी मेरी नजर एक आईने पर गयी जहा कुछ शब्द लिखे थे और आश्चर्य की बात ये है की वो कुछ समय बाद खुद-ब-खुद मिट भी गए.
मेने बाईकस से सवाल किया – आपने आईने पर क्या लिखा हुआ पाया ?
“आज से बारह माह बाद बाईकस अपने पूर्वजो के पास चला जायेगा” मिसेस बाईकस को शायद मेरी भविष्यवाणी का ख्याल आ गया था तभी उन्होंने अपनी हथेली को निहारा मेरी तरफ देखने लग गयी.
में सच जनता था लेकिन उन्हें परेशान नहीं करना चाहता था, इसलिए मैंने उन्हें कह दिया की ये सब तो आपका भ्रम हो सकता है. घबराइए नहीं सबकुछ ठीक है. ये सब कह मैंने उन्हें सांत्वना दी.
“OH NO , आप ये सब मुझे सांत्वना देने के लिए कह रहे है. इस बात को मै समझ चूका हूँ की दर्पण पर वो शब्द उभरना वाकई मेरी मौत की पहली निशानी थी” लेकिन मरने से पहले मेरी last wish है की में बातुल मुकद्दस की यात्रा जरुर करना चाहूँगा.
यह कह कर उन्होंने मुझे वो आइना देखने की प्राथना की जब आईने में वो शब्द उभरे थे तब वो कहाँ बैठे थे. ….
भविष्यवाणी को लेकर मिसेस बाईकस का उदास हो जाना
बाईकस के साथ के बंगले में ऊपर वाली मंजिल पर पहुंचा. बिच कमरे में पड़ी हुई मेज पर काम्प्लेक्स का नक्क्षा था. उसके कुछ दूर पर एक कुर्सी उलटी पड़ी थी. मिसेस बाईकस की आँखों में आंसू थे और वो उदास भाव से अपने पति को देख रही थी.
खिड़की के निकट एक ड्रेसिंग टेबल लगी थी जिसका दर्पण सामान्य से कुछ ज्यादा ही बड़ा था.
“जब में ठेकेदार को फोन पर नक्क्षा समझा रहा तो यहाँ बैठा हुआ था और नक्क्षा मेरे हाथ में था. तभी अचानक मेरी नजर दर्पण पर पड़ी. मेने उन पर अपने आप शब्द उभरते हुए देखे जिनसे डर कर में बाहर की ओर भाग गया.”
“देखिये काम्प्लेक्स की वजह से आपका दिमाग परेशानी में उलझा हुआ है. कई दिन हो चुके है और ये सब आपका वहम भी हो सकता है. वैसे भी वो शब्द सिर्फ एक ही बार उभरे है.”
मिसेस बाईकस ने भी सांत्वना देते हुए यही सब कहा लेकिन उनकी आवाज में दम नहीं था. और फिर पुरे कमरे में चुप्पी छा गई.
सबसे आखिर में मिस्टर बाईकस ने ही चुप्पी तोड़ते उए कहा की वो मेरे भ्रम नहीं हो सकता क्यों की hand writing मेरे पिताजी की थी. इसके बाद वो पुन: फोन पर ठेकेदार से बात करने लग गए.
“देखो ! काम्प्लेक्स का जितना बिल्डिंग बन गया है, वह काफी है. अब आगे काम नहीं करना है. मेरा विचार अब बदल गया है. तुम लोग फ़िक्र मत करो जो भी अब तक खर्चा हुआ है वो सब तुम्हे मिल जायेगा.
मुझे तसल्ली के लिए जो भी बन पड़ा मेने कहा और फिर मै भी वहाँ से आ गया.
last wish – 10 महीने बाद
मिस्टर बाईकस और उनकी फॅमिली मुझसे मिलने आये. मै उन सबको देखकर बिलकुल हैरान रह गया क्यों की जब पिछली मुलाकात में मुझे वो सभी मिले थे तब मिस्टर बाईकस स्वास्थ्य से भरपूर थे वही मिसेस बाईकस सौन्दर्य से भरपूर थी लेकिन अब मिसेस बाईकस मुरझाई हुई और उदास नजर आ रही थी. जमीन आसमान का अंतर आ गया था अब तो उन में.
इसके विपरीत मिस्टर बाईकस एकदम निश्चित और शांत नजर आ रहे थे.
मेरे भविष्यवाणी के जवाब में वो बोले की –“उस रहस्यमय हादसे के प्रभाव को दूर करने का मेने हर संभव प्रयास किया, अपने business का सही प्रबंध कर दिया और दुनिया घुमने जा रहे है. वही से बेतुल मुकद्दस की यात्रा भी हो जाएगी. इस दौरान में पूरी तरह नार्मल रहता हूँ.
मैंने उनसे पूछा की वास्तव में जा रहे है क्या ?
मुस्कुराते हुए वो बोले – “देखो दोस्त जब मै ठान लेता हूँ तो दुनिया की कोई भी ताकत मेरा फैसला बदल नहीं सकती…और मै जा रहा हूँ”.
उसके बाद मै बाईकस से कभी नहीं मिला. एक दिन उनका बेटा मेरे पास आया और उसने मुझे आगे की बात बताई.
“फिलिस्तान से अपने धर्म से जुड़ी अनेको चीजो को देखकर आख़िरकार उन्होंने अपनी last wish की जगह यानि बेतुल मुकद्दस की यात्रा को भी पूरा कर लिया. इबारत के हिसाब से तब 10 अप्रैल थी यानि भविष्यवाणी को पुरे 1 साल होने वाला था. बेतुल भी वो निर्धारित तारीख को ही पहुँच पाए क्यों की हर जगह की यात्रा में उन्हें विलम्ब हो रहा था.
उनके बेटे ने बताया की अपने पिता को उसने इतना खुश पहले कभी नहीं देखा था.
शहर के पाक स्थल पर जा जाकर वह दिन भर दर्शन करते रहे. इसके बाद होटल पहुंचकर अपने कमरे में उन्होंने हल्का सा भोजन लिया. बाद में वो होटल के कार्यालय में बैठ कर अखबार पढने लग गए थे. कोई निराशाप्र्द स्थिति अभी तक सामने नहीं आई थी.लेकिन फिर भी ये दिन तेजी से बीत रहा था.
होटल के ऑफिस से माँ-बेटे जब वापस आये तब भी मिस्टर बाईकस उसी आराम कुर्सी पर लेटे हुए थे, जैसे वो दोनों उन्हें छोड़ गए थे. लेकिन अख़बार उनके हाथो से निचे पड़ा था. मानो वो सो रहे थे. मिस्टर बाईकस को नींद से उठाना उन्होंने उचित न समझा और कमरे में चले गए.
करीब बारह बजे उनका बेटा उनके पास पहुंचा और कन्धा हिलाकर बोला की “बारह बज चुके है डैड आप बेड पर सो जाइये.” कमरा बेहद शांत था और अजीब सी चुप्पी वहाँ छाई हुई थी. मिस्टर बाईकस अब उनसे बहुत दूर जा चुके थे. उनके चेहरे की ख़ुशी जाहिर कर रही थी की उन्हें इसका कोई दुःख नहीं क्यों की उनकी last wish पूरी हो चुकी थी.
शीशे पर उभरी वो भविष्यवाणी, जो किसी आन्तरिक शक्ति का काम कर रही थी पूरी हो ही गयी थी.
अंतिम इच्छा – final word for last wish
दोस्तों ऐसे कई किस्से पढने और देखने को मिलते है जब हमारे आसपास रहने वाले किसी व्यक्ति की मौत अचानक हो जाती है जिसकी वजह से उनकी अंतिम दिली इच्छा पूरी नहीं हो पाती है. ये real scray story of last wish फिलिस्तान के एक प्रान्त से ली गयी है.
हमारे आसपास भी हमें ऐसे किस्से सुनने को मिल जाते है जब हम मरने वाले की last wish पूरी नहीं कर पाते है और उनकी आत्मा फिर उस आखरी wish को पूरा करने के लिए इधर उधर भटकती है.
अगर आपके आसपास भी ऐसा कुछ हुआ है तो हमें कमेंट में बताना ना भूले.