आपने लगभग हर व्यक्ति के हाथ में मौली या फिर कलावा बंधा हुआ देखा होगा लेकिन क्या आप जानते है हाथ पर मौली या कलावा क्यों बांधते हैं? आज हम कलावा बांधने का तरीका और इसका हम पर क्या असर पड़ता है इसके बारे में जानने वाले है.
किसी भी शुभ काम से पहले हमारे हाथो में मौली या कलावा बांधा जाता है इसे हम रक्षा सूत्र भी कह सकते है और इसे शुभ कार्य से जोड़कर देखा जाता है. मौली व कलावा बांधने के लाभ व महत्व की बात करे तो इसे मां लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती का आशीर्वाद से जोड़कर देखा जाता है.
हम जो भी कार्य की शुरुआत करते है वह बिना किसी विघ्न के पूरा होता है और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.
सिर्फ आध्यात्म ही नहीं वैज्ञानिक महत्त्व की दृष्टी से भी मौली या कलावा बांधना हमारे लिए अच्छा रहता है. मौली व कलावा बांधने से व्यक्ति का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है.
हमारे शरीर की संरचना का प्रमुख नियत्रंण कलाई में होता है, इसलिए मौली धागा एक तरह से एक्यूप्रेशर की तरह काम करता है, जो हृदय रोग, मधुमेह व लकवा जैसे रोगों से सुरक्षा करता है. मौली या कलावा बांधने का तरीका जान ले सही तरीके से कलावा बांधने के अपने फायदे है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुरुषों और अविवाहित कन्याओं के दाएं हाथ में कलावा या मौली बांधते हैं, जबकि विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में मौली या कलावा बांधा जाता है.मौली या कलावा बंधाते समय मुट्ठी बंद होनी चाहिए और एक हाथ अपने सिर पर होना चाहिए.
पूजा के समय नई मौली बांधनी चाहिए. इसके अलावा मंगलवार या शनिवार को पुरानी मौली उतारकर नई मौली धारण करनी चाहिए. इससे जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी और कार्य में किसी तरह की तरह की बाधा नहीं आएगी.
कलावा बांधने का तरीका महत्त्व और लाभ
कलावा बांधना हमारी वैदिक परम्परा का हिस्सा है और किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते समय कलावा बांधना अनिवार्य माना जाता है. मांगलिक कार्य में भी कलावा बांधना अनिवार्य है. हिन्दू शास्त्र के अनुसार किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के दौरान कलावा बांधने से हमें देवताओ का आशीर्वाद और कृपा मिलती है.
मौली या कलावा बांधने से अशुभ प्रभाव को टाला जाता है और ये हमारे लिए रक्षा सूत्र की तरह काम करता है.
कलावा किसी एक देवी या देवता विशेष से जुड़ा हुआ नहीं है इसे रक्षा सूत्र माना जाता है. ये आपकी विपरीत परिस्थिति में रक्षा करता है. नेगेटिव विचारो को दूर करता है और शुभता लाता है.
अगर आप कलावा बदलना चाहते है तो आपको मंगलवार या फिर शनिवार के दिन इसे बदलना चाहिए.
कलावा बांधने का तरीका – कलावा के सिर्फ 3 राउंड होते है, 3 बार से ज्यादा लपेटा ना ले. पुरुषों को व अविवाहित कन्याओं को हमेशा दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए. इसके अलावा विवाहित स्त्रियों को बाएं हाथ में बांधना चाहिए. वहीं ध्यान रखें कलावा बांधते समय मुट्ठी बंधी हो और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए.
कलावा वैसे तो किसी पंडित या पुरोहित के हाथो से बांधा जाना चाहिए क्यों की वे मंत्रोच्चार करते हुए रक्षा सूत्र बांधते है. अगर आप घर पर खुद कलावा बांधने का तरीका जानना चाहते है तो आपको इसका मंत्र उच्चारण करते हुए रक्षा सूत्र बांधना चाहिए.
‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’
इससे रक्षा सूत्र का प्रभाव बढ़ता है और ये आपके लिए शुभता का प्रतीक बनता है. कोशिश करे की आपको मंदिर में पूजा के दौरान पंडित से कलावा मिल जाए. इसका प्रभाव ज्यादा होता है.
Read : किसी भी तरह की सुरक्षा के लिए सिर्फ एक बीज मंत्र का जप करना काफी है सबसे शक्तिशाली सुरक्षा कवच मंत्र
कितने तरह का कलावा बांधा जाता है ?
मौली या फिर कलावा आमतौर पर 2 तरह का होता है इसमें पहला 3 रंग वाला जिसे त्रिदेव का प्रतिक माना जाता है इसमें लाल, पिला और हरा रंग होता है. दूसरा कलावा जिसमे 5 रंग होते है इसमें लाल, पीला हरा, नीला और सफेद रंग होता है और इसे पंचदेव का प्रतिक माना जाता है.
कलावा बांधने का तरीका और इसके महत्त्व जान लीजिये. कलावा बांधने का स्पिरिचुअल नहीं वैज्ञानिक कारण भी है. ऐसा माना जाता है की कलावा बांधने से वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है.
डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक और लकवा जैसे रोगों से बचाने में मददगार है. इससे नसों में दबाव पड़ता है. पुराने वैद्य इसीलिए हाथ, कमर, गले व पैर के अंगूठे में बंधवाते थे.
कलावा बांधने से व्यक्ति का मन शांत रहता है, संतुलन में रहता है और उसे हर पल एक सकारात्मक उर्जा का अहसास बना रहता है. मन का भटकाव ना होने की वजह से वो हमेशा एक दिशा में आगे बढ़ता रहता है.
हर मंगलवार और शनिवार को पुरानी मौली को उतारकर नई मौली बांधना उचित माना गया है. उतारी हुई पुरानी मौली को पीपल के वृक्ष के पास रख दें या किसी बहते हुए जल में बहा दें.
प्रतिवर्ष की संक्रांति के दिन, यज्ञ की शुरुआत में, कोई इच्छित कार्य के प्रारंभ में, मांगलिक कार्य, विवाह आदि हिन्दू संस्कारों के दौरान मौली बांधी जाती है. कलावा बांधने का तरीका बहुत सिंपल है लेकिन, इसके महत्त्व काफी प्रभावशाली है.
Read : खोये हुए प्यार को वापस पाने का इस्लामिक उपाय किसी भी तरह की लव प्रॉब्लम के समाधान के लिए
मौली या कलावा क्यों बांधा जाता है ? इसके महत्त्व
मौली या कलावा बांधने का सबसे बड़ा कारण है हमारा किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले शुभता को बुलावाकलावा बांधने का तरीका देना. ऐसा माना जाता है की अगर आप सही तरह से कलावा बांधने का तरीका फॉलो करते है तो आपको देवी देवताओ का आशीर्वाद मिलता है.
- मौली को धार्मिक आस्था का प्रतिक माना जाता है.
- किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले संकल्प लेते हुए कलावा बांधा जाता है.
- किसी देवी या देवता के मंदिर में मन्नत मांगने के उदेश्य से भी कलावा बांधा जाता है.
मौली बांधने के 3 कारण हैं- पहला आध्यात्मिक, दूसरा चिकित्सीय और तीसरा मनोवैज्ञानिक.
आध्यात्मिक पक्ष की माने तो रक्षा सूत्र यानि कलावा बांधने से शुभता का संचार होता है और साथ ही देवी देवताओ का आशीर्वाद भी मिलता है. मौली बांधने से व्यक्ति को पवित्रता का खास ध्यान रखना पड़ता है जिसकी वजह से संकल्प में और शुभ कार्यो में जल्दी सफलता मिलती है.
आपने बच्चो के कमर पर करघनी / तागड़ी ( लोकल भाषा में ) बंधे हुए देखा होगा या भी रक्षा सूत्र का एक भाग है. ऐसा माना जाता है की ये करने से बच्चो की बुरी नजर और उपरी ताकत से रक्षा होती है.
काला धागा एक रक्षा सूत्र के तरीके से बांधने की वजह से बच्चो का सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है. इससे पेट के रोग नहीं होते है.
इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष देखे तो रक्षा सूत्र यानि कलावा बांधने से हमारा मन स्थिर और शांत रहता है. हमें हमेशा एक शक्तिशाली रक्षा कवच होने का अहसास होता रहता है क्यों की ये पॉजिटिव एनर्जी को बढाता है.
कलावा बांधने का तरीका और इसके महत्त्व काफी यूनिक है और ये प्राथमिक रक्षा सूत्र माना जाता है. अगर आप इसके सही तरीके को फॉलो करते है तो बदलाव खुद देख सकते है.