ध्यान की अलौकिकविधियों में से एक है साँस द्वारा ध्यान की गहराई में उतरना और इस ध्यान की विधि से हम समाधी की अवस्था में भी उतर सकते है।
ध्यान से समाधी का सरल अभ्यास में हम आज ब्लॉग पर सेतु विक्रम सर की अपनाई हुई ध्यान की खास विधि को साझा करने जा रहे है जिसमे ध्यान की गहराई में उतरने का प्रयास करेंगे।
ध्यान की ये अनोखी विधि वैसे तो काफी सरल प्रतीत होती है लेकिन इसके प्रभाव इससे भी ज्यादा प्रभावशाली है। इसे करने से पहले खुद की काबिलियत को जांचना बेहद जरुरी है।
सबसे पहले तो में आप सभी को बता दू की सेतु विक्रम सर आध्यात्मिक गुरु के नाम से भी जाने जाते है। उन्हें जानने वाले करीबी लोगो का कहना है की वो काफी अच्छे और आध्यत्मिक दुनिया के उच्च स्तर के साधक है और उतने ही सामान्य दुनिया के इंसान भी।
कई बार तो समय समय पर उन्होंने ध्यान की विधियों में कई अनोखे प्रयोग किये है जिसमे सूक्ष्म शरीर की यात्रा, कुण्डलिनी जागरण और सप्त चक्र में ऊर्जा के प्रवाह की साधनाए शामिल है।
ध्यान से समाधी का सरल अभ्यास
ध्यान की इस खास विधि में हमें अपनी सांसो पर ध्यान लगाना होता है। ये विधि विपस्सना विधि से भी मिलती जुलती है। विपस्सना विधि में हमें सांसो की गतिविधि को समझते हुए मन की गहराई में उतरना होता है। इस प्रक्रिया के 3 चरण है
- पहला सांसो को समझना
- सांसो के मध्य अंतराल को बढ़ाना
- मन की गहराई में उतरना
सांसो की प्रक्रिया को समझ कर सहज भाव से हमें इसके मध्य के अंतराल को बढ़ाना चाहिए जिससे की हम खुद को ज्यादा से ज्यादा स्थिर बना सके। इससे हम न्यूनतम सांसो की मात्रा के साथ मन की गहराई में उतरने में सफल हो जाते है। साथ ही समाधी की अवस्था को भी प्राप्त कर सकते है।
1.) सांसो को समझना
ध्यान से समाधी की ओर की इस क्रिया में सबसे पहले हमें सांसो के अंतराल को समझना होगा। हम दिन भर जितनी बार भी श्वसन क्रिया करते है उसके अनुसार ही हमारे विचार बनते और मिटते रहते है।
इसलिए विचारो की मात्रा को घटाना और शून्य की अवस्था के बाद समाधी प्राप्त करना इस ध्यान की विधि का उदेश्य है।
सांसो की मात्रा को घटा बढ़ा कर हम अपने विचार पर नियंत्रण ला सकते है इसके लिए आप एक प्रयोग को कर सकते है जो आज के समय में हर डॉक्टर और अनुभवी द्वारा हमें तनाव और गुस्से से बचने के लिए सुझाया जाता है।
जब भी आपको गुस्सा, तनाव या फिर विचारो की बाढ़ की समस्या से रूबरू होना पड़ता है तो आप एक प्रयोग आजमा सकते है। आपको करना सिर्फ ये है की जब भी आपको गुस्सा आए आप अपनी सांसो पर ध्यान दे। लम्बी सांसो को अंदर ग्रहण करे और कुछ देर तक रोके रखे।
ऐसा 4-5 बार करे। ये दिखने में जितना सरल है उतना ही प्रभावी भी इसलिए आपके विचार न्यून हो जाते है और आप शांत हो जाते है।
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2.) सांसो की अवधि को बढ़ाना :
हमारे साँस लेने और छोड़ने की मात्रा को धीरे धीरे बढ़ाने के अद्भुत परिणाम मिलते है। शुरू शुरू में साँस को ग्रहण करने के बाद आप जितनी देर अंदर रोके रख सकते है उतना प्रयास करे।
ध्यान रखे की आपको अभ्यास में जबरदस्ती नहीं करनी है अन्यथा सांसो को जबरदस्ती रोके रखने के दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते है।
इसलिए हमेशा सांसो को अंदर उतनी ही देर रोके जितना रोक सके। धीरे धीरे इसकी अवधि अपने आप बढ़ने लगती है।
हम दिन बार लगभग 72000 बार श्वसन क्रिया करते है। ध्यान की इस विधि से ये प्रक्रिया एक चौथाई भी हो जाए तो हम खुद को शांत, स्थिर और सहज रख पाने में सक्षम हो जाते। है यह शुरुआत है हमारे अंतर की यात्रा और मन की गहराई में प्रवेश की।
क्या होगा प्रभाव
इसके परिणामस्वरूप आपके मन में विचारो की मात्रा सांसो के मध्य बढ़ते अंतराल के साथ साथ कम होने लगती है। आपका मन शांत और स्थिर होने लगता है। साथ ही साथ आप लम्बे समय तक खुद को एक जगह स्थिर रख सकते है। ध्यान से समाधी का सरल अभ्यास हमारे श्वसन प्रक्रिया को कम से कम बनाते हुए हमें अपने अंतर में उतरने में मदद करता है। इसलिए सामान्य जीवन में आप खुद के विचारो को नियंत्रण में ला सकते है।
3.) मन की गहराई में उतरना
जब सांसो की मात्रा धीरे धीरे घटने लगती है तब ध्यान से समाधी का सरल अभ्यास अपने अगले चरण में बढ़ने लगता है। विचार धीरे धीरे न्यून होते हुए शून्य की अवस्था में पहुँचने लगते है और एक अवस्था ऐसी आती है जब हम शारीरिक और मानसिक रूप से शिथिल और स्थिर हो जाते है।
मन की गहराई में उतरने के लिए आपका स्थिर होना और सहज होना अति आवश्यक है इसलिए जब सांसो की मात्रा सिर्फ प्राण संचरण के लिए ही ग्रहण की जाने लगती है तब विचार शून्य की अवस्था में प्रवेश करने लगते है। और यही से शुरुआत होती है अंतर् की यात्रा की।
यह प्रक्रिया पुरातन समय से ऋषि मुनियो द्वारा अपनाकर समाधी की अवस्था में बने रहने के लिए अपनाई जा चुकी है।
आज भी हिमालय में सिद्धाश्रम में जहा पर उच्च स्तर के योगी और साधको का रहा जाना माना जाता है ध्यान से समाधी का सरल अभ्यास द्वारा लम्बे समय तक अपनी सांसो को रोक कर सुप्तावस्था में अपना तप कर रहे है।
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प्राकृतिक और सहज हो क्रिया
हमेशा ध्यान रखे साँस ग्रहण करने और उसे अंदर रोके रखने की प्रक्रिया सहज और प्राकृतिक होनी चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपको अपना दम घुटता हुआ महसूस होने लगेगा जिससे की आपको ना सिर्फ परेशानी हो सकती है बल्कि आपका ध्यान भी भटकने लगता है। ध्यान, त्राटक और अवचेतन मन के साथ साथ आध्यत्मिक दुनिया के सफर में कई बदलाव ऐसे होते है जो हमें विचलित कर सकते है। लेकिन सांसो पर नियंत्रण पाकर हम आसानी से खुद को सहज बना सकते है।
दोस्तों ध्यान से समाधी का सरल अभ्यास एक अपनाई हुई तकनीक है और अगर सही तरीके से की जाए तो इसके बहुत ही प्रभावशाली परिणाम देखने को मिलते है। अगर आप गुस्से, तनाव और चिड़चिड़ेपन से परेशान रहते है तो आपको एक बार ये विधि जरूर करनी चाहिए।
बाह्य स्त्रोत : साँस द्वारा ध्यान कैसे करे
Very good
No words
बहुत ही बेहतरीन और ज्ञानवर्धक पोस्ट है। मुझे बहुत पसंद आई। जो लोग योग की शुरूआत करने वाले हैं उन्हें आपकी इस पोस्ट से बहुत मदत मिलेगी।
Bahut Badhiya Post hai Sir
very nice
बहुत खूब अब तो मन करता है कि डूब ही जाऊं ।