गोपनीय वीर की साधना से आप अदृश्य दृश्य शक्ति तत्व को सिद्ध कर सकते है. वीर के बारे में आप पहले भी ब्लॉग पर पढ़ चुके है.
मनुष्य की शक्तियों के परे भी महान अदृश्य शक्तियां सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विचरण करती रहती हैं. साधना का तात्पर्य है इन शक्तियों को वश में कर अपने शक्ति तत्व के साथ जोड़ देना.
तभी साधना का वास्तविक अर्थ है, अन्यथा साधना केवल नित्य कर्म बन कर रह जाती है.
वीर शब्द का मतलब ही बलशाली होता है, लेकिन तंत्रोक्त रूप में वीर का तात्पर्य बिल्कुल अलग है.
यह यक्ष का स्वरूप है, जिसके सेवक भूत-प्रेत इत्यादि होते हैं और यक्ष योनि केवल अभिशप्त देवता को ही प्राप्त होती है.
जब यक्ष योनि में यह वीर साधकों के कल्याण हेतु कुछ शुभ कार्य सम्पन्न कर लेता है तो उसकी यह शाप योनि समाप्त हो कर पुनः देव योनि प्राप्त हो जाती है.
साधना के क्षेत्र में तो इस साधना का सबसे उच्च स्तर का महत्व है, यहाँ तक की तांत्रिक साधना में शिष्य की यह इच्छा रहती है कि उसके गुरु उस पर कृपा कर वीर साधना में सिद्धि दिलाएं.
गोपनीय वीर की साधना करने का सबसे बड़ा रीज़न ही शक्ति अर्जन करना है. वीर आपको शक्तिशाली बनाता है, आप जाने अनजाने खतरों से सुरक्षित रहते है और किसी भी तरह के तंत्र और मंत्र के प्रभाव से सुरक्षित रहते है.
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गोपनीय वीर की साधना
वीर साधना का तात्पर्य ऐसी साधना है, जिसे पूर्ण करने पर वीर आपके वश में हो जाता है. वीर, एक ऐसा बलशाली पुरुष शक्ति है, जो बेहद ही ताकतवर और जीवन भर वश में रह कर काम करने वाला है.
वीर विक्रमादित्य की कहानी सर्वविदित है, कि उन्होंने एक वीर साधना कर रखी थी. वीर हमेशा उनके कण्ट्रोल में और उनकी आज्ञा में तैयार रहता था. जो आज्ञा विक्रमादित्य देते, वह वीर एक पल में ही उस कार्य को पूरा कर देता था.
विक्रमादित्य ने उस वीर की सहायता से ही अपने सारे शत्रुओं को काबू में किया.
इस वीर की सहायता से ही जब राज्य पर पड़ोसी राज्य की फ़ौज ने चढ़ाई करने की कोशिश की तो पूरी फौज का सफाया किया. वीर की सहायता से ही उसने अपने राज्य में अटूट धन सम्पत्ति जोड़ दी और वीर की सहायता से ही विक्रमादित्य पूरे संसार में विख्यात हुए.
रामभक्त हनुमान ने भी गोपनीय वीर की साधना सम्पन्न कर रखी थी इसीलिए उनको महावीर हनुमान कहते हैं. इस वीर की सहायता से ही वे चार सौ योजन का समुद्र एक ही छलांग में पार कर सके थे.
ऐसे गोपनीय वीर की साधना सिद्धि की सहायता से ही वे लंका के अशोक वन को तहस- तहस कर अपनी धाक जमा सके थे, और उस वीर की सहायता से ही बड़े से बड़े पर्वत गेंद की तरह हथेली में लेकर कहीं पर भी फेंक सकते थे.
शंकराचार्य ने भी वीर साधना सम्पन्न कर रखी थी, जिसकी वजह से चौबीसों घण्टे उनकी सुरक्षा बनी रहती थी. वीर की सहायता से हो जब वे जंगल में एक स्थान से दूसरे स्थान को जाते तो वीर उनका सही मार्ग दर्शन करता, जंगल के हिंसक पशुओं से भी रक्षा वीर ही करता था.
वीर की सहायता से ही शंकराचार्य ने अकेले पूरे भारतवर्ष से बौद्ध धर्म को समाप्त कर हिन्दू धर्म को स्थापित करने में सफलता पाई.
वे स्वयं इस बात को स्वीकार करते थे कि मैंने अपने जीवन में सैकड़ों साधनाएं सम्पूर्ण की है, परन्तु वीर साधना के द्वारा ही मैंने जीवन की पूर्णता, यश, सम्मान और अद्वितीय सफलता प्राप्त की है.
गुरु गोरखनाथ वीर साधना के आचार्य थे, और उनके शिष्य इस बात का गौरव अनुभव करते थे, कि गुरु गोरखनाथ ने वीर को सिद्ध किया है जिसकी वजह से वे तंत्र क्षेत्र में पूर्ण सफलता पा सके है.
यद्यपि कई लोगों ने मिल कर गुरु गोरखनाथ को मारने की कोशिश की, परन्तु अकेले गुरु गोरखनाथ सैकड़ों लोगों से मुकाबला कर सके, और विजय प्राप्त कर सके.
वीर वास्तव में किस तरह की शक्ति है ?
जिस प्रकार से भूत साधना या शून्य साधना सम्पन्न कर जीवन की प्रत्येक आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है उसी प्रकार से गोपनीय वीर की साधना के द्वारा भी संसार का कठिन से कठिन कार्य पूरा किया जा सकता है.
वीर का वास्तविक मतलब एक ऐसी शक्ति से है जो भूत से मजबूत होती है. वीर का तात्पर्य एक ऐसे महान व्यक्तित्व से है, जो अत्यन्त ही सरल, भलाई करने वाला प्रत्येक प्रकार की मुसीबत में सहयोग देने वाला और अपने मालिक के कठिन से कठिन कार्य को भी चुटकियों में हल करने वाला है.
यह साधना वास्तव में ही अत्यन्त गोपनीय और दुर्लभ रही है, क्योंकि कोई भी गुरु इस प्रकार की साधना को प्रकट करना नहीं चाहता है.
अपने अन्तिम समय में गुरु अपने शिष्य को ही यह महत्वपूर्ण साधना समझाता है और उसे पूर्ण सिद्ध योगी बना देता है.
इस गोपनीय वीर की साधना में किसी को शत प्रतिशत सफलता मिली तो किसी को कुछ कम.
कइयों के सामने कार्य की पूर्णता हेतु वीर प्रत्यक्ष आकर उपस्थित हुआ तो कई साधकों को अदृश्य रूप से किसी न किसी माध्यम से कार्य में पूर्णता प्राप्त हुई.
कुछ साधको ने अपने अनुभव शेयर करते हुए बताया की कि भयंकर से भयंकर बाधा के समय, जब कार्य की पूर्णता हेतु कोई मार्ग नहीं दिखता और उन्होंने पूर्ण मनोयोग से वीर साधना सम्पन्न की तो सात दिन के भीतर ही वह बाधा सरल हो गई और कार्य सिद्ध हो गया.
उन्हें हर समय यह विश्वास बना रहता है कि वीर की शक्ति उसकी बाधाओं का नाश अवश्य कर देगी.
प्रत्येक साधक इस साधना को श्रवश्य सम्पन्न करें, क्योंकि यह साधना ‘जाग्रत साधना’ है, शक्ति तत्व को उदय करने की साधना है, अपने कार्यों के सफल होने के मार्ग में बाधा के निवारण की साधना है, मैरव के स्वरूप की साधना है.
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वीर साधना सिद्धि का उपाय
यह गोपनीय वीर की साधना मात्र 14 दिन की है और इस साधना को सम्पन्न करने के लिए निम्न पांच नियमों का पालन करना जरूरी है.
किसी भी शुक्रवार से यह साधना प्रारम्भ करें.
रात्रि को पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर लाल आसन पर लाल धोती पहन कर बैठ जाए और आधा किलो गेहूं के आटे से मनुष्य की प्राकृति का पुतला बनावें और उसे सिन्दूर से रंग दें. इसे ‘वीर’ कहते हैं
फिर पास में तेल का दीपक लगावें और वीर के पास ही “वीर प्रत्यक्ष सिद्धि यन्त्र” स्थापित कर दें.
गोपनीय वीर मंत्र
|| ॐ ह्रीं ह्रीं वीराय प्रत्यक्ष भव ह्लीं ह्लां फट् ||
नित्य रात्रि को “हकीक माला” से वीर एवं वीर प्रत्यक्ष सिद्धि यन्त्र के सामने 15 माला मन्त्र जप करें, गोपनीय वीर की साधना में यंत्र का ही सर्वाधिक महत्व है.
साधना की अवधि में ब्रह्मचर्य व्रत से रहें.
एक समय भोजन करें और साधना काल में या मंत्र जप के समय कोई अनुभव हो तो किसी से न कहें.
जब साधना पूरी हो जाए तो 15 वें दिन उस वीर को दक्षिण दिशा में जंगल में रख कर कहें कि ‘जब मैं तुझे आज्ञा दूँ, तू उपस्थित होगा और आज्ञा पालन करेगा. इसके अलावा हर पल अदृश्य रूप से मेरे सामने उपस्थित रहेगा तथा मेरी रक्षा करेगा’.
उस यंत्र को लाल धागे से अपनी भुजा लें.
गोपनीय वीर की साधना पूर्ण होने के बाद जब पांच बार मंत्र उच्चारण कर वीर को आवाज दी जायेगी तो आंखों के सामने वीर प्रत्यक्ष होगा. उस समय आप उसे जो भी आज्ञा देंगे, वह तुरन्त आज्ञा का पालन करेगा.
इस प्रकार की महत्वपूर्ण साधना में साधक को भय रहित होकर साधना अनुष्ठान सम्पन्न करना चाहिए. बेहतर होगा की साधना को पूरा करने के लिए सबसे पहले अपने गुरु का आशीर्वाद जरुर ले.
गोपनीय वीर की साधना से जुड़े नियम
किसी भी वीर की साधना को सफलतापूर्वक करना है तो आपको कुछ नियम का पालन जरुर करना होगा.
- वीर साधना को बिना गुरु के ना करे. इस साधना के लिए साधक का भयमुक्त होना जरुरी है और गुरु की हेल्प के बगैर आप शुरुआती समय में इस साधना का अभ्यास नहीं कर सकते है.
- वीर साधना के दौरान साफ रहना और ब्रह्मचर्य का पालन करना जरुरी है.
- वीर साधना के दौरान खुद का बनाया हुआ खाना खाए.
- वीर की साधना सिद्धि के दौरान चमड़ा और उससे बना कोई सामान प्रयोग ना करे.
- वीर साधना काल के दौरान मांस, मदिरा और किसी प्रकार के नशे का प्रयोग करना मना है.
इन नियम का पालन करते हुए आपको गोपनीय वीर की साधना को पूरा करना चाहिये.
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वीर साधना के फायदे
कलयुग में ज्यादातर साधक वीर की साधना खासकर 52 वीर कंगन की साधना करने के लिए इच्छुक है क्यों की ये साधना किसी भी साधक को बेहद शक्तिशाली बना देती है.
आइये जानते है वीर की गोपनीय साधना करने के फायदे और आखिर क्यों साधक इस साधना को पूरा करना चाहते है.
- गोपनीय वीर की साधना को संपन्न करने के बाद साधक शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर शक्तिशाली बन जाता है.
- इस साधना को पूरा करने के बाद साधक किसी भी दृश्य और अदृश्य शक्ति के भय से मुक्त हो जाता है.
- वीर साधक की किसी भी मनोकामना को पूर्ण कर सकते है फिर चाहे वो कितनी भी मुश्किल हो.
- गोपनीय वीर साधना को सिद्ध करने के बाद साधक को दुर्लभ शक्ति और सिद्धि होना शुरू हो जाती है.
- भयमुक्त होने के बाद ही आप इस साधना को कर सकते है लेकिन, बेहद कम समय में ही आप इस साधना को सिद्ध कर सकते है.
ऐसे ही अनगिनत फायदे है जो आपको वीर साधना को सिद्ध करने के बाद मिलते है.
Bhai paak jinnad ka Mantra de Sakte ho?