विज्ञान आज काफी तरक्की कर रहा है पर आज भी कुछ ऐसे रहस्य है जो विज्ञान सुलझा नहीं पाया है। आमतौर पर जिन बातो को विज्ञान परिभाषित नहीं कर पाता है उन्हें नकार दिया जाता है।
पर पराविज्ञान और एलियन दोनों के साथ आध्यात्म विज्ञान द्वारा नकारा नहीं जा सके है। आज हम आपको मददगार आत्माओ के सच्चे किस्से सुनाने जा रहे है जिनको एक्सपर्ट भी पहेली मान कर स्वीकार चुके है।
madadgar atma भी होती है. जिन्हें हम achhi atmao के sachhe kisse in hindi के रूप में यहा पढने जा रहे है.
आज हम बात करेंगे आत्माओ की वो भी मददगार क्यों की अक्सर सुनने में आता है की आत्माये परेशान करती है.
कई मददगार आत्माओ के सच्चे किस्से अपने अपने दोस्तों या बुजुर्गो से भी सुने होंगे। पर आज हम बताने जा रहे है कुछ ऐसे मददगार आत्माओ के सच्चे किस्से जो आपको इस पर दोबारा सोचने पर मजबूर कर देंगे।
मददगार आत्माओ के सच्चे किस्से
क्या आत्माये भी कभी मदद कर सकती है शायद नहीं क्यों की आपने अभी तक सिर्फ आत्माओ द्वारा परेशान किये जाने के किस्से ही सुने होंगे।
आज हम बताने जा रहे है की आत्माये भी किस तरह से इंसानो की मदद करती है।
हो सकता है की वो अच्छे कर्म कर अपने पापो को मिटने की कोशिश करते है। खैर सच चाहे जो भी हो आप आनंद ले इन किस्सो का जो रहस्य और रोमांच से भरपूर है।
सुकरात की मददगार आत्मा का रहस्य
मृत्यु के बाद भी क्या जीवन है ? क्या आत्माओ का भी अस्तित्व है ?
विज्ञान में ये आज भी एक रहस्य ही है। फिर हमें जाने अनजाने ऐसे कई किस्से सुनने को मिल ही जाते है जो पारलौकिक शक्तियों के अस्तित्व को सही मानते है।
कई महान दार्शनिक और नेता आत्माओ के संपर्क में थे इसका भी वर्णन मिलता है जिनमे सबसे खास था अब्राहम लिंकन का भूत जी हां वाइट हाउस का उन्हें शुरू से मोह था जिसके बारे में आगे बात करेंगे।
आने वाले भविष्य का पूर्वाभास
हम सबने महान दार्शनिक सुकरात का नाम तो सुना ही है जिन्हें अंत समय में जहर दिया गया था। ग्रेट सुकरात आत्माओ के संपर्क में रहते थे जो शुरू में धर्म, आत्मा और परमात्मा में विश्वास तक नहीं करते थे। एक आत्मा ने उन्हें परामर्श दिया की वो धर्म, कर्म करे।
सुकरात की रूचि धर्म में बढ़ने लग गई। और वो लोगो की भलाई करने लग गए जिसमे वो आत्मा उनकी मदद करती थी। सुकरात अक्सर अपने मित्रो से इसका जिक्र भी करते थे, लेकिन उनके दोस्त इसे सुकरात की अलौकिक शक्ति मात्र मानते थे। उनके साथी मानते थे,
” सुकरात में देवता / आत्मा है जो उन्हें पूर्वाभास करता है”
एक बार सुकरात अपने मित्रो के साथ कही जा रहे थे अचानक उन्होंने कहा की ये रास्ता सही नहीं है। कुछ मित्रो ने उनकी बात मान भी ली पर कुछ उसी रस्ते पर चल पड़े। कुछ दूर जाने के बाद जंगली जानवरो ने उन पर हमला कर दिया। वे घायल हो गए।
पढ़े : घर में रखे पुराने दर्पण की वजह से आपको हो सकता है पारलौकिक शक्तियों के होने का अहसास
इसी तरह एक व्यक्ति सुकरात से मिलने आया। जब वो मिलकर जा रहा था सुकरात ने उसे मना कर दिया “तुम मत जाओ तुम्हारा बुरा वक़्त चल रहा है” पर वो नहीं माना। बार बार रोकने के बाद भी वो चला गया और किसी ने रास्ते में उसका खून कर दिया।
सुकरात के देवता / आत्माये उन्हें इसी तरह पूर्वाभास देते थे। उन्हें तो अपनी मृत्यु का भी पूर्वाभास था।
जब उन्हें प्राणदंड दिया गया, तो उनके शिष्यो ने उनको भगाने की पूरी तयारी कर ली थी, लेकिन सुकरात ने उन्हें कहा की मेरे देवता ने कहा डरो नहीं ऐसी मौत श्रेष्ठ है। और अपनी मृत्यु को जानते हुए भी उन्होंने वही रास्ता चुना।
होने वाली दुर्घटना का पूर्वाभास
मददगार आत्माओ के सच्चे किस्से की अगली कहानी है स्कॉटलैंड की, ये घटना लगभग 18 वी सदी की है।
स्कॉटलैंड की नदी में एक कार डूब गई। स्थानीय लोगो ने उसका दुःख प्रकट किया। लेकिन उन्हें घोर आश्चर्य तब हुआ जब उन्होंने वो कार देखी।
वो सभी 20 साल से रोज इस नदी में आधी रात को एक कार को डूबते हुए देखते थे।
जिस दिन ये कार वास्तव में डूबी, उस दिन के बाद से उन्हें कभी ऐसी घटना दिखाई नहीं दी। इस कार का रहस्य क्या था ? क्या लोगो ने समय से पूर्व ही कार की दुर्घटना को देखा ये आज भी एक रहस्य है।
पढ़े : 5 बाते जो आपको ये मानने पर मजबूर कर देगी की भूत प्रेत और आत्माए होती है
ताहिर का प्रेत रहस्य से भरी एक कहानी
मददगार आत्माओ के सच्चे किस्से की अगली कड़ी है पाकिस्तान के कराची शहर की। मिया अली एक गैराज में मेकेनिक थे। वह अपना काम ख़त्म करके जैसे ही घर जाने लगे रास्ते में उन्हें एक नौजवान युवती कड़ी मिली। वह काफी परेशान लग रही थी।
उसके आसपास कोई नहीं था तो मिया अली को लगा शायद इसे घर जाने के लिए सवारी नहीं मिली है, इसी वजह से घबरा रही है।
उन्होंने लड़की को अपने स्कूटर पर बैठाया और उसकी इच्छा से एक चौराहे के पास गली के सम्मुख उतार दिया। मगर जब वह लड़की दो-तीन कदम चलने के बाद हवा में गुम हो गई तब उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई।
उन्होंने गैराज लौट कर सुबह जब दोस्तों को ये वाकया सुनाया तो किसी ने उनका विश्वास नहीं किया। उसके चार दिन बाद ही 22 जुलाई, 1979 को तेज बुखार हुआ और मिया अली दुनिया से विदा हो गए।
जाँच का कोई नतीजा नहीं
पुलिस ने जाँच की मगर कोई कोई कातिल तो था नहीं सो केस बंद कर दिया गया।
इस घटना के ठीक 2 साल पहले ताहिरा नाम की युवती अपने भाई के साथ घर लौट रही थी की उसकी कार का ब्रेक फ़ैल हो गया। इससे पहले की कार को रोका जाता उनकी एक्सीडेंट में मौत हो गई।
ऐसा माना जाता है की ताहिरा की मौत के पीछे एक दिलफेंक उद्योगपति का हाथ था। उसने ही एक मेकेनिक और पुलिस अधिकारी की मदद लेकर इस एक्सीडेंट का षड़यंत्र रचा था। ये सोच कर की एक्सीडेंट के बाद ताहिरा अकेली पड़ जाएगी तब उसे फांसा जा सकेगा।
रहस्यमयी मौत का सिलसिला
मददगार आत्माओ के सच्चे किस्से की ये कड़ी है रहस्यमयी मौत की, ताहिरा के मौत के ठीक 1 साल बाद ही उस उधोगपति की मौत हो गई।
गवाहों के अनुसार उन्होंने सड़क के किनारे एक नीली साड़ी वाली लड़की को उस समय देखा था, जब कार पेड़ से टकराई।
वही गश्त लगाने वाले पुलिस का कहना था की उन्होंने गाड़ी में एक नीली साड़ी वाली हसीना को देखा था। और यह समझा की दोनों नाईट शो की सिनेमा देख कर लौट रहे है।
अब ये कैसे मुमकिन हो सकता था की एक ही युवती दो जगह दिखाई दे। लगता है इसी नज़ारे को देख कर उधोगपति ने कार के ब्रेक की बजाय एक्सीलेटर दबा दिया था।
वास्तव में क्या था मौत का रहस्य
उधोगपति देर रात को नाईट क्लब से लौट रहा था। खुद उसके दोस्तों का कहना था की उन्होंने ख़राब लाइट के खम्बे के पास नीली साड़ी पहने किसी युवती को देखा था जो उसे रुकने का इशारा कर रही थी। अँधेरा होने की वजह से उसका चेहरा तो नहीं देखा जा सका।
माना जाता है की जब अचानक उसने आपने सामने और बगल में बैठी सुंदरी को देखा होगा तो उसके होश उड़ गए होंगे।
पढ़े : होली पर आप खुद कर सकते है वशीकरण का शक्तिशाली उपाय
एक बार फिर वक़्त ने दोहराया खुद को
जिस वक़्त वो घटना घटी उसका और ताहिरा की मौत का वक़्त एक ही था। ठीक इसी वक़्त पर अगले साल भी एक दुर्घटना हुई जिसमे मौत डूबने से हुई। इसके बाद ऐसी कई घटनाये हुई जिनमे नीली साड़ी वाली औरत का जिक्र हुआ। तब से आज तक कराची के प्रमुख राजमार्गो पर चलने वाले वाहनों के चालको ने कभी न कभी उस नीली साड़ी वाली औरत को देखा है। खासतौर से जब तारीख और महीना जुलाई का हो और तारीख 17-18 हो।
विश्वभर में हर कही है आत्माओ का डेरा
ताहिरा का प्रेत आज भी पाकिस्तान में चर्चा का विषय है। जिसे हर नगर में अलग अलग कहानी की तरह सुनाया जाता है, पर सच्चाई क्या है ये आज भी एक रहस्य है।
इसके अलावा भी अगर आपको भूतो-प्रेतो या आत्माओ के अस्तित्व पर भरोसा ना हो तो दिल्ली में कही न कही आपको इनका जिक्र सुनने को मिल जाएगा फिर चाहे वो J N U जैसा विश्विद्यालय ही क्यों न हो।
दोस्तों हमारा मकसद किसी तरह के अन्धविश्वास को फैलाना नहीं है आज की तीनो कहानिया कहानियो का एक हिस्सा है जो सच भी हो सकती है। पर दिल्ली में आत्माओ के अस्तित्व को कोई नकार नहीं सकता है।
आज की पोस्ट मददगार आत्माओ के सच्चे किस्से पर आपके विचार आमन्त्रित है ऐसी ही पोस्ट सीधे अपने मेलबॉक्स में प्राप्त करने के लिए हमें सब्सक्राइब जरूर करे।