अगर आप साधना करते है तो आप ऐसी कुछ समस्याओ से रूबरू जरुर होते है जिसमे आपको गुरु की आवश्यकता होती है. अगर आपका कोई गुरु नहीं होता है तो साधना में होने वाले अनुभव किसके साथ शेयर करे किसके साथ नहीं करे ये तय करना बेहद मुश्किल हो जाता है.
ऐसे में हम दोस्तों के साथ अनुभव शेयर कर देते है जिसकी वजह से बाद में हमें साधना में कई तरह की मुश्किल का सामना करना पड़ता है.
जैसे की पहले जैसे अनुभव नहीं होते है, साधना में मन नहीं लगता है या फिर साधना में अनुभव की गति धीमी हो जाती है. इसकी वजह क्या है और ऐसा क्यों होता है ? आज की पोस्ट में जानने की कोशिश करते है.
हम साधना में होने वाले अनुभव किसके साथ शेयर करे किसके साथ ना करे इसको लेकर मन में उलझन बनी रहती है क्यों की हम कई ऐसे अनुभव करते है जिन्हें शेयर करना पड़ता है या फिर मन में उनको लेकर शंका बनी रहती है जिसका समाधान पाने की इच्छा बनी रहती है.
ऐसे में बाद में साधना का प्रभाव धीरे धीरे ख़त्म होने लगता है. हमें समझ नहीं आता है की गलती कहा हो रही है. कुछ खास सवालों के चुनाव के बाद इस पोस्ट में उनका समाधान पाने की कोशिश करते है.
साधना में होने वाले अनुभव को शेयर क्यों नहीं करना चाहिए
लम्बे टाइम से इस बात को लेकर बहस चल रही थी की साधना में होने वाले अनुभव शेयर किये जाने चाहिए या नहीं ?
अगर हाँ तो किसके साथ शेयर करे और नहीं तो क्यों ना करे ? अलग अलग लोगो के अलग मत है लेकिन सभी का ये मानना है की हमें साधना में होने वाले अनुभव शेयर नहीं करना चाहिए.
ऐसा मानने के पीछे एक सबसे बड़ी वजह है की साधना में अनुभव होने के बाद अगर हम किसी अन्य व्यक्ति के साथ साधना में होने वाले अनुभव को शेयर करते है तो साधना का प्रभाव चला जाता है. यही नहीं अगर वो पुन: प्रयास भी करते है तो भी साधना में पहले जैसा अनुभव नहीं मिलता है.
अक्सर लोग सबसे ज्यादा शिकायत करते है की वो पहले साधना में काफी अच्छे अनुभव करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होता है. मुख्यत निम्न तरह की शंका या यू कहे शिकायत सुनने को मिलती है की
- हम पहले साधना में काफी जल्दी जल्दी अनुभव कर रहे थे लेकिन अब ऐसा नहीं होता है.
- पहले जब साधना शुरू की थी तो मन लगता था लेकिन अब साधना में बिलकुल मन नहीं लगता.
- क्या किसी के साथ साधना का अनुभव शेयर करने से साधना का असर चला जाता है.
आज की पोस्ट में हम इन सभी सवालों पर कुछ जानकारी शेयर करेंगे जो किसी तरह के किताबी अनुभव नहीं बल्कि अलग अलग लोगो के अनुभव के आधार पर होगी, तो चलिए शुरू करते है और जानते है साधना में किस तरह के और कितने स्तर पर अनुभव होते है.
साधना और अनुभव
साधना मे होने वाले अनुभव से पहले ये जानना जरुरी है की साधना में अनुभव होते ही है या नहीं भी होते है. क्यों की कई बार हम लोग साधना करते है लेकिन हमें कुछ भी अनुभव नहीं होते है. क्या वाकई हमें साधना में अनुभव नहीं होते ? हम कोई भी साधना करते है और किसी तरह के विधि विधान के साथ करते है तो हमें उसके अनुसार फल जरुर मिलता है.
रही बात किसी तरह के अनुभव के होने ना होने की तो ये निर्भर करता है कई बातो पर जैसे की ; हम किस माहौल में साधना करते है, किस विधान के साथ करते है या फिर किस मात्रा में महूर्त में करते है. आज कल के ज़माने में सूक्ष्म बातो का ध्यान नहीं रखा जाता है जिसकी वजह से साधना का प्रभाव हमें देखने को नहीं मिलता है.
अगर आप साधना को सही विधि- विधान के साथ कर रहे है तो आपको उसके अनुसार फल मिलेगा ही मिलेगा. अगर आप साधना के सही विधान की जानकारी चाहते है तो आपको इंद्रजाल का पहला भाग जरुर पढना और समझना चाहिए. साधना में कितने तरह के अनुभव होते है इसके बारे में जानते है. आम तौर पर साधना में 3 तरह के अनुभव साधना में होते है.
- शारीरिक – सबसे पहले होते है. शेयर किये जा सकते है / आमतौर पर दुसरो को पता चल जाते है.
- मानसिक – साधना में शारीरिक के साथ या बाद में होते है. आमतौर पर साधक को इन्हें गुप्त रखना चाहिए . गुरु के साथ शेयर किये जा सकते है.
- आध्यात्मिक – उच्च अवस्था में या फिर गहन साधना में अनुभव किये जा सकते है. अगर आपके गुरु है तो वो आपकी मनोदशा को समझ लेते है और उसके अनुसार गाइड कर सकते है.
सकारात्मक और नकारात्मक
साधना में होने वाले अनुभव सकारात्मक है या नकारात्मक इसका आप अनुभव के वक़्त अंदाजा नहीं लगा सकते है.
अगर आपकी साधना मानसिक स्तर से जुड़ी है तो आपको इसके अनुभव या प्रभाव दैनिक जीवन में देखने को मिलते है. इस आधार पर साधना में होने वाले अनुभव को लेकर दो बाते देखने को मिलती है.
- पहली साधना में होने वाले अनुभव सिर्फ गुरु के साथ शेयर किये जाने चाहिए.
- दूसरी जिस पर आप भरोसा करते है उसके साथ अनुभव शेयर किये जा सकते है.
- तीसरा अनुभव किसी के साथ शेयर ना करे आप अपने अंतर्मन के साथ शेयर करे वो आपको सही दिशा दे देगा.
साधना में होने वाले अनुभव शेयर करे या नहीं
साधना में होने वाले अनुभव शेयर आपके साधना का फल होता है. अगर आप किसी के साथ अनुभव शेयर करते है तो इससे आपकी उर्जा बंट जाती है. क्यों कैसे इसका कोई पुख्ता जरिया नहीं है, लेकिन ऐसा माना गया है की इससे साधक की एकाग्रता भंग हो जाती है.
आप जिसके साथ ये अनुभव शेयर करते है वो आपके साथ सकारात्मक है या नकारात्मक इसका आपको पता होना चाहिए. मान लीजिये आप अपने अनुभव किसी ऐसे व्यक्ति को बताते है जो इन सब बातो में विश्वास नहीं रखता, ऐसे में वो आपको demotivate करेगा ना की आपकी मनोदशा को समझने की कोशिश करेगा.
आप उन्हें बात बता देते है लेकिन उसकी नकारात्मकता आपको प्रभावित कर देती है. कैसे ? आइये इसे गहनता से समझने की कोशिश करे.
साधना में इस बात को आप कभी गौर नहीं करते है
हम साधना करते है तो सबसे ज्यादा असर किस पर होता है ? अगर आप साधना से जुड़े है तो आपको पता होगा की हमारा औरा हमारे लिए क्या मायने रखता है और हमें सबसे ज्यादा इसका ध्यान क्यों रखना चाहिए ? चलिए इसे थोडा क्लियर करते है.
हम जब साधना करते है तो हमारे चारो ओर एक उर्जा कवच होता है इसमें बदलाव होता है. हमारा औरा साधना में बढ़ता है और मजबूत बनता है ऐसे में एक स्थिति ऐसी भी आती है की हमारा औरा हमारे लिए बाहरी शक्तियों से सुरक्षा कवच की तरह भी काम करने लगा है.
हम साधना करते है और किसी के किसी के साथ अनुभव शेयर कर देते है ऐसे में हम खुद उसे हमारे औरा क्षेत्र में invite कर देते है. ये सब प्रक्रिया इतनी सूक्ष्म है की किसी का ध्यान इस ओर जाता ही नहीं है.
जिसके साथ हम अनुभव शेयर करते है वो दो तरह के हो सकते है पहला वो लोग जो सकारात्मक होते है, हमें समझते है और गाइड करते है. दुसरे जो हमें बेवकूफ और पागल समझते है दोनों ही तरफ से हमें उनकी energy affect करती है. यही वजह है की साधना में हमें उन्ही लोगो के साथ अनुभव शेयर करने चाहिए जो भरोसेमंद है.
तो किसके जरिये करे शंका का समाधान
हमें साधना में होने वाले अनुभव किसके साथ शेयर करना चाहिए, अनुभव और समस्या का समाधान किसके जरिये पाया जाए. इसे समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्यों की साधना में अनुभव को शेयर नहीं किया जाना चाहिए, अगर करे तो किसके साथ करे क्यों की हर किसी को गुरु नहीं मिलता है.
सही गुरु के बिना हम अनुभव किसके साथ शेयर करे ? हम सभी उपर दिए गए कथन के आधार पर किसी एक माध्यम का चुनाव कर सकते है. सबसे अच्छा माध्यम है अंतर्मन की आवाज सुनना. अगर आप खुद के मन के जरिये समाधान ढूंढे तो हो सकता है की आपको सही समाधान मिल जाए.
एक एनी जानकार साधक का कहना है की मै खुद अभी तक बिना किसी गुरु के साधना करता आया हूँ लेकिन किसी के साथ अनुभव शेयर नहीं करता जिस पर भरोसा होता है सिर्फ उसी के साथ शेयर करता हूँ. ज्यादातर केस में मन में उठने वाली आवाज के जरिये ही problem का solution पा लेता हूँ. इससे में ना सिर्फ अपने औरा को मजबूत बना पाता हूँ.
साधना के अनुभव किसे बताने चाहिए किसे नहीं
साधना में होने वाले अलग अलग स्तर के अनुभव किसके साथ शेयर किसके साथ नहीं और सबसे बड़ा सवाल कौनसे अनुभव शेयर किये जा सकते है ? शारीरिक अनुभव किसी से छुपते नहीं है और आप उन्हें शेयर भी कर सकते है लेकीन मानसिक और आध्यात्मिक अनुभव को गुरु के साथ ही शेयर किये जाना चाहिए.
अगर आपको गुरु नहीं मिले है और समस्या का समाधान चाहते है तो मन की आवाज सुनना शुरू करे.
इसके लिए पोस्ट पहले ही शेयर की जा चुकी है और हमारे अंतर्मन की आवाज हमे महसूस होती भी है जरूरत है तो बस उन सकेतो को समझने की. ज्यादा जानकारी के लिए इसे पढ़े छटी इंद्री जाग्रत करने के लिए daily life में शामिल करे इन आदतों को फिर देखिये मैजिक
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साधना में होने वाले अनुभव – अंतिम शब्द
दोस्तों साधना में होने वाले अनुभव शेयर किये जाने चाहिए या नहीं आप समझ ही गए होंगे. अगर आप साधना कर रहे है तो ये समझना बेहद जरुरी हो जाता है की आपके दोस्त, आपकी संगत कैसी है. साधना में औरा को मजबूत बनाने के बाद आप ये तय कर सकते है की आपके उर्जा क्षेत्र में कौन प्रवेश करेगा कौन नहीं.
साथ ही आपके अनुभव के प्रभाव को कैसे बढाए ये भी निर्धारित किया जा सकता है.
उम्मीद करता हूँ इस पोस्ट को पढने के बाद आपकी शंकाओ का समाधान हो गया होगा. अगर आपके मन में अब भी कोई सवाल है तो आप कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है. आप क्या सोचते है हमें बताना ना भूले. आपके विचार, सुझाव आमंत्रित है.
धन्यवाद….मेरी समस्या का समाधान हो गया।
परनाम गुरूजी
Guruji me Mahamirtunjya ki Sadhna Kar Rha hu or niche mera anubhav hai sadhna kai please isko website mee post kre or mere sawal ka answer de. apki ati kripya hogi
1. जब एक बार सपने में एक व्यक्ति आये जो धोती और कुरता पहने और सर में उनके बाल नहीं थे और गंजे थे और पीछे उनकी एक चुटिया थी और वो मेरे पास आये और बोले सब इसको यानि मुझे बच्चा बोलते है लेकिन ये बच्चा नहीं है जितनी इसके अंदर समझ है उतनी किसी के अंदर नहीं है और इस बात से में एक और चीज़ आपको साफ़ बताना चाहता हु की गुरूजी में बच्चा नई हु मेरे मेरा dob 10-08-1990 है में 27 ईयर का हु और में 7 महीने में पैदा हो गया था और मम्मी बोलती है की तेरे बचने की कोई उम्मीद नहीं थी फिर भी में बच गया . और में इसलिए मेरे ग्रोथ नहीं हुई है
2. गुरूजी जब ४ दिन में यानि कल जब मेने ध्यान लगाया तो मुझे ध्यान में बार बार एक योगी दिखाई दे रहे है जो बालक रूप में है और उन्होंने कोई वस्त्र नहीं पहने है मतलब की बदन में नहीं पहना है नीचे की साइड एक लंगोटी सी पहनी है और एक साइड में एक त्रिशूल गदा है और उनके काफी लम्बे बाल भी थे तो गुरूजी में यही जानना चाहता हु की ये योगी प्रभु कोण थे और मुझे बहार बार को दिखाई दे रहे थे
3. ये लास्ट आज का अनुभव गुरूजी आज जब में महमिरतुन्जय का जाप कर रहा था तो मुझे भोलेनाथ दिखे और वो ध्यान में व्यस्त दिख रहे थे और फिर मुझे एक काफी बड़ा कमल का फूल दिखाई दिया और फिर उसके बाद एक काफी बड़ा गुलाब का फूल दिखाई दिया . इनका क्या अर्थ है कमल और गुलाब का फूल देखने का मतलब गुरूजी कृपया करके मुझे ये बताये !
4. गुरूजी इस मंत्र की और मेरे इष्ट देव की कृपया से मुझे ये शक्ति मिली है की में दुसरो के चेहरे पद लेता हु और उनको उनके लाइफ के बारे में बताता हु में बहुत ही हैरान हु इस शक्ति के बारे में. और नमन है इस शक्ति को.
गुरूजी अगर आपको मेरा ये अनुभव अच्छा लगे तो आप post में डाले ताकि सभी को पता चले इस बारे में