शारीरिक सुरक्षा वशीकरण या फिर सुरक्षा कवच का निर्माण करने की विधि ये हमें बाहरी खतरों से सेफ रखता है. मनुष्य का जीवन असुरक्षित है. पहले भी असुरक्षित था, अब भी असुरक्षित है. केवल खतरों का रूप बदल गया है.
प्रश्न यह उठता है कि क्या हम इन खतरों से तांत्रिक क्रियाओं और मंत्रों से सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं?
इस संबंध में हम पहले भी बहुत कुछ बता चुके हैं. यहां हम फिर एक बार बताना चाहते हैं कि यदि हम सिद्ध मंत्रों या तांत्रिक अनुष्ठानों के द्वारा अपने शरीर या किसी अन्य व्यक्ति के शरीर को अभिमंत्रित करके उसकी आंखों में झांकते हुए मंत्र पढ़ते हैं तो वह खतरों से सुरक्षित रहता है.
इसके लिए अनेक विधियां हैं.
आधुनिक विज्ञान के जानकारों में यह एक प्रवृत्ति बन गई है कि वे बिना जाने आलोचना करने बैठ जाते हैं.
चूंकि वे इस विद्या के तकनीकी क्षेत्र से अनजान हैं, इसलिए इस विद्या के मामले में उन्हें अज्ञानी मानकर उनकी नासमझी पर क्रोध नहीं करना चाहिए.
यहाँ शेयर किये जाने वाला शारीरिक सुरक्षा वशीकरण आपको बुरी नजर, किसी तरह की मानसिक असुरक्षा या फिर काले जादू से बचाता है.
वस्तुतः हम अपने शरीर और उसकी ज्ञानेंद्रियों पर इतना भरोसा करते हैं कि उससे परे सोच ही नहीं सकते. लेकिन सत्य तो यह है कि हमारे शरीर का सिस्टम ज्ञानेंद्रियों पर आधारित नहीं हैं. ये तो उसके रूटीन कार्यों के लिए है.
जब हम किसी व्यक्ति को अभिमंत्रित करते हैं, तो उसके मस्तिष्क की संग्राहक तरंगें उस आदेश को ग्रहण करके संग्रहीत कर लेती हैं. इस आदेश के अंतर्गत वह अपनी अतींद्रिय तरंगों को वातावरण में छोड़ने लगता है.
इससे उसे खतरे का अहसास पूर्व में ही हो जाता है और वह व्यक्ति अपने बचने का उपाय कर लेता है. यह क्रिया कई तरह से होती है. लेकिन हर बार छठी इंद्रिय ही संकेत देती है और आदमी खतरे से निकल जाता है.
शारीरिक सुरक्षा वशीकरण
विधि : यदि आपने रुद्र, दुर्गा, काली या विष्णु के किसी मंत्र को सिद्ध कर रखा है तो आपको किसी अन्य मंत्र की सिद्धि की आवश्यकता नहीं है.
यदि इनमें से किसी मंत्र की सिद्धि नहीं है तो निम्नलिखित मंत्रों की सिद्धि उसके साथ दी गई विधियों के अनुसार कर लें. फिर शारीरिक सुरक्षा वशीकरण प्रयोग विधि अनुसार करें
- मिट्टी का एक दीपक लें. उसमें गाय का घी, अंकोल का तेल, तिल का तेल, सरसों का तेल, इंद्रायण का तेल और कपूर डालकर कपास या कपास के कपड़े की बाती डालें.
दीपक को जला लें. उसे ईशान कोण पर स्थापित करके उसकी ओर मुख करके बैठें. यह क्रिया कृष्णपक्ष की पहली रात से प्रारंभ करें. प्रतिदिन 1080 मंत्रों का जाप करते हुए दीपक की लौ को देखते हुए ध्यान-मग्न हो जाएं.
इस समय या इससे पूर्व चिड़चिड़ी की झाड़ों की समिधा जलाकर उसमें घी और जौ की आहुति दें. यह मात्र 108 मंत्रों से दी जाती है और प्रतिदिन दी जाती है. इस प्रकार 1188 मंत्र का जाप प्रतिदिन करना होता है. यह क्रिया 21 दिन तक करें.
शारीरिक सुरक्षा वशीकरण मंत्र जाप का समय अर्द्धरात्रि है.
मंत्र : ओऽऽऽऽऽम् नमः देवी चामुंडाय दक्षिण कालिके ओऽऽऽऽऽम् क्ली क्लीं क्लीं फट् स्वाहा
- शीर्षासन लगाएं और इस अवस्था में प्रतिदिन 108 बार शिव मंत्र का जाप करें. यह जाप 108 दिन करें.
मंत्र : ओऽऽऽऽऽम् अ अ अ अं अं अं नमः शिवाय
- किसी ऊंचे स्थान पर दोनों पैर लटकाकर बैठ जाएं. नितंब एवं इंद्रियों भर भार स्थान (पलंग, चट्टान, मचान) पर रखें. शरीर को सीधा रखें.
सामने शिव के क्रोधित रूप (रुद्र) की तस्वीर रखें या ध्यान लगाएं. इस समय जीभ को उलट कर जितना अन्दर ले जा सकते हैं, ले जाएं और निम्नलिखित मंत्र का 108 बार मानसिक जाप करें. शारीरिक सुरक्षा वशीकरण की यह क्रिया रात के तीसरे प्रहर में गेरुआ पहनकर की जाती है. इसे 108 दिन करें.
मंत्र : ओऽऽऽऽऽम् ॐ ॐ ॐ ॐ ड्रॉ ड्रॉ ड्रॉ मं मं मं रुद्राय नमः
- जो लोग दुर्गा या मां शेरांवाली पर विश्वास रखते हैं, उन्हें तगर, लौंग और पत्रक पीस कर स्वाधिष्ठान पर लेप करना चाहिए (एकइंचगोलाई में) इसमें कपूर भी मिला सकते हैं. ईशान की ओर मुख करके बारह से तीन बजे मध्य रात्रि में आसन लगाएं. आसन के सामने जौ या गेहूं डालकर उसके ऊपर जल भरा मिट्टी का कलश स्थापित करें. इसमें आम का पल्लव डालकर घृत का दीपक जलाएं.
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108 मंत्रों से आक एवं चिरमिटी (चिड़चिड़ी) की झाड़ी की समिधा में घृत, लाल चंदन, सिंदूर, कपूर और दूध को मिलाकर चुटकी चुटकी भर आहुति दें. तत्पश्चात् दीपक की लौ में दुर्गा या मां शेरांवाली की छवि स्थापित करके मंत्र जाप करते हुए उसमें उतरने का प्रयत्न करें. यह जाप प्रतिदिन 108 के हिसाब से किया जाता है.
शारीरिक सुरक्षा वशीकरण मंत्र जाप आश्विन शुक्लपक्ष की प्रथमा से दशमी तक करें. दशमी को देवी को द्रव्य अर्पित करके प्रणाम करें.
दुर्गा के कलश का जल अपने आवास के चारों ओर छिड़क दें. प्रयत्न यह करें कि दीपक में समय-समय पर घृत पड़ता रहे, जिससे वह जलता रहे. बुझ जाए तो निराश न हों. उसे फिर जला लें.
मंत्र : ओऽऽऽऽऽम् वं वं वं वं वं दुर्गाय / मां शेरांवाली / वरुणाय नमः ( तीनो में से कोई भी एक नाम का जप कर सकते है )
शारीरिक सुरक्षा वशीकरण सुरक्षा विधि दाहिने हाथ की हथेली में जल लें. जिस देवी या देवता का शारीरिक सुरक्षा वशीकरण मंत्र सिद्ध कर रखा है, उनका ध्यान करते हुए तीन बार मंत्र पढ़ें और बाएं पैर से शुरू करके एक बार में एक अंग पर जल डालें.
इस प्रकार पैरों, पिंडली, टांगों, घुटनों, जंघाओं, नितंबों, इंद्रिय, पैर, रीढ़ की हड्डी, पीठ, छाती, कंधों, बांहों, हाथों, हथेलियों, अंगुलियों, गर्दन, कंठ, कानों, नाक, आंखों, मुंह ललाट, सिर और चांद पर जल डालें.
हर बार शारीरिक सुरक्षा वशीकरण मंत्र को तीन बार पढ़ें और मन में एकाग्र होकर देवी-देवता से प्रार्थना करें कि वे आपकी एक निश्चित अवधि तक एवं एक निश्चित समय में सुरक्षा करें. उनसे निवेदन करें कि वे घर-बाहर, सीते-जागते, उठते-बैठते में आपकी सुरक्षा करें.
यह निश्चित जानिए कि आपके ईष्टदेव आपकी सुरक्षा करेंगे.
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सुरक्षा वशीकरण के दौरान किस तरह की सावधानी रखनी चाहिए
चेतावनी: एक इसी तंत्र विधि में नहीं, तमाम तांत्रिक विधियों में विश्वास का अटूट होना आवश्यक है. इस शरीर के ऊर्जा तंत्र की तकनीक ही विश्वास पर आधारित है. यदि आपको किसी कार्य की सफलता का विश्वास नहीं है तो आपका तमाम परिश्रम व्यर्थ जाएगा, वह काम सिद्ध नहीं होगा.
यह तकनीक ही ऐसी है कि विश्वास ही कर्म और एकाग्रता को उत्पन्न करता है. विश्वास न हो तो मन एकाग्र न होगा और उचित रूप से कर्म भी नहीं हो पाएगा. ऐसे में किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिलेगी, तंत्र अनुष्ठान तो दूर की चीज है.
विशेष : शारीरिक सुरक्षा वशीकरण मंत्रों द्वारा उपर्युक्त विधि से दूसरे की भी सुरक्षा की जा सकती है. सब कुछ उसकी आंखों में झांकते हुए करें.