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आध्यात्मिक यात्रा में रूकावट या पहले जैसा उत्साह और अनुभव नहीं रहा तो इन बातो पर गौर करे

by Spiritual Shine
December 30, 2022
in Spirituality
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what is the Traps of spiritual growth in Hindi and how to get rid from them ?  क्या आप जानते है की आपकी आध्यात्मिक यात्रा में बाधा बनने वाले सबसे बड़े जाल कौन कौन से है और इनसे कैसे बचा जाए.

आध्यात्मिक यात्रा यानि spiritual journey करते समय हमें कई बार विपरीत अनुभव होने लगते है जिन्हें हम reverse process भी कह सकते है. ऐसा क्यों होता है की हमारे अनुभव सही चल रहे होते है और अचानक से सब कुछ जैसे रुक जाता है,

हमारे अनुभव, हमारी उर्जा और उत्साह पहले जैसा नहीं रहता है. आज हम बात करने वाले है ऐसे कुछ बाधा के बारे में जिनसे आपको छूटना होगा.

Traps of spiritual growth

हमारी आध्यात्मिक यात्रा यानि खुद को जानने की प्रोसेस जिसके जरिये हम जान पाते है की हम कौन है और हमारा मकसद क्या है. जैसे जैसे ये journey आगे बढती है हम अपने अंतर्मन के साथ एक connection बनाने लगते है.

अनुभव के बढ़ने के साथ ही हमारे दिल में भावनाओ के बदलाव महसूस होने लगते है और हम खुद को दयालु, निर्विकार, निर्विचार और सबके साथ एक जैसा व्यवहार रखने वाला महसूस करने लगते है.

हमारा मन भी एक गार्डन की तरह है जिसमे खरपतवार के रूप में कुछ ऐसी में कई बार रूकावट आने लगती है जिनसे हमारी आध्यात्मिक जागरण की क्रिया यानि spiritual awakening process रुक जाती है.

आज हम बात करेंगे ऐसी ही कुछ वजह की जिनके कारण हम आध्यत्मिक अनुभव नहीं कर पाते है. सबसे पहले जानते है की spiritual growth क्या है ?

what is spiritual growth in hindi – आध्यात्मिक विकास

आध्यात्मिक विकास एक ऐसी प्रोसेस है जिसके जरिये हम खुद को समझने का प्रयास करते है. हम कौन है, हमारा मकसद क्या है और वास्तव में हमें क्या करना चाहिए ?

दुसरे शब्दों में समझा जाए तो हमारे मन और शरीर के बिच सामंजस्य बैठाना ही spiritual awakening process कहलाता है.

इसके जरिये हम अपने अंतर्मन की गहराई में उतरने लगते है और हमारी चेतना अपने चरम पर होती है.

जब किसी व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा शुरू होती है तो वो चीजो को और भी बेहतर तरीके से समझने लगता है. कुछ लोग इसे मोक्ष कहते है तो कुछ इसे जीवन के साथ स्वर्ग को भोगना भी कहते है क्यों की इसके बाद आप दुखो से ऊपर उठ जाते है.

what are the Traps of spiritual growth

आध्यात्मिक यात्रा के सफ़र में हमारे रास्ते में कई सारी बाधा आती है जो भौतिक नहीं बल्कि मानसिक होती है. ये बाधा मुख्य रूप से हमारे विचारो से बनती है कैसे ? आइये जानते है. जीवन यापन में हम जब भी कुछ नया हमारे दिमाग में चलता है तो साथ ही साथ वो आध्यात्मिक विचारो से भी जुड़ा होता है. problems तब आना शुरू हो जाती है जब हम इसे तर्क के साथ तौल कर देखने लगते है.

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विचारो पर बाँध अध्यात्मिक यात्रा में सबसे बड़ा अवरोध है. इसका अर्थ विचारो को रोकने से नहीं है बल्कि अपनी क्षमताओं को सीमा में आकना इसका बाँध है. आध्यात्मिक यात्रा को विचारो की सीमा में नहीं समाया जा सकता है. जब भी हम तर्क करने लगते है आध्यात्मिक प्रगति रुक जाती है यकीन न हो तो कभी भी अनुभव को समझने की कोशिश करके देख लो.

हम विचारो के भंवर में फंसते जाते है बगैर उनके प्रति जागरूक हुए. इंसानी प्रकृति के अनुसार हम विचारो को अगर रोकने की बजाय उनके प्रति conscious होना शुरू कर दे तो आध्यात्मिक यात्रा में प्रगति तेजी से होने लगती है लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है. आइये जानते है ऐसे ही कुछ Traps of spiritual growth के बारे में जिन्हें समझ कर आपको हटाना होगा.

1.) spirituality का bypass में इस्तेमाल करना

life में problems आ रही है और आप उन्हें avoid करते है ये कह कर की ये आपकी life का हिस्सा नहीं है या फिर इनसे आपको फर्क नहीं पड़ता है. life की घटनाओ को एक तरह से avoid करना ही spirituality bypassing कहलाता है. घटनाओं से छिपना या उन्हें ignore करना इसका हिस्सा है जिनमे से कुछ types निचे दिए गए है.

  • अपने emotion को spirituality के नाम पर दबा देना या उन्हें ignore करना. ये उन लोगो के साथ ज्यादा होता है जिनका मानना है की सांसारिक रहते हुए हम spiritual journey नहीं कर सकते है.
  • सकारात्मक बनने की कमजोर कोशिश करना और इसके बदले में दिखावा करना की आप दुसरो से ज्यादा positive है.
  • किसी की बुराई को लेकर खुद के मन में कमजोर निर्णय बनाना.
  • कमजोर व्यक्तिगत सीमाए – ऐसी कमजोरिया जिन्हें आप हमेशा दूर करने की कोशिश करते है लेकिन कर नहीं पाते है और दुसरे इनकी वजह से हमेशा आपको नुकसान पहुंचाते है.
  • हद से ज्यादा करूणा का भाव – हर परिस्थिति में खुद को एक जैसा दिखाना जो ना सिर्फ आपके लिए बल्कि दुसरो के लिए भी नुकसानदायी है.
  • जरुरत से ज्यादा अलगाव – किसी के होने न होने से आपको कोई फर्क न पड़ना या फिर हद से ज्यादा निर्विकार हो जाना.
  • सच की आध्यात्मिक और भौतिक जगत की सच्चाई के बिच फंस जाना की किस पर विश्वास करे.
  • अपने अनुभव के आधार पर चरम पर पहुँचने का भ्रम जब की यात्रा जारी है.

ऐसे ही कुछ भौतिक जगत और सामाजिक बंधन से बने अंतराल के मायने जिनकी वजह से हम इनमे फंस जाते है सभी Traps of spiritual growth कहलाते है.

2.) सर्वश्रेष्ठ होने का अहम् भाव

जिन लोगो को आध्यात्मिक जगत में कम समय में चमत्कारिक बदलाव महसूस होने लगते है उनके साथ ऐसा होता है. ऐसा सोचना की में दुसरो से सिर्फ इसलिए बेहतर हूँ की मुझे ये अनुभव होते है. लोगो के सामने खुद को अलग पेश करना और ये दिखाना की वो सामान्य और मै खास हूँ का भाव सबसे बड़े Traps of spiritual growth में से एक है.

कामयाबी के साथ घमंड होना स्वभाविक है क्यों की कुछ चीजे जो हमारी क्षमता से अधिक होने लगती है हमसे संभाली नहीं जाती है जैसे की आध्यात्मिक अनुभव. इन्हें हम लोगो के साथ शेयर करने की जल्दी रखते है और उम्मीद करते है की लोग इसके बाद हमें रेस्पेक्ट दे जबकि, अनुभवी लोग जो इन अनुभव को बिना विचलित हुए अनुभव करते है लोगो को राह दिखाने का काम करते है.

आध्यात्मिक यात्रा करने के लिए आपको अलग बनने की जरुरत नहीं लोगो को दिखाने की भी जरुरत नहीं क्यों की ये सब आप उनके बिच रह कर भी कर सकते है. इस जगत में ऐसे भी लोग मौजूद है जो भौतिक रूप से इस संसार का हिस्सा है और हर गतिविधि करते है लेकिन मानसिक रूप से वो आध्यात्मिक दुनिया का हिस्सा है. इसलिए अनुभव होने के बाद खुद को दुसरो से ऊपर न समझे और न ही इसका अहम् रखे.

3.) दुसरो को जबरदस्ती जगाने की कोशिश – Traps of spiritual growth

अक्सर हम लोगो को कहते हुए सुनते है की

हम जिसके साथ सबसे ज्यादा झगड़ते है प्यार भी उससे ही सबसे ज्यादा करते है.

एक बार हम इस भौतिक जगत से बाहर निकल कर आध्यात्मिक यात्रा करने लग जाए तो हमें लगता है की क्यों न हम दुसरो को जो हमारे खास है उन्हें भी इसमें शामिल किया जाए, ऐसा सोच कर हमें उन्हें बार बार force करने लगते है की वो भी वही करे जो हम कर रहे है.

लोगो से उम्मीद लगाना की वो आपको समझे और वो करे जो आपको सही लगता है. ( इस बारे में विस्तार से पहले भी बताया जा चूका है जिसे आप यहाँ पढ़ सकते है. ) लेकिन क्या वाकई वो भी ऐसा ही सोचते है ? आपका उन्हें force करना उन्हें इसके प्रति attract नहीं distract करता है और धीरे धीरे वो आपसे भी दूर होने लगते है.

इसका सीधा असर पड़ता है आप दोनों के बिच के संबंध पर. दोनों के बिच रिश्ते बिगड़ने लगते है और इसके कारण आपकी spiritual journey भी रुक जाती है. दुसरो को फायदा पहुंचाने के चक्कर में हम खुद का नुकसान करने लगते है जो की हमारी आध्यात्मिक यात्रा में सबसे बड़ी बाधा बनने लगती है.

4.) Traps of spiritual growth – दुसरो की मदद करने के चक्कर में खुद को भूल जाना

ये ट्रैप भी ऊपर के traps जैसा ही है लेकिन उनसे थोडा उलझा हुआ. आध्यात्मिक जागरण के बाद हम लोगो के बिच ज्यादा aware होने लगते है जिसकी वजह से दुसरो की हेल्प करने की हमारी nature में बदलाव आने लगता है और इसके प्रति हमारा झुकाव बढ़ने लगता है.

दुसरो की हेल्प करना सही है और हमें ऐसा करना भी चाहिए लेकिन, इसके कुछ नियम और कायदे होते है जिन्हें जानना आपके लिए बेहद जरुरी है जैसे की दुसरो की हेल्प करते समय उनकी निजता का सम्मान करना. हम जब तक उनकी निजता का सम्मान करते है वो हमारे प्रति conscious रहते है और जब हम उनकी privacy में उनकी personal boundries में दखल देने लगते है हमें उनके गुस्से / नाराजगी का सामना करना पड़ता है.

कुछ लोग दुसरो की हेल्प करने में इतने बिजी हो जाते है की उन्हें खुद की हेल्प करना दिखाई ही नहीं देता है. हमारी खुद की जरूरतों को पूरा करने की बजाय दुसरो की need fulfill करना भी एक तरह का आध्यात्मिक यात्रा में जाल है.

5.) दुनिया को बदलने की इच्छा और सोच मन में रखना

आपमें से कितने लोग ऐसे है जो कभी ये सोचते थे की “अगर मै शक्तिमान बन गया तो में दुनिया को आंतकवाद से मुक्त कर दूंगा” या “लोगो की मदद करूँगा” अगर आप भी ऐसा सोच कर ध्यान और योग के जरिये अपनी spiritual journey को start के सपने देखते थे या देखते है तो आप और कुछ नहीं Traps of spiritual growth में फंसे हुए है.

ऐसा देखने को मिलता है की हम सबसे ज्यादा विचलित होते है जब हम दुसरो को असहाय देखते है. हमारे मन में ये ख्याल जरुर आता है की काश में सामर्थवान होता तो में इनकी जरुर हेल्प करता ! दुसरो की हेल्प करने से पहले खुद की हेल्प करना जरुरी है. इसलिए दुनिया को बदलने की बजाय खुद को बदले, दुसरो के साथ जो हो रहा है उसके जिम्मेदार वो खुद है प्रत्यक्ष या फिर प्रत्यक्ष रूप से.

हिमालय में / सिद्धाश्रम में ऐसे ऐसे संत और गुरु है जो पल में सबका भविष्य बदल सकते है लेकिन वो इस Traps of spiritual growth में फंसना नहीं चाहते है. उनका काम सिर्फ मार्ग दिखाना है ना की चमत्कार दिखाकर लोगो को झूठी आश में बांधना. ये मत समझे की इस दुनिया में सबकुछ फ्रॉड है जैसा हम सुनते आये है ऐसा कुछ होता नहीं है, सब कुछ इसी दुनिया में काबिलियत आपकी होनी चाहिए उसे हासिल करने के लिए.

6.) अर्थहीनता का जाल

spiritual journey में जब हम कामयाब होने लगते है तब हमें समझ आने लगता है की सबकुछ जो भी हम महसूस करते है और कुछ नहीं बल्कि illusion है यानि भ्रम की स्थिति है. भौतिक जगत को देखने और महसूस करने के हमारे मायने बदल जाते है. ऐसा उन लोगो के साथ भी होता है जो शुन्यता के जाल में गिरते जाते है.

यहाँ पर सोचने वाली बात ये है की हम इस भौतिक जगत में कर्म करने के लिए आये है और जीवन को निभाते जाते है जो भी हम महसूस करते है वो सब चाहे सुख हो दुःख हो हमें अनुभव होता है वही दूसरी और आध्यात्मिक जगत में ये सब गतिविधि और कुछ नहीं भ्रम मात्र है. हम किस पर यकीन करे ?

अगर भौतिक जगत में सबकुछ जो होता है वो सब अनुभव करने लायक है तो फिर आध्यात्मिक यात्रा का क्या फायदा और अगर आध्यात्मिक जगत सच है तो फिर जो भी हम कर्म कर रहे है वो सब कुछ भ्रम है फिर कर्म करने की क्या जरुरत ?

आसान शब्दों में समझे तो अगर आपके भाग्य में रोज 5 रूपये ही लिखे है तो क्या आप मेहनत करेंगे ? जबकि आप मेहनत करोगे न करोगे तो आपको 5 रूपये फिक्स मिलेंगे. इसी तरह जो भी हम कर रहे है अच्छा या बुरा उसका spiritual world में कोई sense ही नहीं तो फिर हम क्या करे ? इसी तरह बस आध्यात्मिकता के नाम पर जीवन निर्वाह को avoid करना क्या वाकई सही है ?

ये और कुछ नहीं आध्यात्मिक दुनिया में आपके लिए लिए एक Traps of spiritual growth है जो आपको आगे बढ़ने से रोकता है. हमें इससे बचना चाहिए.

7.) daily life की जिम्मेदारी से भागना

जब हमें ऐसा लगने लगता है की सबकुछ भ्रम है तो हम daily life की activities से भागने लगते है. अपनी जिम्मेदारियों से भागना जो की बिलकुल सही नहीं है. क्या आप भौतिक जगत में रहकर इसकी जिम्मेदारी से भागकर आध्यात्मिक यात्रा को सफल बना सकते है ? बिलकुल नहीं.

आज ऐसे हजारो लोग है जो घर परिवार से भाग कर आध्यात्मिक जीवन ( जो की उनकी नजर में सिर्फ घूमते रहना और साधू संतो के पकडे पहनना है ) बिताते है. इधर उधर घूम कर पैसे कमाते है और घर वालो को देकर दुनिया में इधर उधर घूमते रहते है. क्या ये सही कर रहे है. इस स्थिति में ना तो वो आध्यात्मिक जीवन को सही ढंग से जी पा रहे है ना ही भौतिक जीवन को.

आध्यात्मिक जागरण के बाद विषय से विरक्ति एक स्वभाविक मनोदशा है लेकिन विषयो को और भौतिक जगत की जिम्मेदारी को इसके बिच में रोड़ा समझना आपकी सबसे बड़ी भूल है. दुनियादारी से सिर्फ इसलिए कट लेना की ये आपके आध्यात्मिक यात्रा में बाधा है और सांसारिक क्रियाओ का निर्वाह न करना और कुछ नहीं Traps of spiritual growth का ही एक हिस्सा है.

8.) self- victimization – आत्म-शिकार का जाल

एक गुरु का होना हमारे आध्यात्मिक यात्रा में बेहद जरुरी है क्यों की जब हम अचानक से एक परिस्थिति से दूसरी में प्रवेश करते है तो मस्तिष्क के सोचने समझने की क्षमता पर विपरीत असर पड़ता है. आपने सुना ही होगा की कैसे हमें सुनने को मिलता है की कुण्डलिनी जागरण खतरनाक है और इससे मनुष्य पागल भी हो सकता है. ये और कुछ नहीं spiritual journey के दौरान energy के flow और हमारे सोचने में consciousness में आए बदलाव का परिणाम है.

जब हम आध्यात्मिक जागरण के बाद अचानक से दुनिया में आते है तो हमें सबकुछ अलग लगने लगता है ये दुनिया एक जेल और आसपास के लोग हमें शोषण करने वाले लगने लगते है. कुछ लोग शिकायत करते है की जब से वो spiritual journey की और अग्रसर हुए है उन्हें अनुभव अच्छे होने लगे है लेकिन वो आसपास के लोगो से कटे हुए अलग थलग रहना पसंद करने लगे है. ज्यादा बोलना, दुसरो के साथ समय बिताना उन्हें अब अच्छा नहीं लगता है, ये अनुभव और कुछ नहीं उसका ही एक हिस्सा है जिसे हम Traps of spiritual growth कहते है.

हमें जरुरत है एक अच्छे गुरु की गाइड की जो हमें सही मार्ग दिखा सके. जब हम इस तरह की प्रॉब्लम से बाहर निकल जाते है तो फिर सबकुछ अच्छा और सुखमय लगने है.

9.)  The trap of the Savior Complex

एक ऐसी भावना जिसमे हमें लगने लगता है की हमारे जीवन का उदेश्य सिर्फ दुसरो की तकलीफ दूर करना है, उनके दर्द को महसूस करना और उन्हें इससे निजात दिलाना है savior complex कहलाती है. खुद को एक अवतार की तरह मानना जो सिर्फ लोगो के दुःख दर्द दूर करेगा आपकी आध्यात्मिक यात्रा के दौरान एक बाधा बन सकता है.

जब हमें spiritual journey के साथ powers मिलने लगते है तो साथ ही मिलती है responsiblity जो दुसरो की हेल्प के लिए हमें फर्ज से बांधती है. हालाँकि सोचने में ये एक अच्छी भावना है जो हमारे अन्दर develop होनी चाहिए लेकिन, spiritual path में ये एक बाधा बनती है. कैसे ? आइये जानते है.

जब हम ऐसा सोचने लगते है तो हमें हमारा जीवन सिर्फ दूसरो के प्रति समर्पित नजर आने लगता है. हमे हमारे लिए क्या करना है इसका कोई विचार हमारे अन्दर नहीं बनता है. आगे चल कर ये आपके अन्दर depression की वजह बन सकती है क्यों की कुछ फर्ज हमारे लिए भी बनते है.

10.) Traps of spiritual growth – attachment and love

वक़्त से बढ़कर कुछ नहीं. जो भी आज हम देखते है जो भी हमें आज प्रिय है एक न एक दिन वो गुजर जायेगा ये पता होते हुए भी हमारा attachment हद से ज्यादा उस एक चीज प्रति हमारे आध्यात्मिक यात्रा में बाधा बनता है. कई लोगो ने महसूस किया होगा की जब भी वो इसकी शुरुआत करते है कुछ समय बाद ही उन्हें अपने किसी खास व्यक्ति या प्रिय के ख्याल / विचार आने लगते है और वो काफी देर तक इन ख्यालो से बाहर ही नहीं आ पाते है.

इसके अलावा ऐसा भी देखने को मिलता है की जब भी हम किसी साधना को किसी मकसद से करते है तो हमें वो पूरा होता हुआ दिखाई देता है. साधना के पूर्ण होने से पहले ही इसका भान होना की हम सफल हो गए एक मायाजाल है और हम इसके अन्दर फंस कर अपने मकसद से भटक जाते है. हमें इससे बचना चाहिए.

11.) Traps of spiritual growth – depend upon external answer

आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ने और अनुभवों को समझने के लिए आपको एक external medium चाहिए जो की गुरु या गाइड हो सकता है, बुक हो सकता है या और भी कुछ जिससे आपको प्रेरणा मिलती हो. लेकिन क्या ये हमेशा सही है.

माना की शुरुआत में आपको एक गुरु की जरुरत अनिवार्य है लेकिन आध्यात्मिक यात्रा में आपके अंतर्मन का जागरण भी होता है और आगे चल कर अगर आपने इसका सही उपयोग करना नहीं सीखा तो आप बाह्य माध्यम पर जरुरत से ज्यादा dependent हो जाते है. आपका अंतर्मन आपको एक बेहतर गाइड दे सकता है. आपने सुना होगा की दिल और दिमाग में से दिल से लिए फैसले ज्यादातर सही रहते है. ये और कोई नहीं हमारा अंतर्मन ही है.

Read : क्या वाकई मारण तंत्र के प्रयोग से किसी की लाइफ को ख़त्म किया जा सकता है ?

Traps of spiritual growth – final word

आज की पोस्ट के point पढ़ कर जो लोग इस spiritual world का हिस्सा है को अजीब लग सकता है. समय के साथ जो चीजे कल तक सही थी आज गलत भी हो सकती है. आज की पोस्ट में किसी चीज को गलत बताने की कोशिश नहीं की है बल्कि हद से ज्यादा depend होना गलत है इस पर personal thoughts शेयर किया गया है. अगर आपको इसमें कोई भी बात गलत लगती है तो आप यहाँ कमेंट में अपने विचार रख सकते है.

पोस्ट पसंद आने पर शेयर करना न भूले.

credit – lonerwolf

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Comments 1

  1. Hmara TV says:
    5 years ago

    very nice artical dear thanks for sharing keep in up….

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