यक्षिणी साधना का महत्व एक साधक के जीवन में बिलकुल वैसे ही जैसे एक गृहस्थ के जीवन में नारी का. सुनने में आता है की यक्षिणी या परी साधना साधक को धन धान्य से भरपूर तो रखती है.
उसकी वासनाओ की भी पूर्ति करती है. यही वजह है की बहुत से लोग यक्षिणी साधना के पीछे पागल रहते है.
आज की पोस्ट में हम यक्षिणी साधना और शाहतूर परी साधना के बारे में जानते है.
हालाँकि ये किसी का अनुभव नहीं है पर किताबो और वेब से लिया हुआ एक अंश है. Yakshini sadhna vidhi or anubhav in Hindi की इस पोस्ट में हम सबसे पहले कुछ खास बाते जो basic guide है के बारे में जानते है.

Yakshini upasana, Yakshini strotam और Yakshini mantra पर ब्लॉग में कई पोस्ट है आप basic guide यहाँ से ले सकते है. Yakshini sadhna आज भी की जाती है ज्यादातर धन के लिए या फिर भविष्य देखने के लिए.
Yakshini sadhna हम ज्यादातर धन और अन्य इच्छाओ की पूर्ति के मकसद से करते है.
लेकिन क्या आप ये जानते है की यक्षिणी होती कितने प्रकार की है. सबसे पहले जानते है की यक्षिणी कितने प्रकार की होती है और उनके महत्व क्या है.
Yakshini sadhna in Hindi
यक्षिणी साधना करने से पहले हम ये जान लेते है की वास्तव में ये होते क्या है?
यक्ष और यक्षिणी धरती के सबसे पास के लोक में अन्य शक्तियों जैसे गन्धर्व, देव, नाग जैसी दिव्य शक्तियों वाले प्राणी होते है.
चूँकि कलयुग के प्रभाव और मन्त्र किलन से ज्यादातर मंत्र सुप्त हो चुके है और शक्तिया हम तक पहुँच नहीं पा रही है ऐसे में यक्षिणी साधना करना साधक को बेहतर परिणाम दे सकता है.
साधक इसे प्रेमिका स्वरूप में सबसे ज्यादा सिद्ध करने की कामना रखते है जो की उनके पतन का कारण भी बन जाती है.
यक्षिणी साधना को धन, ऐश्वर्य और भोग के उदेश्य से सिद्ध करने की मंशा रखने वाले लोगो की कमी नहीं है और कई लोगो ने इसके प्रत्यक्ष सिद्धिकरण का दावा भी किया है. सबसे पहले हम बात करते है की यक्षिणी और उनकी केटेगरी क्या है?
मुख्य प्रकार की यक्षिणी और उनका महत्त्व
यक्षिणी कितने प्रकार की होती है और किस उदेश्य की पूर्ति के लिए कौनसी यक्षिणी को सिद्ध करना उचित रहता है. इनके पास कुछ ऐसी शक्तिया होती है जिनकी मदद से वो अपने साधक की हर संभव मदद करती है.
- दिव्य रसायन पूर्ति करने वाली Yakshini sadhna
- चण्डवेगा यक्षिणी : दिव्य रसायन पूर्ति.
- विशाला यक्षिणी : दिव्य रसायन.
- लक्ष्मी यक्षिणी : दिव्य रसायन देने वाली.
- ऐश्वर्य प्रदान करने वाली Yakshini sadhna
- काल कर्णिका यक्षिणी : ऐश्वर्य प्रदान करने वाली.
- शोभना यक्षिणी : भोग और कामना पूर्ति करने वाली.
- दिव्य अंजन प्रदान करने वाली यक्षिणी
- वटवासिनी यक्षिणी : वस्त्र, अलंकार और दिव्यंजन साधक को प्रदान करती है.
- हंसी यक्षिणी : पृथ्वी में गड़ा धन दिखाने वाले अंजन की पूर्ति करने वाली.
- नटी यक्षिणी : अंजन और दिव्य भोग प्रदान करने वाली.
अन्य Yakshini sadhna
- विभ्र्मा यक्षिणी
- रतिप्रिया यक्षिणी : धन धन्य से भरपूर करने वाली यक्षिणी.
- सुरसुन्दरी यक्षिणी : धन और दीर्घायु की पूर्ति हेतु.
- अनुरागिणी यक्षिणी : स्वर्ण मुद्रा से इच्छापूर्ति करने वाली.
- जलवासिनी यक्षिणी : उत्तम कोटि की रत्न इच्छा पूर्ति करती है.
- महाभया यक्षिणी : सभी प्रकार के रत्न प्रदान करने वाली.
- चन्द्रिका यक्षिणी :अमृत प्राप्ति के लिए.
- रक्तकम्बला यक्षिणी : मृत में प्राण डालने वाली और मूर्तियों को चालयमान करने वाली.
- विधुज्जिव्हा यक्षिणी : भूत वर्तमान और भविष्य का ज्ञान बताने वाली.
- कर्णपिशाचिनी यक्षिणी : समाचार देने वाली ( काल ज्ञान )
- चामुंडा यक्षिणी :
- चिंचीपिशाची यक्षिणी : स्वपन में कालज्ञान देने वाली यक्षिणी.
- विचित्रा यक्षिणी : मनवांछित फल प्रदान करने वाली.
- पघिनी यक्षिणी : दिव्य भोग और रत्न प्रदान करने वाली.
Yakshini sadhna करने के नियम
- Yakshini sadhna में साधक को भोग और वासना द्वारा भटकाने का प्रयास किया जाता है.
- साधक को मायावी दृश्य द्वारा डराने का भी प्रयास किया जा सकता है. इसलिए साधक के लिए कुछ नियम होते है जिनका कड़ाई से पालन करना अति-आवश्यक है.
- हमेशा कम समय में फायदा देने वाली शक्ति की पूजा के चक्कर से बचे.
- एकाग्रचित से यक्षिणी का ध्यान करना : वैसे तो यक्षिणी की कोई मूरत नहीं लेकिन कल्पनाओ द्वारा इन्हें रूप दिया गया है.
- जिस उदेश्य के लिए आप यक्षिणी का आवाहन कर रहे है, उन्हें उसी रूप में ध्यान करे.
- ये स्वरूप एक माता, प्रिया प्रेमिका या पत्नी का हो सकता है. उच्च कोटि के साधक यक्षिणी में स्वरूप या तो माँ स्वरूप लेते है या पुत्री स्वरूप.
- मांसरहित भोजन का त्याग कर दे और सात्विक भोजन का आहार ले.
- प्रातः कल स्नान करके मृग चर्म पर बैठ जाये और किसी का स्पर्श न करे.
- एकांत में मंत्र जप करे जब तक यक्षिणी प्रकट न हो जाए.
- मंत्र सीमा के समय आपकी इच्छाशक्ति भी प्रबल होनी चाहिए ताकि मंत्र का प्रभाव बढ़ता रहे.
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यक्षिणी साधना में सफलता कितनी पक्की होती है
यक्षिणी साधना में मंत्र जप, आपके नियम और कुछ गोपनीय तथ्य जिनका अनुसरण किया जाये तो सफलता अवश्य हासिल होती है.
लेकिन अगर आप वेब या किताब से ज्ञान हासिल कर के साधना कर रहे तो सफलता ना के बराबर मिलती है. इसकी वजह है सही ज्ञान और मार्गदर्शन का अभाव.
अगर आप नए है तो टॉप 5 सरल शाबर मंत्र साधना कर सकते है.
हम अपने ब्लॉग पर पब्लिश की गई किसी भी साधना का पुख्ता प्रमाण नहीं दे सकते है क्यों की हमने ये साधनाए नहीं की. परंतु जान ज्ञान और उत्सुकता के चलते इस तरह की जानकारी उपलब्ध करवाते रहते है और रहेंगे.
वक़्त के साथ अगर अनुभवी साधक हमसे जुड़ते है तो हम कोशिश करेंगे इससे आप लोगो को फायदा मिले.
यक्षिणी साधना के सफलता के नियम : यक्षिणी साधना में वैसे तो कुछ ज्यादा कड़े नियम नहीं होते है लेकिन इनकी सफलता के लिए शुभ महूर्त और घडी का बेहद प्रभाव पड़ता है.
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शाहतूर परी Yakshini sadhna विधि
शुक्रवार की रात्रि को 11 बजे से इस साधना को प्रारम्भ करे. सबसे पहले कुए के जल से स्नान कर लुंगी धारण कर ले.
इसके बाद सर पर जालीदार टोपी धारण कर एकांत वाले कमरे में नमाज पढ़ने की अवस्था में बैठ जाए.
शरीर पर हीना और इत्र लगाए.
इस साधना में यन्त्र का महत्व है जिसे आपको पहले से बनवा कर रखना चाहिए.
यन्त्र पर हीना और इत्र लगाए. लोबान की धूनी देकर निम्न मंत्र का जप करे
मंत्र
ॐ नमो विस्मिल्लाही रहिमान रब्बे इन्नी मंगल फंतसीर
9 वे दिन शाहतूर परी प्रकट होती है.
शाहतूर परी के प्रकट होने के लक्षण
शाहतूर परी जब प्रकट होती है तो वातावरण सुंगंधित और शीतल हो जाता है.
शाहतूर परी के शरीर से हीना और इत्र की खुशबु पुरे वातावरण में फ़ैल जाती है.
यही वो वक़्त होता है जब साधक का मन विचलित होने लगता है. उसकी वासनाएं जागने लगती है और साधना के अंतिम पल में वो हार जाता है.
इसलिए संयम रखना बेहद जरूरी है. अपने पास गुलाब की फूलो की माला रखे और जप के समाप्त होने पश्चात् उसके गले में डाल दे.
ये साधना आपको भौतिक सुविधा भी देती है और ऐश्वर्य की प्राप्ति भी.
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यक्षिणी साधना में सावधानी
यक्षिणी हमारे निकट लोक की शक्ति है जो कम प्रयास में ही सिद्ध हो सकती है. काफी सारे साधक शुरुआत में ही यक्षिणी जैसी शक्ति को सिद्ध करने की कोशिश करते है लेकिन, साधना के दौरान उनके अन्दर ना तो संयम होता है न ही कोई अनुभव जिसकी वजह से वे साधना में फ़ैल हो जाते है.
- अगर आप बगैर किसी सुरक्षा कवच के ये साधना करते है तो आपकी जान का खतरा हो सकता है.
- आपके मंत्र जप के प्रभाव से ये पहले ही प्रकट होकर साधक को डरावने द्रश्य या आवाज द्वारा डराने की कोशिश करती है.
- इत्र की खुशबु से जिन्नात भी आकर्षित हो सकते है और आपको नुकसान पहुंचा सकते है. इसलिए साधना से पहले गुरु का मार्गदर्शन और सुरक्षा कवच दोनों के लिए तैयार रहे और साधना में सावधानी बरते.
- अगर आप पहली बार साधना कर रहे है तो शुरुआती 15 मिनट ध्यान का अभ्यास करे या आपके चित को स्थिर रहने में मदद करेगा.
- यक्षिणी की साधना 14-25 दिन के मध्य काल में सिद्ध होना शुरू हो जाती है. हो सकता है आपको साधना सिद्धि प्रत्यक्ष ना हो लेकिन इसका ये मतलब नहीं है की साधना सफल नहीं हुई है. कई बार शक्ति अप्रत्यक्ष भी आपके साथ रहना शुरू कर देती है.
अगर आप एक साधक है और पहले से ही ध्यान का नियमित अभ्यास करते आ रहे है तो इस बात के चांस बढ़ जाते है की आपको साधना में जल्दी अनुभव मिले.
ध्यान की वजह से आपके शरीर और मस्तिष्क के बीच सही कनेक्शन बनता है, उर्जा का प्रवाह सुचारू होता है और साथ ही आप अपने चित को किसी भी परिस्थिति के दौरान स्थिर रख पाते है.
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Yakshini sadhna in Hindi final conclusion
दोस्तों हर किसी की लालसा जीवन में ऐश्वर्य और भोग विलास की होती है लेकिन उसके लिए साधनाओ का गलत मार्ग चुनना आपके लिए नुकसानदायी हो सकता है.
अगर आप धन भोग विलास जैसे विषय के लिए यक्षिणी की साधना कर रहे है जो की ज्यादातर साधक का प्रथम उदेश्य होता है तो अपने चित को स्थिर रखे और संयम के साथ यक्षिणी साधना में आगे बढे.
कई बार Yakshini sadhna vidhi vidhan in Hindi के मालूम होने के बाद भी हमें अनुभव नहीं मिलते है. इसका मतलब है की आपने साधना में कही न कही कमी रखी है.
साधना के दौरान ज्यादा से ज्यादा समय दे और जितना हो सके संयम के साथ आगे बढे.
किसी भी Yakshini sadhna को बगैर दिशा निर्देशन के नहीं करना चाहिए क्यों की ये नुकसान दायीं होता है और आपके आसपास की नकारात्क शक्तियों को सबसे पहले आकर्षित करता है.
दोस्तों आज की पोस्ट यक्षिणी साधना आपको कैसी लगी हमें जरूर बताए.
Bahut achchha laga