बहुत से साधको का सवाल रहता है की उन्हें ध्यान के समय दिव्य ध्वनियाँ सुनाई देती है. ये ध्वनि ठीक उसी तरह होती है जैसे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में ॐ का सुनाई देना. what is anahat naad meditation in hindi ? अनाहत नाद जो की अनाहत चक्र के जागरण होने पर सुनाई देने लगता है वास्तव में क्या है ?
ध्यान करते समय हमें अंतर में नाद की ध्वनि क्यों सुनाई देती है ? इसे जानना आवश्यक भी है और चेतना का विषय भी इसलिए आज इस बारे में थोड़ा डिटेल से जान लेते है.
भ्रामरी प्राणायाम जिसे antar naad meditation भी कहा जाता है अंतर की ध्वनि ( ये कोई आवाज नहीं होती है सिर्फ एक नाद होता है ) सुनने के लिए किया जाने वाला ध्यान है.
इसके जरिये हम बाहरी आवाजो पर रोक लगाकर सिर्फ अपने अन्दर की आवाज को सुनने की कोशिश करते है.
अनाहत चक्र जागरण पर हमें काफी दिव्य अनुभव होते है और हम सूक्ष्म होने लगते है. अनाहत नाद का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है ?
ध्यान के समय ये नाद हमें सुनाई क्यों देता है और मन को शांति प्रदान करने वाले इस नाद को हम हर पल कैसे अनुभव कर सकते है. ऐसे ही खास सवालों पर हमने कुछ जानकारी आपके सामने रखने की कोशिश की है.
इस पोस्ट में हम anahat naad meditation के बारे में बात करने के साथ ही साथ कुछ डाउट भी clear करने की कोशिश करेंगे.
अगर आपके भी अनाहत नाद से जुड़े कोई अनुभव है तो हमारे साथ शेयर कर सकते है.
अनहद नाद मैडिटेशन – anahat naad meditation
अनाहत नाद मैडिटेशन का दूसरा नाम है “अनाहत चक्र जागरण” जब हम आँख, कान, नाक और मुह को हाथो की अंगुलियों से बाधित कर बाहरी सम्पर्क से कट जाते है और अंदर से एक गूंज बनाते है तब हमें अन्दर की और से कम्पन महसूस होता है. प्राणायाम में इसे भ्रामरी प्राणायाम के नाम से जाना जाता है.
heart chakra हमारे ह्रदय के पास स्थित है. इसके जागरण के लिए हमें यं बीज मंत्र का उच्चारण ह्रदय पर ध्यान लगाते हुए करना चाहिए. जब हम ऐसा करते है तब हमारे अन्दर से एक ध्वनि गूंजती हुई महसूस होती है. कुछ लोग ध्यान में ॐ की ध्वनि को भी महसूस करते है.
अनाहत चक्र का संबध वायु से है इसलिए ये हमें सूक्ष्म शरीर और मनचाहे स्वरूप में देह त्यागने की सिद्धि प्रदान करता है.
कैसे करे अनाहत चक्र पर ध्यान
- अनाहत चक्र या अनाहत नाद ध्यान के लिए वायु मुद्रा धारण करे. तर्जनी अंगुली को अंगूठे के निचे दबा ले जैसा की फोटो में दिखाया गया है. बाकि अंगुलियाँ एकदम सीधी होनी चाहिए.
- ध्यान को अनाहत चक्र यानि ह्रदय में लगाए.
- दस बारह बार जितनी लम्बी साँस ले सकते है अन्दर की ओर खींचे और छोड़े.
- कुछ समय बाद आपको नील रंग की आभा का अनुभव होने लगेगा.
- जब आप इसी तरह आगे बढ़ते है तो आपको ह्रदय की ध्वनि सुनाई देने लगती है. सामान्य तौर पर हमें ये सुनाई नहीं देती है ( जब तक की सांसे तेज न चले ) लेकिन धीरे धीरे हम सूक्ष्म होने लगते है.
- वक़्त के साथ आपको और भी सूक्ष्म आवाजे सुनाई देने लगती है और आप अपने आसपास की उन सूक्ष्म आवाजो को आराम से सुन पाते है जो सामान्य तौर पर नहीं सुन पाते थे.
- अंत में ये आवाजे सुनना बंद हो जायेगा और साधक को सिर्फ अनाहत नाद सुनाई देगा. ये नाद बिलकुल वैसे ही है जैसे की ब्रह्माण्ड में सूर्य से निकलने वाली ॐ की ध्वनि.
ये अनुभव दिव्य है जिसके बाद साधक के मन की चंचलता समाप्त हो जाती है. किसी भी तरह का मोह नहीं रह जाता है और सूक्ष्म जगत से जुड़ने लगता है.
अनाहत नाद की परिभाषा
अनाहत नाद को लेकर काफी सारे अनुभव के आधार पर अलग अलग परिभाषा दी गई है. इन सबमे अनाहत चक्र और ब्रह्माण्ड में अपने आप पैदा होने वाला नाद है.
- हठ योग के अनुसार शरीर में उपस्थित 7 चक्रों में से एक चक्र अनाहत चक्र है. जब ये जाग्रत होता है तब हमें एक दिव्य नाद सुनाई देता है. ये नाद सामान्य व्यक्ति को सुनाई नहीं देता है सिर्फ वही व्यक्ति इसे सुन सकता है जिसने anahat naad meditation के द्वारा अपने अंतर की यात्रा को अनुभव किया हो.
- एक ऐसा नाद जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में स्थित है और गूंजता रहता है. western culture में इसे music of the spheres के नाम से जाना जाता है.
- वो नाद जो दोनों हाथो के अंगूठे से कान और अंगुली से आँखों को बंद करने पर अपने अंतर में सुनाई दे नाद ही है. योग में ब्राह्मरी प्राणायाम एक ऐसा प्राणायाम है जिसके जरिये हम अंतर में निरंतर हो रहे नाद को सुन सकते है.
- माना जाता है की किसी भी ध्वनि के उत्पन होने के लिए आघात जरुरी है लेकिन नाद के उत्पन होने के लिए किसी आघात की आवश्यकता नहीं होती है. ये निरंतर अपने आप गूंजता रहता है.
anahat naad meditation नाद का अनाहत के साथ जुड़ना
सप्त चक्र जागरण की क्रिया में अनाहत चक्र जागरण एक महत्वपूर्ण क्रिया है. माना जाता है की इस चक्र के active होने पर विश्व में गुंजायमान सूक्ष्म नाद हमें सुनाई देने लगता है. कुछ लोगो के अनुसार इस चक्र का सूक्ष्म ध्वनि से संबध है.
अनाहत चक्र जागरण से हमें सम्पूर्ण विश्व की परा और अपरा दोनों ही तरह की ध्वनि सुनाई देने लगती है. कुछ लोग इसे naad brahma meditation भी कहते है क्यों की इसका अनुभव दिव्य होता है.
हर समय कानो में ध्वनि के गूंजने का अनुभव होना
ध्यान करने वाले साधक या सामान्य गृहस्थ कई बार ऐसा दावा करते है की उन्हें ध्यान की अवस्था में भँवरे के पंखो की आवाज सुनाई देने लगती है.
कुछ लोगो को निरंतर अपने कानो में कुछ गूंज सी सुनाई देती है. ये है क्या ? क्या यही वह नाद है जिसे सुनने के लिए लोग कड़ी मेहनत करते है या फिर कुछ और ?
पक्के तौर पर इस दावे को लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता है क्यों की कुछ लोगो को इसका वास्तविक अनुभव होता है तो कुछ की भ्रम. इसकी वजह कुछ भी हो सकती है जैसे की
- ध्यान के समय meditation music, spiritual music for meditaion जैसे ऑडियो के साथ ध्यान लगाना.
- मन में तनाव रहता है तब भी ध्यान में बैठे रहना या फिर शोरगुल वाली जगह बैठ कर ध्यान लगाना.
- कुछ लोग ध्यान के समय कल्पना का इस्तेमाल करते है जो की ध्यान में अच्छे अनुभव दिलाती है लेकिन ऐसे भी देखने में आता है की उन्हें कई बार आभास का अवस्था का सामना करना पड़ता है. जैसे की मोबाइल की रिंगटोन जो आपको सबसे ज्यादा प्यारी होती है और कई बार आपको लगता है जैसे फोन बज रहा हो लेकिन ऐसा होता नहीं है.
इन condition में आपको नाद का अनुभव होता है या नहीं ये आप बदलाव के आधार पर तय कर सकते है. अगर ध्यान के बाद जो आवाज आपको सुनाई दे रही है वो सिर्फ कुछ समय तक सुनाई देती है और मधुर है तो समझे की ये नाद वास्तविक है.
वास्तविक नाद और आभासी नाद में फर्क
वास्तविक नाद में आपकी पूरी बॉडी खासतौर से आपका ह्रदय गुंजायमान होने लगता है. जबकि artificial voice में आपको चिडचिडापन महसूस होता है. anhad naad meditation techniques के जरिये आप इसे और ज्यादा clear तरीके से समझ सकते है. जब हम अपने अंतर की आवाज को सुनने लगते है तब हम इसे ज्यादा अच्छे से समझने लगते है.
जब तक आप बाहरी आवाजो से संबध नहीं तोड़ देते है तब तक आप नाद में फर्क अनुभव नहीं कर पाओगे. ह्रदय चक्र पर ध्यान लगाने यानि anahat naad meditation के जरिये इसका फर्क अनुभव कर पाओगे.
anahat naad meditation benefit
- वायु मुद्रा हमारे शरीर के सभी वायु संबधी रोग दूर करने में सहायक है.
- पेट गैस की शिकायत को दूर करती है.
- छाती को मजबूत करता है और दर्द में राहत प्रदान करती है.
- अनाहत चक्र जागरण में सहायक मुद्रा है.
इन सभी फायदों की वजह से anahat naad meditation में वायु मुद्रा का अपना महत्त्व बढ़ जाता है.
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anahat naad meditation – final word
सप्त चक्र जागरण में से एक है अनाहत चक्र का जागरण. इस चक्र के जागरण के दौरान हम दिव्य ध्वनियाँ अनुभव करने लगते है. मन वायु की तरह हल्का हो जाता है और हम सूक्ष्म जगत से जुड़ाव को महसूस करने लगते है.
ये सब संभव है जब हम anahat naad meditation या भ्रामरी प्राणायाम को अभ्यास में शामिल कर ले.
कुण्डलिनी जागरण की प्रक्रिया बिना गुरु के नहीं करनी चाहिए और जब बिना किसी गाइड में हम इसे करने की कोशिश करते है तब हम अनचाहे बदलाव को अनुभव करते है.
अगर आप किसी भी तरह की परेशानी से बचना चाहते है तो ये सब अभ्यास गुरु की देखरेख में करे तभी बेहतर होगा.