कई बार किसी स्थिति से बाहर निकलना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है. हालात हमारे लिए Out of control हो जाते है और हम अपने Past को बार बार दोहराना शुरू कर देते है.
हम खुद को ऐसे conversations, relationships, and jobs में फंसा हुआ महसूस करते है जिसके बारे में कभी सोचा ही नहीं था.
बार बार खुद को एक स्थिति में फंसा हुआ पाने के बाद आपको अहसास होता है की क्या में पहले कभी ऐसी स्थिति में नहीं था ?
ऐसी स्थिति को emotional baggage कहते है. ऐसी स्थिति में फंसने के बाद खुद को उससे बाहर निकालना आसान नहीं होता है और ये हमारे Future को प्रभावित करती है. ऐसी स्थिति को Phenomenon of Carrying Past Trauma या फिर Negative Experiences Through Life, Relationships, Or A Career के जरिये समझ सकते है.
ऐसी स्थिति हमें कई तरह से प्रभावित करती है जैसे की
- आप किस तरह सोचते है ?
- तनाव को लेकर किस तरह react करते है ?
- आपकी physical well being किस तरह प्रभावित हो रही है.
- आपके दूसरो के साथ किस तरह के रिश्ते है.
ये एक तरह का बोझ है जिसे हम लेकर घूमते रहते है. चलिए बात करते है की किस तरह हम इमोशन में फंस कर रह जाते है और इस स्थिति से बाहर निकल सकते है.
Emotional Baggage in Hindi
भावनात्मक बोझ कुछ ऐसे बीते कल की गतिविधि होती है जो हमारे आज को प्रभावित करती है. अगर आप बार बार खुद को परेशान महसूस कर रहे है और आपको लगता है की आपके साथ इस तरह की गतिविधि बार बार हो रही है तो समझ लीजिये की आप Emotional Baggage से प्रभावित हो रहे है.
हमारी हर यादो के साथ भावनाए जन्म लेती है जो चेतन और अचेतन दोनों तरह से होती है.
हमारे Past life trauma and difficult emotions आगे चलकर energy के रूप में बॉडी में फंस कर रह जाते है.
हालाँकि इसे scientific evidence के साथ आज भी प्रूफ नहीं किया जा सका है लेकिन, इसका मतलब ये नहीं की ये हमें प्रभावित नहीं करती है.
Trapped emotional vibrations आगे चलकर लगातार उसी Frequency में vibration पैदा करते है जो हमें बार बार उसी स्थिति में लाकर छोड़ देते है जिसमे हम पहले थे.
ये स्थिति बिलकुल वैसी ही है जैसे की पैर में चुभा कांटा हमें तब तक आराम नहीं लेने देता है जब तक हम उसे निकाल नहीं देते है.
हमारी past life trauma and emotional energy vibration जब तक रिलीज़ नहीं होगी तब तक हम खुद को बार बार ऐसी ही स्थिति में फंसा हुआ महसूस करेंगे.
भावनाए कब फंस कर रह जाती है
क्या आप जानते है की mental and emotional health हमारे physical health को affect करती है. जब भी हम किसी इमोशन को अनुभव करते है तब 3 तरह की गतिविधि होती है. Emotional baggage को समझने के लिए ये बेहद जरुरी है की आप पहले अपने इमोशन को समझे.
- हम emotional vibration develop करते है.
- हम इमोशन के साथ ही उसके साथ जुड़े हुए thoughts or physical sensations को भी अनुभव करते है. ये एक ऐसी स्थिति है जहाँ हमारा मन और शरीर दोनों आपस में जुडाव महसूस करते है और आपस में जुड़ते हुए एक्शन में बदल जाते है.
- हम इमोशन को आगे process करते है.
ये emotional processing हमारे limbic structures of the brain के जरिये पूर्ण होती है. हम लगातार Information को Collect करते है और ये pre-conscious autonomic nervous system responses के लिए जिम्मेदार होती है.
ये हमारे बॉडी को एक खास signal देती है जो उस इमोशन के लिए जिम्मेदार रहती है.
दूसरे शब्दों में समझे तो हमारी feeling का सीधे सीधे हमारे nervous system से connection होता है. कई बार ऐसा होता है की हम हमारी feeling को जाहिर करना चाहते है लेकिन कर नहीं पाते है.
हमारा true self कुछ जाहिर करना चाहता है लेकिन, False self ऐसा करने नहीं देता है.
हमारे true self के अनुसार naturally open, curious, and trusting इमेज को रिफ्लेक्ट करता है वही false self की इमेज तब रिफ्लेक्ट होती है जब हम Pain and loss से डील करते है. ये repressed negative emotional energy कई तरीको से बाहर निकलती है.
- resentment
- poor decision-making
- self-sabotage
- overreaction
- increased stress and anxiety
- depression
- fatigue
आगे चलकर यही repressed negative emotional energy हमारे लिए Trauma and emotional baggage की वजह बन जाती है. हम लाइफ में कई बार इस तरह की स्थिति का सामना करते है जैसे की
- a breakup
- a major life change
- the death of a loved one
- infidelity in a relationship
- loss of a job
- an experience of violence, discrimination, or racism
ये ऐसी स्थिति है जिसमे अगर सही से इमोशन को रिलीज़ नहीं किया जाए तो ये बॉडी में फंस कर रह जाती है जो आगे चलकर trauma की वजह बन जाती है और हम बार बार ऐसी ही स्थिति को महसूस करना शुरू कर देते है.
Trapped emotions हमारे बॉडी में कहा स्टोर होती है
कभी अपने चेस्ट में tightness को महसूस किया है जब भी anxiety-inducing situation में होते है. जब पूरा दिन अच्छा जाता है तब हम बॉडी में किसी तरह का बदलाव महसूस करते है. ऐसी ही स्थिति को हम कई अलग अलग इमोशन के दौरान experience करते है.
हम जब भी अलग अलग इमोशन को महसूस करते है हमारी बॉडी में अलग अलग जगह पर बदलाव को अनुभव किया जाता है.
इसकी वजह अलग अलग इमोशन का बॉडी के अलग अलग हिस्से को प्रभावित करना है. इन इमोशन को अलग अलग केटेगरी में बांटते है जैसे की
- negative, such as stress, anger, and shame
- positive, such as happiness, love, and pride
- cognition, such as attention and perception
- homeostatic states, or a balanced, regulated internal state
- illnesses and somatic states
feeling हमेशा बदलती रहती है और यही वजह है की इस तरह की रिसर्च हमें भावनाओं को समझने में मदद करती है.
7 Types Of Emotional Baggage
जब भी हम एक अलग तरह की स्थिति में खुद को पाते है तब हमारी बॉडी एक अलग तरह का self projection करती है. दूसरे शब्दों में इसे समझे तो अलग अलग तरह की स्थिति में अलग अलग personality को एक रूप देना.
सबसे बड़ी problem तब होती है जब हम इस तरह की स्थिति को बार बार अनुभव करना शुरू कर देते है. आइये जानते है अलग अलग तरह की projection के बारे में
The Scared Child
डरा हुआ बच्चा जो हमेशा अपने मन में ये बात बैठा लेता है की वो नहीं कर सकता है. एक छोटा सा उदाहरण लेते है क्या आपने कभी इस तरह की स्थिति को महसूस किया है की आपने एग्जाम दिया और आप फ़ैल हो गए.
अगले साल फिर से वो समय आता है जब आप एग्जाम देने वाले होते है लेकिन जैसे ही आप एग्जाम देने बैठते है और पेपर सामने आता है आपका मन बार बार यही दोहराता है.
“एक बार फिर से में फ़ैल होने वाला हूँ.” ये पेपर बहुत टफ है और में इसे solve नहीं कर पाउँगा.
इस तरह के emotional baggage हमें प्रभावित करते है और परिणाम ये होता है की हम चाह कर भी पेपर अच्छा नहीं कर पाते है. फिर से फ़ैल होने की वजह क्या थी ? पेपर मुश्किल नहीं था लेकिन, हमारी भावनाए इस कदर हावी हो जाती है की हम चाहकर भी खुद को उनसे मुक्त नहीं हो पाते है.
The Overbearing Parent/Teacher
हमारे आसपास अलग अलग तरह के लोग रहते है. अलग अलग लोग हमें अलग अलग तरह से प्रभावित करते है और हमारी क्षमता को अपने मापदंड पर आंकते है. एक छोटा सा उदाहरण लेते है.
आप अपने स्कूल की खेल प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते है लेकिन, आपके ही बड़े लोग आपको ये कह कर मना करने लगते है की तुम ये नहीं कर पाओगे. खेल प्रतियोगिता में भाग लेना आपका फैसला था लेकिन क्या ये आपकी काबिलियत नहीं थी ?
आप क्या कर सकते है ये सिर्फ आप जानते है कोई और नहीं. यही वजह है की नेगेटिव लोगो के संपर्क में रहने पर हम खुद को नेगेटिव बना लेते है. इस तरह का Emotional Baggage लेकर हम अपने आप को सिमित क्षमता में बांध लेते है.
आगे चलकर जब भी हम कुछ करने की कोशिश करते है हमारा brain हमें कुछ भी मना कर देता है. हम चाहकर भी खुद को नेगेटिव बनने से रोक नहीं पाते है.
The Long-Gone Bully
ज्यादातर बच्चे स्कूल समय के दौरान के रैगिंग से गुजरते है. जब कोई आपको आपकी मर्जी के खिलाफ परेशान करता है या फिर कुछ भी ऐसा करने के लिए फ़ोर्स करता है जिसमे आपकी मर्जी नहीं होती है तब हमारा brain एक repressed emotion से भर जाता है.
ये दबा हुआ इमोशन एक गुस्से के रूप में बाहर निकलता है और आगे चलकर हम दूसरे लोगो को चोरी छिपे परेशान करते है जैसे की दरवाजे की घंटी बजाकर गायब हो जाना.
आज साइबर बुली के case ज्यादा बढ़ चुके है जिसकी एक वजह यही है.
Emotional baggage एक इमोशन के रूप में कही न कही हमें प्रभावित करता है और वो किस तरह से आगे चलकर express होता है इसे समझना बेहद जरुरी है.
The Inner Hater
जब भी हम फ़ैल हो जाते है हम अपने अन्दर एक अलग तरह की नकारात्मकता पाल लेते है.
फ़ैल होने के बाद हम अपने अन्दर The Inner Hater को project करते है जो हमे किस तरह प्रभावित कर सकता है ये हम सोच भी नहीं सकते है.
अपने past life trauma से गुजरने के बाद हम अपने अन्दर की नफरत को बढ़ता हुआ महसूस करना शुरू कर देते है.
कई बार स्थिति ऐसी बन जाती है की जब हम फ़ैल होते है या फिर किसी अवसर से चूक जाते है हमारा माइंड हमें बार बार आत्म हत्या कर लेने जैसे ख्याल भरना शुरू कर देता है.
ऐसी स्थिति से आप कही न कही गुजरे होंगे. ये हमारा The Inner Hater ही है जो इस तरह की स्थिति पैदा करता है.
हम सभी फ़ैल होते है क्यों की कोई भी पूरी तरह परफेक्ट नहीं होता है. इसका मतलब ये नहीं है की हम इस तरह के नकारात्मक विचारो के चलते खुद को ऐसे past life trauma तक ही सिमित कर ले.
The Angry Monster
हमारा गुस्सा भी एक तरह का emotional baggage ही है. लाइफ में ऐसी कई वजह है जो गुस्से का कारण बनती है. जितना ज्यादा हम अपने अन्दर का गुस्सा दबाते जाते है उतना ही ज्यादा हम इसे बढ़ावा देते है.
कोई भी इमोशन अगर लम्बे समय तक दबाया जाता है तो वो हमेशा हमें unstable ही बनाता है. खुद को बैलेंस रखने के लिए समय पर इमोशन को रिलीज़ करना बेहद जरुरी है.
अगर आप बार बार गुस्से को दबाते है तो आगे चलकर ये repressed anger में बदल जाते है. इस तरह का दबा हुआ गुस्सा हमें unstable बनाता है. कई बार हम ऐसी स्थिति में अपने गुस्से को बाहर निकालते है जो हमारा ज्यादा नुकसान करता है.
इस तरह का गुस्सा हमारे सोचने समझने को बुरी तरह प्रभावित करता है और हम चाहकर भी चीजो को ठीक नहीं कर पाते है.
अगर आप बार बार खुद को uncontrolled anger में फंसा हुआ पाते है तो समझ ले की आप लम्बे समय से इसे दबाते आ रहे है और ये अब emotional baggage बन चूका है. ये आपकी लाइफ को बार बार एक ही जगह ले आता है.
The Unloved
एक ऐसी भावना जिसमे हम सोचते है की कोई भी हमे प्यार नहीं करता है. क्या लाइफ में कोई भी व्यक्ति दूसरो से रिजेक्शन का सामना नहीं करता है या फिर सब को आसानी से सब कुछ हासिल नहीं होता है.
मन में एक ऐसी भावना बना लेना की कोई भी हमें प्यार नहीं करता है या फिर में आकर्षक नहीं दिखाई दे रहा हूँ. दूसरे मेरे बारे में क्या सोचते होंगे या फिर क्या में उन्हें पसंद आऊंगा इस तरह की भावना मन में पैदा करना और उसमे फंसे रहना हमें कभी किसी से जुड़ने नहीं देता है.
इस तरह की स्थिति में हम खुद को दूसरो से अलग कर लेते है. हद से ज्यादा खुद को लेकर नेगेटिव बना लेना और emotional baggage बना लेना हमें किसी के साथ रिश्ते बनाने में मुश्किल पैदा करता है.
The Unlucky
आप अपनी हार का जिम्मेदार किसे मानते है ? अगर आप फ़ैल हो जाते है तो उसकी वजह क्या है ? ज्यादातर लोग जब भी फ़ैल होते है तब वे बार बार यही सोचते है की वे किस्मत वाले नहीं थे जिसकी वजह से फ़ैल हो गए.
देखने में ये बेहद छोटी बात लगती है लेकिन अगर ऐसा आपके साथ बार बार होने लगे तो क्या करेंगे ?
जब भी आप थोड़ी सी कोशिश करते है और आपको उसमे सफलता नहीं मिलती है तो आप पूरी तरह से हार मान लेते है. Long-term illness, stressed, overworked जैसी स्थिति से गुजरने के बाद हम खुद को पूरी तरह नेगेटिव बना लेते है.
इस तरह का emotional baggage हमें लम्बे समय तक प्रभावित करता है और हम चाह कर भी खुद को इससे आजाद नहीं कर पाते है.
How to deal with emotional baggage
अगर समय रहते अपने इमोशन को सही तरह से जाहिर नहीं किया जाता है तो ये दबता हुआ जाता है.
आगे चलकर यही दबा हुआ गुस्सा हमारे लिए बड़ी परेशानी की वजह बन जाती है. अगर आप अपने इमोशन के साथ समय रहते हुए डील नहीं कर पाते है तो ये आपको आगे नहीं बढ़ने देती है.
सही तरह से डील करने के कई तरीके है जैसे की
- जब भी आपके अन्दर किसी तरह का इमोशन बनता है आप खुद से इसे समझने की कोशिश करे.
- आपके अन्दर इस तरह की भावना आ रही है तो इसकी वजह क्या है ?
- इस भावना या इमोशन को आप किस तरह दूसरो के साथ जाहिर कर सकते है.
- इमोशन को किस जगह, किस स्थिति में जाहिर करना है इसे समझने की कोशिश करे.
खुद को हर रोज थोड़ा समय देने से आप अपने इमोशन को बेहतर समझ पाते है और इन्हें सही तरह से डील करना शुरू कर देते है.
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How emotional baggage affect our life final conclusion
हम अपने इमोशन को कण्ट्रोल नहीं कर पाते है क्यों की हर पल मन में विचार चलते रहते है और ये हमें प्रभावित करते है. इस तरह के Past life trauma and emotional baggage की वजह से हम कभी आगे नहीं बढ़ पाते है जिसका असर हमारे वर्तमान पर पड़ता है.
इस तरह की स्थिति हमारे दूसरो के साथ Relationship, career, future को affect करता है. ऐसी किसी भी स्थिति से हम खुद को बाहर निकाल सकते है बशर्ते हमें अपने इमोशन से डील करना आ जाए.
एक बार आप अपने इमोशन को डील करना सीख ले तो आप खुद को ऐसी किसी भी स्थिति से फ्री कर सकते है. अगर आपके मन में इस तरह की स्थिति को लेकर कोई सवाल आ रहा है या फिर किसी तरह की हेल्प चाहिए आप कमेंट में पूछ सकते है.