एक दिवसीय भूत साधना या फिर प्रत्यक्ष भूत सिद्धि जैसी साधनाए गुरु के सानिध्य में करनी चाहिए. इस तरह की साधना को गुरु से ग्रहण कर आप घर पर भी कर सकते है. अदृश्य शक्तियों के बारे में कई शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि आत्माएं दो तरह की होती है एक तो अच्छा और दूसरी बुरी.
ये आत्माएं जिस किसी पर प्रसन्न हो जाये या उन्हें कोई अपने वश में कर लें तो वे उनकी हर मनोकामना तत्काल पूरी कर देती है. तंत्र शास्त्र के अनुसार कुछ तांत्रिक प्रयोग करके आत्माओं से संपर्क किया जा सकता है.
तंत्र शास्त्र, काली विद्या में पारंगत लोग, जैसे सिद्ध योगी, अघोरी, तांत्रिक आदि जो कठोर कठिन साधना करके ऐसा कुछ करने में सक्षम हो पाते हैं.
तंत्र के जानकार कहते हैं कि आत्माएं दो तरह की होती है और दो तरीके से उनके संपर्क हो पाता है.
एक तो विशेष मंत्रों की घोर साधना करके या फिर कुछ आत्माएं स्वयं ही किसी से संपर्क कर लें. कुछ आत्माएं बहुत अच्छी होती जो बिना कहे भी किसी नेक इंसान की मदद करते रहती है.
वहीं बुरी आत्माओं को वश में करके उनसे अच्छे और बुरे कार्य़ करवाएं जा सकते हैं.
यह प्रत्यक्ष भूत सिद्धि साधना है अपितु एक क्रिया भी है. यह साधना कमजोर हृदय के व्यक्ति ना करे अन्यथा परिणाम आपको ही भुगतने पड़ेगे,15 तारीख से पूर्व आप कोई भी सुरक्षा कवच या मंत्र सिद्ध कर लीजिये ताकि साधना मे आपको परेशानी के समय सहायता प्राप्त हो.
अगर आप प्रत्यक्ष भूत सिद्धि साधना कर रहे है तो ध्यान रखे की ये साधना सिर्फ और सिर्फ गुरु के निर्देश में ही करनी चाहिए.
यहाँ शेयर की जाने वाली साधना निखिल मासिक पत्रिका से ली हुई है इसलिए हम इस बात की पुष्टि नहीं करते है की ये साधना आपके लिए काम करेगी या नहीं. सिर्फ जानकारी के लिए हम यहाँ पर बिना किसी बदलाव के शेयर कर रहे है.
प्रत्यक्ष भूत सिद्धि
कुछ साधनाएं कभी-कभी अनायास ही हाथ लग जाती हैं और जब उन्हें कसौटी पर कस कर देखते हैं, तो वे परीक्षण में पूर्णतः सफल उतरती हैं तथा कम से कम समय में जब वे पूरी सफलता देती हैं, तो मन उस साधना को ज्यादा से ज्यादा साधकों को देने की इच्छा रखता है.
प्रेत सिद्धि मंत्र साधना यानि प्रत्यक्ष भूत सिद्धि भी अचानक ही पिछले दिनों मुझे गंगोत्री यात्रा के अवसर पर एक योगी से प्राप्त हुई,
पर जब मैंने गुरुदेव से इस सम्बन्ध में निवेदन किया, तो उन्होंने घर पर ही बैठ कर साधना सम्पन्न करने की आज्ञा दी. उस योगी के निर्देशानुसार मैंने साधना सम्पन्न की, तो 21वें दिन ही प्रत्यक्ष चमत्कार देख कर आश्चर्यचकित हो गया.
मनुष्य के अलावा अन्य योनियों का अस्तित्व भी संसार में विद्यमान है, बुद्धि की अनिवार्यता से ग्रस्त होकर भले ही मुट्ठी भर लोग सत्य को अनदेखा करें, परन्तु इससे सत्य छुप नहीं सकता.
भूत योनि भी ऐसी ही एक प्रामाणिक योनि है, जिनका अपना संसार है, अपनी विचारधारा और मर्यादा है तथा उनकी स्वयं की कार्य करने की शैली है.
मनुष्य जीवन में भी कुछ मालिक ऐसे होते हैं, जिन्होंने धन रूपी साधना सम्पन्न की हुई होती है, वे व्यक्तियों को अपना सेवक बना कर रख सकते हैं और उससे मनोवांछित कार्य सम्पन्न करवाते हैं.
इन सेवकों से घर की सफाई कराना, भोजन पकाना, शरीर की मालिश कराना, व्यापार में सहायता लेना, किसी वस्तु को एक जगह से दूसरी जगह भेजना- मंगवाना आदि कार्य सम्पन्न होते हैं और वे बिना कुछ अवज्ञा किये उस कार्य को सम्पादित करते हैं.
ठीक इसी प्रकार भूत योनि भी सेवक की तरह होती है, जिसे मंत्र से आबद्ध करने पर वह वश में रहता है और जो भी आज्ञा देते हैं, वह कार्य सम्पन्न करता है.
मनुष्य और भूत में अंतर
मनुष्य में कई विशेषताओं के साथ दो न्यूनताएं भी हैं, एक तो वह गुरुत्वाकर्षण शक्ति से आबद्ध है, इसीलिए जमीन से ज्यादा ऊपर नहीं उठ पाता.
दूसरे वह पंचभूतात्मक जल, अग्नि, वायु, आकाश और पृथ्वी सम्पन्न होने के कारण ठोस होता है, सबको दिखाई देता है और पृथ्वी तत्त्व प्रधान होने के कारण वायुवेग से शून्य पथ द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जा सकता.
इसके विपरीत भूत में न तो गुरुत्वाकर्षण होता है और न पृथ्वी तत्त्व प्रधान ही, इस वजह से वह अदृश्य रहकर कार्य कर सकता है.
वह कुछ ही सेकेण्डों में वायुवेग से एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकता है और कार्य सम्पादित कर कुछ ही क्षणों में वापिस आ सकता है. प्रत्यक्ष भूत सिद्धि करने के लिए आपको अपने आसपास की आत्माओ का आवाहन करने की जरुरत होती है.
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क्या भूत भयप्रद एवं हानिकारक होते हैं
सही रूप से देखा जाय तो भूत न तो हानिकारक होते हैं और न भयप्रद ही. वे मनुष्य की अपेक्षा ज्यादा सरल, सौम्य और विश्वासपात्र होते हैं.
उन्हें जो भी कार्य करने के लिए दिया जाता है, निष्ठापूर्वक करते है. जीवन में कभी न तो क्रोधित होते हैं और न क्रोधातिरेक में अपने स्वामी को हानि पहुंचाने की चेष्टा करते हैं.
सही अर्थों में तो भूत पूर्णतः विश्वासपात्र और मदद करने वाले स्वामिभक्त होते हैं, हर क्षण अदृश्य रूप में स्वामी के साथ रहते हैं और उनके प्राणों की रक्षा करने के साथ-साथ आज्ञा पालन करते हैं.
क्या-क्या कार्य करते हैं
भूत अत्यधिक बलशाली और शक्ति सम्पन्न होने के कारण असम्भव कार्यों को भी सम्भव कर दिखाते है और रक्षक की तरह करना, इच्छानुकूल धन लाकर देना, कितनी ही दूर से समाचार लाकर देना, सामान पहुंचाना या सैकड़ों मील दूर से सामान लाकर देना बिना नू-नच के करते रहते हैं.
प्रत्यक्ष भूत सिद्धि के बाद वे सर्वथा अदृश्य बने रहते हैं और किसी भी प्रकार से हानि पहुंचाने की चेष्टा नहीं करते, जब उन्हें स्मरण किया जाता है, तो वे आंखों के सामने प्रकट होते हैं और आज्ञा प्राप्त कर कार्य में जुट जाते हैं.
क्या इनकी साधना घर में की जा सकती है
मेरा अनुभव यह हुआ कि अपने घर में रह कर भी यह साधना सम्पन्न की जा सकती है और मात्र इक्कीस दिनों में ही भूत वश में कर कार्य सम्पादित करवा सकते हैं.
प्रत्यक्ष भूत सिद्धि को वर्ष में कभी भी शुक्रवार से प्रारम्भ किया जा सकता है.
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प्रेत सिद्धि मंत्र और साधना विधि
शुक्रवार की रात्रि को घर के किसी एकान्त कमरे में (ऐसा कमरा, जिसमें 21 दिनों तक आपके अलावा दूसरा कोई न जा सके) काला आसन बिछा कर, काली धोती पहन कर दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर बैठें और सामने तेल का दीपक लगा लें, दीपक में किसी भी प्रकार का तेल प्रयोग में लाया जा सकता है.
सामने मिट्टी के एक पात्र में काजल से उंगली द्वारा ‘महाभूताय नमः’ लिखें और उस पर ‘भूत डामर यंत्र’ रख दें.
फिर हाथ जोड़कर निवेदन करें, कि मैं प्रत्यक्ष भूत सिद्धि / भूत सिद्धि प्रयोग कर रहा हूं, मुझे भूत सिद्ध हो, जो जीवन भर मेरे वशवर्ती रहे और आज्ञानुसार कार्य सम्पन्न करे .
फिर यक्ष निर्वाण तंत्र से सिद्ध ‘हकीक माला से नित्य ग्यारह माला मंत्र जप करें, तेल का अखण्ड दीपक जलता रहे, इस प्रकार बिना नागा 21 दिन तक साधना करें.
इक्कीसवें दिन निश्चय ही सौम्य स्वरूप में भूत प्रस्तुत होगा और स्वयं कहेगा, कि मैं काली का गण हूं और आपके वशवर्ती हूं, मेरा नाम लेकर पुकारेंगे, तब मैं हाजिर होऊंगा और आप जो भी आज्ञा देंगे, उसे पूरा करूंगा.
शाबर प्रत्यक्ष भूत सिद्धि मंत्र यानि प्रत्यक्ष भूत सिद्धि मंत्र
॥ ॐ क्लीं कालिके कालिकाय भूताय नमः ॥
तब उसे इक्कीसवें दिन ही तैयार किये हुए पांच तिल के लड्डू, (इक्कीसवें दिन सवा पाव काले तिलों में थोड़ा गुड़ मिलाकर मंत्र जप से पूर्व ही सामने रख देने चाहिए) का भोग लगावें.
ऐसा करने पर वह लड्डू लेकर अदृश्य हो जायेगा और वह जीवन भर वश में रहेगा तथा कार्य सम्पन्न करेगा, जब भी उसे उस नाम से पुकारेंगे, तो वह आंखों के सामने प्रत्यक्ष होगा, जिसे केवल आप ही देख पायेंगे और आप जो भी आज्ञा देंगे, वह पूरा करेगा.
यह पूर्णतः प्रामाणिक साधना है, जिसे प्रत्येक साधक को करना ही चाहिए, साधना समाप्त होने के अगले दिन समस्त साधना सामग्री को नदी में विसर्जित कर दें.
प्रेतनी साधना सिद्धि
मंत्र : ॐ श्रीं बं मुं भुतेश्वरी मम् बश्य कुरु कुरु स्वाहा
अपनी चौका में बचा हुआ जल मूल नक्षत्र के समय किसी निर्जन स्थान में खड़े बबूल के बृक्ष की जड़ में प्रतिदिन एक हजार एक सौ अठासी बार मंत्र जाप करके डालें.
चालीस दिन निरंतर जल डालें तथा इकतालिसबें दिन बबूल की जड़ में जाकर एक हजार एक सौ अठासी मंत्रो का पाठ करें, परन्तु जल न डाले.
प्रेत प्रकट होकर जल मांगने लगेगा. उससे बचन लेकर की बोले बह प्रत्येक आज्ञा का पालन करेगा, तब जाकर जल डालें. यह जल निरंतर प्रतिदिन डालना होता है.
प्रेत आपकी प्रत्येक आज्ञा पालन करेगा
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प्रेतनी साधना की विधि
मंत्र : ॐ नमो कमाख्याये सर्बसिद्धि दाये कुरु कुरु स्वाहा
प्रत्यक्ष भूत सिद्धि विधि
इस मंत्र का जप प्रतिदिन अर्द्धरात्री में एक हजार एक सौ अठासी बार करे. इस समय आपका पूर्ण ध्यान देबी पर केन्द्रित होना चाहिये और बेल के पत्तों तथा तेल जौ आदि का हब्य रक्त चन्दन मिलाकर आहुति देते रहें. यह प्रत्यक्ष भूत सिद्धि मंत्र इक्कीस दिन में सिद्ध होता है.
Bhoot Sadhana vidhi Dr Narayan Dutt shrimali Ji ke kis patrika ke see lee hai, kripya aap muje magazine ke details bhej Dee….