अंतर त्राटक मैडिटेशन अपने अन्दर की अनंत क्षमता को विकसित करने का सबसे शक्तिशाली अभ्यास


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गुरु मूर्ति त्राटक साधना यानि antar tratak meditation के जरिये हम अपने अंतर में उतरने का अभ्यास किया जाता है. अलग अलग tratak meditation practice का हम पर अलग प्रभाव पड़ता है इसलिए आप इनका चुनाव अपने समझ के आधार पर कर सकते है.

अंतर त्राटक का अभ्यास पहले किसी माध्यम पर खुद को फोकस कर जब आँखे तक जाए तब अपने अंतर में त्राटक कर किया जाता है. आइये इसके बारे में और ज्यादा डिटेल से जानते है.

त्राटक के हर चरण में हम जान चुके है की अलग अलग त्राटक का क्या महत्व है।

इन्हे कैसे किया जाता है और क्या लाभ क्या सावधानी इनमे रखनी चाहिए। आज हम बात करेंगे गुरु मूर्ति त्राटक साधना की जिसमे हम किसी माध्यम की बजाय मूर्ति पर त्राटक करते है।

यह और अंतर त्राटक लगभग समान है और इनमे फर्क सिर्फ माध्यम का है जिस पर हम त्राटक करते है।

इस अभ्यास को आस्था के साथ जोड़ कर किया जाए तो हमें आध्यत्मिक अनुभव होने की सम्भावना रहती है।

Basic Reason of Unsuccess in Sadhna
गुरु मूर्ति त्राटक साधना

गुरु मूर्ति त्राटक साधना त्राटक के उन चरण में से एक है जिसमे हम शारीरिक और मानसिक स्तर पर विकसित होते है।

मेरा मानना है की त्राटक का अभ्यास अकेले ही नहीं करना चाहिए। अगर आपको त्राटक में सफलता प्राप्त करनी है तो आपको सबसे पहले शरीर और मन को साधना होगा।

अगर आप ऐसा नहीं कर पाते है तो आप त्राटक के अभ्यास में शारीरिक अनुभव ही प्राप्त कर सकते है।

मानसिक और आध्यत्मिक अनुभव में आपको लम्बा सफर तय करना पड़ता है। इसलिए सबसे पहले न्यास ध्यान जरूर करके देखे की आप त्राटक के लिए कितने तैयार है।

गुरु मूर्ति त्राटक साधना

किसी भी प्रतिमा या माध्यम का मतलब है अपने आदर्श और पूज्य का संयम करना।

संयम का सीधा सा मतलब है किसी भी माध्यम का गुण अपने अंदर पैदा करना। यहाँ अभ्यास में हम माध्यम में गुरु मूर्ति या देव मूर्ति ले सकते है लेकिन अभ्यास से पहले पूजन और प्राण प्रतिष्ठा करना ना भूले।

अभ्यास के लिए आपको सिर्फ सुखासन में मूर्ति के सामने बैठना है और त्राटक करना है। ये अभ्यास अंतर त्राटक की तरह 3 चरण में है।

1.) खुली आँखों से त्राटक

गुरु मूर्ति त्राटक साधना के लिए मूर्ति के सामने बैठ जाइये और पूजन कर सारा ध्यान अपने नेत्र पर ले जाइये। आपने न्यास ध्यान विधि द्वारा खुद को किसी भी अंग पर फोकस करना पहले ही सीख लिया होगा।

इसके बाद आपको कुछ देर तक मूर्ति के आँखों पर त्राटक करना है।

2.) बंद आँखों द्वारा मानस ध्यान

इस चरण में आपको अपनी आंखे बंद कर उसी मूर्ति पर त्राटक करना है वो भी बंद आँखों द्वारा। इसे आप मानस ध्यान भी कह सकते है। गुरु मूर्ति त्राटक साधना के इस चरण में मानस ध्यान का अभ्यास किया जाता है.

इसका उदेश्य सिर्फ आपके अंतर की यात्रा करना है। दूसरा आपकी एकाग्रता बढ़ने लगती है तब आप ज्यादा समय तक स्थिर रहने के लायक बन जाते है।

3.) अंतर की यात्रा

जब आप बंद आँखों से त्राटक करते है तब आप खुद को संयमित करना सीख जाते है और जब ऐसा हो जाता है तब आप बंद आँखों से अंतर की यात्रा की शुरुआत करने लगते है।

अंतर की यात्रा के दौरान आपके मन के शुद्धिकरण की प्रक्रिया शुरू होने लगती है। आराध्य देव पर त्राटक करना और मानस पूजा आगे चलकर पांच तत्व से बने इस शरीर को विभाजित करने में मदद करती है।

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लेकिन इसका सिर्फ किताबी उल्लेख है और माना भी गया है की त्राटक से पंचतत्व में विभक्त हुआ जा सकता है। इसका अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला है।

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गुरु प्रतिमा का मतलब क्या है

आराध्य देव मूर्ति का उदेश्य त्राटक में आपकी भावनाओ और संस्कारो को प्रयोग में लाकर सफलता पाना है।

मूर्ति पर त्राटक करते वक़्त आपके विचारो में अपने आप एक झुकाव महसूस होने लगता है। इसलिए ये भी कहा जा सकता है की गुरु मूर्ति त्राटक साधना हमारे आस्था और संस्कारो को भी मजबूत करने का काम करता है।

जब भी आप मंदिर जाते है आपके अंदर के विकार दूर होकर आपका मन निर्मल होने लगता है। गुरु मूर्ति त्राटक साधना के जरिये हम आसानी से अंतर की यात्रा कर सकते है.

ऐसे में उस अवस्था को लम्बे समय तक महसूस करने और बनाये रखने में गुरु मूर्ति त्राटक साधना एक अहम भूमिका निभाती है।

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गुरु मूर्ति त्राटक practice कैसे करे

गुरु मूर्ति त्राटक से पहले आप खुद को परख ले की आप आराध्य देव पर ज्यादा बेहतर त्राटक कर सकते है या फिर गुरु पर।

ज्यादातर लोग बगैर गुरु के त्राटक करते है ऐसे में अगर वो भगवान् श्री गणेश जी को अपना आराध्य मान कर त्राटक करे तो आज्ञा चक्र जागरण में सफलता मिलती है।

गुरु मूर्ति त्राटक साधना tratak sadhna का उदेश्य भी आज्ञा चक्र जागरण ही है।

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इस त्राटक से हमारी आस्था और संस्कारो में भी वृद्धि होती है। साथ ही साथ हम मानसिक स्तर पर मजबूत बनते है।

कुछ लोगो का मानना है की मानसिक शक्तियों की शुरुआत और उन्हें बनाये रखने में ये अभ्यास काफी मददगार है लेकिन उनकी खास विधिया जोमूर्ति त्राटक साधना में जोड़नी है अभी तक शेयर नहीं की गई है।

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त्राटक के मंत्र

Trataka में वैसे तो किसी मंत्र के जाप की कोई आवश्यकता नहीं होती पर मन को बांधने के लिए आप गुरु मंत्र या आराध्य देव का बीज मंत्र जाप कर सकते है। इसके बारे में आप पहले अपने बुजुर्गो से पता कर सकते है।

त्राटक के चमत्कार

सिर्फ गुरु मूर्ति ही नहीं अन्य सभी त्राटक किसी न किसी अनुभव से जुड़े है।

इसलिए अगर बात करे इस त्राटक की तो इसमें हमें आध्यत्मिक अनुभव और चमत्कार देखने को मिल सकते है। जैसे की आज्ञा चक्र जागरण, काल ज्ञान और सद्गुरु का मार्गदर्शन। कुछ अनुभव के अनुसार इस अभ्यास द्वारा उन्होंने अपने आराध्य के साक्षात् दर्शन किये है।

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गुरु की प्रतिमा और अभ्यास का उदहारण

आपको महाभारत काल के एकलव्य का किस्सा तो याद हो होगा। उस दौरान एकलव्य ने भी गुरु मूर्ति या आराध्य देव की प्रतिमा की स्थापना कर अभ्यास में सफलता प्राप्त करने की कोशिश की थी।

उस अभ्यास का महत्व था अपने आप को उस प्रतिमा के प्रति समर्पित करना और अपने अभ्यास को लेकर निश्चित रहना की उसके साथ उसके गुरु है। प्रतिमा पर अपनी आस्था रखने का मतलब है की हम अपनी आस्था अपने संस्कार और आचरण में बदलाव ला रहे है।

किसी से जुड़ने का सबसे अच्छा माध्यम है आराध्य की प्रतिमा। देव पूजन और प्रतिमा स्थापना शायद इसी का परिणाम हो। गुरु मूर्ति त्राटक साधना इसी तरह का अभ्यास है.

गुरु मूर्ति त्राटक जुड़ी ये सब जानकारिया बाह्य माध्यम से प्रभावित है जिसमे कुछ बुक्स और लेख शामिल है अतः इस अभ्यास से जुड़े वास्तविक अनुभव अभी तक सही तरीके से शेयर नहीं किये जा सके है।

कोशिश की गयी की आपको ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिलती रहे इसलिए अगर आपको लगता है की पोस्ट में कुछ सुझाव है जो जोड़े जा सकते है तो अपने सुझाव जरूर दे। धन्यवाद इसी तरह सच्ची-प्रेरणा से जुड़े रहिये।

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