आपने परियो के बारे में बचपन की कहानियो में खूब पढ़ा होगा. परियां हकीकत में होती है या नहीं इसका वैज्ञानिक सबूत तो नहीं है लेकिन इस्लाम में इस spiritual powers का जिक्र जरुर होता है.
जिस तरह हिन्दू धर्म में यक्षिणी, पिशाचनी जैसी शक्तियां होती है ठीक वैसे ही इस्लाम में परी का जिक्र है. इन सब में नील परी साधना का अमल बहुत शक्तिशाली माना जाता है क्यों की ये बहुत बड़ी मायावी शक्ति है.
परी साधना भी भौतिक सुख सुविधा के मकसद से की जा सकती है या फिर किसी तरह की गुप्त जानकारी को जानने के लिए.
अगर आप ये अमल करना चाहते है तो इन शक्तियों के स्वरूप का ध्यान करना आवश्यक है. परा शक्ति की साधना से पहले स्वरूप ध्यान एक आवश्यक प्रक्रिया है जो साधना में दिशा प्रदान करती है.
अगर आप परी साधना को बहन स्वरूप में करते है तो शक्तियां आपको उसी स्वरूप में मिलती है.
परी साधना जल्दी result तो देती है लेकिन ये साधक की परीक्षा भी लेती है. इसके अलावा कई परी की साधना है जिनके बारे में बात करेंगे फिलहाल आइये जानते है लील परी साधना के अमल के बारे में.
नील परी साधना का अमल
नील परी साधना के बारे में ज्यादा कुछ वर्णन नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है की ये शक्ति सबसे ज्यादा मायावी है.
नील परी का वास एकांत जगह में होता है या फिर मसान के पास किसी झाड़ के पौधे में. नील परी साधना का अमल बहुत जल्दी result देता है जिसकी वजह से लोगो में इसका क्रेज भी बहुत है.
लील परी जिस साधक को सिद्ध हो जाती है उसे किसी चीज की कमी नहीं रहती है. जो भी साधक सोचता है वो उसे मिल जाता है. लीलपरी साधना का अमल निम्न है.
विशमिल्लाहररहमान नीररहीम लाय जल्ललिलहालेवक्ताइल्लाहू
इस नील परी साधना का अमल का प्रयोग कुल 41 दिन का है और विधि इस्लामिक इसलिए ये साधना करने से पहले वासनाओं के जाल से बाहर निकल ले.
अगर आप किसी तरह के गलत विचार के साथ इस अमल की शुरुआत करते है तो आपको result नहीं मिलेंगे.
बेहतर होगा की साधना से पहले ही आप लील परी को बहन स्वरूप में ध्यान कर ले. आइये जानते है इस अमल के बारे में और इसे करने के लिए किन किन साधन की जरुरत होगी इसके बारे में.
परी साधना विधि
एकांत जगह पर एक सफ़ेद कपड़ा जो सवा हाथ चौड़ा ढाई हाथ लम्बा हो उसको बिछाए. तहमद, गंजी और मस्तक पर टोपी पहन ले.
रात के ठीक 8 बजे पूर्व की ओर मुह करके बैठ जाए. साधना के पहले दिन गुलाब के इत्र का फ़ोआ, एक लगा हुआ मीठा पान जिसके साथ लौंग लगा हो, इसके अलावा एक सफ़ेद फूल, एक वृक्ष की डाली, पानी का लोटा और लोबान धूप जैसी वस्तुए साधक को अपने पास रखनी है.
इस नील परी साधना का अमल को करने के लिए 101 मोती की माला का होना आवश्यक है. जब आप साधना की शुरुआत करे तभी आपको संकल्प लेना होता है की आप लीलपरी की साधना को बहन के स्वरूप में कर रहे है जिसमे वासना नहीं है.
इसके बाद जब शुरू करे तब आपको एक बार विशमिल्लाहररहमान का नाम लेकर इस साधना को करना है.
ये साधना कुल 41 दिन की है और हर रोज लगभग 1 घंटे 45 minute तक करना है. एक ही आसन पर बैठ कर साधना को पूर्ण करना है और नियम से इस साधना को पूरा करे.
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साधना से जुड़ी कुछ जरुरी बाते
चूँकि ये नील परी साधना का अमल 41 दिन की है और इस्लामिक साधनाओ में नियम का पालन करना साधना की सफलता के लिए बेहद जरुरी होता है इसलिए आपको इस साधना में कुछ जरुरी बातो पर ध्यान देना होगा जैसे की
- इस साधना के दौरान जितना हो सके एकांत वास रखे.
- खान पान में लहसुन प्याज और मादक पदार्थो का सेवन बंद कर दे.
- रजस्वला स्त्री से दूर रहे और इनका बना खाना भी ना खाए. हो सके तो साधना काल में अपना खाना खुद ही बना ले.
- साधना के दौरान तेल का दीपक पास में जलाना है.
- साधना की शुरुआत से पहले ही परी के स्वरूप का आवाहन किस रूप में करना है ये तय कर ले.
इन सभी बातो का ध्यान रखना साधना में सफलता के लिए बेहद जरुरी है.
अगर आप नील परी साधना का अमल से पहले ये नहीं करेंगे तो साधना के दौरान आपके मन में अश्लील विचार आने शुरू हो जाते है जिसकी वजह से साधना के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
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परी साधना करना इतना खास क्यों है ?
आज अगर आप देखेंगे तो पाएंगे की ज्यादातर साधनाओ में अप्सरा, परी और यक्षिणी जैसी साधनाओ का लोगो में बहुत ज्यादा क्रेज है.
इसकी वजह लोगो की अपना भोग और वासना की प्रवृति है. उन्हें लगता है की इन साधनाओ को करने के बाद मौज की मौज और किसी चीज की कमी नहीं रहेगी.
इस चक्कर में वे साधना से पहले ये तय करना भूल जाते है की वे साधना किस स्वरूप में कर रहे है.
एक सामान्य साधक इन्सान को इन पराशक्ति के साथ सम्बन्ध रखने की सोच भी मन में नहीं लानी चाहिए. कर्ण पिशाचनी साधना में भी साधक को स्वरूप कल्पना कर लेनी चाहिए और इस शक्ति को माँ स्वरूप में ध्यान करना चाहिए.
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नील परी साधना का अमल अंतिम विचार
अगर आप परा शक्ति की साधना कर रहे है तो आपको इसके बारे में आवश्यक जानकारी जुटा लेनी चाहिए.
जितना सही knowledge आपको साधना का होगा उतना ही इसके सफलता के chance बढ़ जाते है. नील परी साधना का अमल को मायावी साधना कहा जाता है क्यों की सिद्ध होने से पहले ये परी अपने साधक की परीक्षा भी लेती है.
ऐसी स्थिति में आप तभी टिके रह सकते है जब आपके मन में कोई विकार ना हो.
नील परी साधना का अमल को साधक की तरह करे ज्ञान के लिए ना की किसी लालच को माध्यम बनाकर. नील परी साधना का अमल से जुड़े किसी सवाल के लिए कमेंट में सवाल कर सकते है.