मैडिटेशन करते हुए लम्बे समय के बावजूद हम दिव्य अनुभव क्यों नहीं कर पाते है। ऐसी क्या वजह है जो ध्यान में असफलता के कारण बनती है। क्या आपने कभी ऐसी समस्या से जुझा है की आप नियमित ध्यान कर रहे है फिर भी आपको कोई अनुभव नहीं होता।
ध्यान में आगे न बढ़ पाने के कारण कई है लेकिन सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात है सोशल मीडिया से जुड़े रहना। दिनभर हमारा दिमाग इधर उधर की फालतू बातो में वो एनर्जी खो देता है जो ध्यान के जरिये हम पाते है। Top reason why we can’t get success in meditation?
ध्यान में आप fail क्यों हो जाते है इस बारे में इस पोस्ट में कुछ विचार शेयर किये गए है. उम्मीद है आपको कुछ सोच विचार करने को मिलेगा.
ये पोस्ट नीरज मित्तल सर की है जिसमे आपकी दैनिक दिनचर्या में से आपको होने वाले नुकसान का जिक्र किया है।
इस पोस्ट में वह गलतियॉ बताई गयी है जिनको करते रहने पर हम ध्यान में कभी आगे नही बढ सकते या यदि हम आगे बढ चुके है तो इनको करने पर हम नीचे गिर जायेंगे.
ध्यान में हमें आध्यात्म के राह पर आगे बढ़ना है तो इन गलतियों को सुधारना होगा. ये वो गलतिया है जो आज हम सबसे ज्यादा दोहरा रहे है.
ध्यान क्या है। इसकी विधियॉ क्या है और ये कैसे काम करता है।
इसको जानने से पहले हमे ये जानना आवश्यक है कि meditation में हम क्या mistake करते है जिसकी वजह से हमें इसमें sucess नही मिलती। यदि शुरुआती ध्यान में असफलता के कारण पर गौर कर ले तो इससे छुटकारा पा सकते है।
हम different type of meditation technique की बात तो दिन भर करते है मगर ध्यान के साथ अन्जाने में की जाने वाली गलतियों की तरफ हमारी नजर नही जाती।
तो आइये जरा एक नजर डाल लेते हे उन गलतियों पर। इसके अलावा अन्य बहुत सी गलतियॉ है जिनका जिक्र इस पोस्ट में करना रह गया होगा उनको खुद ही समझने का प्रयास करे व कमेण्ट बाक्स में नीचे लिखे। उनको भी पोस्ट में शामिल किया जायेगा जिससे कि साधकों को अपनी कमी को पहचानने में मदद मिल सके।
अधिकतर साधकों को शिकायत है कि वो एक दो महीने से ध्यान कर रहे है कोई दस पॉच साल से ध्यान कर रहे है और कुछ उससे भी ज्यादा समय से कर रहे है मगर उनको कोई सफलता नही मिली। जबकि वेा काफी प्रयास कर रहे है। दिन रात प्रयास कर रहे हैै कभी कुछ कभी कुछ।
अपने मन को नियंत्रण में करने के लिये वो हर समय कोई ना कोई विधि अपनाते रहते है मगर नतीजा वही जीरो। आइये बात करते ध्यान में असफलता के कारण जिनकी वजह से एक साधक आगे नहीं बढ़ पाता है।
ध्यान में असफलता के कारण
हम ध्यान तो रोज कर रहे है पूरी मेहनत से कर रहे है मगर उसके साथ हम कुछ ऐसी गलतियों को लेकर चल रहे है जिनके होते ध्यान में सफलता तो क्या प्रारम्भिक अनुभव होना भी असम्भव है। हम ध्यान की तमाम विधियों को जान लेते है उनके आधार पर ध्यान शुरू कर देते है।
एक विधि से कुछ हासिल नही हुआ तो दस दिन में दूसरी आजमाने लगे फिर उससे कुछ हासिल नही हुआ तो तीसरी करने लगे। इन सबसे कुछ हासिल नही होगा। हो सकता है कि आप हर विधि पर ध्यान एकाग्र ना कर पाये तो दूसरी आजमा लीजिये।
मगर ये ध्यान रखिये कि यदि ध्यान के नियमों के अनुसार अभ्यास नही करेंगे तो असफलता ही हाथ लगेगी। नियमों के साथ यदि अभ्यास करने पर आपको सफलता नही मिलती तो आप दूसरी विधि का चुनाव करें।
वैैसे तो ध्यान की 125 से ज्यादा विधियॉ है मगर उसमें सबसे आसान व शीघ्र सफलता दिलाने वाली विधि केवल दो तीन ही है। आप ये बिल्कुल ना समझना कि मुश्किल विधि से ज्यादा लाभ होगा। किसी विधि का कोई महत्व नही है हमको तो केवल किसी विधि का प्रयोग करके अपने मन में चलने वाले विचारों को कम करना होता है।
निरन्तर अभ्यास से विचार कम होते होते लगभग समाप्त हो जाते है। मगर ध्यान में बहुत कोशिश् करने पर भी हमारे विचार समाप्त नही हो पाते। ध्यान से हमारे विचार तो समाप्त होते है मगर हम ध्यान से उठने के बाद उनको फिर झिंझोडना शुरू कर देते है और ध्यान से प्राप्त एनर्जी को फिर से बेकार के कामों में खर्चा कर देते है।
ध्यान में असफलता के कारण कॉमन गलतिया
जब हम ध्यान मे बैठते है तो हमारा मन शांत भी हो जाता है अक्सर हम उससे उठने के बाद अपने को बहुत शांत व ऊर्जा वान महसूस करते है। मगर फिर हम अपने दिमाग को चलाने लगते है कभी टी वी कभी रेडियों कभी फेसबुक।
ये ध्यान रखिये कि आधे एक घण्टे की फेसबुक साधना हमारी दो तीन घण्टे की ध्यान साधना से एकत्र की हुई पूरी एनर्जी पी जाती है। तो जो लोग दिन भर फेसबुक में लगे है वो साधना में किसी प्रकार की सफलता की उम्मीद ना करे। सेैकडो लोग मुझसे इनबाक्स मे बात करते है अपने आगे ना बढने का कारण पूछते है।
मै उनसे सवाल जवाब करके उनको उनकी कमियॉ समझाता हॅू। अधिकतर लोगों के पास यही समस्या है कि वो दिन रात फेसबुक साधना में लगे है ओर फेसबुक में दिन रात घूमते हुये ही हजारों तरह की शक्तियॉ व सिद्धियॉ प्राप्त करना चाहते है।
उनको ये सब करते हुये इस जनम मे कुछ नही मिलना!! मेने सैकडो लोगों से कहा कि फेसबुक में जब तक लगे रहोगे तब तक ध्यान में कुछ नही मिलना।
तो उन सब ने छूटते ही कहा कि तुम खुद भी तो यही कर रहे हो। मेने कहा कि मै खुद यही कर रहा हॅॅूू तो मै अपनी गलती ताे मानता ही हॅूू और इस दशा में मै परेशान नही हॅूू कि मुझे कुछ मिल जाये।
social media nothing but all energy waste
मे जानता हॅू कि फेसबुक मेरी एनर्जी को वेस्ट कर रहा है और इसको इसतेमाल करते हुये मै आगे नही बढ सकता।। जो आदमी अपनी गलती को पहचानना उसको दूर करना नही चाहता वो कभी कुछ नही पायेगा। वाे केवल सपनों मे ही जीता रहे।
सपने देखने में पैसे नही लगते और ना कुछ करना पडता है। याद रखिये कि जो बात आपका ध्यान अपनी तरफ बार बार खीचे। समझ लीजिये कि वो आपकी सबसे बडी बाधा है ध्यान की सफलता में। जब तक हम फालतू के कामों में अपनी एनर्जी खर्चा करते रहेंगे तब तक ध्यान साधना में एक कदम नही चल सकते।
यदि आप दिन रात फेसबुक पर पोस्ट करते रहते है कि इसने ये किया उसने वो किया राहुल गांधी ने ये किया इन्दिरा गांधी ने वो किया मोदी ने ऐसा किया कलाम ने वेैसा किया।
तो आप अध्यात्मिक आदमी नही है। अध्यात्म हमको ये देखना नही सिखाता कि किसने क्या किया। अध्यात्म तो हमको ये देखना सिखाता है कि हमने क्या किया। यदि आप ये नही देख पा रहे कि आपने क्या किया तो आप अध्यात्मिक नही है।
सोशल मीडिया और आपके विचारो पर इसका प्रभाव
अधिकतर लोगों को एक पोसट सबसे अच्छी लगती है कि गो माता के हत्यारों को फांसी दो। क्यों भाई क्या गो माता में ही जान होती है। भैंस बकरे मुर्गे आदि पशुओं में जान नही होती? तुम सच्चे अध्यात्मिक आदमी हो। गाय का दूध पीते हो उससे फायदा उठाते हो तो वो माता दिखने लगी।
भैंस के चमडे का जूता बेल्ट अपने शरीर मे रात दिन लटकाये घूमते हो इसी लिये उसके जान की दुहाई नही देते क्योकि ऐसा करके तुम्हारा नुकसान हो जायेगा। हम समानता के आधार पर ना करके अपने स्वार्थ के आधार पर किसी चीज का महतव निश्चित कर लेते है। शायद अपने आप को धोखा देने के रास्ते ढूढने में हम माहिर है।।
जीवों की जान में भी फर्क कर रहे हो हिन्दु मुसलमान में फर्क कर रहे हो। मुसलमान ने ये किया हिन्दू ने ये किया। हमारा धर्म महान है उसी ने पूरी दुनिया का साइंस बनाया बाकी सारे धर्म बेंकार है। अरे भाई हमारे धर्म ने दुनिया को सब दिया तो अब ये इतनी निम्न अवस्था मं क्यों पहुच गया।
शायद झूठे अहंकार की वजह से। ओर अब हम फेसबुक पर दिन रात एक दूसरे के खिलाफ जहर उगल कर कोन सी देश भक्ति वा देश का भला कर रहे है। अभी जितना हम गिरे है उससे और अधिक गिरना बाकी है। क्या धर्म के नाम पर जहर उगलना ही धर्म या अध्यात्म है।
अब दूसरे धर्म का विरोध ही हिन्दू धर्म का सिम्बल बन गया है।हमे अपने धर्म से कोई प्रेम नही है बल्कि हम अपने को धार्मिक, सिर्फ दूसरे धर्म का विरोध करके ही समझते है।
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ध्यान में असफलता के कारण – अंतिम शब्द :
ध्यान में असफलता के कारण में सबसे बड़ी वजह मीडिया से चिपके रहना है जिसकी वजह से हमारी सारी एनर्जी ख़त्म हो जाती है।
हर साधना में कुछ नियम होते है और ध्यान की प्रक्रिया कही पर भी की जाने वाली है लेकिन इसमें आपको सोशल मीडिया और दुसरो से जल्दी प्रभावित होने से बचना चाहिए।
आपको इस आर्टिकल में कुछ सुझाव देना है या ध्यान को लेकर अपने अनुभव शेयर करना है तो कमेंट बॉक्स में जरूर करे।
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