छिपे हुए तनाव के बारे में हम पहले ही काफी कुछ पढ़ चुके है. व्यक्ति जब अकेला होता है तब Unwanted intrusive thoughts की वजह से stress and depression होना आम बात है. ज्यादातर high and low depression level की वजह दिमाग पर लगने वाली चोट को माना जाता है.
अगर किसी व्यक्ति को दिमाग में चोट लगी है और वो लम्बे समय से तनाव की स्थिति से गुजर रहा है तो इसके लिए Different brain network जिम्मेदार हो सकते है.
तनाव के अलग अलग स्तर से जुड़े ये नेटवर्क एक हिस्से में High Depression level लिए हुए है तो दूसरे हिस्से में Low depression level हो सकता है. इस तरह की खोज के जरिये mood disorder को आसानी से समझा जा सकता है.
अगर आप तनाव से गुजर रहे है तो इस बात की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है की दिमाग के अलग अलग हिस्सों में high and low depression level एक साथ मौजूद हो.
ब्रेन में डिप्रेशन के स्थान के बारे में पता लगाने के लिए पहले भी कई रिसर्च और स्टडी होती रही हैं.
मस्तिष्क में अवसाद के स्थान का पता लगाने के लिए न्यूरोइमेजिंग, न्यूरोसाइकिएट्रिक और ब्रेन स्टीमुलेशन का अध्ययन किया जाता रहा है.
न्यूरोइमेजिंग अध्ययनों को अब तक प्रभावी माना गया है. हालांकि मस्तिष्क के कई क्षेत्रों में बार-बार डिप्रेशन को जांचा गया है, लेकिन अब तक कोई सही निष्कर्ष नहीं मिल पाया है.
What is high and low depression level in Hindi
इंसानी मस्तिष्क 2 हिस्सों में बंटा हुआ है. दिमाग का एक हिस्सा Creativity से जुड़ा है तो दूसरा हिस्सा logical तरीको पर काम करता है. अब तक की स्टडी के अनुसार हम सिर्फ तनाव को समझ रहे थे.
नयी रिसर्च के अनुसार हमारे मस्तिष्क के 2 अलग हिस्से में एक ही समय पर high and low depression level हो सकता है. ऐसी स्थिति में हम Mood disorder को बेहतर समझ सकते है.
ये रिसर्च दिमाग के दोनों हिस्सों में मौजूद अलग अलग स्तर के तनाव को समझते हुए उसके Solution पर काम करता है.
brain के उस खास हिस्से को समझ लिया जाए तो पार्किंसंस डिजीज और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का न्यूरोसाइकिएट्रिक अध्ययन को समझना आसान हो जायेगा. इससे मेडिकल साइंस में दिमाग से जुड़ी बीमारियाँ खासकर तनाव से जुड़ी समस्याओ को सुलझाने में आसानी होगी.
न्यूरोट्रांसमीटर के न्यूक्लियस महत्वपूर्ण होते हैं क्यों की तनाव के समय ये असामान्य रहते है. ब्रेन इमेजिंग अध्ययनों में विभिन्न कॉर्टिकल, सबकोर्टिकल और ब्रेन स्टेम क्षेत्रों में असामान्य सक्रियता या मेटाबोलिज्म दिखाया गया है.
high and low depression level के अलग अलग शोध के निष्कर्षों के आधार पर यह माना गया कि डिप्रेशन की गुणवत्ता पर दवा, नशा किये जाने वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल भी प्रभावित करता है.
ब्रेन के अलग अलग नेटवर्क पर हाई और लो डिप्रेशन लेवल की स्टडी Deep brain stimulation की effective study के लिए उम्मीद जगाती है. इससे ब्रेन स्थित अवसाद के स्थान और कारणों का और अधिक पता चल सकेगा.
क्या है यह नई स्टडी
US की Lova Health Care ने 526 रोगियों पर लंबे समय तक एक Research की. उन्हें stroke या किसी खास trauma के कारण Brain injury हुई थी. इसके आधार पर रोगियों का एनालिसिस किया गया और Depression level मापा गया.
शोधार्थियों ने पाया कि ब्रेन का एक हिस्सा High Depression level को शो कर रहा था, तो दूसरा हिस्सा Low depression level को शो कर रहा था.
ब्रेन का जो हिस्सा हाई डिप्रेशन लेवल से जुड़ा था, वह Task orientation, attention, emotion को भी affect कर रहा था.
वहीं जो लो डिप्रेशन लेवल से जुड़ा था, वह व्यक्ति के पूछताछ और जांच आदि के कार्यों और अपने बारे में सोचने से जुड़ा हुआ पाया गया.
High and low depression level की इस तरह की स्टडी के जरिये दिमाग के उस खास हिस्से को समझना आसान हो जाता है जो तनाव से जुड़ा है.
अब तक हम सिर्फ बीमारी के लक्षण के आधार पर इसके solution देख रहे थे लेकिन, अब हम दिमाग के अलग अलग हिस्से और उससे जुड़ी गतिविधि के आधार पर समाधान करने की कोशिश करेंगे.
ये किसी भी बीमारी को सटीकता से समझने में भी help करने वाला है.
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बीमारी का सटीक पता लगाना क्या वाकई ये संभव हो सकता है?
ब्रेन में डिप्रेशन के स्थान के बारे में पता लगाने के लिए पहले भी कई रिसर्च और स्टडी होती रही हैं. मस्तिष्क में अवसाद के स्थान का पता लगाने के लिए न्यूरोइमेजिंग, न्यूरोसाइकिएट्रिक और ब्रेन स्टीमुलेशन का अध्ययन किया जाता रहा है.
न्यूरोइमेजिंग अध्ययनों को अब तक प्रभावी माना गया है. हालांकि मस्तिष्क के कई क्षेत्रों में बार-बार डिप्रेशन को जांचा गया है, लेकिन अब तक कोई सही निष्कर्ष नहीं मिल पाया है.
अलग अलग रिसर्च में परिणाम अलग मिले है जिसकी वजह दिमाग के हर हिस्से में लगातार हो रही हलचल है. हमारा brain हमेशा एक जैसी स्टेट में नहीं रहता है. brain के अलग अलग हिस्से को प्रभावित करने वाले फैक्टर भी इसमें अहम् रोल निभाते है.
High and low depression level का एक साथ होना संभव है और ये आपके दिमाग के दोनों हिस्सों को अलग तरीके से प्रभावित करता है. हालाँकि इसे समझकर हम इसे प्रभावित करने वाले फैक्टर के जरिये सही भी कर सकते है.