क्या आपने कभी त्राटक के दौरान बिंदु का एक से अनेक हो जाने का अनुभव किया है ? त्राटक के अभ्यास में आगे बढ़ने पर एक स्टेज ऐसी आती है जब हमें बिंदु बोर्ड के मध्य ना होकर अपनी जगह से बाए या दाए मूव होता हुआ महसूस होने लगता है.
इस दौरान आपके मन में हलचल होना भी शुरू हो जाती है और आप जिस मकसद के लिए त्राटक कर रहे है उसे साकार हुआ कल्पना में महसूस करने लगते है.
इस स्थिति से बाहर आने पर आपको लगता है जैसे आप कोई सपना देख रहे थे और ये स्थिति कुछ minutes से लेकर आधे घंटे तक की भी हो सकती है.
इस स्थिति को त्राटक में कल्पनाओ का जाल के नाम से जाना जाता है और आपको इससे बचना चाहिए क्यों की ये सफलता का नहीं असफलता का संकेत है जो आपके अभ्यास की गति को रोक देता है.
त्राटक में हम काफी सारे अनुभव करते है उन्ही में से एक है बिंदु का अपना जगह से हट जाना.
जैसे एक शराबी को कोई चीज घुमती हुई या दाए बाये मूव होती हुई महसूस होने लगती है ठीक उसी तरह त्राटक में इस तरह का अनुभव होता है.
अगर त्राटक में आपको लगे की आप जिस मकसद से अभ्यास कर रहे है वो पूरा हो रहा है तो संभल जाइये क्यों की अभ्यास पूर्ण होने से पहले इस तरह का अहसास आपको निचे ला सकता है और आपके अभ्यास को फ़ैल कर सकता है.
त्राटक में कल्पनाओ का जाल की ये पोस्ट पढ़े समझे और अपने अनुभव शेयर करे.
क्या है त्राटक में कल्पनाओ का जाल ?
त्राटक करने के दौरान बोर्ड पर हमारी आँखे खुली है और हम खुद की कल्पनाओ को साकार होता हुआ कल्पना करे जैसे की मेरी आँखों में सम्मोहन शक्ति पैदा हो गई है और अमुक मेरी आँखों में देखते ही वश में हो रहा है, मै दुसरो को आसानी से प्रभावित कर रहा हूँ और लोग मेरा कहना मान रहे है.
जब ऐसा एक फिल की तरह आपके मन में चलना शुरू हो जाए तो समझ ले की आप त्राटक में कल्पनाओ का जाल बन रहे है. ऐसा होना आपकी सफलता का नहीं नाकामयाबी का शुरुआती संकेत है.
पीछे की पोस्ट में हमने पढ़ा था की त्राटक में भावना शक्ति कैसे काम करती है लेकिन वो चेतन स्तर पर था.
यहाँ अभ्यास अवचेतन मन के स्तर का है इसलिए यहाँ सिर्फ आपके मस्तिष्क की शून्यता ही आपके subconscious mind को activate कर सकती है.
इस बात को लेकर ग़लतफ़हमी न पाले की त्राटक में भावना दे या नहीं लेकिन, जब भावना की बजाय आपके दिमाग में सबकुछ साकार रुप में महसूस होने लगता है तो आपको इससे बचना चाहिए.
भावना सिर्फ एक spontaneous thought है जबकि कल्पनाओ का जाल आपके अवचेतन मन द्वारा बनाया हुआ एक भ्रम है जिसमे आप फंस जाते है. आइये जानते है इसके बारे में और कैसे बचे इससे.
Trataka करते समय बिंदु का दो भाग में बंट जाना
त्राटक के अभ्यास में जब बिंदु चमकीला हो जाता है तो अभ्यास को आगे बढाते रहने के बाद एक स्टेज ऐसी आती है जब बिंदु / शक्ति चक्र हमें हिलता हुआ दिखाई देता है. बिंदु या शक्ति चक्र में ये कम्पन हमारे मन की अस्थिरता को दर्शाता है.
हर कोई इस अवस्था से गुजरता है मै भी गुजर चूका हूँ और सबसे खास बात तो ये है की ज्यादातर लोग इस स्टेज में ऐसे फंसते है की बाहर ही नहीं निकल पाते है. इसे आप कल्पनाओ का भटकाव भी कह सकते है.
इस अवस्था में हमारे अन्दर कल्पनाए अपने आप चलने लगती है और सामने बोर्ड में बिंदु या शक्ति चक्र या त्राटक के वो पॉइंट जिस पर हम concentration करते है उसका एक से अनेक होना दिखने लगता है.
बिंदु का मुख्य स्थान से दाए या बाए दिखाई देना जैसे किसी शराबी को दिखाई देता है आपके इस स्टेज में दर्शाता है आपके अन्दर दबी हुई इछाओ को.
अगर आप त्राटक में कल्पनाओ का जाल के अन्दर फंस कर रह गए तो आप इससे जल्दी बाहर नहीं निकल पाओगे.
त्राटक में कल्पनाओ का जाल – बिंदु में विभाजन
त्राटक के समय जब हम सफलता की और अग्रसर होने लगते है तब ऐसा होना हमारी असली परीक्षा होती है.
जब मैंने ये अभ्यास किया था तब मुझे साधना में बैठते ही कुछ देर बाद ही बिंदु अपने स्थान से हिलता हुआ दिखाई देने लगता था. कभी ये दाए तो कभी बाए स्थान पर दिखने लगता था.
इसके साथ ही मेरा मन जो अभी तक शांत था अचानक कल्पनाए ऐसी चलने लगती की अभ्यास के आधे घंटे बाद मुझे होश आता की मेरा ध्यान तो साधना में था ही नहीं, खुली आँखों से जैसे सपना देख रहा हो.
एक से अनेक बिंदु का त्राटक के दौरान दिखने का मतलब
त्राटक के अभ्यास की तरह एक अभ्यास होता है मन के वाइब्रेशन यानि कम्पन को स्थिर करने के लिए मानसिक बल द्वारा किया जाने वाला एक अभ्यास जिसमे आपको एक ऐसे बोर्ड पर त्राटक करना होता है जिसमे देखने के कुछ second बाद ही vibration होने लगता है.
कुछ तस्वीर जिन्हें जब ऊपर निचे कर देखा जाता है तो उनमे गति / movement होती हुई महसूस होती है.
इसका सबसे ज्यादा प्रयोग लोगो को lucid state में ले जाने में किया जाता है.
इस बोर्ड की खासियत ये है की इस पर अभ्यास किया जाता है सिर्फ आपके अन्दर की हलचल की शांत करने के लिए, हालाँकि ये एक advanced practice है जिसमे काफी समय और धेर्य की आवश्यकता होती है.
अगर आपका मन ज्यादा अशांत रहता है तो आप इसका अभ्यास कर सकते है लेकिन बिना expert guide के इसे न करे क्यों की मानसिक थकावट और अधूरी जानकारी से आपको mentally illness यानि side effect से गुजरना पड़ सकता है.
जब आपको बोर्ड पर बिंदु स्थित न दिखाई दे और उसमे कम्पन होने शुरू हो जाते है तब आपका अभ्यास पूरी तरह मानसिक शक्ति की परीक्षा बन जाता है.
बिंदु कभी दाए तो कभी बाए कुछ इस तरह गति करता है जैसे किसी में कम्पन हो रहे हो. इस समय आपको मानसिक थकावट और कल्पनाओ में खो जाने जैसे अनुभव होने लगते है.
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त्राटक में कल्पनाओ का जाल का अनुभव क्यों होता है ?
ऐसे होने के पीछे की सबसे बड़ी वजह हो सकती है अभ्यास के पीछे की इच्छाए, साधना में भी आपको ऐसा महसूस होता है की आपकी इच्छाए पूरी हो रही है लेकिन वास्तव में नहीं. आप अपने अभ्यास को स्थिरता से पूरा न कर पाए इस वजह से ऐसा होता है.
कल्पनाओ और अधूरी इछाओ का ऐसा जाल जो आपको अहसास करवाता है की आपका काम बन रहा है और जिस मकसद से आप अभ्यास कर रहे है वो पूरा हो गया है, जब आपको ये अहसास होने लगता है तो आपका अभ्यास शिथिल पड़ जाता है और आप साधना अभ्यास में ढीले पड़ जाते है जिससे आपकी गति / उन्नति रुक जाती है.
कल्पनाओ का जाल क्या है और कैसे काम करता है ?
हमारा अवचेतन मन एक रहस्यमयी मायाजाल की तरह है, इसकी शक्तिया असीमित होने के बावजूद चेतन मन से कण्ट्रोल होती है. अगर इसे आजाद कर दिया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं. हमारा मन हमारी अधूरी इछाओ को पूरा होने का अहसास करवाता है ताकि हम खुद को परेशान करना बंद कर दे.
मान लीजिये आप दिन में किसी ऐसी चीज को देखते है जो आप खरीद नहीं सकते लेकिन आपको पसंद आ जाती है. आपका अवचेतन मन उसे समझ लेता है और जब आप सो जाते है तो वो आपको ऐसा सपना दिखाता है जिसमे वो चीज आपके पास ही होती है.
अधूरी इच्छाए जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है लेकिन हमारे बस के बाहर होती है अवचेतन मन द्वारा कल्पनाओं के जाल के जरिये पूरा कर दिया जाता है.
जिस तरह से हम सपने देखते है ठीक उसी तरह अवचेतन मन द्वारा आजाद होने से पहले इस तरह के क्रिया करते हुए महसूस किया जा सकता है.
आप त्राटक कर रहे है सम्मोहन के लिए, आकर्षक बनने के लिए या फिर खुद में किसी तरह के बदलाव के लिए और जब आप सफलता के नजदीक होते है आप कुछ समय के लिए अभ्यास के बिच में महसूस करने लगते है की आप उसमे कामयाब हो गए है.
ये कल्पनाए कुछ minutes से लेकर आधे घंटे तक एक सपने की तरह हो सकती है.
त्राटक में कल्पनाओ का जाल से कैसे बचे
मन को हम गाइड तो कर सकते है लेकिन कल्पना के मायाजाल में से निकलना एक बेहद मुश्किल काम होता है.
जिस काम के लिए हम अभ्यास कर रहे है अगर उसकी सफलता के हमें अहसास होना शुरू हो जाए तो मन में ख़ुशी होती है लेकिन उसमे फंस जाने के बाद आपका अभ्यास वही रुक जाता है.
अगर आप इस स्टेज में फंस रहे है और आपको भी कुछ इस तरह के अनुभव हो रहे है फिर चाहे वो कोई भी त्राटक क्यों न हो तो निचे दिए कुछ tips को follow करे.
- practice शुरू करने से पहले कभी भी दिमाग में इस बात को हावी न होने दे की आप ये सब किस लिए कर रहे है.
- जब अभ्यास में बैठे तो सांसो को न्यूनतम होने तक अभ्यास शुरू न करे बस आँखे बंद कर बोर्ड के सामने बैठे रहे.
- मन को आजाद करना शुरू कर दे लेकिन जब भी आपको लगे की आपका अभ्यास आपको सफल होने के संकेत दे रहा है तो उनमे उलझे नहीं, एक फिक्स टाइम बाद आँखे झपकाना शुरू कर दे. इससे आपकी कल्पनाए रुक जाएगी और अंतर्मन पर फोकस होना शुरू हो जाएगी.
- कल्पनाओ का जाल कई बार लम्बा चलने लगता है इसलिए इसका अभ्यास उस समय बिलकुल ना करे जब आप तुरंत उठे ही हो, कम से कम आधा घंटा बाद करे ताकि आपका चेतन मन जाग्रत हुआ रहे.
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त्राटक में कल्पनाओ का जाल – अंतिम शब्द
आज की पोस्ट एक रीडर की request पर मेरे अपने अनुभव के आधार पर लिखी हुई है, हो सकता है आपका अनुभव इससे अलग हो या फिर आपने इसे किसी एनी तरीके से कण्ट्रोल किया हो.
अगर आपने अभ्यास में इस तरह के अनुभव किये है तो हमें कमेंट के माध्यम से जरुर बताए साथ ही आपने उसे कैसे दूर किया ये भी.
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