भौतिक सुख के साथ साथ आध्यात्मिक यात्रा को आसान बनाने वाली एश्वर्य प्रदायक तारा का 1 दिवसीय साधना सिद्धि विधान


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सम्पूर्ण भोग और एश्वर्य प्रदायक तारा साधना 10 महाविधा साधना में से एक है. अगर आप लाइफ में धन की कमी से परेशान है तो आपको ये साधना जरुर करनी चाहिए.

तारा महाविधा साधना की सिद्धि के बाद साधक को धन की कमी नहीं रहती है, उसकी वाणी में एक ओज आ जाता है और लोग बरबस ही उसकी तरफ आकर्षित होना शुरू हो जाते है.

अगर आपका व्यक्तित्व आकर्षक नहीं है तो इस साधना के बाद आपके व्यक्तित्व में काफी बदलाव आ जाता है जो लोगो को अपनी तरफ आकर्षित करता है. 10 महाविधा में से एक होने की वजह से इस साधना का आध्यात्मिक महत्त्व और भी बढ़ जाता है.

न सिर्फ भौतिक बल्कि आध्यात्मिक दुनिया में भी आपको पूर्णता देने वाली ये सबसे महत्वपूर्ण साधनाओ में से एक साधना है. तारा देवी धन की देवी है इसलिए अगर आप धन से परिपूर्ण रहना चाहते है तो आपको इस साधना को करना चाहिए.

यहाँ पर शेयर की जाने वाली सम्पूर्ण भोग और एश्वर्य प्रदायक तारा साधना आप अपने गुरु के आशीर्वाद के बाद घर पर ही कर सकते है.

जहां यह साधना साधक को सम्पूर्ण ऐश्व॑र्य, सौभाग्य प्रदान करने में सहायक है, वहीं ज्ञान, वाणी एवं वाक्‌ सिद्धि में भी यह साधक को पूर्ण सफलता प्रदान करती है.

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एश्वर्य प्रदायक तारा साधना सिद्धि विधान

तारा साधना अति प्राचीन विद्या है, जिसे हमारे पूर्वजों ने तो सिद्ध किया ही है, परन्तु आज भी हजारों साधकों ने इस साधना को सिद्ध कर यह प्रमाणित कर दिया है, कि तारा महाविद्या दस महाविद्याओं में से सर्वश्रेष्ठ एवं शीघ्र फल प्रदान करने वाली देवी है.

तारा महाविधा की सिद्धि कर साधको को विशेष लाभ प्राप्त हुए हैं, क्योंकि तारा साधक को भोग और मोक्ष दोनों ही प्रदान करने में सहायक है.

इसलिए प्रत्येक साधक को चाहिए कि वह इस साधना को गुरु गृह या अपने घर में ही बैठकर अवश्य सम्पन्न करे, क्योंकि यह साधक के लिए अत्यन्त ही महत्वपूर्ण साधना है.

एश्वर्य प्रदायक तारा साधना सिद्धि विधान

जीवन में धन का होना आज की सबसे बड़ी जरुरत बन गई है. बेशक आपको ये कहने वाले हजारो मिल जायेंगे की पैसा सबकुछ नहीं होता है लेकिन, पैसा ही है जो हमारी बेसिक जरूरतों को पूरा कर सकता है.

तारा महाविधा साधना की सिद्धि करने के बाद आपको लाइफ में धन की कमी नहीं रहती है. जिन साधको को अक्सर धन की कमी से जूझना पड़ रहा है और पैसा उनके पास टिक नहीं रहा है तो उन्हें तारा देवी की साधना करनी चाहिए.

तारा देवी साधक को न सिर्फ धन प्राप्ति में सहायक है बल्कि वे भौतिक और आध्यात्मिक दुनिया के हर सुख को साधक के लिए आसान बना देती है.

आप इसे गुरु की इच्छा से घर पर भी कर सकते है और अगर आपके गुरु नहीं है तो इस साधना को आप अपने इष्ट देव या देवी की आज्ञा से शुरू करे.

तारा महाविधा साधना का एक मंत्र जो बेहद कठिन है आप सभी साधक जानते है लेकिन, यहाँ शेयर किये जाने वाला मंत्र साधना आसान है इसलिए इसकी विधि को आप निचे स्टेप से समझे.

एश्वर्य प्रदायक तारा साधना सिद्धि विधान को घर पर पूरा कैसे करे ?

इस साधना को आप किसी रविवार या फिर शुभ महूर्त पर शुरू कर सकते है.

ये एक दिवसीय साधना है जिसे स्त्री या पुरुष कोई भी कर सकता है और दिन या रात का कोई नियम नहीं है इसलिए आप इसे चाहे तो दिन में कर सकते है या फिर रात में अपनी सुविधा के अनुसार संपन्न कर सकते है.

साधक को स्नान कर पीले या गुलाबी रंग के कपड़े धारण करे. इसी रंग का आसन लगाकर उस बैठ जाए और अपना मुह उत्तर दिशा की तरफ कर ले.

अपने सामने बजोट पर गुलाबी रंग का कपड़ा बिछाकर भगवती तारा यंत्र की स्थापना करे. इसके साथ ही अगर आपके गुरु है तो उनका चित्र भी स्थापित कर दे.

चावल की एक ढेरी बनाए और उस पर घी या तेल का दिया जलाए और साथ में एक महाशंख की स्थापना कर दे.

इन वस्तुओ का कुमकुम, अक्षत और पुष्प से पूजन करे और गुरु या इष्ट से साधना की सफलता की प्राथना करे.

एश्वर्य प्रदायक तारा साधना सिद्धि विधान की शुरुआत करने के लिए सबसे पहले तारा देवी का ध्यान करे और 3 बार “ तारायै नमः” का उच्चारण करे और 3 बार जल का आचमन करते हुए जल ग्रहण करे.

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इसके पश्चात् निम्न मंत्रों से निर्दिष्ट स्थानों को स्पर्श करे –

ॐ वैरोचनाय नमः- वदने  | ॐ शंखाय नमः – दक्ष-नासायां

ॐ पाण्डवाय नमः- वाम-नासायां | ॐ पद्म नाभाय नमः- दक्ष नेत्रे

ॐ अमिताभाय नमः- वाम नेत्रे  | ॐ नामकाय नमः- दक्ष कर्णे

ॐ मामकाय नमः- बाम कर्णे  | ॐ तावकाय नमः- नाभौ

ॐ पद्मान्तकाय नमः- वक्षे  | ॐ यमान्तकाय नमः- शिरसि

ॐ विघ्नान्तकाय नमः- दक्ष स्कन्धे | ॐ नरान्तकाय नमः- वाम स्कन्धे

नोट : ये एक आध्यात्मिक क्रिया है जिसे शरीर शुद्धि के नाम से जाना जाता है. ब्राहमण इसे भोजन ग्रहण करने से पहले करते है. हर मंत्र जप के बाद शरीर के अलग अलग हिस्से को स्पर्श किया जाता है.

इस प्रकार आचमन करने से साधक के समस्त पापों का नाश हो जाता है. इसके पश्चात् साधक “कमलगट्टे की माला” से निम्न मंत्र का 21 माला मंत्र जप सम्पन्न करे.

एश्वर्य प्रदायक तारा साधना सिद्धि विधान मंत्र : ॐ ह्रीं त्री हुं फट्

साधना काल में दीपक जलते रहना चाहिए.  मंत्र जप सम्पन्न करने के पश्चात् गुरु आरती कर भोग वितरित करें, तथा तारा यंत्र, माला और शंख को किसी कुंए, नदी या तालाब में विसर्जित कर दें, ये यंत्र, माला और शंख, मंत्र सिद्ध एवं प्राण-प्रतिष्ठित होने चाहिए.

एश्वर्य प्रदायक तारा साधना सिद्धि विधान करने के पश्चात् भगवती तारा अपने भक्त को तारुण्य स्वरूप में दर्शन देती हैं, और जिस इच्छा हेतु वह इस साधना को सम्पन्न करता है, उसमें पूर्णता प्रदान करती हैं.

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एश्वर्य प्रदायक तारा साधना सिद्धि विधान निष्कर्ष

आज के युग में ऐसी कई साधना है जो साधक को धन की प्राप्ति करने में सहायक है. 10 महाविधा में से एक एश्वर्य प्रदायक तारा साधना सिद्धि विधान आपको न सिर्फ भौतिक सुख हासिल करने में मदद करती है बल्कि आध्यात्मिक अनुभव और दूसरी साधना के मार्ग को भी आसान बना देती है.

अगर आप भौतिक सुख सुविधा प्रदान करने वाली सात्विक साधना का उपाय देख रहे है तो आपको तारा महा साधना का अभ्यास जरुर करना चाहिए.

ऐसा माना जाता है की तारा महाविधा की सिद्धि के बाद साधक को किसी भी तरह के भौतिक सुख में कोई कमी नहीं रहती है.

महाविधा की साधना के बाद आप अगर कोई दूसरी साधना करते है तो उसे आपके लिए करना आसान हो जाता है क्यों की माँ तारा का आशीर्वाद और कृपा अब आपके साथ है.

कई बार साधक को प्रत्यक्ष साधना के अनुभव नहीं मिलते है ऐसे में उन्हें निराश नहीं होना चाहिए. ऐसा होने के पीछे कई वजह हो सकती है और ऐसी स्थिति में परेशान होने की बजाय आप फिर से साधना को किसी शुभ महूर्त में दोहरा सकते है.

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