क्या आप विचारमात्र से शरीर और मन को कण्ट्रोल कर सकते है ?


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विचारमात्र से शरीर और मन को कण्ट्रोल करनासुनने में आपको ये मुश्किल लग सकता है और लगे भी क्यों नहीं जिस मन को साधने में हमें सालो लग जाते है फिर भी चाह कर भी पूरी तरह मन को कण्ट्रोल नहीं कर पाते है। क्यों की मन इस संसार में सबसे ज्यादा गतिशील है। सच्ची-प्रेरणा पर आज में आपको बताऊंगा की कैसे हम विचारमात्र से शरीर और मन को कण्ट्रोल करना सीख सकते है। ये अभ्यास थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन लगभग 2 महीने के अभ्यास में ही हमें आश्चर्यजनक परिणाम मिलने लगते है।

हम सभी जानते है की हमारा मस्तिष्क हमेशा विचारो से घिरा रहता है। क्यों की दिनभर हमारे मन में सेंकडो विचार और इच्छाये जन्म लेती है लेकिन क्या वो सभी इच्छाये और विचार पूर्ण होते है ! नहीं ना, इसकी वजह है हमारा सिर्फ सोचना उन्हें पूरा करने का कोई प्रयास नहीं करना। इसलिए व्यक्तित्व निर्माण के लिए आज एक अभ्यास के बारे में जानेंगे जिसे करने के बाद आप ना सिर्फ अपने आप को control कर सकते है बल्कि अपनी ज्यादातर problem solve कर सकेंगे।

हमारा शरीर और मन गतिशील है :

अगर आपने गौर किया होगा तो पाया होगा की हम दिनभर कुछ physical activity ऐसी करते है जिनका हमारे काम से कोई मतलब नहीं होता है। जैसे की पैरो को हिलाना, अंगुलिया घुमाते रहना ये सब हम इसलिए करते है क्यों की हमारा mind अनचाहे विचारो में उलझ जाता है। इसकी बजाय जब आप सिर्फ किसी खास work पर focus करते है तो हम सिर्फ उसी काम में डूबे रहते है और कोई फालतू हरकत नहीं होती है।

हमारा मन गतिशील है लेकिन इससे पहले हमें शारीरिक गतिविधि पर ध्यान देना होगा क्यों की मन को अगर शांत करना है तो हमें शारीरिक activity पर से ध्यान हटाना होगा। आपने देखा होगा किसी भी आसन, pranayama, meditation, त्राटक इन सभी विधि में मन से पहले body की movement को control किया जाता है। हम मन को control करने की बजाय अगर उसके direction यानि दिशा प्रदान करे तो आसानी से हम विचारमात्र से शरीर और मन को कण्ट्रोल करना सीख सकते है।

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 शरीर और मन दोनों ओर बेहतर बनने के लिए ही बने है :

आपने कई लोगो से सुना तो होगा ही की computer और human mind दोनों में ही यादो को सहेजने की क्षमता है साथ ही दोनों को program भी किया जा सकता है। अगर बात को Subconscious mind के नजरिये से समझने की कोशिश करे तो हमारा मस्तिष्क अलग अलग हालात में ढल सकता है ये programing का ही एक हिस्सा है। इसी तरह के एक अभ्यास द्वारा आज हम खुद को भावना द्वारा मनचाहे विचार के अनुसार program करने के बारे में सीखेंगे। भावना शक्ति के बारे में आप पहले की पोस्ट में जान चुके है। आज उसका प्रयोग कर खुद को modify करना जानेंगे। भावना शक्ति द्वारा विचारमात्र से शरीर और मन को कण्ट्रोल करना इतना आसान तो नहीं है पर अगर ये अभ्यास हो जाए तो आप खुद को किसी भी परिस्थिति में संभाले रख सकते है। साथ ही साथ अनचाही प्रॉब्लम से छुटकारा पा सकते है।

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 विचारमात्र से शरीर और मन को कण्ट्रोल करना

दरअसल इस अभ्यास का मकसद आपके भावना शक्ति को मजबूत बनाना है। इसके द्वारा हम खुद को वो महसूस करवाते है जो हम चाहते है। अभ्यास काफी हद तक मानसिक शक्तियों के अभ्यास से मिलता भी है।

स्थान और समय का चुनाव :

इस अभ्यास के लिए ऐसी जगह चुने जहा आपको कम से कम 2 घंटे तक कोई व्यवधान न पहुंचे। क्यों की अभ्यास में हमें बिलकुल शांत जगह और सुनसान यानि किसी के आने की सम्भावना ना हो जैसी जगह का चुनाव करना है। दोपहर के समय जब आपको खाना खाये हुए 2 घंटे हो जाए तब इस अभ्यास को कर सकते है। ध्यान इस बात का रखना है की lunch अभ्यास से इतना पहले किया हो की अभ्यास पर इसका असर ना पड़े।

1.) शुरुआती तैयारी :

अभ्यास के लिए आप background music लगा सकते है जो बिलकुल धीमे सुनाई पड़े। साथ ही माहौल ऐसा बनाये जिसमे आपका मन लगा रहे। इसके लिए खुशबु का इस्तेमाल कर सकते है। इसके बाद आप आराम से लेट जाइये और सोने की स्थिति में यानि शवासन में आ जाइए। इसके बाद आपका शरीर शिथिल हो जाता है। और मन में विचार भी बहुत कम आने लगेंगे।

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2.) अभ्यास का दूसरा चरण :

अब आपके शरीर की हरकते न्यूनतम हो चुकी है और शिथिल हो चूका है। इसके आगे आपको अब मन में भावना देनी है की आपके हाथ हवा में उठ रहे है। आपको शारीरिक बल द्वारा हाथ नहीं उठाने है बल्कि सिर्फ मन में भावना देनी है। लगातार ऐसी ही एक भावना देने से आपको कुछ समय बाद ऐसे महसूस होने लगता की जैसे आपके हाथ हवा में उठने लगे है। जब आपका ध्यान इस ओर जाता है तो वो वापस निचे आ जाते है।

शुरू शुरू में इनमे हरकत सिर्फ अंगुल भर ही होती है। इसलिए घबराने की जरुरत नहीं है बस अपना सारा ध्यान सिर्फ एक ही विचार पर लगा दीजिये।

मेरे हाथ हवा में उठ रहे है। उनमे हरकत हो रही है और में इसे महसूस कर रहा हूँ।

आपको आंखे बंद ही रखनी है। साथ ही और किसी गतिविधि पर ध्यान ना जाये इसे याद रखे। कुछ समय बाद धीरे-धीरे आपके हाथ थोड़े ऊपर उठने लगते है। अगर अभ्यास सही चलता रहता है तो इसके बाद एक समय  ऐसा आता है जब आप कुछ समय बाद ही सफलतापूर्वक हाथो को विचारो द्वारा हवा में उठा पाते है।

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3.) विचारमात्र से शरीर और मन को कण्ट्रोल करना-अंतिम चरण :

विचारमात्र से शरीर और मन को कण्ट्रोल करना अब आपके लिए काफी आसान हो जाता है। सब भावनाओ का खेल है और जिस तरह कंप्यूटर को प्रोग्राम किया जाता है वैसे ही आप भी खुद में बदलाव ला सकते है। अंतिम चरण में आपका मस्तिष्क आपके शरीर को वही अहसास करवाने लगता है जो वो सोचता है।

  • इसके लिए आपको वही शवासन की position में आकर खुद को भावना देनी है की मुझे कोई हरकत महसूस नहीं हो रही है। जैसे की आपको खुजली होने लगे या फिर आपको मच्छर काटे लेकिन फिर भी महसूस होने के बावजूद आपमें आपमें उसकी कोई हरकत ना हो तो समझ लीजिये आपने अभ्यास में पूर्णता प्राप्त कर ली है। इस अभ्यास का सबसे बड़ा secret ये है की
  • आप जो चाहे वही पा सकते है जरुरत है तो बस भावना शक्ति के साथ उसकी सही कल्पना करना।

यही वो सीक्रेट है की में आज तक जिस अभ्यास को भी करता आया उसमे पूर्णता प्राप्त की ना सिर्फ पूर्णता बल्कि इसका सही जगह इस्तेमाल भी किया।

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विचारमात्र से शरीर और मन को कण्ट्रोल करना-लाभ :

इस अभ्यास को आप हर जगह आजमा सकते है। खासतौर से तनाव दूर करने और अनचाहे विचार को हटाने के लिए। यकीन मानिये अगर आपने ये अभ्यास कर लिया तो आप निम्न फायदे उठा सकते है।

  • किसी भी माहौल में खुद को ढाल सकते है खासतौर से अगर आपको किसी जगह असहजता महसूस होती है  तो आप आसानी से खुद को इसके लिए तैयार कर सकते है।
  • पढ़ाई में मन लगाने के लिए।
  • तनाव दूर करने में और इसके लिए आपको किसी शांत जगह की जरुरत नहीं है बस आँखे बंद की और कुछ समय तक भावना दी। फिर चाहे आप कही सफर में ही क्यों ना हो ( ये मेरा खुद का सबसे ज्यादा किया जाने वाला प्रयोग है। )

ये अभ्यास मानसिक शक्तियों के अभ्यास में भी काफी मददगार साबित हो सकता है। अगर आपने पहले कभी कोई अभ्यास किया हो और किसी वजह से बिच में ही छूट गया हो और वर्तमान में करना चाहते है तो ये आपके लिए सबसे ज्यादा कारगर और प्रभावी अभ्यास है।

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अंतिम शब्द :

विचारमात्र से शरीर और मन को कण्ट्रोल करना वाकई में हमारे लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर आपने भावनाशक्ति का सही इस्तेमाल करना सीख लिया तो आपके लिए कोई ऐसा काम नहीं जिसमे आप सफलता प्राप्त नहीं कर सकते है। व्यक्तित्व विकास के लिए  विचारममात्र से शरीर और मन को कण्ट्रोल करना और Thought regulation process को कर आप हर वो कार्य अपने लिए आसान बना सकते है जो आपको मुश्किल लगता था।  अभ्यास से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए आप हमें Contact कर सकते है और कमेंट में भी पूछ सकते है।

3 thoughts on “क्या आप विचारमात्र से शरीर और मन को कण्ट्रोल कर सकते है ?”

  1. विचारों से शरीर और मन को कैसे नियंत्रित किया जाता है यह आपने बहुत ही सविस्तर और अच्छे तरीके से बताया है। धन्यवाद।

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  2. दरिद्री खतम करने के लिए भी ये अभ्यास किया जा सकेंगे? अगर कर सकेंगें तो कैसे, अगर नही तो दुसरा क्या विधि होगा, कृपया करके बता दिजिएगा।

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