क्या चक्र हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करते है ? कुण्डलिनी और चक्र का हमारे व्यक्तित्व के साथ क्या संबध है


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even chakra हमारे body के 7 अलग अलग energy centre है जो मस्तिष्क से लेकर मेरुदण्ड के निचले हिस्से तक बने हुए है। अब सबसे बड़ा सवाल उठता है की आखिर शरीर में ये सप्त ऊर्जा के केंद्र है या नहीं ?

और है तो भी ये है क्या ? सप्त चक्र जागरण और व्यक्तित्व का आपस में बहुत गहरा संबंध है। seven chakra हमारे शरीर में ऊर्जा के केंद्र के रूप में है और शरीर की नाड़ी में विद्यमान है।

योगिक विधि में प्राण ऊर्जा को नाड़ी में प्रवाहित कर इन केंद्रों पर घनीभूत किया जाता है और चक्र जागरण करते है।

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सप्त चक्र जागरण और व्यक्तित्व
ऐसा माना जाता है की जो व्यक्ति जिस प्रवृति से जिस देवता की उपासना करता है उसका एक चक्र जो उस देव या देवी से जुड़ा है जाग्रत होने लगता है।

जैसे की गणेश उपासना से आज्ञा चक्र और माँ काली की उपासना से मूलाधार चक्र जाग्रत होता है ऐसा इसलिए क्यों की हमारी उपासना उस खास चक्र पर ऊर्जा के रूप में घनीभूत होने लगती है।

सप्त चक्र जागरण और व्यक्तित्व से जुड़ी कुछ खास बाते

असल में ये सप्त चक्र ऊर्जा के bond है जो पृथ्वी की ऊर्जा से जुड़े हुए है। हर किसी को एक ऊर्जा घेरे होती है जो उसे दूसरों से अलग बनाती है। विज्ञान, अध्यात्म और हिन्दू धर्म के अनुसार हमारे शरीर में नाड़ियो, स्नायु तंत्र में ऊर्जा पुरे शरीर में फैली हुई है।

यही ऊर्जा चक्र के रूप में होती है। चक्र को हमारे जीवन चक्र, मृत्यु और पुनर्जन्म से भी जोड़ा जाता है।

हर इंसान में ये ऊर्जा के केंद्र होते है जो 7 मुख्य जगह पर घनीभूत होते है। आइए देखे ये 7 ऊर्जा केंद्र कहा और किस रूप में शरीर में स्थित है।

क्या आप जानते है की सप्त चक्र जागरण और व्यक्तित्व में बदलाव इस कड़ी का एक हिस्सा है जिसे समझ कर हम खुद को कई मुश्किलों से बचा सकते है।

शुरुआत मेरुदण्ड निचले हिस्से से की जाये तो ये चक्र निम्न है।

1. मूलाधार चक्र – The Root chakra

गुदा और लिंग के बीच चार पंखुरियों वाला ‘आधार चक्र’ है। आधार चक्र का ही एक दूसरा नाम muladhar chakra भी है. पारम्परिक रूप से इस चक्र का सम्बन्ध व्यवसायिक और जीवन सम्बन्धी आवश्यकताओं से जुड़ा हुआ है।

इसके अलावा ये ना सिर्फ भौतिक संसार से जुडी हुई गतिविधि का नियंत्रण करता है बल्कि हमारे भावनात्मक और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर नियंत्रण रखता है।

तंत्र मार्ग में सप्त चक्र जागरण और व्यक्तित्व में तामसिक बदलाव को सिद्धि प्राप्ति का सबसे बड़ा जरिया माना जाता है।

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2. स्वाधिष्ठान चक्र- The sacral chakra

स्वाधिष्ठान चक्र लिंग मूल में है जिसकी छ: पंखुरियां हैं। इसके जाग्रत होने पर क्रूरता, गर्व, आलस्य, प्रमाद, अवज्ञा, अविश्वास आदि दुर्गणों का नाश होता है।

इस चक्र का नियंत्रण हमारे कार्य पर होता है जैसे की नए लोगो से जुड़ना, नए अनुभव करना। इसका रंग संतरे और गहरी ललाई लिए होता है।

ये चक्र भी कई तरह की भावनात्मक गतिविधि को संचालित करता है। इस चक्र गुण पर गौर करे तो पाएंगे की हमारी महसूस करने की शक्ति, सेक्सुअल, और निवेदन करने के गुण यहाँ से संचालित होते है।

3. मणिपूर चक्र- The plexus chakra

नाभि में दस दल वाला मणिचूर चक्र है। मणिपुर चक्र हमारे अंदर जगाता है और हमारे जीवन हमारे नियंत्रण में लाता है।

ये चक्र पीले रंग का होता है। इसके सक्रिय होने से तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह, आदि कषाय-कल्मष दूर हो जाते हैं।

ये ये चक्र हमें सोचने और आत्मविश्वास से भरे होने का अहसास करवाता है। इन सप्त चक्र के लिए वीडियो निचे दिया गया है।

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4. सप्त चक्र जागरण और व्यक्तित्वअनाहत चक्र- The heart chakra

हृदय स्थान में अनाहत चक्र है जो बारह पंखरियों वाला है। सुनहले पीले रंग के इस चक्र की स्थिति हमारे ह्रदय में है और इसका सम्बंध प्यार और करुणा से है।

चक्र के भावनात्मक रूप जाग्रत होने से हम खुद से प्यार करने, दूसरों के प्रति दयालु भाव जैसे गुणों से जुड़ जाते है।

सप्त चक्र के मध्य ऊर्जा स्थानांतरण और व्यव्हार में बदलाव

इसके सक्रिय होने पर लिप्सा, कपट, हिंसा, कुतर्क, चिंता, मोह, दम्भ, अविवेक और अहंकार समाप्त हो जाते हैं।

सप्त चक्र जागरण और व्यक्तित्व में बदलाव आपको उदासीनता की अवस्था में ले जा सकता है या फिर दुसरो से दूर कर सकता है।

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5. विशुद्धख्य चक्र- the Throat chakra

कण्ठ में सरस्वती का स्थान है जहां विशुद्धख्य चक्र है और जो सोलह पंखुरियों वाला है।

यहीं से सोलह कलाओं और सोलह विभूतियों का ज्ञान होता है। इसका रंग नीले हरे रंग का मिश्रण है. इसका संबंध वाक कला से है हर इंसान बोलने के तरीके में दूसरों से अलग होता है।

ये चक्र हमें ईमानदार, सोचने की क्षमता में सुधार लाता है।

इसके जाग्रत होने से जहां भूख और प्यास को रोका जा सकता हैं वहीं सोलह कलाओं और विभूतियों की विद्या भी जानी जा सकती है।

6. आज्ञाचक्र- The eye chakra

भ्रूमध्य (दोनों आंखों के बीच भ्रकूटी में) में आज्ञा चक्र है जहां उद्गीय, हूँ, फट, विषद, स्वधा स्वहा, सप्त स्वर आदि का निवास है।

यहां अपार शक्तियां और सिद्धियां निवास करती हैं। ये चक्र हमारे देखने के नजरिए को नियंत्रित करता है। हम दुनिया को किस नजरिए से देखते है ये आज्ञा चक्र निर्धारित करता है.

आज्ञा चक्र दोनों आँखों के मध्य स्थित है और इसका रंग धूसर है।

Unhealthy Third Eye Chakra

हमारे सोचने,समझने और निर्णय लेने की क्षमता आज्ञा चक्र नियंत्रित करता है। इस आज्ञा चक्र का जागरण होने से यह सभी शक्तियां जैसे आकर्षण शक्ति, सम्मोहन, दूसरों को और जड़ पदार्थो को नियंत्रित करने की शक्ति जाग पड़ती हैं। त्राटक से आज्ञा चक्र जाग्रत कर सकते है.

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7. सहस्रार चक्र- The Crown chakra

सहस्रार की स्थिति मस्तिष्क के मध्य भाग में है अर्थात जहां चोटी रखते हैं। शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक महत्वपूर्ण विद्युतीय और जैवीय विद्युत का संग्रह है।

इसका सम्बंध हमारे सूक्ष्म शरीर और आध्यात्मिक रूप से है।

इसका मतलब है हमारे मस्तिष्क का ताज। इसका रंग VIOLET है। और इसका संबंध हमारे आध्यात्मिक रूप को सांसारिक रूप से जोड़ना है। यही मोक्ष का द्वारा है।

कुंडलिनी और सप्त चक्र हमारे अंदर जन्म से है इसे विडियो में दिखाया गया है। सप्त चक्र को महत्वपूर्ण चक्र या ऊर्जा केंद्र माना जाता है। इसके अलावा भी सेंकडो केंद्र ऊर्जा के हमारे शरीर में मौजूद होते है।

दोस्तों सप्त चक्र जागरण और व्यक्तित्व में बदलाव की ये पोस्ट आपको कैसी लगी हमें जरूर बताए।

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