योगमुद्रा के बारे में हमने पहले एक पोस्ट डाली थी जिसमे हमने काफी सारे मुद्रा के बारे बताया था. आज की पोस्ट है shambhvi mahamudra detailed guide in Hindi के बारे में जिसके जरिये third eye & intuition power activation संभव किया जाता है.
कुछ लोगो के अनुसार root Chakra यानि मूलाधार चक्र के जागरण में भी ये अभ्यास काफी सहायक है और सहजता से आपको higher stage of conscious तक ले जाने की क्षमता रखता है. अगर इसका अभ्यास 40 days तक continuous किया जाए तो आप अपने अंतर चेतना को जाग्रत कर चमत्कार तक करने की क्षमता हासिल कर सकते है.
शाम्भवी मुद्रा और महामुद्रा दो अलग अलग अभ्यास जिसमे हम ध्यान लगाने के लिए मुद्रा और शक्ति अर्जन के साथ चक्र जागरण का अभ्यास करते है तो महामुद्रा का अभ्यास होता है.
इस अभ्यास को करने के टोटल 3 steps है और इन स्टेप्स में ही छिपा है आपकी सफलता का राज.
आज हम बात करेंगे इसके फायदे सावधानी और मानसिक शक्तियों को जाग्रत करने में इसका क्या रोल है के बारे में इसलिए ये पोस्ट थोड़ी रोचक है और मुझे लगता है की इस पोस्ट को पूरा पढने के बाद आप खुद इसका अभ्यास करना शुरू कर देंगे.
shambhvi mahamudra detailed guide in Hindi
शाम्भवी महामुद्रा का मतलब है खुली आँखों से ध्यान का अभ्यास. ध्यान मुद्रा का अभ्यास अगर खुली आँखों से किया जाए तो वह शाम्भवी महामुद्रा कहलाता है. शाम्भवी का मतलब है आपका अपने बॉडी के अन्दर रहने के बावजूद दूसरी जगह स्थापित हो जाना. ये जगह आपकी कल्पना भी हो सकती है या फिर कोई डायमेंशन भी हो सकता है.
शाम्भवी मुद्रा और शाम्भवी महामुद्रा के क्या फर्क है ?
इन दोनों में नाम समान है लेकिन अभ्यास में अंतर है. सबसे पहले बात करते है मुद्रा के बारे में तो मुद्रा क्या है एक आसान सा अभ्यास जिसमे आपको सहज होकर बैठना होता है.
यानि ध्यान मुद्रा में बैठ गए और सहजता से बैठ कर खुद का ध्यान दूसरी जगह लगा लिया.
ऐसा करने के लिए आपको एक मजबूत कल्पना के मायाजाल की जरुरत होती है.
खुली आँखों से किसी जगह देखते रहना और जब आँखे स्थिर हो जाए तो वहां पर अपने मन की कल्पना को देख्नना यही शाम्भवी मुद्रा का अभ्यास होता है.
shambhvi mahamudra में हम उर्जा का अभ्यास करते है. महा शब्द का मतलब है ऐसा अभ्यास जो उच्च स्तर का हो.
इस अभ्यास में हम अपने चेतना के उच्चतम स्तर तक पहुँचते है. जिसके अन्दर आज्ञाचक्र का जागरण शामिल है. अगर सामान्य से हट कर इसका अभ्यास उर्जा निर्माण को तेजी से बढाने और अंतर की यात्रा में किया जाए तो ये शाम्भवी महामुद्रा कहलाता है.
शाम्भवी महामुद्रा का सही तरीका
shambhvi mahamudra ध्यान मुद्रा की तरह ही होती है फर्क सिर्फ इतना है की ध्यान मुद्रा में हम आँखे बंद रखते है और इसमें आपको आँखे खुली रखनी होती है. शाम्भवी महामुद्रा का अभ्यास करने से हम खुद में आश्चर्यजनक बदलाव मिलने लगते है.
शाम्भवी महामुद्रा में खुली आँखों से ध्यान लगता है. हमारी आँखे खुली तो रहती है लेकिन उस दौरान हमारा ध्यान अपने अंतर में होने लगता है.
इस मुद्रा से हमारा ध्यान सीधा ध्यानकोष में ले जाया जाता है. इस विधि के जरिये हमारे सभी कोष जैसे की भौतिक, सूक्ष्म, आकाशीय कोष ( शरीर ) को बैलेंस कर सीधे अंतर से जोडती है.
इस मुद्रा को लेकर मान्यता है की इस विधि के जरिये आप खुद को बेहतर तरीके से heal कर सकते है, क्यों की शाम्भवी मुद्रा से हम सीधे अंतर से जुड़ कर सभी शरीर कोष में सामजस्य और पकड़ हो जाती है. लगातार 40 दिन के अभ्यास के बाद आप इस मुद्रा के अभ्यास में कुशलता हासिल कर सकते है.
3 step of shambhvi mahamudra in Hindi
इस मुद्रा के टोटल 3 स्टेप है और अभ्यास इन्ही तीन स्टेप में होता है.
- पहली स्टेप में आपको ध्यान मुद्रा में बैठना होता है. इसके लिए आप सहज भाव से बैठ जाए. अब अपने अंगूठे और उसके सबसे पास वाली अंगुली के छोर को आपस में मिला ले. ध्यान रखे की सभी अंगुली आपस में सटी हुई होनी चाहिए.
- shambhvi mahamudra की दूसरी स्टेप में आपको अपने सामने किसी बिंदु पर त्राटक करना होता है आप किसी माध्यम का चुनाव कर सकते है. ध्यान इस बात का रखे की माध्यम जिस पर त्राटक कर रहे है आपकी आँखों के सामने नहीं बल्कि थोडा सा ऊपर हो. इस वजह से आपका ध्यान सहज ही अपने आज्ञा चक्र पर लगने लगता है.
- जब ऐसा करते हुए आपको कुछ देर हो जाए तो अब आपको अपनी कल्पना के जरिये अपने माध्यम को बदलना है. खुली आँखों से आपको अपने सामने उस माध्यम की कल्पना करनी है जिसे आप ज्यादा देर तक रख सके.
shambhvi mahamudra और third eye activation in Hindi
- शाम्भवी महामुद्रा के अभ्यास के लिए आपको एक ऐसी जगह का चुनाव करना होता है जहाँ पर अभ्यास के दौरान आपको कोई परेशान न कर सके. एक आसन का चुनाव करे जो धरातल से आपका संपर्क काट दे. अब निम्न तरह से अभ्यास की शुरुआत करे.
- कमरे में दीवार पर अपने ठीक सामने थोड़ा सा ऊपर एक बिंदु बना ले, जब आप ध्यान मुद्रा में बैठे और चेहरा थोड़ा सा उठा हुआ हो तभी वो बिंदु दिखाई दे.
- ध्यान मुद्रा में बैठ जाए और उस बिंदु को देखना शुरू करे. इस बिंदु को देखते वक़्त आपकी आँखों की पुतली थोड़ा ऊपर उठी हुई होनी चाहिए.
- इस तरह अभ्यास करने के दौरान आपका ध्यान अपने आप ही माथे के बिच ( आज्ञा चक्र ) फोकस होने लगता है.
- धीरे धीरे आप अभ्यास में गहरे उतरने लगते है. आगे बढ़ने पर आप सीधे अंतर में उतरने लगते है और आपका आज्ञा चक्र जाग्रत होने लगता है.
shambhvi mahamudra के जरिये root chakra का जागरण
जिन लोगो को मूलाधार चक्र का जागरण करना है उनके लिए भी ये मुद्रा एक विकल्प है. इस मुद्रा के जरिये शाम्भवी मुद्रा के जरिये आप सीधे अंतर से जुड़ जाते है और अपनी उर्जा को कही भी ट्रान्सफर कर सकते है.
इसके लिए आपको ऊपर वाली विधि अपनानी है. इस विधि में उस बिंदु पर आपको कुछ देर त्राटक करना है. त्राटक के कुछ देर बाद खुली आँखों से आपको उस बिंदु की जगह किसी देवी / देवता की कल्पना करनी है.
जब आप ऐसा 10 मिनट तक करने में सफल हो जाते है तब आपको अपने आज्ञा चक्र पर एक चमकीला प्रकाश महसूस होने लगता है. जब ऐसा होने लगे तब आपको अपने मन के जरिये ( कल्पना करते हुए ) उस प्रकाश को अपने मूलाधार चक्र में भेजना है.
जब आप इस मुद्रा में उर्जा / प्रकाश को मूलाधार चक्र पर भेजने में कामयाब हो जाते है तब कुछ बदलाव अपने अन्दर महसूस होने लगते है जैसे की उस हिस्से में खून का दौरा बढ़ जाना, स्पंदन होना, उस हिस्से में रही किसी भी बीमारी का ठीक हो जाना, अपनी आदतों और मन में नियंत्रण में मदद मिलने लगते है.
अश्वनी मुद्रा का अभ्यास करना न भूले
प्राण वायु और अपान वायु का मिलन होने पर जो उर्जा हमारे नाभिमंडल में बनती है वो अद्भुत अहसास वाली होती है. अश्वनी मुद्रा का मतलब है घोड़े की मुद्रा जिसमे हमें अपने गुदा द्वार से वायु को अन्दर लेने के कुछ देर रोकना होता है.
इसमें आपको कगासन की तरह बैठना है और वायु को गुदा से अन्दर खींचना है. जब हम कुछ देर इसी तरह अभ्यास करते है तब काम भावना में नियंत्रण महसूस होने लगता है.
अश्वनी मुद्रा से जुड़ा सबसे फैक्ट जो आप शायद जानते भी होंगे.
काम वासना को कुछ ही देर में कण्ट्रोल करना और सबसे बढ़िया तरीके से काम वासना पर नियंत्रण सिर्फ 5 मिनट अश्वनी मुद्रा का रोज के अभ्यास द्वारा पाया जा सकता है.
इस अभ्यास से आपको शुरू में एक गुदगुदी का अहसास हो सकता है लेकिन आगे बढ़ने पर आपको इसके जरिये मन को सबसे कम समय में शांत कर पाने में हेल्प मिलने लगती है. shambhvi mahamudra के अभ्यास के बाद इसका अभ्यास आपके लिए फायदेमंद रहता है.
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मूलाधार चक्र को लेकर जनमानस में बनी सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी
हम सभी ऐसा मानते है की मूलाधार चक्र का जागरण एक जटिल और खतरनाक प्रक्रिया है. इसके जरिये उत्पन होने वाली उर्जा हमें पागल भी बना सकती है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है.
अभ्यास के दौरान ऐसा जरुर होता है लेकिन जागरण के बाद नहीं क्यों की इस चक्र की उर्जा संतुलित होने के बाद साधक संतुलन की अवस्था में आ जाता है. हम खुद के अन्दर हो रहे बदलाव के आधार पर भी इसकी पहचान कर सकते है.
काम वासना, उद्वेग, विद्वेष ये सभी भाव इस चक्र के जागरण के बाद समाप्त हो जाते है क्यों की जो उर्जा आपको असंतुलित और उत्तेजित कर रही थी वो अब नियंत्रण में आ चुकी है.
इस चक्र के जागरण की पहचान है मन का शांत, स्थिर और भाव हीन होना क्यों की सांसारिक भावो से मुक्ति ही चक्र जागरण का सबसे पहला चरण है. इसके बाद के सभी चरण आपको भौतिक से अपने अंतर की और ले जाने वाले होते है.
अगर आप मूलाधार चक्र जागरण की शुरुआत कर रहे है तो ध्यान रखे की अभ्यास बिच में न छूटे क्यों की असंतुलन खतरनाक होता है. चक्र जागरण की प्रक्रिया को संतुलन में लाने तक आपका अभ्यास करना रखना जरुरी होता है.
shambhvi mahamudra benefit in Hindi
- इस मुद्रा के लगातार अभ्यास से आप अंतर में उतर सकते है और अपने intuition power को activate कर सकते है.
- इसका अभ्यास हमें आध्यात्मिक बनाता है.
- माना जाता है की इसके अभ्यास के बाद हम अपने मस्तिष्क को दोनों भाग को एक साथ गाइड कर सकते है.
- समाधी की अवस्था में जाने और अंतर्मन में उतरने के लिए सबसे बढ़िया अभ्यास माना जाता है शाम्भवी महामुद्रा के अभ्यास को.
- शाम्भवी महामुद्रा के जरिये आज्ञा चक्र जागरण की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है.
- इस मुद्रा में हम सरलता से मूलाधार चक्र को जाग्रत करने लायक उर्जा पैदा कर सकते है और उसे चक्र पर ट्रान्सफर कर सकते है.
- अगर आप अपने अंतर में उतरना चाहते है तो shambhvi mahamudra सबसे बढ़िया माध्यम है.
- शाम्भवी महामुद्रा में कुशलता होने के बाद हम शरीर और मन से जुडी किसी भी समस्या को self healing के जरिये ठीक कर सकते है.
- shambhvi mahamudra खुली आँखों से ध्यान करना है जिसे आप सफ़र और कही भी कर सकते है ( अभ्यास में कुशलता प्राप्त होने के बाद )
- किसी भी तरह की बुरी आदत हो इस अभ्यास के जरिये छुड़ाई जा सकती है.
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shambhvi mahamudra अभ्यास में सावधानी बरतनी न भूले
- 20 वर्ष से निचे के युवक / युवती को नहीं करना चाहिए.
- अभ्यास को 10 मिनट से ज्यादा न करे.
- अभ्यास के बाद अश्वनी / वज्रोली मुद्रा करना न भूले.
- ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
- किसी भी तरह के व्यसन से दूर रहे.
shambhvi mahamudra practice at home – अंतिम शब्द
शाम्भवी महामुद्रा के बारे में जो जानकारी यहाँ शेयर की गई वो पूरी तरह से कई माध्यम से ली गई जानकारी है. YouTube और ईशा सदगुरु इन दो माध्यम से हमें इस बारे में ज्यादा से ज्यादा और सटीक जानकारी मिल सकी है इसलिए इस पोस्ट का क्रेडिट सदगुरु को जाता है.
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