आपके अवचेतन मन की शक्तिया जिन्हें प्रोग्राम कर आप कुछ भी हासिल कर सकते है – life hacks


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भले ही आपको अवचेतन मन की शक्तिया किसी fantasy imagination की तरह लगे लेकिन अगर आपने subconscious mind reprogramming को जान लिया तो आप कुछ भी कर सकते है.

working principle and function of subconscious mind को हम खुद design कर modify कर सकते है. आज की पोस्ट में ऐसी कुछ बाते शेयर की जाने वाली है जो आपको इसे समझने और अपनी प्रॉब्लम को सोल्व करने में मदद करेगी.

अवचेतन मन की technique pdf book hindi आपको ब्लॉग पर देखने को मिल सकती है.

हम अक्सर सोचते है की अवचेतन मन को कैसे जाग्रत करे कैसे हम खुद की शक्तियों से व्यक्तित्व का विकास करे या फिर खुद में सुधार लाये। अवचेतन मन और अवचेतन मस्तिष्क दोनों एक ही है इसलिए इनमे भ्रमित ना रहे।

Basic Reason of Unsuccess in Sadhna
subconscious mind reprogramming

अवचेतन मन हमारे शरीर की अद्भुत और अलौकिक रचना है। अवचेतन मन, चेतन मन से कई गुना शक्तिशाली है। इसके बावजूद ये सुप्त या यू कहे की चेतन मन से निचे रह कर अपना काम करता है।

आज की पोस्ट में हम चर्चा करेंगे चेतन मन और अवचेतन मन की कार्य प्रणाली पर, अवचेतन मन की शक्ति, अवचेतन मन को जाग्रत करना और अवचेतन मन की शक्ति को सही तरीके से काम में लेकर अपने ड्रीम पुरे करना। क्यों की कोई भी ऐसा काम नहीं जो अवचेतन मन के लिए असंभव हो।

subconscious mind reprogramming

activate your subconscious mind आसान तो नहीं पर मुश्किल भी नहीं.  हम अभ्यास द्वारा subconscious mind reprogramming कर सकते है जैसे त्राटक, ध्यान या फिर सबसे आसान किसी भी आदत को जीवन में उतार कर इसमें हमें ध्यान देना पड़ता है की हमारे कार्यशैली में निम्न 3 गुण मजबूत हो रहे हो। अवचेतन मन को जाग्रत करने के लिए ३ चीजे जरुरी है

  • आपका आत्मविश्वास
  • आपकी कार्य को करने की इच्छाशक्ति
  • और सबसे जरुरी आपका संकल्प

जो काम को करने के चांस बढ़ाता है कैसे इसके बारे में पीछे की पोस्ट में चर्चा की जा चुकी है। अवचेतन मन पर विश्वास करना उसे जाग्रत रहने में बढ़ावा देता है। इसके लिए फालतू की टेंशन ना ले, फालतू न सोचे शांत बने जिससे अपने आप आपका अवचेतन मन जाग्रत रहने लगता है।

चेतन मन या अवचेतन मन शक्तिशाली कौन ?

ये सवाल थोड़ा मुश्किल है क्यों की इसे पूरी तरह से समझने के लिए आपको कुछ बातो के पैरामीटर रखने पड़ते है। जैसे कार्यप्रणाली -काम करने का तरीका, वक़्त – काम को लेने के बाद पूरा कब तक होता है वगेरह वगेरह और इनका सिद्धान्त जो सबसे बड़ी भूमिका निभाता है इन्हें समझने में। तो सबसे पहले बात करते है

  • कार्य प्रणाली और सिद्धान्त :

चेतन मन आपके दिनचर्या का हिस्सा है आप जो भी सोचते है या तर्क-वितर्क करते है सब चेतन मन के हिस्से में आता है। चेतन मन हजारो विचार ग्रहण करता रहता है। इसलिए उनमे फर्क करना और पूरा करना उसके लिए संभव नहीं है। वही अवचेतन मन सिर्फ उन्ही विचारो को ग्रहण करता है जो चेतन मन द्वारा बार बार ग्रहण किये जाते है। जैसे एक जैसी दिनचर्या इसमें आपको ज्यादा सोचना नहीं पड़ता है की आपको आगे क्या करना है। ( बार बार सोचना नहीं पड़ता है सिर्फ नए विचार को छोड़कर )

  • कार्य को पूरा करने में लिया गया वक़्त :

चेतन मन के लिए वक़्त का कोई महत्व नहीं रह जाता है क्यों की वो हजारो विचारो में फंसा रहता है ऐसे में अगर कोई काम हमारे लिए वक़्त पर पूरा करना है और महत्वपूर्ण है तो वो अवचेतन मन के पास भेजा जाता है।

इसलिए जो काम आपके लिए महत्वपूर्ण होते है उन्हें चेतन द्वारा अवचेतन मन तक सिर्फ कुछ बार ही दोहराया जाता है। याद रखिये अवचेतन मन खुद की सुरक्षा खुद ही करता है कैसे आगे पढ़ते रहे। तो हम बात कर रहे थे इनकी कार्य प्रणाली की आइये देखे की

अवचेतन मन चेतन से ज्यादा शक्तिशाली है।

अवचेतन मन चेतन मन से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली है पर फिर भी हम इसकी शक्ति से अनभिज्ञ क्यों ?

इसकी वजह है हमारे संकल्प, इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास पर निर्भर करती है। हमारा अवचेतन मन एक दोस्त की तरह है जिस पर जितना ज्यादा विश्वास होगा उतना ही अच्छे और सही तरीके से काम कर पाएंगे।

अपने थ्री इडियट मूवी देखी है जिसमे आमिर खान ने कहा की अपना दिल एक बच्चा है इसे बहलाए रखना चाहिए।

उनका एक डायलॉग काफी फेमस हुआ आल इज वेल ये डायलॉग हमारे अवचेतन मन पर सूट करता है। इसी के आधार पर subconscious mind reprogramming करना बेहद आसान बन सकता है.

अवचेतन मन खुद करता है अपनी सुरक्षा

अक्सर हम किसी बुरी आदत के लिए खुद को दोष देते है की हमारा अवचेतन मन इसे ग्रहण कर चूका है और जल्दी से इससे छुटकारा नहीं मिलेगा।

लेकिन क्या आप जानते है की कोई भी विचार आपके अवचेतन मन तक तब तक नहीं जा सकता जब तक आप उसे कुछ दिन निरंतर करे या फिर आपके संस्कर उसे गलत ना माने दूसरे शब्दो में आप उसे अपने लिए सही माने।

subconscious mind reprogramming के लिए इसे समझना बेहद जरुरी है. क्यों की आपके संस्कार वो कवच है जो किसी भी गलत चीज के प्रति आपके आकर्षण को दूर करती है।

जैसे ब्राह्मण द्वारा मांस ना खा पाना। अगर आप उन्हें फाॅर्स करेंगे तो भी नहीं ! यहाँ तक की सम्मोहन द्वारा भी जब तक आप उसके अवचेतन मन तक ना पहुँच सके।

subconscious mind reprogramming को प्रभावित करती है आपकी दिनचर्या

अगर आप लगातार 20 दिन से ज्यादा किसी चीज या काम को लगातार करते है तो आप उसमे एक्सपर्ट हो जाते है इसके बाद आप चाहे तो कोई भी काम करे पर उस काम में गलती नहीं करते है जैसे गाडी चलते वक़्त बात करना या फिर सोचते सोचते खुद-ब-खुद कही पहुंचना।

आप जब किसी काम को लगातार करते है तो वो निम्न प्रक्रिया से गुजरता है।

सबसे पहले तो वो चेतन मन द्वारा समझे जाने का प्रयास किया जाता है जैसे की कार्य को कैसे करते है।

इसके बाद जब कुछ दिन काम करते हुए हो जाते है तो आपका चेतन मस्तिष्क उसे ग्रहण कर लेता है यानि उसे लगता है की वो कार्य आपके लिए हानिकारक नहीं है और आप इसे आगे भी कर सकते है।

इसके बाद वो कार्य सुचना द्वारा अवचेतन मस्तिष्क तक पहुँचता है। जिसका मतलब है वो कार्य आपके अवचेतन मस्तिष्क में सही निर्देश और गुणवत्ता के साथ ग्रहण किया गया है.

यही है subconscious mind reprogramming और यही वजह है की जब आप किसी काम में एक्सपर्ट हो जाते है तो एक प्रोग्राम की तरह काम करने लगते है। गलती तभी होती है जब आपको लगता है की इसमें और दूसरे तरीके से भी कार्य को कर सकते है या गुणवत्ता में और सुधार कैसे करे।

subconscious mind reprogramming for hypnotism

अवचेतन मन तरंगो पर आधारित है जिसके लिए हमें बोलने की या सुनने की जरुरत नहीं पड़ती है।

हर विचार सबसे पहले एक तरंग है और तरंग पढ़ने का काम अवचेतन मस्तिष्क का काम है इसके बाद अवचेतन मस्तिष्क उन्हें शब्दो में आप तक पहुंचाता है।

इसलिए जब भी हम अवचेतन मन को ज्यादा जाग्रत कर लेते है तो वो इस तरह से सिग्नल भेजने और ग्रहण करने में काबिल हो जाता है शर्ते वही आपका मस्तिष्क शांत होना चाहिए।

पढ़े  : एक ही गले से दो आवाज निकलना क्या वाकई ये किसी आत्मा का काम है या कुछ और क्या है सच ?

दिन का कुछ वक़्त चाहिए एकांत में बिताना :

दिन का कुछ हिस्सा हमें ऐसे वातावरण में बिताना चाहिए जहा आपका फोन ना हो, दोस्त ना हो, कोई भी साथ ना हो, आवाज न हो और किसी तरह के डिस्टर्बेंस ना हो। इससे आपका मस्तिष्क सोचना कम कर देता है।

आंखे बंद करने से या किसी जगह फोकस होने से हमारे मस्तिष्क तक सिग्नल नहीं पहुँचते है जिससे हम सोच नहीं पाते है। इससे हमारी ऊर्जा बचती है और हम बेहतर तरीके से किसी चीज पर फोकस हो सकते है या बेहतर सोच सकते है।

तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ आपको आज की पोस्ट में अच्छी जानकारी उपलब्ध हुई है। अगर आपको लगता है की पोस्ट में कुछ कमी है तो बेहतर बनाने के लिए हमें कमेंट के माध्यम से सूचित करे।

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