sharir se bahar vichran का anubhav हम में से ज्यादातर ने सोते सोते किया होगा यह अनुभव वैसा ही है जैसे हम खुद विचरण करते है। शरीर से बाहर विचरण के दौरान हम अपने शरीर को देखते है अपने परिवार वालो को देख सकते है या फिर ऊर्जा रूप वाली अशरीरी आत्माओ को।
कई बार हम अनजाने में ही शरीर से बाहर विचरण का अनुभव कर लेते है और हमें पता भी नहीं चलता है। out of body travel बिलकुल वैसा ही जैसा astral travel world की यात्रा कई बार तो इनमे फर्क करना भी मुश्किल हो जाता है।
पर astral travel में हम active रहते है वही शरीर से बाहर विचरण अचैतन्य अवस्था का परिणाम हो सकता है।
इसके बारे में आपने काफी सुना होगा. क्या आपने खुद उसे महसूस किया है. शायद हा या फिर शायद नहीं।
क्यों की ज्यादातर हम स्वपन और शरीर से बाहर विचरण के बिच फर्क ही महसूस नहीं कर पाते है. हम सूक्ष्म शरीर को महसूस कर सकते है इसे प्राण शक्ति से जाग्रत कर सकते है, जब प्राण शक्ति की मात्रा को बढाकर एक जगह concentrate कर हम इसे शरीर से बाहर निकाल कर सम्पूर्ण जगत का भ्रमण सकते है.
आइए आज बात करते है ऐसी ही एक यात्रा की जिसमे एक आत्मा से सामना हुआ और वापस अपने शरीर में भी प्रवेश कर लिया। ये एक सत्य घटना है जो एक साधक के बचपन से ली गई है.
sharir se bahar vichran की यात्रा का पहला real experience
गर्मियों की रात की बात थी इस वक़्त में अपने परिवार के साथ बाहर आँगन में सो रहा था रात्रि के 2:30 से 4 बजे के बिच का वक़्त था। उसी वक़्त मुझे लघुशंका हुई और में उठ कर बाहर चला गया. अचानक मुझे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी, ये आवाज किसी के कातर स्वर में थी की कदम अचानक ही उस ओर चल पड़े।
में दरवाजे तक पहुँच गया था अचानक एक रौशनी हुई और चारो ओर फ़ैल गई. तब मेरी आँखे खुल गई और में चारपाई पर लेटा हुआ था. सुबह के 5 बज चुके थे मेने ध्यान नहीं दिया और वापस सो गया।
कुछ दिन बाद फिर रात्रि के उसी वक़्त मुझे वो आवाज सुनाई देने लग गई. में बरबस उठ कर दरवाजे की ओर चलने लग गया। दरवाजे तक जाते ही वही रौशनी चारो ओर फ़ैल गई और में वापस चारपाई पर लेटा हुआ था। खैर सुबह होते ही फिर भूल चूका था वही दिन चर्या और कुछ दिन निकल गए.
अचानक फिर एक रात वही आवाज सुनाई दी इस आवाज में वही करुण पुकार थी, वो आवाज जैसे मुझे ही पुकार रही थी. उस आवाज के सुनते ही कदम बरबस दरवाजे की ओर चलने लगते थे। ऐसा कई बार होने लगा पर उस वक़्त सब सपना समझ के भूल जाता था.
लेकिन फिर जब ऐसा बार बार होने लगा तो मेने घरवालों से बात की तब उन्होंने कहा की ऐसी कोई आवाज उन्हें सुनाई नहीं देती है, और ये तुम्हारा वहम हो सकता है। अवचेतन मस्तिष्क से की गयी तिलस्मी यात्रा
चांदनी रात और उस आवाज का रहस्य
कुछ दिन बीत गए रात को कोई आवाज सुनाई नहीं दी लेकिन फिर एक रात चाँद अपनी चांदनी बिखेर रहा था तब रात्रि को वही आवाज सुनाई देने लग गई उसकी आवाज में एक करुण पुकार थी। में एक सम्मोहन में बंधा हुआ दरवाजे तक चला गया और आज तो उसके बाहर भी निकल चूका था.
बाहर निकल कर देखा तो गली में कोई नहीं था सुनसान गली और भोंकते हुए कुत्ते कुछ देर तक ऐसा ही रहा में बस वहां खड़ा था मन में न कोई विचार था न ही अकेले बाहर आ जाने का डर था।
कुछ देर बाद मेने देखा गली में दूर से एक परछाई चली आ रही थी जिसका चेहरा निचे की ओर था और कपडे काले वो चलते चलते मेरे पास से होकर निकलने लगी तब उसने मेरी ओर देखा मेने उसे पहचान लिया था वो वही आदमी था जो 1 महीने पहले एक लड़ाई में मारा गया था। फिर वो आगे बढ़ गया और एक रौशनी चारो और फ़ैल गई जिसमे सबकुछ खो चूका था में वापस अपनी चारपाई पर लेटा हुआ था. और आज का पूरा वाकया मेरे जेहन में बस चूका था।
उस परछाई का रहस्य
एक महीने पहले हमारे मोहल्ले में एक लड़ाई हुई थी जिसमे 2 लोग आपसी रंजिश का शिकार हुए थे. उसमे एक आदमी बेरहमी से मारा गया था। उस आदमी के शरीर के टुकड़े बिखर गए थे उस हादसे में।
फिर सब कुछ सामान्य हो चूका था लेकिन उस आदमी की मोत मेरे जेहन में बस गयी थी मेने उसे मरते हुए नहीं देखा था. लेकिन उस पल का हादसा मेने खुद महसूस किया था।
sharir se bahar vichran और सोने का तरीका
हममे से कई लोग ऐसे है जिनके सीने पर रात को अपने आप हाथ चले जाने की वजह से दबाव महसूस होने लगता है शरीर में कोई हरकत नहीं होती है, हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते है.
हम अपने शरीर को सामने देखते जरूर है लेकिन कुछ नहीं कर पाते है न ही उसमे प्रवेश कर पाते है फिर कोई आता है और सीने पर से हाथ हटा देता है तो हम वापस शरीर में चले जाते है.
इसके पीछे विज्ञान देखा जाये तो रात को सोते वक़्त हमारे साँस की गति कम हो जाती है और चेतना लुप्त होते ही हम अवचेतन मन में प्रवेश करने लगते है
कई बार ऐसा होता है की हम शरीर से astral travel में बाहर निकल जाते है और वापस इसलिए नहीं जा पाते है क्यों की ये हमने अभ्यास द्वारा नहीं किया था यानि इस पर हमारा बस नहीं था।
लेकिन जब कोई बाहरी आदमी हमारे हाथो को सीने से हटा देता है तो हमारी चेतना सांसो की गति के साथ लौटने लगती है और हम वापस शरीर में प्रवेश करने लगते है.
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कैसे करे sharir se bahar vichran का अनुभव
हम sharir se bahar vichran की यात्रा का अनुभव तब भी कर सकते है जब हम दिन या रात्रि को सोते हुए जो सोचते है उसे रात्रि को महसूस करने लगते है. इसमें हमारी चेतना को अवचेतन मन में उतरते हुए ये विचार मजबूत होने लगते है और ऊर्जा सूक्ष्म शरीर का रूप ले लेती है.
तो दोस्तों ये थी मेरी sharir se bahar vichran की की गई पहली यात्रा। अनुभव काफी रोमांचक था उस वक़्त मेरी उम्र सिर्फ 8 साल थी और में हनुमान जी का नाम ज्यादा लेता था. दादाजी के साथ कुछ हनुमान मंत्र के उच्चारण किया करता था जिससे हमारा सकारात्मक औरा बढ़ने लगता था. अब ये तो याद नहीं रहा की वो मंत्र कोनसे थे आज एक सामान्य जिंदगी और साधक की जिंदगी दोनों जी रहा हुँ .
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अज्जनागर्भ सम्भूत कपीन्द्र सचिवोत्तम।
रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमन् रक्ष सर्वदा।।