2 powerful practice जो त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास अभ्यास जो जल्दी सफलता दिलाते है


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हम कोई भी साधना करते है तो पाते है की ऐसी कोई साधना नहीं जो अपने आप में एक ही हो यानि अन्य किसी साधना से जुड़ी हुई ना हो। त्राटक और ध्यान आपको सफलता पानी है तो इसके लिए सिर्फ ध्यान या त्राटक का अभ्यास काफी नहीं है।

कुछ ऐसे अभ्यास जो हमें Tratak और मैडिटेशन के लिए तैयार करते है जरूर करना चाहिए जिनसे हमें पूरा फायदा मिले।

त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास उन अभ्यास में से है जो ना सिर्फ हमें त्राटक में अच्छे अनुभव करवाते है बल्कि आम जिंदगी में भी बहुत अच्छे लाभ दिलाते है।

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त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास
tratak और meditation में से better कौन के बारे में हम पिछली पोस्ट में पढ़ चुके है इसलिए आज बाते करते है उन खास अभ्यास की जो त्राटक के साथ किये जाए तो tratak में double benefit देती है।

हालाँकि त्राटक अपने आप में सम्पूर्ण है लेकिन इसके लिए भी हमें पहले शारीरिक और मानसिक स्तर पर तैयार होना पड़ता है तभी हमें त्राटक में बगैर किसी नुकसान के 100% रिजल्ट मिलते है।

त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास

त्राटक के साथ किये जाने वाले खास अभ्यास में शरीर और मन को कण्ट्रोल करने वाले कुछ ऐसे अभ्यास है जो साधक को अभ्यास में लाभ प्रदान करते है साथ ही उसे सब तरह से सक्षम और मजबूत बनाते है। ये अभ्यास निम्न है

  1. शवासन या न्यास ध्यान का अभ्यास
  2. इच्छाशक्ति और भावनशक्ति को बढ़ाना
  3. प्राण ऊर्जा का नियंत्रण
  4. विचारशून्यता का अभ्यास

इन अभ्यास का त्राटक और ध्यान के अलावा भी कई तरह से लाभ है जिसमे आपका लगभग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पूरी तरह से बदला जाता है।

आइये जानते है ऐसे ही खास अभ्यास के बारे में।

शवासन या न्यास-ध्यान

शवासन या न्यास ध्यान हमें शारीरिक और मानसिक स्तर पर त्राटक के लिए तैयार करता है। कई बार ऐसा होता है की त्राटक का अभ्यास शुरू तो कर देते है लेकिन कुछ समय बाद ही हमें अभ्यास छोड़ना पड़ता है।

इसकी वजह है मन पर नियंत्रण का ना होना या फिर शरीर का अभ्यास में साथ ना दे पाना। इसके समाधान के लिए त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास में त्राटक से पहले शवासन या न्यास ध्यान किया जाता है।

कैसे करे

शवासन के लिए एकांत वाली जगह लेट कर खुद को लम्बे समय तक किसी एक अंग पर फोकस कर ले और भावना देते रहे की आपका ये अंग शिथिल हो रहा है।

शुरू में आप थक सकते है लेकिन अभ्यास में पूर्णता आने पर जब आप एक अंग को शिथिल होने का आदेश देते है तो आपकी भावनाए उस अंग पर प्रभाव डालती है और आपके उस अंग में वाकई शिथिलता आने लगती है।

त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास – फायदा 

इस अभ्यास से सबसे बड़ा फायदा मन और शरीर पर नियंत्रण का स्थापित होना है। आप ना सिर्फ खुद को लम्बे समय त्राटक में स्थिर रख पाते है बल्कि आपको इसमें एक आनंद का अहसास ही होगा।

त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास प्राण ऊर्जा नियंत्रण

शवासन के अभ्यास के बाद किया जाने वाला अभ्यास प्राण ऊर्जा को बढ़ाने के लिए होता है इस अभ्यास में प्राण ऊर्जा को अनंत स्तर पर बढ़ा कर हम खुद को ओज और तेज से भरपूर बना सकते है।

इस अभ्यास को त्राटक के साथ इस लिए जोड़ा जाता है क्यों की जो लोग सम्मोहन सीखना चाहते है उन्हें सबसे ज्यादा प्राण से भरपूर होना होता है और प्राण ऊर्जा को बढ़ाने के लिए पिरामिड ध्यान के अलावा ये अभ्यास सबसे खास माना जाता है लेकिन इस अभ्यास को हमेशा प्राकृतिक तरीके से ही करना चाहिए।

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अभ्यास 

त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास में ये अभ्यास बिलकुल आसान है। प्राण ऊर्जा को बढ़ाने के लिए सबसे पहले तो शवासन में शरीर को बिलकुल शिथिल कर ले।

इसके बाद साँस पर नियंत्रण बनाए जिसके लिए आप 2 तरह से अभ्यास कर सकते है पहला सुखासन में बैठकर सांसो को देर तक रोके रखना। दूसरा शवासन की अवस्था में जब शरीर शिथिल हो जाता है तब सांसो को अंदर जितना रोक सके रोके रखना।

सांसो को देर तक अंदर रोके रखने के साथ साथ एक भावना इस अभ्यास में दी जाती है की जो प्राण ऊर्जा शरीर के अंदर रोके रखी है वो पुरे शरीर में प्रवाह कर रही है.

किसी अंग में ये भावना देने पर आप पाएंगे की प्राण ऊर्जा वास्तव में उस अंग में बहने लगी है जिसकी वजह से उस अंग में शुरू में ठंडापन फिर तेज या करंट सा प्रवाहित होता हुआ महसूस होने लगता है।

लाभ :

इस अभ्यास का सबसे बड़ा फायदा प्राण ऊर्जा का शरीर में बढ़ना है। दूसरा जो लोग उत्साह के मामले में निम्न है उनमे इस अभ्यास द्वारा आत्मविश्वास जगाया जा सकता है।

इसके अलावा आपके शरीर में तेज का बढ़ना और सबसे खास बात सम्मोहन में जो आकर्षण शक्ति होती है वो प्राण ऊर्जा से ही बनती है। इसलिए जिन लोगो को सम्मोहन सीखना है वो इस अभ्यास को त्राटक से 1 महीने पहले करना शुरू कर दे।

जहा तक बात असल अनुभव है की मैने भी शुरुआत इसी से की थी। इसके बाद त्राटक से मुझे काफी फायदा मिला था।

पढ़े : दर्पण त्राटक साधना करने से पहले जान ले इसके छिपे हुए खतरों के बारे किस तरह साधना के दौरान दर्पण साधक को प्रभावित करता है

इच्छा-शक्ति और भावनाशक्ति को बढ़ाना

इच्छाशक्ति और भावनाशक्ति ये दोनों तत्व आपके अंदर एक उच्च स्तर तक होना चाहिए।

मेरी इससे पहले की पोस्ट शरीर को रोबोट बनाने वाली पोस्ट इसी पर आधारित है लेकिन इस अभ्यास में थोड़ा बदलाव किया गया था।

आप चाहे तो शुरुआत त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास में से एक इसी अभ्यास से ही कर सकते है।

इस अभ्यास से आप जीवन के किसी भी मोड़ पर कोई भी निर्णय लेंगे तो कभी फ़ैल नहीं होंगे दूसरा ना ही आप उसमे खुद को फंसा हुआ महसूस करेंगे जो कई लोग महसूस करते है।

ये अभ्यास शुरू में शवासन की तरह ही है। इसके बाद आपको खुद के लिए कुछ निर्देश का समूह तैयार करना पड़ता है।

इस अभ्यास को आप दोपहर में कर सकते है जब आप खाना लगभग 2 घंटे पहले खा चुके हो।

इसके पीछे की वजह है शरीर का सभी तरह की हरकत को न्यूनतम कर देना फिर चाहे वो शरीर में खाना पचने की क्रिया ही क्यों ना हो।

पढ़े : त्राटक साधना में विचारशून्य की स्थिति कैसे प्राप्त करे सबसे आसान तरीके

अभ्यास

सबसे एक ऐसे कमरे का चुनाव करे जहा आपको एक घंटे तक कोई परेशान ना करे ना ही किसी तरह का कोई व्यवधान हो।

साफ हवा वाला कमरा साथ ही कम से कम सामान हो ऐसे कमरे का चुनाव सबसे बढ़िया है। एक दरी निचे फर्श पर बिछा ले और लेट जाइये।

सबसे पहले तो खुद को शवासन की स्थिति में ले जाइये जब ऐसा हो जाये तब किसी एक अंग को भावना दे।

ये भावना किसी भी तरह की हो सकती है लेकिन इसका मकसद उस अंग में आपके आदेशानुसार परिवर्तन होना चाहिए।

जैसे की आप भावना दे की आपका अमुक अंग हवा में ऊपर उठ रहा है या फिर अमुक अंग में बिलकुल हरकत नहीं है।

आप चाहे तो इस अभ्यास को न्यास ध्यान की तरह ही कर सकते है। इस अभ्यास को बिलकुल इसी तरह किया जाता है। फर्क है सिर्फ भावना देने का।

त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास – लाभ 

इच्छा-शक्ति और भावना-शक्ति को मजबूत बनता है जिससे आप निर्णय लेने में सक्षम होते है।

अक्सर देखने में आता है की हम दिनभर हजारो तरह की इच्छाए करते है लेकिन एक भी पूरी नहीं होती है। इस अभ्यास द्वारा हम इच्छाओ को पूरा करने और तय किये गए काम को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम बन जाते है।

त्राटक के साथ किये वाले अभ्यास – विचारशून्यता

विचारशून्यता का अभ्यास वैसे तो बुद्ध ध्यान प्रणाली का एक खास हिस्सा है लेकिन त्राटक में इसका बेहद खास और ज्यादा महत्व है। इसके पीछे की वजह है त्राटक के दौरान होने वाले अनुभव से साधक के मन का विचलित होना।

इसलिए जब भी त्राटक का अभ्यास पर्सनल डेवलपमेंट से ऊपर आध्यात्मिक और मानसिक स्तर पर किया जाता है साधक के चित को विचारशून्य बनाना आवश्यक होता है।

त्राटक में कई अनुभव ऐसे होते हैं जो एक क्षण के हजारवें हिस्से में घटकर एक अवस्था में साधक को ले जाते है लेकिन उस अवस्था में बने रहना सबसे बड़ी चुनौती होती है क्यों की साधक का मन इस परिवर्तन से विचलित हो जाता है।

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इसलिए त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास में विचार शून्यता का अभ्यास भी tratak के साथ किये वाले खास practice में से एक माना गया है।

अभ्यास

सुखासन या शवासन में इस अभ्यास को कर सकते है जिसके लिए शरीर का शांत होना बेहद जरुरी है। जितना ज्यादा देर आप इस अभ्यास में बैठे रहते है उतना ही ज्यादा अनुभव आप करते है। कुछ लोगो का कहना है की त्राटक या ध्यान में बैठे रहने से बोर होने लगते है या फिर ध्यान भटकता है।

इस तरह अभ्यास बिच में ना छोड़े। बैठे रहे क्यों की 10 या 15 मिनट बैठे रहने के बाद अचानक से ही आप ध्यान के उच्च स्तर में पहुँच सकते है। इस अवस्था को आप अभ्यास द्वारा नहीं पा सकते क्यों की ये सब अचानक ही होता है।

त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास – कैसे करे विचारशून्य :

मन को विचारशून्य बनाना है तो किसी अभ्यास की खास जरुरत नहीं बस किसी भी तरह की अल्फ़ा म्यूजिक की धुन लगा लो और खुद को उसमे पूरी तरह डूबा लो। त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास में अल्फ़ा म्यूजिक बढ़िया विकल्प इसलिए है क्यों की ज्यादातर लोग जब भी भावनात्मक रूप से बदलाव चाहते है तो म्यूजिक ही सुनते है।

इसलिए किसी भी एकांत की जगह आप बैठे या लेट जाए और अल्फ़ा म्यूजिक सुने। आप चाहे तो हलकी आवाज में हेडफोन भी लगा सकते है।

इससे आपका मस्तिष्क पहले तो किसी एक जगह एकाग्र होने लगता है धीरे धीरे विचारशून्य हो जायेगा और आप नींद में चले जायेंगे। विचारशून्य की अवस्था लम्बे समय तक बनी रहती है।

धीरे धीरे आप खुद को जाग्रत रह कर भी विचारशून्य बना सकते है। इसका एक लाभ किसी भी स्थिति में आपका अभ्यास में डर को दूर करना है है साथ ही अभ्यास में अनचाहे विचारो को दूर करना है।

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त्राटक के साथ किये वाले खास practice- लाभ

इस अभ्यास का सबसे बड़ा लाभ अनचाहे विचारो से छुटकारा पाना है जो आपके मन को विचलित करते है। इसके अलावा आप खुद को किसी भी स्थिति में नियंत्रित और स्थिर कर सकते है।

सबसे बड़ा लाभ जो है वो है इससे आप जब त्राटक में अच्छे स्तर पर अनुभव करने लगते है तो आप विचलित नहीं होते है।

दोस्तों आज की खास पोस्ट त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास कुछ ऐसे अभ्यास का मिश्रण है जो त्राटक के साथ या उससे पहले किये जाते है जिससे हमें त्राटक के साथ किये वाले खास अभ्यास के विभिन्न अभ्यास में अलग अलग अनुभव और लाभ। हम सभी जानते है की त्राटक सिर्फ पर्सनल डेवलपमेंट पर नहीं रुकता है।

इससे आगे भी मानसिक और आध्यात्मिक स्तर के लाभ है जिनके लिए हम इन अभ्यास को कर खुद में जो चाहे बदलाव ला कर फायदा ले सकते है

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