शिव डामर तंत्र एक ऐसी पुस्तक है जो खुद भगवान महादेव ने लिखी है. ऐसा माना जाता है की भूत डामर तंत्र के जरिये आप अपनी किसी भी इच्छा की पूर्ति कर सकते है. आमजन के कल्याण के लिए हमें प्राचीन डामर तंत्र रहस्य के बारे में जरुर जानना चाहिए. डामर तंत्र में अप्सरा साधना का वर्णन भी है.
आपने असली प्राचीन इंद्रजाल के बारे में पहले ही सुना होगा. ऐसी ही एक पुस्तक शिव डामर तंत्र है जिसे जन कल्याण के लिए लिखा गया था.
इंद्रजाल की तरह ही इस पुस्तक में तंत्र के आसान और दिव्य प्रयोग दिए हुए है.
शिव डामर तंत्र में ही आपको वशीकरण के सबसे आसान प्रयोग मिल जायेंगे जो करने में बेहद आसान है.
इस आर्टिकल में हम डामर तंत्र में अप्सरा साधना के बारे में भी बताने वाले है.भूत डामर तंत्र में अप्सरा साधना के कुछ ऐसे प्रयोग भी शामिल है जिन्हें आमजन के कल्याण के लिए भगवान् शिव ने ऋषि मार्केंडय को बताया है.
प्राचीन डामर तंत्र रहस्य में ऐसी कई गुप्त कला शामिल है जो आमजन के कल्याण के लिए प्रयोग की जा सकती है. भूत डामर तंत्र एक उच्च कोटि का विज्ञान है जिसके प्रयोग इंद्रजाल की तरह ही प्रभावी है और आसानी से किये जा सकते है.
डामर तंत्र में अप्सरा साधना Bhoot Damar Tantra Exploring the Ancient Indian Text
शिव डामर तंत्र एक ऐसी प्राचीन तंत्र से जुड़ी पुस्तक है जिसे कब किसने लिखा है ये साफ़ तौर पर कह पाना मुश्किल है. ऐसा माना जाता है की इस पुस्तक को 2000 ईसा पूर्व खुद मार्केंडय ऋषि ने लिखा था.
शिव डामर तंत्र में Hindu rituals and spiritual teachings का वर्णन है जिसमे मंत्र, मंत्रो का जागरण और उनके उच्चारण से जुड़ी खास जानकारियां शामिल है.
भूत डामर तंत्र पुस्तक को 2 भागो में विभाजित किया गया है. पहले भाग में साधना और मंत्र दिए हुए और दूसरे भाग में मार्केंडय ऋषि और महादेव के बीच के संवाद को लिखा गया है.
ये पुस्तक संस्कृत भाषा में लिखी गई है और इसके लिखने की शैली में काव्य शामिल है.
पुस्तक को काफी गूढ़ रहस्यों के साथ अलग अलग मीनिंग के साथ लिखा गया है. खुद भगवान् शिव ने इस पुस्तक के माध्यम से तंत्र के गूढ़ रहस्यों, आध्यात्म और जागरण के साथ साथ चेतना के मार्ग के बारे में काफी डिटेल से बताया है.
प्राचीन डामर तंत्र रहस्य में तंत्र के गूढ़ प्रयोग, वशीकरण, यक्षिणी, नाग लोक के तंत्र और अप्सरा साधना के प्रयोग के बारे में काफी जानकारी देखने को मिलती है.
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भूत डामर तंत्र और इंद्रजाल में समानता और गूढ़ रहस्यों का वर्णन
इंद्रजाल की तरह भूत डामर या शिव डामर तंत्र पुस्तक में कुल 9 अध्याय और अंग है. हर अध्याय में आपको तंत्र के विविध प्रयोग देखने को मिल जायेंगे. शिव डामर तंत्र के प्रयोग आमजन के कल्याण और खुद की भलाई के लिए प्रयोग किये जाने चाहिए.
इस पुस्तक को खास बनाती है इसकी समझाने की शैली और तंत्र के रहस्य जिन्हें आप आसानी से ना सिर्फ समझ सकते है बल्कि प्रयोग भी कर सकते है.
डामर तंत्र में अप्सरा साधना के साथ साथ पुस्तक में तंत्र का जिक्र करते हुए काफी डिटेल से किसी साधना और मंत्र को कैसे प्रयोग में लाना है, यंत्र का निर्माण करना है और कैसे उन्हें प्रयोग में लाना है इसके बारे में विस्तार से वर्णन किया हुआ है.
शिव डामर तंत्र पुस्तक का हिन्दू धर्म में काफी महत्त्व है और आध्यात्म की दृष्टी से भी ये पुस्तक काफी महत्त्व रखती है. अगर आपकी आध्यात्म में रूचि है तो यक़ीनन ये पुस्तक आपके लिए काफी कल्याणकारी सिद्ध हो सकती है.
सिर्फ तंत्र के प्रयोग ही नहीं इस पुस्तक को खास बनाता है महादेव का ज्ञान जो किसी भी इंसान को न सिर्फ आध्यात्म को समझने में मदद करता है बल्कि मोक्ष पाने में सहायक है.
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डामर तंत्र में अप्सरा साधना का सबसे आसान प्रयोग
आज बहुत से साधक घर पर अप्सरा साधना करना चाहते है. शिव डामर तंत्र में अप्सरा साधना के कई आसान प्रयोग है और अप्सरा के बंधन का विधान दिया हुआ है.
साधक को दोनों हाथों का मुद्राबन्धन कमलपुष्प के समान कर के दोनों मध्यमा अंगुलियों को शुचि ( हवन करने का काष्ठनिर्मित पात्र ) के आकार में रखे इससे दुःख का विनाश होता है.
ॐ बन्ध बन्ध हन हन अमुकीं हूं
इस मंत्र का जप करने से साधक किसी भी अप्सरा को उसके नाम से बंधन कर सकता है. दोनों हाथों को खडगाकृति करे. यह है सान्निध्यकारिणी मुद्रा.
इस मुद्रा द्वारा सभी अप्सराएँ तत्क्षण वश में हो जाती हैं. दोनों हाथों को पद्मावृत ( कमलपुष्प के समान ) करने से अप्सरा साधन मुद्रा होती है.
अप्सरा आवाहन मंत्र के जरिये आप उनका आवाहन कर सकते है. शिव डामर तंत्र में अप्सरा साधना प्रयोग का मंत्र निचे दिया हुआ है.
ॐ सर्वाप्सरः आगच्छ हुं हुं ॐ फट्
ॐ सर्वसिद्धियोगेश्वरि हुं फट् इस मंत्र के प्रयोग से आप अप्सरा के सानिध्य को प्राप्त कर सकते है.
ॐ क्लीं स्वाहा मंत्र को साधना में प्रयोग करते हुए अप्सरा को अपने सामने प्रकट किया जाता है और उनके वशीकरण के लिए ॐ वां प्रां हूं हूं यं हों मंत्र का आवाहन किया जाता है.
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