हम सभी ध्यानकी गहराई में उतरना चाहते है। और इसके लिए हम काफी प्रयत्न भी करते है लेकिन कई बार हम कोशिश करने के बाद भी इसमें सफल नहीं हो पाते है इसकी वजह है किसी भी ध्यान की 4 प्रमुख आवश्यकता को समझ कर उन्हें जाग्रता करना।
ये बिलकुल वैसा ही है जैसा हमारे जिन्दा रहने के लिए भोजन और पानी का सेवन। बात करते है ध्यान के लिए आवश्यक चरण की जिनकी वजह से आप ध्यान में गहरे अनुभव कर सकते है वो भी कम समय में। ध्यान के लिए आवश्यक चरण
अगर आप ध्यान में घंटो बैठे रहने के बाद भी कोई अनुभव नहीं कर पा रहे है तो बजाय ध्यान की तकनीक बदलने के आप निचे दिए चार योग्यताओ को अपने अंदर विकसित करे जो किसी भी ध्यान और त्राटक के अभ्यास में आपको कम समय में अच्छा अनुभव करने में सक्षम है। आपको सबसे पहले इसका बेसिक समझना होगा और इन्हे अपने अभ्यास में उतारना होगा।
शरीर को चैतन्य बनाना
शरीर को जब ध्यान की शुरुआत में आराम मिलता है तब वो शिथिल होने के साथ साथ हमें निद्रा की ओर ले जाता है। हम रोज शरीर को आराम देने के लिए सोते है लेकिन सही मायने में शरीर को आराम मिलता है ध्यान के समय क्यों की उस समय हम शरीर और मन दोनों पर नियंत्रण बनाते है। ध्यान की किसी भी तकनीक में हमें चार महत्वपूर्ण स्किल को जाग्रत करना होता है ताकि अनुभव मिले। आइये जानते है ध्यान के लिए आवश्यक चरण को और इनका ध्यान में क्या महत्व सब कुछ विस्तार से।
- उपस्थिति : ध्यान के वक़्त खुद को एक जगह उपस्थित रखना ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी।
- जागरूकता : हम कहा है इस बात का भान बने रहना।
- फोकस : एक जगह विचारो को फोकस रखने की क्षमता।
- एकाग्रता : एक जगह पर खुद को एकाग्र रखते हुए किसी अन्य गतिविधि पर ध्यान ना देना।
खुद को वर्तमान में रखना
ध्यान करते वक़्त हम ज्यादातर वर्तमान से हटकर अतीत की यादो में चले जाते है। ऐसा हर उस व्यक्ति के साथ होता है जो शुरुआती ध्यान कर रहा होता है। अगर आप लगातार 1 घंटे से ध्यान कर रहे है तो मुश्किल से 5 मिनट भी आप खुद को वर्तमान में नहीं रख पाते है।
ध्यान में मास्टर किसी भी चीज को मानसिक ऊर्जा से चलायमान कर देते है जैसे मानसिक शक्तियों के अभ्यास में आप पढ़ चुके है इसके लिए उनका सारा ध्यान सिर्फ वर्तमान में रहता है तभी वो ऐसा कर पाते है।
ध्यान में आप जितने आगे बढ़ते जाते है उतना ही आपके वर्तमान में रहने की अनिवार्यता बढ़ती जाती है। आप हर रोज ध्यान की शुरुआत में खुद को वर्तमान में रखने की कोशिश करते है लेकिन कुछ ही देर बाद मानसिक और भावनात्मक रूप से आप खुद विचारो के भंवर में खो जाते है।
ये सब आपके मस्तिष्क में लगातार गतिविधि को बढ़ाते है और यही वजह है की ध्यान में लगातार घंटो बैठे रहने के बाद भी आपका मन शांत नहीं होता है।
जब आपके मन में भावनाये और विचार जोर मारने लगते है तब आपका मस्तिष्क अतीत और भविष्य के बिच एक पेंडुलम की भांति घूमने लगता है। इससे बचने के लिए आपको फोकल ऑब्जेक्ट यानि ध्यान केंद्रित करने के लिए बिंदु की आवश्यकता पड़ती है। इसे आप आज्ञा चक्र पर ध्यान भी कह सकते है और त्राटक इसका सबसे अच्छा उदहारण है जिसमे हम लम्बे समय तक वर्तमान में रह सकते है।
जागरूकता को बढाए
ध्यान के लिए आवश्यक चरण में जब आप खुद को एक स्तर तक वर्तमान में रहने के लायक बना लेते है तब आपके अंदर जागरूकता बढ़ने लगती है। जैसे की आपने शवासन या फिर न्यास ध्यान किया तब आप शुरू में शरीर के शिथिल होने के साथ ही सोने लगते थे फिर कुछ दिन के अभ्यास के बाद आप खुद को चैतन्य रखने में कामयाब हो जाते है उस दौरान आप जब शरीर को शिथिल करते है तब हर हरकत आप महसूस कर पाते है।
जब आप न्यास ध्यान में शरीर के किसी भी भाग को शिथिल करते है तब आपकी सारी चेतना उस अंग पर चलती है।
आप उस अंग में शिथिलता को महसूस करते है यहाँ तक की उसकी सूक्ष्म गतिविधि भी आप खुद देखने लगते है जैसे की आप अपने शरीर से बाहर निकल कर सामने खड़े है यही चैतन्यता जागरूकता कहलाती है जो सिर्फ वर्तमान में रहती है अतीत या भविष्य में नहीं। खुद को ज्यादा से ज्यादा जागरूक बनाने के लिए हो रही गतिविधि का सूक्ष्म निरीक्षण करना शुरू कर दे बिना किसी प्रतिक्रिया के।
इससे आप खुद को बगैर किसी हरकत के ही ज्यादा से ज्यादा चैतन्य यानि जारूक महसूस करने लगेंगे।
दिशा दे अपने फोकस को
फोकस करना हमारे वर्तमान में रहने और उसके प्रति जागरूक बने रहने के लिए गाइड करता रहता है। जब आप ऊपर के दोनों चरण पार कर लेते है तब आपका दिमाग ज्यादा से ज्यादा फोकस होना शुरू हो जाता है।
हमारे विचार, वर्तमान में रहने की कला और जागरूकता खुद में इतनी प्रभावी नहीं है जितना इन्हे फोकस करने के साथ जोड़कर बनाया जाता है इसे आप Magnifying glass के उदाहरण द्वारा समझ सकते है।
सूर्य की किरणे हम पर पड़ती है तब वो इतनी शक्तिशाली नहीं होती है की वो हमें जला सके।
लेकिन वही किरण जब magnifying glass से गुजर कर हम पर पड़े तो हमें आसानी से जला सकती है। कहने का साफ सा मतलब है सिर्फ विचारो के वर्तमान में रहना प्रति जागरूक बने रहना काफी नहीं है उन्हें केंद्रित करना भी पड़ता है तभी हमारे विचारो में प्रभाव बनता है।
विचारो को फोकस करने के लिए आप त्राटक जैसे अभ्यास का सहारा भी ले सकते है। ध्यान में भी कुछ तकनीक में जैसे अंतर ध्यान में कुछ देर बाहर के माध्यम पर फोकस कर बंद आँखों द्वारा उसी माध्यम के आभासी पर फोकस किया जाता है। ये एक कला है खुद को फोकस करने के लिए और ध्यान के लिए आवश्यक चरण का अभ्यास इसमें काफी महत्वपूर्ण है
एकाग्रता को कैसे बनाये
फोकस होने के बाद के चरण में उस फोकस को लम्बे समय तक कैसे बनाये रखे ये एकाग्रता का काम है। यानि ध्यान के लिए आवश्यक चरण में से एक द्वारा क्षमता में आप किसी विचार पर ना सिर्फ फोकस होते है बल्कि लम्बे समय तक उस पर बने भी रहते है।
किसी भी चरण में हमें जबरदस्ती से एकाग्रता को बढ़ावा नहीं देना चाहिए क्यों की ये तनाव पैदा करती है। अगर आपका मन ध्यान में इधर उधर भागता है और आप जबरदस्ती उसे एक जगह एकाग्र करने की कोशिश में लगे है तो कुछ समय बाद तनाव और मानसिक थकावट महसूस करने लगते है।
इससे बचने के लिए आसान से माध्यम को अपने एकाग्रता अभ्यास का भाग बनाये।
कुछ समय तक ही एकाग्र होकर देखे। इससे आपको ज्यादा अच्छे रिजल्ट मिलेंगे क्यों की ध्यान में सही तरीके से बिताया गया कुछ पल का वक़्त उन घंटो की मेहनत से कही बेहतर है जिसमे आपने ज्यादा वक़्त खुद को फोकस और concentrate होने में बिता देते है।
अगर आप भी चाहते है की आप एकाग्रता पर अपनी पकड़ मजबूत बना सके तो आपको सबसे पहले फोकस करने की क्षमता को जाग्रत करना पड़ेगा। जब आप फोकस होने की क्षमता को बढ़ा लेंगे तो एकाग्रता अपने आप बढ़ने लगेगी। इसके लिए ऊपर दिए गए चारो स्किल को समझे और उन्हें अपने अभ्यास में जरूर उतारे।
फोकस जागरूकता से बढ़ता है और जागरूकता वर्तमान में रहने से बढ़ेगी।
प्रक्रिया को दोहराते रहिये
आप किसी भी ध्यान की प्रक्रिया में पूर्ण मास्टर नहीं बन सकते है जब तक की आप इन अभ्यास या योग्यता को अपने अनुसार ना बढ़ा ले। ऊपर बताये गए चारो योग्यताओ में पूर्णता हासिल करना संभव नहीं है फिर भी चरणबद्ध अभ्यास में इनको दोहराना आपको अपने इच्छित लक्ष्य की प्राप्ति में काफी मददगार साबित हो सकता है। इसके लिए आप निम्न चरण को अपनाये :
- शुरुआत में खुद को वर्तमान में रखना सीखे और एक स्तर तक इसका अभ्यास करे जब तक की आप खुद को जागरूक बनाये रखने में कामयाब नहीं हो जाते है।
- इसके बाद आप खुद को जागरूकता के उस स्तर तक ले जाये जहा पर आप फोकस करना सीख सके और इसके अभ्यास को आगे दोहराते रहे।
हालाँकि इन चार चरण में आप खुद को पूर्ण मास्टर नहीं बना सकते लेकिन चरणबद्ध तरीके से और अनुभव के आधार पर इनपर और ज्यादा पकड़ मजबूत करते रहिये और प्रक्रिया को तब तक दोहराते रहिये जब तक की आपको मनचाहे स्तर पर इनकी पकड़ ना मिल जाए।
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ध्यान के लिए आवश्यक चरण-अंतिम शब्द
दोस्तों हम ध्यान के बारे में पहले ही बाते कर चुके है और आज की पोस्ट में ध्यान में उतरने से पहले की प्रक्रिया में बताया गया है ये प्रक्रिया हर ध्यान की अवस्था और त्राटक में लागू होती है। इसे सही से समझ कर आप भी उन कारणों का पता लगा सकते है जिनकी वजह से आप ध्यान में नहीं उतर पाते है या फिर त्राटक में मनचाहे अनुभव नहीं हो रहे है।
very nice
सर जी मै भौं के बीच फोकस करता हू लेकिन हो नही पाता