अनचाहे विचारो से छुटकारा पाना है तो आजमाइए इन तरीको को


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विचार हमारे सबसे अच्छे दोस्त भी है सबसे बुरे दुश्मन भी क्यों की अक्सर हम लोगो के बिच अपने विचारो से लोकप्रिय भी बन सकते है और उनके लिए बुरे भी बन सकते है।  आज की पोस्ट में हम जानेंगे की कैसे हम अपने विचारो पर कण्ट्रोल पा सकते सकते है.

विचारो को कण्ट्रोल करना उनका दमन करना नहीं है उन्हें समझना और फिर दिशा देना है। वैसे तो आपको कई माध्यम मिल जायेंगे लेकिन आज बात करेंगे कुछ ऐसे तरीको की जिनसे हम अनचाहे विचारो को कण्ट्रोल करना संभव कर सकते है वो भी बिना किसी परेशानी के।

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अनचाहे विचारो को कण्ट्रोल करना

विचारो को कैसे कण्ट्रोल किया जाना सही है। ज्यादातर लोग सोचते है की विचारो के प्रवाह को रोकना ही सही है लेकिन क्या आप जानते है विचार और भावनाए कभी दमित नहीं होती है उन्हें एक जगह से दूसरी जगह सिर्फ परिवर्तित किया जा सकता है।

यही वजह है की में विचारो का दमन करने की बजाय उन्हें सही दिशा में ले जाना ज्यादा सही है क्यों की इससे हमारी शक्ति को हम सही जगह इस्तेमाल कर सकते है।

अनचाहे विचारो को कण्ट्रोल करना

विचारो पर नियंत्रण पाना आपको शायद आसान ना लगे लेकिन ये मुश्किल भी नहीं है लगातार अभ्यास द्वारा हर नामुमकिन को मुमकिन किया जा सकता है। इसके लिए आपको सिर्फ कुछ तकनीकी चीजे जाननी होगी जिन्हे निचे समझाया जा रहा है।

रुकना और गहरी स्वांस लेना

जब भी आपको लगे की आप विचारो की जगह अनचाहे विचारो में उलझने लगे है तो खुद को अचानक से विराम दीजिये और गहरी सांसे लेना शुरू कर दे।

ये सब इसलिए क्यों की अब आपका सारा ध्यान विचारो की बजाय उस विराम और गहरी साँस लेने की प्रक्रिया पर आ गया है।

शुरुआती तौर पर ये तकनीक काफी कारगर है क्यों की हमारे विचारो को हम सांसो के जरिये कण्ट्रोल कर सकते है।

इसके लिए आपको सिर्फ 90 सेकंड यानि सिर्फ 1:30 मिनट चाहिए अपने अनचाहे विचारो को साफ करने के लिए।

वापस उसी अवस्था में आना

जब आप ये कर ले तब वापस उस जगह अपना ध्यान फोकस करिये जहा से आपका कण्ट्रोल अपने विचारो पर से हटा था। आध्यत्मिक अनुभव में जब हमसे किसी चरण पर गलती होती है तब साधक को वापस उसी चरण पर फोकस होने की सलाह दी जाती है।

अब ये तो मुमकिन नहीं की एक ही स्टेप में एक ही गलती बार बार दोहराई जाये और इसी वजह से हमारा अनचाहे विचारो को कण्ट्रोल करना और भी ज्यादा मजबूत होता जाता है।

विचारो को बिना किसी प्रतिक्रिया के निरीक्षण करना

कई बार जब हम विचारो के भंवर में फंस जाते है तब हम खुद को बिना किसी प्रतिक्रिया के उसमे खो जाते है। इससे जब विचारो को प्रतिक्रिया नहीं मिलती है तो वो जल्दी शांत होने लगते है और हमें परेशानी का सही तरीका पता चलता है। इसे उदहारण के तौर पर समझे तो

आप जब भी किसी से मिलते है तो उससे पहले ही आपके मन में उससे जुड़े कई सवाल उठते है। इसके बदले में आप प्रतिक्रिया करने लगते है और फिर आपके मस्तिष्क को एक नया रास्ता मिल जाता है

सोचते जाने का आप जो प्रतिक्रिया करते है उसके उलट आपका मस्तिष्क भी नए नए विचार गढ़ना शुरू कर देता है फिर चाहे वो सही हो या नहीं ये सब आपकी कल्पना या पूर्वानुमान पर निर्धारित करता है। इसलिए इससे बचकर भी आप विचारो पर नियंत्रण पा सकते है।

अनचाहे विचारो की पहचान करना

अगर आप सिर्फ सोचते है उसके लिए कोई एक्शन नहीं लेते तो ये आपके मन में अनंत विचारो की प्रक्रिया को पैदा करता है। इसलिए जब भी कोई विचार आपके मन में उठे उसकी पहचान कर अपने जीवन में उसके महत्व की पहचान करे।

इस अवस्था से उबरने के लिए जो विचार आपके मन में उठते है उन्हें करना शुरू करे।

कई बार आपका मन आपको नए नए आईडिया देता है लेकिन किसी डर की वजह से आप एक्शन से घबराते है। इससे बचे और जो आपका मन आपको सुझाये उसे करके भी देखे। इससे अनचाहे विचारो को कण्ट्रोल करना तो होगा ही आपकी विचार क्षमता में सुधार भी होगा।

अपने आसपास के माहौल को बदले

कई बार जब आपके आसपास का माहौल आपके लिए अनुकूल नहीं होता है तब आप विचारो से परेशान होने लगते है। आप जिस तरह के माहौल में रहते है आपके मस्तिष्क में उसी माहौल से जुड़े विचार बनने लगते है।

इसके लिए आपको खुद में बदलाव करना जरुरी है।

खुद को आत्मविश्वास से भरपूर बनाये। विचारो को कण्ट्रोल करना माहौल में बदलाव से प्रभावित होता है।

गतिविधि बदले ध्यान और विचार बदलने लगेंगे

कई बार हम लगातार काम में फंसे रहते है और उससे जुड़े विचार कब अनचाहे विचारो में बदल जाते है पता ही नहीं चलता है।

इसके लिए आप ब्रेक ले लीजिये और अपना सारा ध्यान किसी दूसरी गतिविधि में लगाए।

म्यूजिक सुनना या बाहर टहलना सबसे अच्छा विकल्प है। इसे करने से भी अनचाहे विचारो को कण्ट्रोल करना सरल हो जाता है और आप वापस फ्रेश दिमाग के साथ अपने विचारो पर फोकस हो सकते है।

दोस्तों से बाते करिये

कई बार दोस्तों से बात करना हमारी हर टेंशन को भुला देता है। तो फिर अपनी समस्या उनसे क्यों ना शेयर की जाए।

दोस्तों से बाते करना और गप्पे लड़ना हर समस्या का समाधान है और फिर आप चाहे तो दोस्तों के सामने अपनी समस्या रख सकते है। अनचाहे विचारो की बजाय वो आपको समस्या का बेहतर समाधान दे सकते है।

क्यों की हो सकता है उनका और आपका सोचने का नजरिया समान ना हो और इसीलिए वो आपसे बेहतर सोच सके। ज्यादातर लोग दोस्तों द्वारा अनचाहे विचारो को कण्ट्रोल करना बेहतर तरीके से जानते है।

इन सभी उपाय का पालन करके आप अनचाहे विचारो से अपना ध्यान हटा सकते है। इससे आप कुछ समय के लिए अनचाहे विचारो से छुटकारा पा सकते है। जब आप ये कर ले तो लम्बे समय तक विचारो पर कण्ट्रोल करना सीखना जरूर शुरू करे।

विचारो पर कण्ट्रोल कैसे बनाये रखे

हमारा मस्तिष्क इस ब्रह्माण्ड की शायद सबसे जटिल सरंचना है क्यों की इसमें घटनाओ को सहेजने की और उन्हें वापस रिकॉल यानि याद करने की क्षमता है। इसलिए विचारो के आने का चुनाव नहीं करे बल्कि उनके उभरने की गतिविधि पर ध्यान रखे।

हम किसी भी विचार को आने से नहीं रोक सकते है लेकिन हर वक़्त मुझे विचारो को रोकना जैसे विचार मन में लाना एक तरह से उन विचारो को उभारना है जिनसे हम बचना चाहते है।

हर वक़्त घटनाओ को ignore करना permanent solution नहीं है। इसलिए कोशिश करे जब भी विचार आये उसे रोकने की बजाय उसके उभरने पर कण्ट्रोल बनाये।

मस्तिष्क को दे जरुरत के हिसाब से आराम हमें भरपूर नींद लेनी चाहिए जिसका सामान्य वक़्त 7-8 घंटे रोजाना का है। ये न सिर्फ अनचाहे विचारो से मुक्ति दिलाता है बल्कि बेहतर तरीके से सोचने के लिए भी हमें तैयार करता है।

उस वजह का पता करना जिसकी वजह से अनचाहे विचार आते है ये काम ज्यादा मुश्किल नहीं है। हम अपने विचारो पर विराम दे कर वापस कुछ देर बाद उसी अवस्था में लौटने पर उस वजह का आसानी से पता लगा सकते है। इसके लिए आपको कुछ देर के लिए अपने विचारो को रोक कर वापस उसी जगह पर आना होता है जहा से विचारो की जगह अनचाहे विचार ले रहे है। उस घटना का पता चलने से आप आसानी से उसका समाधान कर सकते है।

ध्यान और प्राणायाम करना विचारो को बनता है और भी बेहतर ध्यान और प्राणायाम हमारे सांसो को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही विचारो में कमी भी लाता है जिसकी वजह से हम अनचाहे विचारो से छुटकारा पाते है और बेहतर सोच सकते है।

विचारो को दे सकारात्मक माहौल कई बार हम विचार करते है लेकिन हमारा मन नकारात्मक विचारो से घिर जाता है जिसकी वजह से अनचाहे विचार उभरने लगते है ये बिलकुल वैसा है जैसे एकांत में हमारे अंदर असुरक्षा की भावना आना। इसलिए अपने मस्तिष्क और मन दोनों को सुरक्षात्मक आवरण जरूर दे जसिके लिए मनोबल को मजबूत करना आवश्यक है।

हम हर चीज को कण्ट्रोल नहीं कर सकते है कई बार अनचाहे विचार हमारी अधूरी आकांशाओ का रूप भी लेते है। जैसे की हम हर चीज को कण्ट्रोल नहीं कर सकते है ऐसे में विचारो से उस हालत से लड़ने की बजाय समर्पण करना अनचाहे विचार का खत्म करने जैसा है। इससे मन निर्मल हो जाता है और हम वापस सामान्य अवस्था में लौट जाते है।

दोस्तों अनचाहे विचारो को कण्ट्रोल करना वैसे तो बहुत मुश्किल काम है लेकिन अगर इसे सही दिशा देकर किया जाए तो हम इसे अपने दैनिक जीवन में आसानी से अमल में ला सकते है। आज की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देकर हमें बताये की हमारा आर्टिकल आपको कैसा लगा और आप विचारो को कण्ट्रोल करने के लिए इनमे से कोनसी तकनीक आजमाते है।

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