तीसरे नेत्र छटी इंद्री और आज्ञा-चक्र जागरण की सबसे सरल ध्यान विधि


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तीसरा नेत्र या तीसरी आंख के बारे में जानना आज भी उतना ही रोचक है जितना हम इसे समझते जा रहे है। लेकिन क्या आप ये जानते है की तीसरे नेत्र का जागरण का वास्तविक महत्व क्या है, तीसरी आंख कैसे जाग्रत की जाती है और सबसे बड़ी बात छटी इंद्री क्या है ?

आज्ञा चक्र जागरण क्या है और कैसे किया जाता है। ये सभी चीजे जो हमारे आध्यत्मिक स्वरूप से जुड़ी है ज्यादातर लोग आज भी ये जानना चाहते है की तीसरी आंख कैसे खोले।सबसे पहले तो आप ये जान ले की तीसरी आंख का विज्ञान की दुनिया में भी वजूद है और इसमें तीसरी आंख या यू कहे की छटी इंद्री को Pineal gland पीनियल ग्लैंड कहते है।

वैज्ञानिक आज भी तीसरे नेत्र का जागरण पर रिसर्च कर इंसान की वास्तविक क्षमता का पता लगाने की कोशिश कर रहे है।

हम अलग अलग जगह पर इससे जुड़ी अलग अलग जानकारिया पढ़ सकते है। sixth sense यानि छटी इंद्री को समझना थोड़ा सा मुश्किल है क्यों की ये हर इंसान की क्षमता के अनुसार विकसित होती है जिसे बाद में अभ्यास द्वारा बढ़ाया भी जा सकता है।

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तीसरे नेत्र का जागरण की सरलतम विधि 

विज़न यानि काल की घटनाओ की झलकियां देखना। यहाँ काल का मतलब तीनो काल है और झलकियां प्रदर्शित करती है ऐसी घटना की ओर जिस पर हमारा नियंत्रण नहीं होता है।

हम जो भी देखते है या महसूस करते है उसमे हमारा कोई अभ्यास नहीं होता है बस कुछ पल के लिए हम काल की घटनाओ को महसूस करते है और भूल जाते है। कुछ लोग इन्हे याद करने के लिए कई तरीके भी आजमाते है जिनमे से एक है डायरी लिखना। इसलिए अगर इसे एक जटिल प्रक्रिया कहे तो गलत नहीं होगा।

तीसरी आंख और इसके अलग अलग मतलब

आपने सबसे पहले तीसरे नेत्र यानि Third eye के बारे में कब सुना शायद बचपन में जब अपने धार्मिक सीरियल देखे तब। लगभग हर किसी ने यही से इसके बारे में सुना है और उसके मन में एक उत्सुकता बनी थी की काश में भी तीसरे नेत्र को जाग्रत कर सकता।

अलग अलग जगह तीसरे नेत्र को खोलने की प्रक्रिया है जिनमे प्रसिद्ध है तिब्बत की क्रिया इसमें चीरा लगाकर तीसरे नेत्र को जाग्रत किया जाता है जो की एक उच्च स्तर की प्रक्रिया है। इसके अलावा ध्यान में भी तीसरे नेत्र का जागरण की कई विधियों के जिक्र है।

तीसरी आंख पर ध्यान करना प्याज की परत को उधेड़ना है। जिस तरह प्याज में परते होती है वैसे ही हमारे आज्ञा चक्र के चारो और परत का जाल है जो हमारे विचारो द्वारा पैदा किया गया होता है। ध्यान द्वारा एक एक कर इन परत को खोला जाता है और अंत में शून्यता के साथ हम अनंत ब्रह्माण्ड में किसी भी तरंग को पकड़ने में सक्षम हो जाते है। आज्ञा चक्र का मुख्य कार्य ही विचरण करती तरंगो को पकड़ना है।

तीसरी आँख से जुड़े रोचक फैक्ट

तीसरी आंख से जुड़ी कुछ बेसिक बाते जो आपको इसके बारे में और ज्यादा स्पष्ट करेगी जानिए ऐसी ही कुछ बेसिक बातो को।

1.) स्थिति : माथे के आगे की ओर दोनों भोहों यानि eyebrow के मध्य।
2.) रंग : इंडिगो लाल और नीले रंग का मिश्रण।
3.) ध्वनि : ॐ का जाप जिसमे o सूर्य तत्व और m चंद्र तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।
4.) तत्व : विधुत तरंगो का स्वरूप यानि टेलीपैथिक ऊर्जा।
5.) सेंस यानि अहसास : भाव द्वारा।

तीसरी आंख कैसे काम करती है :

जिस तरह हम खुली आँखों द्वारा देखते है ठीक वैसे ही तीसरी आंख द्वारा होता है। तीसरी आंख को देखने के लिए जिस ऊर्जा की जरुरत पड़ती है वो उसे आंखे बंद करने पर मिलती है। यानि जब हमारी आंखे बंद होती है तभी हम तीसरी आंख द्वारा देखने की प्रक्रिया की शुरुआत कर सकते है।

तीसरे नेत्र का जागरण की शुरुआत करिये ध्यान द्वारा क्यों की ये सबसे आसान और सरल है।

तीसरे नेत्र का जागरण की सरलतम विधि

ध्यान में सांसो पर नियंत्रण कर तीसरे नेत्र के जागरण की सरलतम विधि का जिक्र है जिसे हम कई स्टेप्स में पूरा करते है। इस अभ्यास के सभी चरण अपने आप में पूर्ण भी है और अलग अलग अनुभव प्रदान करने वाले है।

चरण-1

सबसे पहले तो ध्यान की अवस्था में आ जाये जिसमे आप सबसे ज्यादा आरामदायी महसूस करते है। इसके बाद अपने शरीर, मन और भाव को शिथिल करने की प्रक्रिया शुरू करे। शरीर और मन को आरामदायक स्थिति में लाने के बाद पूरा ध्यान अपनी सांसो पर ले आये।

अगर ध्यान भटक जाए तो घबराये नहीं फिर से अपना ध्यान सांसो पर एकाग्र करे। सांसो के आने जाने पर जो ध्वनि उत्पन होती है उसे सुनने की कोशिश करे।

चरण-2

दूसरे चरण में आप अपनी आँखे बंद कर ले और अपना ध्यान अपने दोनों आँखों के बिच eyebrow के मध्य यानि नाक की सबसे ऊपरी तरफ जहा दोनों आँखों के बिच गहराई है वहा फोकस करे। कुछ समय बाद आपको एक चमकीला बिंदु दिखाई देगा।

ये बिलकुल ऐसे ही है जैसे आप किसी गहराई में उतर रहे हो। लेकिन आपको अपना ध्यान उस सुरंग की बजाय चमकीले बिंदु पर रखना है। हो सकता है आपका ध्यान भटकने लगे और आपको बिंदु के अलावा कई चीजे दिखाई देने लगे। ऐसे में उन पर ध्यान ना देने से आप उन्हें इग्नोर कर सकते है।

आप चाहे तो अपने अंगूठे को अपने आज्ञा चक्र की जगह छुआ कर रख सकते है। शुरुआत में इस क्षेत्र पर दबाव आपको एकाग्र रहने में मदद कर सकता है।

जैसे त्राटक में हम खुली आँखों से करते है। इससे आपको एक फायदा और होगा की आपके मन में आने वाले विचारो के कम्पन हटने लगेंगे और आप ज्यादा से ज्यादा फोकस हो सकेंगे।

तीसरा चरण :

जब आप ऊपर के दोनों चरण पार कर लेते है तब आपको शून्य की अवस्था प्राप्त होती है। इस अवस्था में आपको अपने शरीर का भान भी नहीं होता है। जब आप शून्य की अवस्था में पहुँच जाते है तब आप शारीरिक बंधन से मुक्त हो जाते है और अपने आसपास की विचरण करती तरंगो को कैच करने लगते है।

इससे आप काल की झलकियां देखने में कामयाब हो जाते है। तीसरे नेत्र जागरण की तीन अवस्था में हमें ध्यान देना चाहिए की हमारा मानसिक स्तर संतुलन की अवस्था में हो। कम या ज्यादा की अवस्था में हम उदासीनता या फिर अहम जैसे भाव में भी फंस सकते है।

तीसरे नेत्र का जागरण में सावधानिया

Third eye के activation को लेकर आपकी क्या उम्मीदे हो सकती है और आप क्या महसूस कर सकते है इसे लेकर आपको सावधान रहना चाहिए। कई बार हम कुछ ऐसे झलकियों को महसूस करने लगते है जो हमारे लिए डरवाना अनुभव बन सकती है।

हिंदू धर्म में तीसरे नेत्र को हमारे आध्यत्मिक स्तर से जोड़ा जाता है। उनके अनुसार तीसरा नेत्र यानि आज्ञा चक्र हमें अंतर की यात्रा में सहायता करता है। इसके बारे में हम पढ़ चुके है।

तीसरे नेत्र का जागरण के वक़्त जरुरी नहीं की हमें वही अनुभव हो जो हम चाहते है। जैसे की आपके मन में इच्छा होती है की आप खुद से जुड़ी काल की घटनाओ को महसूस करे। लेकिन जब आप उस अवस्था में पहुँचते है तब आपका तीसरा नेत्र ब्रह्माण्ड में विचरण करती अनचाही तरंगो को पकड़ सकता है।

ज्यादातर अनुभव में जब तीसरे नेत्र के जागरण में खुद से जुड़ी घटनाओ को देखने की बजाय दुसरो की घटनाओ को आसानी से देख पाते है। ये सही भी है और नहीं भी निर्भर करता है आपका उदेश्य क्या है। क्यों की कुछ लोग इसे एक व्यवसाय के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए भी करते है।

Read : भगवान महादेव का शक्तिशाली त्रिनेत्र खोलने का मंत्र और साधना का विधान

अंतिम शब्द

हर इंसान में थोड़ी बहुत कालन्तर की घटनाओ की झलकियां देखने की शक्ति होती है। लेकिन ये तब संभव है जब हमारा मन भावुक हो इस हालत में अनुभव जल्दी होते है।

ज्यादातर लोग तीसरे नेत्र का जागरण को समझने के बजाय इससे डरने लगते है क्यों की वो अपने अनुभव शेयर नहीं कर पाते है इस डर से की उन्हें असामान्य ना समझ ले या फिर उनका गलत फायदा ना उठा ले।

दोस्तों ये कुदरत की वो देन है जिसे हर इंसान महसूस कर सकता है।

पर जरुरत है तो बस कुछ पल के लिए ही सही मस्तिष्क को उस अवस्था में ले जाया जाए। आज की पोस्ट तीसरे नेत्र का जागरण भी एक कड़ी का पहला भाग है। अनुभव और घटनाओ के आधार पर हम आज्ञा चक्र, विज़न, और तीसरे नेत्र के बारे में और भी जानेंगे अगली पोस्ट में इंतजार करते रहिये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे। तीसरे नेत्र का जागरण

21 thoughts on “तीसरे नेत्र छटी इंद्री और आज्ञा-चक्र जागरण की सबसे सरल ध्यान विधि”

  1. तृतीय नेत्र जागरण की जानकारी बहुत अच्छी है ,

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  2. सर मुझे पीले रंग के सिम्टम्स नंगी आंखों से विचरण करते हुए दिखाई देते है

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  3. Sir, Muje dhyan karne par kabhi lal kabhi Hara, kabhi bengni, kabhi Nila Colour ke dhabe ya gole dikhte he. iske alawa 3-4 mahino se kabhi- kabhi jab me raat ko soo jaata hu phir kuch der baad 20-40 minut jab aankh khol kar dekhta hu to muje diwar per hare ya lal pile dhabe dikhate he, but unko lagatar dekhne per wo dhabe video me badal jate he dewar per kuch bhi dekihta he jaise projector chal raha ho. per saaf nahi dikhata he kyoki aanhko per jyada jor dene per thoda saaf hota he. jisse me 1-2 minute se jyada nahi dekh pata hoo, aur muje khabi apne ghar ki koi jagah to kabhi kuch bhi dikhata jaise kabhi mandir me puja hoo rahi he pujari betha he bhajan kar raha he aur bhagwan ki murti dikhti he per konse bhagwan ki murti he clear nahi dikhta, to kabhi kahi koi hawan hota dikhta he, bit kabhi kisi insan ka chahra nahi dikhata he. chehra bilkul dhundhla hota he, kabhi koi hara-bhra rungin phula wala jungle dikhta he.

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    • Thanks Sir but muje Dyan ke waqat kuch nahi dikhta kewal color wale dhabo ya golo ke, lekin Raat ko sone per he kuch der baad aankhe khol kar dekhne per diwar par kuch bhi djik jata he. us time me bilkul jagrat avasta me hota hu na nind me na dhyan me. baki sabcuch us waqat bhi dyan rahta he kon kya kar raha he aadi. jaise he diwar se dusri traf dekhta hoo wo chitra ya video dhundla hokar gayab ho jata he. aur me roj kewal 10-15 minut hi dyan karta hoo wo bhi puja ke waqat subah.

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  4. Hi sir from last six months I m working on kundli jagaran but I dont it’s working or not. Plz update regarding this issue

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  5. Jab bhi main ankh band karta hoon mera agya chakra ghoomne lagta hai Kumar ji kiya mujhe step by step batayenge kiya karoon please sir

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  6. Sir m Kai Din se meditation kar rhi hu
    Spiritual mediation
    Muje sar m bot tej halchl mehsus hoti h
    Or Jb bilkul dhyan lg jata h to begini colour najar aata h
    Kbi om or Kbi bhole Baba najar aate h
    Raat ko Sote wqut body bilkul ase ho jati h jse m ud rhi hu
    Sir please btaye Ye sb kya h or m kse Apni third eye open kr skti hu

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  7. Sir, mujhe 10 days se blue colour dikhai deta hai jb bhi me apni eyes close krta hu nd ab blue colour thotha halka dikhai dee rha hai phle bhut dark dikhai deta tha nd ab blue nd indigo colour dono mix hote hue dikhai dete hai par bhut hii hlka dikhai deta hai indigo colour nd blue also ye kya hoo rha hai plz tell me sir,

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  8. कुमार जी न्ंस्कार ॥
    कुमार जी, मे पिछले कुछ महीनो से दीपक त्राटक का अभ्यास कर रहा हु,, मुझे लगता है बहुत ज्यादा तो नही लेकिन फर्क कुछ न कुछ तो पड़ ही रहा है,,, श्रीमान मैं आपको बताता हु ,, की मे रोज सुबह पूजा के बाद पूजा वाले कमरे मे ही बैठ कर दीपक त्राटक का अभ्यास करता हु लगभग 10-15 जब तक आंखो से पानी न जाए तब तक तो करता ही हु,, लेकिन अब जब भी मैं अपनी आंखे बंद करता हु तब मुझे एक सफ़ेद बिन्दु नज़र आता है॥ और कभी जब मे अंधेरे मे भी बैठा होता हु तो अंखे बंद करने पर ऐसा लगता है जैसे मेरी आंखो के आगे बहुत सी लाइट जल रही है बहुत उजाला है ,,, कृपया इस अवस्था के बारे मे कुछ प्रकाश डाले ।
    अगर इस बारे मे आप मुझे मेरे ए-मेल एड्रैस पे भी बता सहे तो आपकी कृपा होगी । धन्यवाद

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  9. Sir mujhe dhyan lagane pr Surya jesi chamkili akriti dikhti hai or fir beej mantro ke akhshar dikhte he kbhi kbhi iska kya matlab hai

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  10. Kumar sir namaskar , mera nam Aman Sharma hai mai Delhi se hu, mai 28 sal ka hu, jab bhi mai puja me dhyan lagata hu, tab mere eye brows ke beech me thoda sa upar bohot tez vibration hone lagta h, mene pehle kbhi meditation nahi kiya, but mujhe bohot log bolte h, dhyan karne ke liye, Mai zameen par palti karke nhi baith sakta, mujhe AVN disease h. August 2020 se COVID ke bad hi ho gyi thi. Mai jb bhi seedha laet kar ankh band karke apni saans par dhyan deta hu to vichar Ane band to ho jaye hai. But jab mai mathe par dhyan kendrit karne ki koshish karta hu to, mujhe aisa dikhta hai jaise mai kisi jwalamukhi ke muh me utarta ja rha hu matlab kuch orange colour ki deewar wala gol aakar ke deep me ja rha hu but kuch bhi dhyan nhi laga pa rha, mujhe b apni third eye open k liye jaan na h, maine bohot padha h aur guruon se suna bhi h ki kisi kisi ki to ek choti si ghatna se bhi ek pal me third eye activate ho jati h. Please meri email par reply kare. Thankyou.

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