आपने कभी गौर किया है की जब भी हम कोई शुभ कार्य करते है दिशा पूजन जरूर किया जाता है। सुरक्षा के लिए भी हम सभी दिशा का कीलन करते है.
तंत्र मंत्र की साधनाओ मे साधक शरीर सुरक्षा के लिए कीलन करते है तब भी वे दिशाओ को बांधते है. क्या इसका वशीकरण से कोई संबंध हो सकता है ? हर दिशा के लिए होता है एक दिकपाल और जब हम इनकी साधना करते है तब हमे उस दिशा से सुरक्षा प्राप्त होती है.
आइये बात करते है दिकपाल साधना के बारे मे. दिकपाल की साधना करने से हमे दूर आकर्षण की शक्ति प्राप्त होती है.
ऐसा माना जाता है की दिकपाल का संबंध दिशा से है और जब दिशा का बंधन किया जाता है तब हम दूरी के प्रभाव को कम कर पाते है.
अगर आप दूर वशीकरण करना चाहते है या दूर बैठे किसी व्यक्ति पर अपना आकर्षण का प्रभाव डालना चाहते है तो आपको अंगुल साधना की शुरुआत करनी चाहिए.
अंगुल साधना मे हम अपने अंगुलियो के आकर्षण की साधना करते है ओर इसके जरिये हम दिकपाल यानि हर अंगुली से जुड़े देव की साधना करते है. हमारे हाथो की 10 अंगुलियाँ ( अंगूठा भी ) 10 अलग अलग दिशा से जुड़ी है ओर इनसे जुड़े है अलग अलग देवता भी.
वशीकरण के लिए जिस दिशा का चुनाव किया जाता है उसके अनुसार ही दिकपाल की साधना की जाती है।
देखा जाए तो गांवो मे आज भी दिकपाल साधना की जाती है. ऐसा माना जाता है की दिकपाल उस दिशा से हमे सुरक्षा प्रदान करते है साथ ही कई तरह की समस्या का निवारण भी.
आज भी कई जगह कुछ बीमारियो का इलाज भी इन दिकपाल की पूजा करने से किया जाता है. इस पोस्ट मे जानते है दिशा पालक यानि दिकपाल के बारे मे.
दिकपाल साधना और दूर से वशीकरण
अगर आप वशीकरण की साधना कर रहे है तो आपके लिए नजदीक के किसी व्यक्ति पर वशीकरण का प्रभाव डालना आसान हो सकता है लेकिन क्या होगा अगर सामने वाला माध्यम आप से हजारो किलोमीटर दूर हो.
ऐसी स्थिति मे आप क्या करेंगे ? दिकपाल की साधना आपको दूर बैठे व्यक्ति पर वशीकरण करने मे हेल्प करती है.
दिकपाल मतलब दिशा का रक्षक ओर हर जगह की सीमा पर इंका वास होता है ऐसी आज भी कई जगह पर मान्यता है खासकर गाँव वाली जगह पर.
दिकपाल की साधना मे आपको अपने हाथ की सभी अंगुलियो पर नियंत्रण करना होता है. इसके बाद दिकपाल दूरी को कम कर देते है और आपको आकर्षण के लिए आसानी रहती है.
इस साधना को आप जन कल्याण के लिए काम मे ले सकते है मगर बगैर किसी फीस के ये काम न करे और जितनी भी फीस हो उसका दशवा हिस्सा दिकपाल को भेंट करना होगा.
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क्या होते है दिकपाल
दिशा के लिए नियुक्त किया जाता है दिकपाल को और दिकपाल साधना में धर्म के अनुसार दिशाए 10 है और हाथ की अंगुलिया और अंगूठे ये सब मिलकर भी 10 की संख्या को पूरा करते है.
सभी दिशा से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए दिशा पूजन और कीलन किया जाता है. इन 10 दिशा के अनुसार उनके नियुक्त किए गए दिकपाल इस प्रकार है.
- उर्ध्व : ब्रह्मा
- ईशान : शिव
- पूर्व : इंद्र
- आग्नेय : अग्नि देव
- दक्षिण : यम
- नैऋत्य : नऋति
- पश्चिम : वरुण
- वायव्य : वायु देव
- उत्तर : कुबेर
- अधो : अनंत
उर्ध्व दिशा के सरंक्षक ब्रह्मा माने जाते है और अगर आपको कुछ मांगना है तो आकाश से मांगे. ब्रह्मांड हमारी हर जरूरत को पूरा करता है इसलिए जो भी अभिलाषा रखे इसी ब्रह्मांड से रखे।
वराह पुराण की माने तो जब ब्रह्मांड की रचना करने के लिए ब्रह्मा ध्यान मे थे तब उनके कान से 10 कन्या का सृजन हुआ.
इन 10 कन्या मे 6 मुख्य और 4 गौण थी। ब्रह्मा जी इन कन्याओ को अपने अनुसार दिशा का चयन करने के लिए कहा ओर उसी के अनुरूप पति का चयन करने के लिए कहा. तब उन कन्या ने अपने पति का चुनाव किया जो की निम्न था.
- पूर्व के इंद्र
- दक्षिण-पूर्व के अग्नि
- दक्षिण के यम
- दक्षिण-पश्चिम के सूर्य
- पश्चिम के वरुण
- पश्चिमोत्तर के वायु
- उत्तर के कुबेर
- उत्तर-पूर्व के सोम।
ऊपर आकाश की और ब्रह्मा स्वयं गए और पाताल मे उन्होने शेष या अनंत को प्रतिष्ठित किया.
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अंगुली पर नियंत्रण करने की साधना
दिकपाल साधना के लिए आपको अंगुल साधना करनी होती है. दिकपाल साधना आसान है मगर संयम के साथ इसे पूरा करना होता है इसलिए साधना के लिए मानसिक रूप से खुद को तैयार कर ले और फिर साधना का अभ्यास करे.
- अपने हाथो की चार अंगुली को आपस मे चिपका ले इसी तरह दूसरे हाथ की भी चारो अंगुलियो को आपस मे चिपका ले. आगे की ओर मोड़ कर थोड़ा सा झुका ले.
- अब दोनों दोनों हाथो की अंगुली को आमने सामने रखे. इनके बीच की दूरी ज्यादा से ज्यादा एक सूत होनी चाहिए.
- दोनों हाथ के अंगूठे को सीधा रखे ओर अनामिका अंगुली के ऊपर के पौर के सामने रखे.
- ये मुद्रा अंबुज मुद्रा कहलाती है और आंखो से ठीक 9 इंच की दूरी पर ये मुद्रा बनती है.
हमे अपनी नजर को दोनों हाथो के बीच जो खाली जगह होती है वहाँ पर रखनी होती है. बिना किसी संकल्प के इस दिकपाल साधना के अभ्यास को 1 मिनट तक लगातार करना होगा. एक महीने तक इसका अभ्यास करे और फिर आप प्रयोग के लिए तैयार हो जाते है.
दिकपाल साधना का अभ्यास
दाहिने हाथ के अंगूठे के पौर ( 3 हिस्से मे से एक ) पर लाल चन्दन या मसूर की दाल पीसकर कर लगा ले और बाए हाथ के अंगूठे के पौर पर काजल लगा ले.
इन दोनों अँगूठो को सामने रखे और नजर को स्थिर करते हुए मानस मंत्र का जप करे. “हुं” बीज मंत्र का 108 बार मानस जप बिना जीभ हिलाए करना है बिना किसी हरकत के.
इसी तरह 11 दिन तक दिकपाल साधना का अभ्यास करे और फिर आप 12 वे दिन जिस व्यक्ति पर आपको वशीकरण का प्रयोग करना है उसके चित्र को जमीन पर रखे और दोनों अँगूठो को उस पर दबा ले और इस मंत्र का जप करे.
झां झां झां हां हां हें हें हूं
इस मंत्र का 108 बार मानस जाप करने से व्यक्ति चाहे कितना भी दूर क्यो न हो उस पर आकर्षण का प्रभाव होना शुरू हो जाता है.
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दिकपाल साधना के दौरान हमे क्या करना चाहिए
दिकपाल की साधना एक उत्तम ओर सात्विक साधना होती है. कुछ लोग जो ये साधना करते है वे नियम का पालन करते है.
ब्रह्मचर्य का पालन करना हर साधना का पहला नियम होता है और इस साधना मे भी आपको इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए.
दिकपाल साधना के दौरान एकांत वास और उस दिशा से जुड़े देव की आराधना करना अच्छा रहता है.
दिकपाल साधना और वशीकरण के लिए उत्तर या पूर्व दिशा मानी जाती है इसलिए आकर्षण के दौरान आपको इन दिशाओ मे बैठना चाहिए.