क्या कभी आपने महसूस किया है की आप लाइफ में हर तरफ से निराश हो चुके है, जो भी करना चाह रहे है वो उल्टा ही हो रहा है और आपको अपनी ही जिंदगी नीरस लगने लगी है. हम चाहते है की दूसरे हमें महत्त्व दे लेकिन ऐसा नहीं होता है.
हम खुद को लाइफ में फ़ैल हो चूका पाते है जो हर तरफ से अब निराश हो चूका है क्या आपको ऐसा लगता है या महसूस हो रहा है की आपके साथ अब कुछ भी सही नहीं हो रहा है. अगर हाँ तो आप ego defense mechanisms यानि mental traps का शिकार हो चुके है.
ये एक ऐसी स्थिति है जिसमे हम pain, toxic shame, and hopelessness जैसी कंडीशन से खुद को घिरा हुआ पाते है. ये हमारे दिमाग को एक strong illusion से भर देते है जिससे बाहर आना आसान नहीं होता है.
हमारी सोच पूरी तरह dark negative thoughts से भर जाती है और फिर हमारा Subconscious mind इन सभी thoughts को accept कर लेता है. जब ऐसा होता है तो बनते काम भी बिगड़ने लगते है और हम चाहते हुए भी कुछ सही नहीं कर पाते है.
इस तरह के mental distortions की वजह से हम खुद को बाहरी और आन्तरिक दोनों तरफ से फोकस नहीं रख पाते है.
हमारी जिंदगी एक झूठ के चारो ओर सिमट कर रह जाती है और negative thoughts की वजह से हम unrealistic and untruthful thoughts को पनपने देते है. ये हमारी गलती नहीं है और हम चाहे तो इस तरह की स्थिति से भी बाहर निकल सकते है.
इस आर्टिकल में हम इस स्थिति को कैसे पहचाने, दोबारा स्थिति को सही करे और ईगो को deprogram कर खुद को इससे बाहर कैसे निकाले इन सबके बारे बात करने वाले है.
ऐसा करना आपको inner peace, self-love, groundedness, trust, and spiritual connectedness with life में मदद करेगा.
What Are Ego Defense Mechanisms?
Ego defense mechanisms (or mental traps) को सरल शब्दों में खास तरह की psychological strategies मान लेते है जो हमें अनावश्यक परिस्थितियों से बचाता है.
मान लीजिये की painful truth or reality को आप बर्दास्त नहीं कर पा रहे है तो आपका ईगो डिफेन्स मैकेनिज्म आपको इससे बाहर निकलने में मदद करता है या फिर एक ऐसी दीवार बनाता है जो आपको इससे दूर रखती है.
ये हमारे लिए एक रक्षक की तरह काम करता है लेकिन, ये हमारे fear and trauma से भी हमारी प्रोटेक्शन करता है.
दूसरे शब्दों में कहे तो एक ऐसा रक्षक जो आपको बाहरी खतरों से इस कदर बचाता है की आप रिस्क भी नहीं ले पाते है. ये हमारे अन्दर डर और अवसाद की भावना पैदा कर देता है जो हमें आगे बढ़ने से रोकती है.
जब ऐसा होता है तब हम old, outdated, and dysfunctional inner programming के साथ लाइफ को खींचते है. ये बिलकुल वैसा ही है जैसा की खोने के डर से हम बिज़नस का रिस्क नहीं लेते है और कुछ पैसो में दूसरो के यहाँ नौकरी करते रहते है.
इसकी पहचान आप निम्न तरह से कर सकते है अगर
- आप low self-esteem and self-worth से गुजर रहे है.
- दूसरो से अक्सर लड़ाई करते रहना
- सबको एक किनारे पर रखना
- आप खुद को innocent victim मान रहे है.
- आपको लगता है की पूरी दुनिया ही आपके खिलाफ हो रखी है.
- आपको दुनिया सिर्फ 2 तरह से ही लगती हो.
- खुद में बहुत तेजी से बदलाव एक दिन आप कुछ और है और दूसरे दिन कुछ और
- बार बार खुद को critical and sarcastic feel करना.
- आपको लगता है की आप कभी कुछ गलत नहीं कर सकते है.
- खुद को शर्मीला और दूसरो के लिए आइडियल मानना.
- मन में खुद को और दूसरो को लेकर High expression रखना
- ज्यादातर टाइम आप खुद को लेकर satisfy feel नहीं करते है.
- Addictive personality होना.
- Overthinking की problem होना.
- खुद को फेक महसूस करना.
- खुद के true self and life से अलग महसूस करना.
अगर आप खुद को ऊपर बताये किसी भी पॉइंट से मैच कर पा रहे है तो समझ ले की आप Ego Defense Mechanisms के dark side से गुजर रहे है.
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9 Basic Ego Defense Mechanisms
बात करे इसके बारे में तो टोटल 9 तरह के ऐसे डिफेन्स मैकेनिज्म है जिन्हें पहचाना गया है. ये निम्न है
- Making Assumptions यानि हमेशा पहले से ही सोच मन में बनाकर चलना
- Extreme Beliefs अपने मन में negative thoughts को हमेशा accept करते हुए चलना.
- Negative Comparisons हमेशा खुद को दूसरो के साथ नेगेटिव वे में compare करते हुए चलना.
- Obsessive Desires उन चीजो की चाहत रखना जो आपके पास नहीं है.
- Strict Expectations किसी भी मामले में अपनी उम्मीदों को एक जैसा रखना
- Lofty Ideals जो नहीं हो सकता है उसकी उम्मीद रखना.
- Reactive Extremes हर-पल बदलते रहना.
- Suppression अपनी feeling को दबाकर रखना
- Repression अतीत की कुछ गलतियाँ जिन्हें हम ऐसी जगह पर निकालते है जो काफी destructive nature की होती है.
ये सभी 9 type हमारे unconscious process को दर्शाते है. ये Ego Defense Mechanisms एक ऐसी क्रिया का हिस्सा है जो अवचेतन मन के तौर पर चलती रहती है.
4 रोल जिन्हें निभाने के चक्कर में हम अपनी spiritual growth को affect करते है
वैसे तो ego defense mechanism के कई ऐसे रोल है जो हमारी Spiritual growth को रोकते है लेकिन हम most common 4 role के बारे में यहाँ पर बात करने वाले है. इसमें
Innocent Bystander: किसी भी तरह की journey of self-growth के दौरान हम खुद को सबसे ज्यादा बेवकूफ बनाते है खुद को ये दिलासा देकर की हमने कुछ भी गलत नहीं किया है. ये एक तरह का ऐसा झूठ है जो हमें खुद को पहचानने से रोकता है. अगर हम कोई गलती करते भी है तो खुद को innocent मानते हुए उसे accept नहीं करते है.
Innocent Critic: ये भी एक तरह का डिफेन्स मैकेनिज्म है जिसमे हम खुद को सही साबित करने के लिए दूसरो का विरोध करते है. दूसरो को criticizing करने का हमारा एकमात्र मकसद खुद को guilt से दूर रखना है. हम दूसरो का लगातार विरोध करते रहते है ताकि कोई हमें हमारी गलतियाँ साबित ना कर सके.
Blameless Victim: आपकी गलती है इसे मानने की बजाय आप इसका दोष दूसरो को दे. आपकी कंडीशन के जिम्मेदार आप नहीं बल्कि कोई और है. हर कोई इस तरह की हरकत करता है ताकि वो खुद को किसी भी तरह की guilty से दूर रख सके.
Almighty Controller: हम कुछ भी कर ले और अंत में बोले की ये तो सब भगवान् की लीला है. वो चाहते थे इसलिए ये हुआ या फिर यही भाग्य का लिखा था जैसे वर्ड के जरिये खुद को एक ego defense mechanism के जरिये protect करना.
हम कुछ भी कर ले या कर लेते लेकिन होता वही जो भगवान् को मंजूर है इस तरह का सोच रखते हुए खुद को आगे बढ़ने से रोक देना. ये 4 तरह के ईगो डिफेन्स मैकेनिज्म हमें आगे बढ़ने से रोकते है साथ ही हमारी Spiritual growth को भी affect करते है.
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How to Free Yourself from Harmful Ego Defense Mechanisms
हमारे लिए कंडीशन को कण्ट्रोल करना आसान हो जाता है जब हम गलत कहा है इसकी पहचान कर लेते है. हमारे दिमाग द्वारा बनाए गए सभी mental pattern बुरे नहीं है इसे आपको समझना होगा. कई बार खुद को motivate करने के लिए आपका certain belief बनाए रखना जरुरी होता है.
कई बार परिस्थिति ऐसी बन जाती है की उनका सामना करने की बजाय हमारा उनसे सीधे दूर हो जाना ही बेहतर होता है ऐसी स्थिति में Ego Defense Mechanisms ही है जो हमें protect करता है.
मुश्किल तब होती है जब इस तरह के mental pattern हमारे लिए mental traps बन जाते है और mental, emotional, and spiritual wellbeing को affect करना शुरू कर देते है. जब ऐसा होता है तब हम खुद को struggle करता हुआ पाते है. ऐसी स्थिति में हमें कुछ टिप्स को फॉलो करना चाहिए जो हमें इससे बाहर निकलने में मदद कर सकते है.
Practice self-inquiry
जब भी आपके मन में किसी तरह का negative thoughts बनने लगे आपको उसकी inquiry करना शुरू कर देनी चाहिए. आप खुद को किसी एक्सपर्ट की तरह माने और खुद का analysis करना शुरू कर दे. आपके मन में अगर negative thought बन रहा है तो आपको खुद से सवाल करने चाहिए जैसे की
- में क्या feel कर रहा हूँ
- इस thought की मुख्य जड़ क्या है ?
- इस तरह की thought/feeling के against क्या proof है
- alternative explanation क्या हो सकता है
- क्या मेरे पास इसके अलावा कोई और option है ?
खुद को लेकर हमेशा open and curious रहे ताकि आप खुद को ज्यादा से ज्यादा जान सके. चाहे तो इसके लिए self journal भी record कर सकते है.
Approach life with loving-kindness
जब भी हमारे मन में toxic assumptions, beliefs, comparisons, desires की वजह से कोई energy बनती है ये अपने साथ एक डर लेकर आती है. हम इसके लायक नहीं है या फिर हम इसे खो देंगे इस तरह के ख्याल हमें डर से भरते है जो की आमतौर पर खो देने का होता है. इस डर का सामना हम प्यार से कर सकते है.
एक तरफ जहाँ डर हमें दूसरो से अलग करता है वही प्यार हमें दूसरो से जोड़ता है. Deprogram ego defense mechanisms के लिए हमें खुद की, दूसरो की जरुरत होगी. ये आसान है मगर समय लेता है इसलिए आपको संयम से आगे बढ़ना होगा.
कई बार loving-kindness से आगे नहीं बढ़ा जाता है, ऐसी स्थिति में हम इसे accept कर लेते है. मुश्किल हालात में अगर हम अपने अन्दर की softness को बनाए रख सके तो हमें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है.
Be defiant and challenge yourself
अगर आपके मन में बार बार अनचाहे विचार आ रहे है तो आप उन्हें सीधे तौर पर “क्या ये सही है” जैसे विचारो से रोक सकते है. जब भी आपके मन में किसी भी तरह का अनचाहा विचार बनने लगे आप इस तरह के thought के जरिये इसे रोक सकते है. अगर आप अपने सवालों का सामना कर सकते है तो फिर डर किस बात का ? आप आसानी से किसी भी ऐसे अनचाहे विचार का सामना कर सकते है.
अपने दिमाग का गुलाम ना बने बल्कि अनचाहे विचारो का विरोध करना सीखे, Ego Defense Mechanisms का सामना करे और कोशिश करे की वे बार बार आपको परेशान ना करे.
Meditate to develop witness consciousness
Inner peace के लिए मैडिटेशन आज से नहीं बल्कि ancient technique की तरह काम करता आ रहा है. सबसे खास बात आपको इसके लिए religious or spiritual दोनों ही तरह का होना जरुरी नहीं है. मैडिटेशन आपको सिखाता है की विचारो का पार्ट बनने की बजाय उनके विटनेस कैसे बने.
ये आपको उन्हें समझने में मदद करता है वो भी बिना उनमे खोये. हम अक्सर ऐसे विचारो में खो जाते है जिनका हमसे कोई वास्ता भी नहीं होता है.
अगर आपने कभी ध्यान का अभ्यास नहीं किया है तो ये आपको थोड़ा कंफ्यूज कर सकता है लेकिन, आप इसे एक आकाश की तरह समझ सकते है. हमारे विचार इसमें बादलो की तरह है जो आते जाते रहते है लेकिन आकाश वो वही है स्थिर. ध्यान भी इसी तरह है.
अगर आप Ego Defense Mechanisms के शिकार है तो मैडिटेशन आपकी हेल्प कर सकता है. आपको इसके लिए किसी तरह का माहौल बनाने की जरुरत नहीं है बल्कि सिर्फ 5 मिनट के अभ्यास से भी आप इसे हासिल कर सकते है.
- सबसे पहले किसी शांत जगह का चुनाव करे.
- चाहे तो background music लगा सकते है जो आपके मूड को ठीक करता है.
- जिस भी अवस्था में आप खुद को comfortable महसूस करे बैठे या लेट जाए.
- अपना पूरा फोकस सांसो पर रखे.
- आपको सिर्फ अपने सांसो के उतार चढ़ाव पर ध्यान देना है.
- आपका मन बार बार विचारो में भागेगा लेकिन आपको परेशान होने की बजाय अपना ध्यान सांसो पर लगाना है.
- अगले 5 मिनट तक अभ्यास को जारी रखे.
- जब अभ्यास समाप्त हो जाए बॉडी को थोड़ा खिंचाव दे ताकि ये active हो जाए.
इसे Daily habit का हिस्सा बनाने की कोशिश करे आपको सिर्फ एक हफ्ते में रिजल्ट मिलना शुरू हो जाते है.
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Cut yourself some slack
परिस्थिति से भागने की बजाय उन्हें उसी तरह accept कर खुद को आगे ले जाने की कोशिश हमें सफल बनाती है. अगर आप ये मान ले की आप एक इन्सान है और गलतियाँ होना स्वाभाविक है. गलती होने से ही हमें सीख मिलती है आगे बढ़ने में जिससे की हम खुद को सफल बनाते है.
ये काफी समय से एक healing techniques की तरह काम करती है जो हम मैडिटेशन के दौरान हासिल करते है.
जब आप अपने अन्दर relaxed attitude को अपना लेते है जो गलतियों को accept करता है और उनसे सीख लेते हुए आगे बढ़ता है तो यक़ीनन आप Ego Defense Mechanisms को defeat कर पाएंगे. हमें किसी भी तरह के डिफेन्स मैकेनिज्म की जरुरत नहीं पड़ेगी अगर हम गलतियों से सीख लेकर आगे बढ़ने लगे.
How to defeat Ego Defense Mechanisms final thought
अगर बात करे Psychology की तो हम सब एक unconscious psychological mechanism को develop करते है जो हमें किसी भी unacceptable or potentially harmful stimuli ( emotion, thought and feeling ) से बचाता है.
आमतौर पर ये हमें प्रोटेक्ट करने का काम करता है लेकिन कई बार ये अपने साथ एक अनजाना डर भी लाता है जो हमें आगे बढ़ने से रोकता है.
हम अपनी लाइफ में आगे बढ़ने से सिर्फ इसलिए पीछे रह जाते है क्यों की सही समय पर रिस्क लेने से हमें हमारा ही Ego Defense Mechanisms रोकता रहता है.
आप फ़ैल हो जायेंगे इस डर से किसी भी तरह के challenge को accept ना करना, एक boundaries के पीछे खुद को कैद कर लेना इसकी निशानी है.
ये हमारे लिए protection का काम करता है जब हम किसी guilt या फिर trauma से गुजर रहे होते है लेकिन कई बार ये हमें आगे बढ़ने से भी रोकता है खासकर हमारी Spiritual growth को भी affect करता है जिसे heal करना बेहद जरुरी बन जाता है.
आप खुद को किस तरह के ईगो डिफेन्स मैकेनिज्म में फंसा हुआ महसूस करते है और इससे बाहर निकलने के लिए किस तरह की स्टेप को अपना रहे है हमें कमेंट में बताना ना भूले.