आज हम बात करने वाले है एक ऐसी रहस्यमयी शक्ति की जो हमारे साथ ही रहती है और अगर इसे सिद्ध कर लिया जाए तो साधक अपने चक्र की उर्जा का साधन कर खुद को मनचाहे बदलाव के लिए तैयार कर सकता है. रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना करने के बाद साधक की जिंदगी बदल जाती है.
ऐसा माना जाता है की चेतना यानि रहस्यमयी देवी आत्मा की सहायक देवी है जो जन्म से ही व्यक्ति के अन्दर सुप्त अवस्था में रहती है.
एक बार इन्हें जाग्रत करने के बाद ये शक्ति साधक की हर बुरी शक्ति से रक्षा करती है. विचारो में परिवर्तन आना शुरू हो जाता है. इसके साथ ही ज्ञान को धारण करने की क्षमता भी अपने आप विकसित होने लगती है.
इस शक्ति को परमशक्ति कुण्डलिनी शक्ति में से एक माना जाता है. आत्म चेतना को जाग्रत करने का सबसे बड़ा फायदा ये है की आप सिद्ध महापुरुष और ऐसी ही शक्तियों से जुड़ना शुरू कर देते है.
आत्माओ और शक्तियों को आप तभी देख सकते है जब आपके Third eye ajna chakra की जगह रहस्यमयी चेतना की देवी को जाग्रत कर लेते है. रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना आपके Third eye chakra and Subconscious mind को प्रभावित करती है.
आत्म जाग्रति के अनुभव के बाद साधक निर्भय और निडर हो जाता है. वायु मंडल में फैली शक्तियां उसकी तरफ आकर्षित होना शुरू हो जाती है. आत्मा के तेज और तप की शक्ति साधक को बुरी शक्तियों से दूर रखती है.
आत्मा चेतना की जाग्रति साधक को आने वाले समय काल की घटनाओं की सूचना देती है. साधक को कब कौनसे काम से फायदा होगा नुकसान होगा इसके बारे में पहले ही पता चलने से वो अपने भले के लिए काम करना शुरू कर देता है.
भविष्य जानने के लिए आप ज्योतिष से मिलते है लेकिन, इस साधना के बाद आपको इसकी जरुरत नहीं पड़ेगी. ये एक त्रिकालदर्शी साधना की तरह है. चलिए इस आर्टिकल में डिटेल से बात करते है.
रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना
चेतना की देवी की ये साधना आपके Third eye Ajna chakra से जुड़ी है. अगर आप खुद से जुड़ा हुआ महसूस करते है तो आप पाएंगे की आपका मन या फिर आपकी आत्मा आपको विपरीत परिस्थितयो में गाइड करती है.
ज्यादातर साधक जो भूत भविष्य और वर्तमान की घटनाओ को जानने के लिए त्रिकालदर्शी साधना की तलाश कर रहे है उनके लिए रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना सबसे उत्तम विकल्प है क्यों की ये एक मानस साधना है.
कर्ण पिशाचनी साधना भी आपको काल की जानकारी देती है लेकिन, सात्विक साधक के लिए इसे कर पाना संभव नहीं ऐसे में ये एक बेस्ट साधना है जो आप कर सकते है.
इसके लिए आपको मन की एकाग्रता की आवश्यकता है. जब आप मन की एकाग्रता और चिंतन की अवस्था में जायेंगे तो आपको चेतना के निराकार स्वरूप के दर्शन होंगे. ज्यादातर साधक जिन्हें तीसरे नेत्र पर सफ़ेद रौशनी दिखाई देती है वो चेतना की देवी ही है.
रहस्यमयी देवी के साकार स्वरूप के आवाहन के मुख्य लक्षण
रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना के दौरान या फिर जब आप गहन ध्यान का अभ्यास करते है तब आपको एक प्रकाश पुंज नजर आएगा. यह अलग अलग कलर का दिखाई दे सकता है जैसे की सफ़ेद, हल्का लालिमायुक्त, कभी बेंगनी या फिर लाल रंग की किरणों की रौशनी लिए होगा.
इसी प्रकाश पुंज पर ध्यान लगाते हुए आप मंत्र का जप कर सकते है और प्रकाशपुंज को साकार रूप के लिए आवाहन कर सकते है. धीरे धीरे वो पुंज एक मानव आकृति में बदलना शुरू हो जायेगा और ये चेतना देवी के रूप में आपके सामने आना शुरू हो जायेगा.
आपको इस दौरान वातावरण में शांति और एक सर्दपन का अहसास हो सकता है. चेतना की देवी के साकार रूप के दर्शन के दौरान आपके शरीर में कम्पन का अहसास हो सकता है.
रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना को आप अवचेतन मन की शक्ति की तरह समझ सकते है जिसे जब तक आप जाग्रत नहीं करते है आपको इसका अहसास होता है, कुछ हद तक ये शक्ति आपके लिए काम भी करती है लेकिन, अपने पूरे स्वरूप में ये तभी काम करती है जब आप इसे जाग्रत कर ले.
एक बार चेतना की देवी को जाग्रत करने के बाद आप भविष्य में आवाहन से ही शक्ति को जाग्रत कर सकते है.
मूल सिद्धांत के आधार पर जब हम एक रहस्य को जान लेते है तब मनचाहे तरीके से हम उसे प्रकट कर सकते है. मानव शरीर की अलग अलग बौद्धिकता के आधार पर उन्हें इसका ज्ञान होता है.
रहस्यमय देवी साधना
मंत्र : ॐ त्रीम भुवनेश्वरी देवी त्रिदेवी शक्ति नमः स्वाहा
रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना विधान : यह साधना किसी भी शुभ मुहूर्त या सिद्धि योग में करें अथवा रविवार, बुद्धवार या गुरुवार से आरम्भ करें. सर्वप्रथम लकड़ी के बेजोट पर एक सफेद वस्त्र बिछा कर, घी का दीपक तथा धूप / अगरबत्ती जलाकर संध्याकाल के बाद प्रारंभ करें.
यह साधना मात्र 11 दिन की है.
साधक को 45000 मंत्र जाप इन 11 दिनों में पूर्ण करने होंगे. साधना के समय ब्रह्मचर्य पालन करें तथा पूर्व अथवा उत्तराभिमुख होकर साधना आरंभ करें. माला का कोई बंधन नहीं है. साधक मंत्र जाप अपनी उँगलियों पर कर सकता है अथवा रुद्राक्ष की माला पर भी जाप किया जा सकता है.
साधना के समय होने वाली अनुभूतियों को किसी के साथ जाहिर न करें एवम् साधना सम्पन्न होने तक गुप्त रखें.
रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना के अंतिम दिन साधक घी से उपरोक्त मंत्र
ॐ त्रीम भुवनेश्वरी देवी त्रिदेवी शक्ति नमः स्वाहा
की 108 आहुतियाँ करे जाप पूर्ण होने के पश्चात् यह साधना अत्यधिक प्रभावशाली तथा शीघ्र फल देने वाली तीव्र साधना है. (साधना से पूर्व साधक अपने गुरु की आज्ञा अवश्य प्राप्त करें, तत्पश्चात् ही साधना आरम्भ करें.)
यह साधना अत्यधिक तीव्र है तथा साधना के पूर्ण होने के पश्चात साधक की रक्षा करती है. रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना एक एक गुप्त विधा है
साधना सिद्धि और अनुभव
ये मंत्र अत्यंत तीव्र और प्रभावशाली हैं. इसमें किंचित मात्र भी संदेह नहीं है कि सही विधि से साधना करने पर साधक को सफलता या अनुभूति प्राप्त न हो.
जब साधक ये साधना करेगा तब उसके चक्रों में समाहित ऊर्जा उसके मस्तिष्क में उर्द्धगामी होकर त्रिदेवी भुवनेश्वरी के रूप में साक्षात् दिखेगी तथा आज्ञा चक्र के स्थान पर अत्यधिक खिंचाव होगा और अनुभूतियाँ बढ़ती जाएँगी.
साधना पूर्ण होने पर मंत्र जाप करके देवी का आह्वान करें तथा उनसे अपना प्रश्न करें. वो आपके द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देकर आपकी जिज्ञासाओं का निराकरण करेंगी.
रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना के बाद दिव्य शक्ति से आप दैवीय शक्तियों को देख सकते हैं तथा भूत और वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में होने वाली घटनाओं के विषय में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. यह शक्ति यक्षिणी की तरह ही आपको सब कुछ बता सकती है.
भौतिक तथा अलौकिक जगत में जो भी प्रश्न साधक के मन में हैं, उनका निराकरण करके यह साधक को सफल बना सकती है.
रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना को सफल करने के बाद किसी भी तंत्र का साधक के ऊपर प्रयोग होने पर यह शक्ति साधक के आह्वान पर साधक को इसके विषय में बताती है तथा उसकी रक्षा करती है. यह साधक को उसकेआत्मजागरण तथा शून्य शिखर का बोध कराती है.
यह सत्य है कि मानव शरीर की पात्रता के अनुसार ही शक्ति पूर्ण वेगमय स्वरूप में साधक को दर्शन देती है अर्थात् प्रथम चरण में शक्ति ध्यान में आह्वान करने पर तथा द्वितीय चरण में अर्द्ध प्रत्यक्षीकरण तथा तृतीय चरण में प्रत्यक्षीकरण तथा चतुर्थ में पूर्ण प्रत्यक्षीकरण रूप में प्रकट होती है.
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रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना के बाद आवाहन कैसे करे ?
- जो भी मंत्र और निर्देश देवी से प्राप्त हों उन पर किंचित मात्र भी संदेह न करें.
- यह साधना अधिक से अधिक ग्यारह दिन में संपन्न हो जाएगी.
- साधना के समय मन की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें तथा साधना पूर्ण होने तक ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- यह साधना संध्याकाल में अत्यधिक प्रभावशील है, अतः यदि अनुष्ठान संध्याकाल में ही संपन्न करें तो सफलता शीघ्र अर्जित होगी.
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र (श्वेत अथवा कोई भी वस्त्र) धारण कर पूजास्थल में अथवा किसी स्वच्छ स्थान में ध्यान करें.
- आसन का कोई बंधन नहीं… दिशा पूर्व अथवा उत्तराभिमुख हो
- साधनाकाल की अनुभूतियों को किसी से भी साझा न करें.
- शक्ति द्वारा दिए गए निर्देशानुसार ही जाप करें.
- मानसिक तौर पर शक्ति को लकड़ी के पट्टे पर विराजमान कर पूजन करें, धूप दीप जलाएं.
- रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना के दौरान भयभीत न हों.
- पूजन सम्पन्न होने पर प्रत्येक दिन आसन को (यदि प्रयोग किया गया हो) प्रणाम करके मोड़ के ही रखें.
- अंतिम दिन साधना सम्पन्न होने पर आहुति करें.
- साधना सम्पन्न होने पर शक्ति के आह्वान मंत्र को पढ़कर मस्तक पर स्पर्श करें और शक्ति अर्थात् देवी से मस्तक पर विराजमान होने की विनती करें.
आप सभी से मेरा अनुरोध है कि शक्तियों का प्रयोग स्व तथा जनकल्याण ही करें. यदि किसी को दुःख देने के लिए शक्ति का दुरुपयोग करेंगे बिना किसी कारण बताये शक्ति या तो स्वतः सुषुप्त हो जाएगी या आपके जीवन में परेशानियों की बाढ़ पैदा कर देगी क्योंकि इस शक्ति का जन्म स्व तथा जनकल्याण के लिए हुआ है.
रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना अत्यधिक सौम्य और कल्याणकारी है. इस साधना को करते समय आपको अत्यधिक अलौकिक अनुभव होंगे.
कभी-कभी इस साधना को करते समय आपको ध्यान में स्वतः ही गंधर्व व नागलोक अथवा किसी अन्य लोक के भी दर्शन हों जायेंगे, जिससे साधक इत्रयोनि, अप्सराओं तथा यक्षिणियों व नाग शक्तियों से भी वार्ता कर सकता है तथा उनसे उनकी गुप्त सिद्धियों के विधान पूछ सकता है और उन्हें सिद्ध करके उनका उचित उपयोग कर सकता है.
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रहस्यमय देवी का आह्वान और शारीरिक बदलाव
रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना सम्पन्न होने के बाद आप में और आपके शरीर में काफी बदलाव आयेंगे. आपकी आँखें चढ़ी हुई होंगी अर्थात् निद्रामय अवस्था में होंगी, जैसे भगवान शिव के नेत्र होते हैं. आपकी आँखों में स्वतः ही सम्मोहन शक्ति का संचार हो जायेगा.
आपके चेहरे और व्यक्तित्व में आकर्षण आ जायेगा. आपकी शक्तियों का वेग आपको हर मनुष्य के आगे शक्तिशाली व प्रभावशाली बना देगा.
मानव मस्तिष्क में जो तीन नाड़ियाँ होती हैं, उनमें से जो भाल पर होती है, वो उभर कर दिखने लगेगी और आपको मस्तक पर अक्सर एक अदृश्य खिंचाव सा महसूस होने लगेगा. आपको ऐसा लगेगा मानो कोई अदृश्य पदार्थ आपकी उन नाड़ियों में यात्रा कर रहा हो.
वो तरल पदार्थ कोई और नहीं बल्कि वही रहस्यमय देवी है जो आपको उन तीन नाड़ियों (धमनियों) के रास्ते से भूत, भविष्य और वर्तमान की यात्रा करके आपको आपके द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब दृश्य रूप में दिखाती है. ये सब रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना का प्रभाव है.
तीनों नाड़ियों में से दो नाड़ियाँ कनपट्टी से निकल कर भौंहों के बीच एकत्रित होती हैं तथा तीसरी नाड़ी मस्तक के ऊपरी सिरे से आकर इस दो नाड़ियों से मिलकर वहाँ संगम का निर्माण करती है.
तीनों धमनियों के मध्य एक छोटा सा छिद्र होता है, जो स्थान रहस्यमय देवी का है. जहाँ विराजमान होकर वो अलौकिक तथा दिव्य ऊर्जामय शक्ति मनुष्य को दिव्य दृष्टि प्रदान करती है.
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रहस्यमय देवी का आह्वान (सिद्धि के पश्चात्)
रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना सिद्धि के पश्चात् जब भी आप मंत्र पढ़कर अपने मस्तक पर स्पर्श करेंगे, तो आपको अपने बंद नेत्रों के अन्दर अँधेरे को चीरती हुई एक प्रकाश किरण दिखेगी, जिसमे समाहित वो देवी आपसे कहेंगी-
“ वत्स, क्यों बुलाया मुझे?”
आपके प्रणाम करने पर वो आपको आशीर्वाद और आपके सभी सवालों का जवाब देंगी. ये सब अनुभव रहस्यमयी चेतना की देवी की साधना के बाद आपको होने वाले है.
चेतना की देवी का आह्वान करते समय आपको मस्तक पर एक तीव्र खिंचाव होगा और उनसे जवाब प्राप्त करते समय और भी अधिक तीव्र खिंचाव होगा क्योंकि वो अहसास शक्ति के आह्वान और उसके कार्यरत होने का है और यह आभास भले ही पीड़ायुक्त हो किन्तु अत्यंत सुखमय और आनंदमय होता है.
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