स्वर विज्ञान या स्वरोदय विज्ञान क्या है ? svar gyan sadhna pdf यानि स्वर साधना ज्ञान की पीडीऍफ़ hindi में अब sachhiprerna पर उपलब्ध है, आज की पोस्ट स्वर साधना ज्ञान स्वर विज्ञान pdf और स्वर ज्योतिष को मिलाकर बनी है.
आप सभी ने बाया स्वर दाया स्वर और स्वर ज्ञान के बारे में सुना ही होगा ये क्या और कैसे काम करते है.
काल ज्ञान का निर्धारण भी स्वर-साधना का ज्ञान मिलाकर पता किया जा सकता है.
अक्सर लोगो के मन स्वर शास्त्र या स्वरोदय विज्ञान सिखने की इच्छा देखने को मिलती है क्यों की स्वर योग के जरिये बहुत सारी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है.
अगर दैनिक लाइफ में स्वर vigyan और sadhna को अजमाया जाए तो amazing result देखने को मिलते है.
kaal gyan sadhna के बारे में बहुत से लोग पूछ चुके है तो बता देना चाहते है की kaal gyan sadhna भी svar vigyan sadhna के साथ की जा सकती है.
अगर दोनों के परिणाम मिलाकर देखे तो कोई भी व्यक्ति अपने day of death को जान सकता है, लेकिन आपकी सारी कैलकुलेशन बहुत सटीक होनी चाहिए,
पुराने ज़माने में वैध सिर्फ नाड़ी देख कर व्यक्ति के दुःख को बीमारी को बता देते थे वो svar gyan sadhna यानि स्वर साधना की ही प्रैक्टिस का एक हिस्सा है.
svar gyan sadhna – कैसे करे स्वरों की पहचान
svar gyan sadhna में स्वरों की पहचान करना और इसका ज्ञान इतना सुगम है की कोई भी आसानी से इसे सीख सकता है. अगर आप स्वरोदय की पहचान कर इसे अपनी लाइफ में अपनाते है तो शायद ही आप कभी बीमार पड़े. स्वरोदय का ज्ञान हम सिर्फ सांसो के आवागमन को महसूस कर भी कर सकते है.
हमारे शरीर में इड़ा और पिंगला दो नाड़ीया है स्वर इन दोनो में वैसे ही चलते है जैसे की एक माह में शुक्ल और कृष्ण पक्ष चलते है.
चांदनी रात में पड़वा के दिन से सूर्यास्त तक तीन दिन चन्द्र स्वर, इड़ा नाड़ी में चलता है और कृष्ण यानी अँधेरी रात में 3 दिन तक पिंगला नाड़ी चलती है.
स्वरों की गणना का ज्ञान इन्ही दिनों से किया जाता है. वैसे तो नासिका के दोनों छिद्रों से साँस चलता रहता है लेकिन प्राकृतिक नियम के अनुसार एक छिद्र में दुसरे से कम साँस चलता है. इन्ही की चाल का ज्ञान स्वरोदय में होता है.
एक स्वस्थ व्यक्ति की प्रत्येक नाड़ी अपने नियत समय से पांच घड़ी तक चलती है फिर स्वर बदलता है. ये क्रम 3 दिन तक चलता है प्रत्येक स्वर के साथ एक घड़ी तत्व चलता जो की वायु तत्व से शुरू होता है. इसके बाद आग, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश तत्व चलते है. इसके हिसाब से
- 1 दिन में बारह बार स्वर बदलता है.
- 60 बार तत्व बदलते है ( 60 घड़ी का दिन और रात होता है )
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सूर्य चन्द्र और सुषुम्ना स्वर की पहचान
सबसे पहले शांत बैठ कर अपनी चल रही सांसो को देखिये. अगर दाए छिद्र से स्वर निकल रहा है तो सूर्य और बाए से निकल रही है तो चन्द्र स्वर. आप इसकी पहचान सांसो की गर्माहट से कर सकते है क्यों की दोनों नासिका छिद्र में से एक में स्वर ज्यादा और दुसरे से कम निकलते है.
अगर दोनों ही छिद्र से निकलने वाले स्वर की दुरी एक समान है तो ये तीसरा स्वर यानि सुषुम्ना स्वर है. योगीजन कहते है की इस स्वर में कोई भी सांसारिक कार्य नहीं करना चाहिए. वायु और आकाश तत्व में भी किया गया इस तरह का कार्य निष्फल हो जाता है. इस स्वर के दौरान भक्ति, पूजा पाठ और इश्वर ध्यान ही सबसे अच्छा कार्य है जिसकी वजह है इस स्वर के दौरान शरीर के सभी चक्र का जाग्रत हो जाना.
स्वरोदय में तत्वों का ज्ञान
स्वरोदय में तत्वों का ज्ञान करने के लिए कई तरीके है जिन्हें आप खुद पर कर वर्तमान में कौनसा तत्व चल रहा है की गणना की जा सकती है. इसके लिए मुख्य तरीके निम्न है.
स्वर में बदलाव और उनका प्रभाव
आचार्य जन का मानना है की स्वरों की चाल अगर नियत रहती है तो जीवन सुखदायी बीतता है इसके विपरीत दुःख भोगने पड़ते है उदाहरण के तौर पर सूर्य के स्थान पर चन्द्र स्वर चले तो शुरू के दो घंटे चिंता में बीतते है, उसके बाद के 2 घंटे में धन हानि, तीसरे में योग ( सांसारिक घटनाक्रम से हटना ) और फिर पांचवे में शोकाकुल शकुन फिर 6 और सातवे में रोग और मृत्य का योग बनता है.
यदि प्रात: काल चन्द्र स्वर और शाम को सूर्य स्वर चले तो निराश व्यक्ति की भी आशा पूर्ण होने की सम्भावना बनती है. यदि किसी तरह के दुःख से मन परेशान है तो स्वर बदल कर देखे आपका मन भी बदल जायेगा.
ये सब संकेत है स्वर के विपरीत चलने पर जिन्हें समय पर पहचान कर बदला जा सकता है जिसके लिए आपको स्वर साधना करनी होती है. अपने दैनिक जीवन में इसे अपनाकर हम जीवन में काफी बदलाव कर सकते है. स्वर साधना का अभ्यास आपके दैनिक जीवन से जुड़ा है इसलिए पहले स्वर की चाल में बदलाव कैसे लाए ये जानते है.
कुछ आसान तरीके स्वर बदलने के :
- जिस स्वर को चलाना है उसके विपरीत करवट से लेट जाइए.
- जो स्वर आप बंद करना / बदलना चाहते है उस नासिका छिद्र में पुरानी कड़ी रुई की बत्ती लगा दो दूसरा स्वर चलने लगेगा.
- आप जितनी ज्यादा मेहनत करते है उसके हिसाब से साँस बदलती रहती है और इसी वजह से स्वर भी बदलने लगता है.
- लेट कर शरीर की तीसरी पसली को दबाये पसली उसी तरफ की दबानी जिसके विपरीत आपको स्वर चलाना है.
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svar gyan sadhna – करे स्वर द्वारा जीवन में बदलाव
दिन में चन्द्र और रात्रि में सूर्य स्वर चलाने की कोशिश करे. भोजन के समय आधे घंटे तक सूर्य स्वर चलाने की कोशिश करे.
रात्रि में अगर जल ग्रहण करते है तो उस दौरान चन्द्र स्वर 15 मिनट चलाए. भोजन के बाद जब लेटे तो पहले 8 श्वांस दाहिने करवट से फिर 32 साँस बाये करवट से लेवे ऐसा करने वाला व्यक्ति कभी बीमार नहीं पड़ता है.
तत्व विचार – किस तत्व के अधिक होने से क्या प्रभाव पड़ता है
तत्व विचार जीवन में काफी महत्त्व रखता है क्यों की इसके जरिये हम पता कर सकते है की जीवन कैसा व्यतीत होगा. चन्द्र स्वर में पृथ्वी और जल तत्व के अधिक होने से धन लाभ और आरोग्यता प्राप्त होती है, वही वायु तत्व से विपत्ति,अग्नि तत्व से मृत्यु के योग बनते है.
यदि आप कही लोगो के बिच बैठे है और ठीक उसी वक़्त अचानक वायु तत्व चलने लगे तो कोई मनुष्य उठकर जाने वाला चला जाता है.
मनुष्य का स्वर हर पांच घड़ी में खुद बदल जाता है. रोगी होने की स्थिति में मनुष्य के स्वर में बदलाव आ जाता है. यदि पक्ष के आरंभ काल में तीन दिन तक लगातार विरुद्ध स्वर चले तो रोग पैदा होने लगता है उदहारण के लिए सूर्य और कृष्ण पक्ष में चन्द्र स्वर तीन दिन तक चलता है तो 15 दिन बाद रोग हो जायेगा.
svar gyan sadhna और यात्रा नियम
अगर आप कही यात्रा पर जाने वाले है तो स्वर चाल की पहचान करे जिससे आपको सही लाभ मिल सके. अगर बाया स्वर चल रहा है तो उत्तर पूर्व दिशा में जाने से लाभ मिलता है. इसके विपरीत जाने से हनी और मृत्यु संभव है.
दक्षिण पश्चिम को दाए स्वर में जाने पर सुख आनंद प्राप्ति, विपरीत में हानि और दाहिने स्वर में पूर्व दिशा में जाने से सुख सम्पति और राज का लाभ मिलता है, यही नहीं सर्व कार्य सिद्धि के योग भी बनते है.
अगर बात करे तत्व की तो पृथ्वी और जल तत्व स्वरोदय के दौरान यात्रा में सहायक है वही आकाश वायु और जल तत्व का संयोग हानिकारक है. आकाश तत्व और अग्नि तत्व के मिलन से स्वरोदय में यात्रा करने से चोट की सम्भावना बनती है और कार्य भी सफल नहीं होते.
तत्व का मिलान svar gyan sadhna के साथ करना थोड़ा मुश्किल भरा काम है लेकिन हम इसे आसानी से कर सकते है जब हमें पता हो की किस स्वर के साथ कौनसा तत्व जाग्रत है.
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svar gyan sadhna और kaal vigyan विधि
काल विज्ञान मंत्र के बारे में हम पहले की पोस्ट में पढ़ चुके है और बहुत से लोगो को svar gyan sadhna और काल ज्ञान सिखने में रूचि है तो आज स्वर विज्ञान के साथ काल ज्ञान की गणना कैसे की जाती है को देखते है.
काल ज्ञान एक ऐसी विद्या है जिसके जरिये हम जीवन काल में ही आने वाली मृत्यु के दिन को ज्ञात कर सकते है.
प्राचीन काल से योगीजन में इसका प्रयोग कर पहले से पहचान लिया करते थे की उनकी किस दिवस पर मृत्यु होगी जिसके लिए वो तय दिन पर समाधी की अवस्था ग्रहण कर लेते थे.
चलिए जानते है kaal vigyan sadhna or svar gyan sadhna के secret जिसके अनुसार अगर मनुष्य का सूर्य स्वर बिना बदले आठ पहर तक चलता है तो वह व्यक्ति तीन साल बाद मर जायेगा.
- सूर्य स्वर लगातार 16 पहर तक चले तो 2 साल बाद मृत्यु होगी वही पर तीन दिन और तीन रात बराबर सूर्य स्वर चले तो व्यक्ति सिर्फ एक साल जीवित रह पायेगा.
- एक माह तक लागातार दिन और रात में सूर्य स्वर चले तो 2 दिन बाद मृत्यु हो जाती है.
- सुषुम्ना नाड़ी और काल ज्ञान – पांच घड़ी बराबर सुषुम्ना नाड़ी के चलने से जल्दी ही मृत्यु योग बनता है.
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svar gyan sadhna ( स्वर विज्ञान ) – अंतिम शब्द :
दोस्तों स्वर विज्ञान वास्तव में एक बहुत ही गहरी और गूढ़ नॉलेज है जिसे समझ कर हम अपनी उम्र में बदलाव कर सकते है. आज की पोस्ट svar gyan sadhna में आपने svar vigyan or tatv vichar, svarodaya science और ऐसी ही कई नयी बाते पढ़ी.
हो सकता है की ये थोड़ी मुश्किल जान पड़े लेकिन यकीन मानिये इसे हम और ज्यादा सरल नहीं कर सकते.
अगर आप svar gyan sadhna स्वर विज्ञान को सिखने में interested है तो हमें बताइए हम आगे भी आपके लिए और ज्यादा गुढ़ जानकारी लायेंगे.
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