आध्यात्मिक दुनिया में अंतर की यात्रा का मतलब हर कोई जानता है. इसमें हमें हमारे हर सवाल का जवाब मिल जाता है। अंतर की यात्रा हमारे मन की दुविधा को हल करती है साथ ही साथ आध्यात्मिक दुनिया से हमें जोड़े रखती है.
आज बात करते है कुछ ऐसे ही अभ्यास की जो आपके अंतर की यात्रा को सहज बनाएंगे अंतर की यात्रा हमारे चेतन मन को अवचेतन मन से जोड़ती है जिससे हम ज्यादा समझ और सही निर्णय लेने में सक्षम होते है। sixth sense awakening and journey from conscious to subconscious in hindi.
अंतर की यात्रा कोई बड़ा रहस्य नहीं है बल्कि आपके एकांत में बिताये वक़्त का वो हिस्सा है जिसमे आप खुद से जुड़ते है, अपनी समस्या को समझने का प्रयास करते है और उनके लिए बेस्ट समाधान खोजते है। मेरे ख्याल से हर किसी को सप्ताह में कुछ दिन अंतर की यात्रा में बिताना चाहिए।
इसका अहसास मन में शांति और स्थिरता लाता है। हमारे प्रश्नों का सवाल हमे खुद-ब-खुद मिलने लगता है क्यों की भौतिक समस्या से दूर हम खुद की समस्या से जुड़ने लगते है।
हम अंतर की यात्रा क्यों करते है
जब हम अपने अंतर से जुड़ते है तो हम अपने विचारो के प्रति ज्यादा सचेत होते है। हम विचारो को दिल से निकलता हुआ महसूस करते है। हम अपने प्रश्नों का उत्तर आसानी से खोज सकते है जो हमारे मस्तिष्क में नए नए आईडिया के रूप में जन्म लेते रहते है. हम सभी DNA codification के बारे में जानते है DNA में बदलाव लाकर हम हमारे अंदर बदलाव ला सकते है। और ये तब सम्भव है जब हम अपने अंतर से जुड़ जाये.
अंतर की यात्रा और छटी इंद्री
अंतर की यात्रा से छटी इंद्री का जागरण संभव है। जिससे हम ना सिर्फ सच्चाई को समझने लगते है बल्कि जीवन जीने के तरीके भी जानते रहते है। जैसे जैसे हम आगे बढ़ते जाते है वैसे वैसे हमारी शक्तिया जाग्रत होने लगती है और हम हमारे आज को बदल सकने की सच्चाई से अवगत होते है। हम आज जिस बाह्य संसार से जुड़े हुए है वो हमे विचारो के ऐसे जंजाल में उलझाये रखता है जो हमें सच्चाई से दूर रखते है. अंतर की यात्रा से हम छिपे हुए आयाम को देख सकने के काबिल हो जाते है।
हर कोई छटी इंद्री की शक्ति के साथ पैदा होता है किसी में ये शक्ति बचपन से ही जाग्रत हो जाती है जिससे वो हमारे साथ चलते आयाम को महसूस कर सकता है। छिपी हुई शक्तियों को देख सकता है।
छटी इंद्री के जागरण के लक्षण
छटी इंद्री के जागरण से हमें कुछ ऐसे अनुभव होते है जो हमारे लिए अलौकिक हो सकते है मगर ये सब मानव मन की रचना होती है और छटी इंद्री जागरण से सामान्य स्थिति जैसे अनुभव होती है। छटी इंद्री जागरण में कुछ लक्षण जिन्हें आप गौर कर सकते है। छटी इंद्री जागरण के कुछ लक्षण निम्न है.
- एक जगह रहकर दूसरी जगह को देख सकना
- हीलिंग
- मानसिक और शारीरिक बचाव की क्षमता
- टेलीपैथी
- बिना छुए वस्तुओ को हिलाना ( मानसिक शक्ति )
- खुद पर आत्मनिर्भर होने की क्षमता
- घटनाओ को पहले देखने की क्षमता
- सूक्ष्म सुनने की क्षमता का विकास
- अदृश्य शक्तियों को महसूस करने की शक्ति
अंतर की यात्रा कैसे करे
कल्पना हमारे अंतर की यात्रा में एक महत्वपूर्ण रोल निभाती है। ये सबसे शक्तिशाली माध्यम है क्यों की हमारा मस्तिष्क कल्पना के आधार पर या विचारो के आधार पर सच्चाई में बदलता है हम जो सोचते है वही आईडिया मस्तिष्क हमें दिखाता है। ध्यान इसमें महत्वपूर्ण इसलिए है क्यों की ये हमें हमारे अंतर से जोड़ता है बाह्य संसार की गतिविधि से दूर हमें शांति की अवस्था में अंदर की यात्रा को पूर्ण करता है। खुली आँखों द्वारा ध्यान तब संभव है जब हमारे सामने कोई कार्य होता रहे और हमारा ध्यान वहां से हट कर अपने अंदर जाने लगे।
महत्वपूर्ण कदम जिनसे आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की जाती है
अन्तर की यात्रा के लिए आप खुद को ध्यान की अवस्था में ले आइये और खुद को वर्तमान अवस्था से जोड़ने के लिए किसी भी ध्यान की तकनीक का इस्तेमाल कर लीजिये। ये तकनीक किसी भी प्रकार की हो सकती है। ये कल्पना द्वारा पूर्ण किया जाता है।
- खुद के सूक्ष्म शरीर की कल्पना करना जो हमारे भौतिक शरीर के अंदर बैठा है।
- खुद के शरीर के हिस्से से निकलता हुआ प्रकाश खुद महसूस करे
- अपने औरा को अंदर की और सिमटता हुआ महसूस करे या फिर अपनी आत्मा जो पुरे शरीर में ऊर्जा स्वरूप है इसे बाहर की और फैलता हुआ महसूस करे।
- खुद की पसंद की जगह जाना ज्यादा देर तक खुद से जोड़े रखता है आप कल्पना कर सकते है आपके पसंदीदा जगह की जहा आप घूम रहे है।
- अपने अंदर चल रही सूक्ष्म गतिविधि को महसूस करे जैसे हमारा स्नायु तंत्र, ह्रदय की धड़कन।
- तीसरे नेत्र को खुलता हुआ महसूस करे और भविष्य में होने वाली घटना को देखने की कल्पना करे।
- खुद को कल्पना के संसार में उड़ता हुआ महसूस करे।
advance tips
इसके अलावा खुद को निर्देश देते हुए ध्यान की अवस्था में भी जा सकते है जो आपको ज्यादा से ज्यादा आपके अंतर से जोड़ता है। अंतर की यात्रा कई माध्यम द्वारा पूर्ण की जाती है ये माध्यम आपके अंतर की यात्रा में होने वाले अनुभव के आधार पर बदलते रहते है। जैसे की अगर हम किसी तरह की बीमारी महसूस करते है तो हम शरीर के उस हिस्से से खुद को भावना शक्ति द्वारा जोड़ते है और उस बीमारी को दूर करने का प्रयास करते है। अगर आपको खुद के खाने में ऐसी चीजे अपनाना चाहते है तो आप उस चीज को दूसरी चीजो से तुलना करते है और चुनाव करते है।
आप इसके दूरगामी परिणाम भी सोचते है। ऐसे ही कई कार्य है जो आप पूरा करते है। अंतर की यात्रा में हम खुद की चेतना को शरीर से जोड़ते है। आपके शरीर CELL आपके DNA को धारण किये हुए है जिसमे हमारे हर अनुभव की यादे सुरक्षित रहती है। हम यादो को दुबारा जाग्रत कर इन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते है।
ध्यान को केंद्रित करना और स्थिर करना :
खुद को हर परिस्थिति में संतुलित रखना और प्रकृति से जुड़े रहना हमें अंतर से जोड़े रखता है साथ ही साथ छटी इंद्री को भी जाग्रत करता है. अपने सभी चक्र को हमें संतुलित रखना चाहिए जिससे ऊर्जा का प्रवाह पुरे शरीर में बहता है जिससे एक स्वस्थ औरा का निर्माण होता है। इन सबसे हमारा मस्तिष्क संतुलित रूप से कार्य करता है। खुद को स्थिर करने के लिए हमें प्रकृति से जुड़ना होता है। ये ना सिर्फ आपको संतुलित करता है बल्कि आपको अँधेरे में भी रहने के लिए प्रेरित करता है।
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ध्यान द्वारा खुद को बदलना :
खुद को बदलने के लिए हमें मस्तिष्क में बदलाव को सीखना होता है। मस्तिष्क में बदलाव हमें एक ऐसी fast running train जैसे लगता है जो मन की गति से चलती है और चेतना लौटने पर sudden stopped train जैसा महसूस होता है। हमारी प्रकृति बाह्य संसार में वस्तुओ को देखना और उन पर प्रतिक्रिया करना है. हमारे ऊर्जा स्त्रोत से जुड़ने पर हम खुद में आये विकारो को खुद ही दूर कर पाते है।
जैसे जैसे हम खुद के अंतर से जुड़ते जाते है वैसे वैसे हमारे अंतर के कम्पन बढ़ते जाते है. अगर हम खुद के अंतर को ब्रह्मांड ऊर्जा के स्त्रोत से जोड़ लेते है। तो हम अंतर की यात्रा को सफलतापूर्वक पूर्ण कर सकते है। अंतर की यात्रा से कई लोगो ने लाभ उठाया है। ये सिर्फ कल्पना और भावना शक्ति का खेल है। खुद को विचारो से जोड़ना और उन्हें गहराई से समझना अंतर की यात्रा का ही एक भाग है।
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जरा विस्तार की आवशयकता है प्रभू