ध्यान और समाधी को लेकर हम में से ज्यादातर रोमांचित रहते है. हर कोई जीवन के असली रस का अनुभव करना चाहता है। मगर क्या आपको पता है की इसके लिए हमें किसी शिविर या किसी के बहुत ज्यादा मार्गदर्शन की आवश्यकता नही है।
हमारा अवचेतन मन अगर किसी चीज, विषय में रूचि लेने लग जाये तो बड़ी आसानी से हमारे सामने मार्गदर्शन के रास्ते खोल देता है।
समाधी के प्रकार, अर्थ और कैसे लगाए जैसे हजारो प्रश्न साधक के मन में घूमते रहते है. meditation for hypnotism and higher self in Hindi यानि ध्यान की एक ऐसी विधि जिसमे सम्मोहन कला और समाधी दोनों का अनुभव छिपा हुआ है.
क्या वाकई ध्यान द्वारा सम्मोहन और समाधी जैसी अवस्था संभव है ?
आज की जो ध्यान की विधि आपके सामने बताई गई है वो योग और ध्यान का मिला-जुला रूप है।
जिससे आप सबसे उच्च अवस्था समाधी का भी अनुभव कर सकते है।
सेतु सर के मन में इस विधि को लेकर संसय बना हुआ था की इसे शेयर की जाये या नहीं , क्यों कि यह बहुत अजीब है पर असर एक दो मिनट से ही होने लगता है, थोड़ी खतरनाक लग सकती है पढ़ने मे पर करने से सारे भ्रम दूर हो सकते है, करने से पहले पूरी तरह जानकारी ले अगर इस लेख से समझ न आए तो।
सम्मोहन और समाधी – सांसो का अन्तराल
इसमे हमे अपने साँस की अवधि बढ़ानी है धीरे धीरे, जैसे कोइ बीस सेकंड श्वास रोक सकता है तो धीरे धीरे उसे बढ़ाना है, निरतंर प्रयास से ऐसा संभव है।
एक बात समझ ले श्वास जब भीतर जाए तभी उसे लम्बाना (साँस को अंदर रोकने की ज्यादा से ज्यादा से कोशिश) है, बाहर छोड़ते वक्त नही, जैसे जैसे साँस भीतर रोकेगे तो साथ ही शारीरिक निष्क्रियता का बोध भी बढ़ेगा, विचार शून्यता भी बड़ेगी, एकाग्रता भी बढ़ेगी।
शुरूआती अनुभवो मे हमे एसा लगेगा की कही हम मर न जाए दम घूटने जैसा भी लग सकता है पर निरतंर प्रयास से एक मदहोशी श्वास रोकने के अतंराल मे बड़ती जाएगी। यही से आपकी सही शुरुआत होती है ध्यान द्वारा सम्मोहन और समाधी की अवस्था प्राप्त करने की.
एसी क्रियाए प्राचीन काल मे हमारे पूर्वज कर चुके है। मदहोशी मे एक मस्ती व आनंद भी बड़ेगा, जब श्वास बढ़ने की क्रिया से आनंद बढ़ने लगे तो उस लम्हे मे ठहरने का प्रयास करे। लम्हे मे ठहरने के प्रयास से भाव पूरी तरह उस आनंद पर ध्यान केन्द्रित करे। फिर आप पाएंगे की श्वास अंतराल खुद-ब-खुद बड़ रहा है।
तो अतंराल स्वय से बढ़ना शुरू हो जाएगा । फिर जितनी देर भीतर सांस रहेगा उतना आनंद मदहोशी अतंराल बड़ेगा ओर जितना अतंराल पर ठहर सकेगे उतनी साँस की लम्बाई बढ़ती जाएगी।
सम्मोहन और समाधी – कैसे करे स्वांस ध्यान ?
फिर यह क्रिया सहज होती जाएगी, श्वास रोका और अंदर गए। श्वास जब भीतर जाती है तो वो अपने उद्गम को छूती है, ओर हम भी लगातार प्रयास से उस उद्गम की निकटता हो जागृत अवस्था से अनुभव करने लगेगे। यह प्रयोग अवैज्ञानिक प्रतीत हो सकता है पर इसकी सार्थकता का अनुभव करने वाला ही जान सकता है ।
आप इसके प्रयोग से चिर आकाश मे स्थित होने का सुत्र पाएगे। जहा पर चित ओर चेतना का मिलन होना है, मतलब आत्मा व मन मिलते है।
जब मिलन दिखेगा तो भिन्नता को भी सहज महसूस कर पाएगे। आत्मा चेतना पूजं है, जिसका बोध स्वय मे एक ज्ञान है। इसे करने का तरीका एक बार दोबारा समझे सांस भीतर ले व जीतनी देर तक रोक सके रोके फिर छोड़ दे एकदम सांस चढ़ गया ऐसा महसूस होगा फिर आठ दस सैकडं श्वास प्रक्रिया सामान्य रखे फिर एसे ही दोबारा श्वास भीतर रोके ओर उसे धीरे धीरे बड़ाते जाए।
ध्यान में स्वांस नियंत्रण विधि :
ये विधि 2 तरह से पूर्ण की जा सकती है। पहला ध्यान में बैठ कर और दूसरा लेट कर शवासन में। पहली अवस्था सेतु विक्रम सर की अपनी है। वही दूसरी अवस्था में हम त्राटक ( सम्मोहन ) में प्राण ऊर्जा के संचय और विचारो पर नियंत्रण के लिए करते है। ये विधि इस तरह है :
- सबसे पहले खाली पेट सुखासन में बैठ जाइये। इसके बाद कुछ देर साँस को मध्यम बनाने का प्रयास कीजिये।
- लंबी स्वांस लीजिये और उसे अपने गले से निचे हृदय ( फेफड़ो में ) के आसपास रोकिये।
- शुरू में 30 सेकंड तक साँस रोक लेते है। इसके बाद के प्रयास में ये मुश्किल लगने लगता है क्यों की सांसे उखड़ती हुई प्रतीत होने लगती है।
- लेकिन नाक से स्वांस लेकर अंदर रोकने के बाद धीरे धीरे मुह से बाहर निकालने पर आप खुद इसे सहजता से पूर्ण करने लगेंगे।
- इस प्रक्रिया में जब साँस अंदर रहेगी तब आपको अपने अंदर प्राण ऊर्जा का दायरा बढ़ता हुआ महसूस होगा वही जब साँस छोड़ते है तो आपको अद्भुत आनंद और शीतलता के साथ मस्तिष्क में विचारो की स्थिरता का अनुभव होगा।
- कुछ दिन के नियमित अभ्यास के आप इससे समाधी जैसी उच्च अवस्था का अनुभव भी कर सकते है।
संक्षेप में कहा जाये तो नाक से साँस अंदर लेकर आपको अंदर रोके रहना है जब तक सहजता से रोक सके। इसके बाद आराम से साँस बाहर छोड़े और सहज बने रहे।
सेतु सर ने इसे थोड़ा खतरनाक बताया था। क्यों की इस विधि में सांसो की लय पर नियंत्रण पाया जाना होता है। और ये किसी ही ध्यान के शुरुआती चरण में रहने वाले व्यक्ति के लिए मुश्किल है। इसलिए बगैर निर्देशन के इस विधि को आजमाने से नुकसान हो सकते है।
ध्यान में समाधी का अनुभव :
एक बात बताना चाहता हू समाधी मे शरीर के भीतर श्वास नही चलता ओर, श्वास न चले ओर होश कायम रह सके तो समाधी का द्वार आसानी से खुल सकता है ।
अगर इस क्रिया पर विजय पायी जा सके तो हम अपने श्वासो की पूजीं को सभाल सकते है, कहते है दिन मे 72000 श्वास हम लेते है सामान्य रूप से, इस विधी से अगर हम एक चोथाइ भी कम कर सके तो हमारी उम्र चोथा हिस्सा बढ़ सकती है ।
प्राचीन काल मे इसी विद्या से ऋषि मुनि श्वास भीतर रोक कर हजारो वर्ष जीवित रहते थे, और इस अवस्था मे अन्न जल की भी जरूरत नही पड़ती, बात है केवल नियमित प्रयास की इस विधी को yoga भी कह सकते है। ध्यान द्वारा सम्मोहन और समाधी की अवस्था में जाने के लिए सांसो पर नियंत्रण होना बेहद जरुरी है.
वर्तमान का दुषित वातावरण और ध्यान पर इसका प्रभाव
आजकल खाना पीना यहा तक वायु तक अशुद्ध हो चूकी है, सुना है चाइना मे हवा भी लोग खरीद रहे है, एसी स्थिति आने वाले समय मे पूरी दुनिया की हो जाए इसमे कोइ अचम्भा नही। तो अगर एसी विद्या मे हम परागंत हो सके नियमित प्रयास से तो हर रात समाधि मे ओर दिन समर्पण मे गुजरेगा।
केवल गाड़ीया ही प्रदूषण नही फैलाती इनसान भी इसका कारण है, निरतंर carbon die oxide छोड़ रहा है और जनसख्या निरतंर बढ़ रही है। एसी स्थिति मे यह एक नया कदम होगा जीवन मे, इतिहास मे आओ सब प्रयास करे व जीवन को ध्यान मय योग मय बनाए…….
सम्मोहन और आकर्षण को बढाती है ध्यान विधि
जब आप ध्यान द्वारा सम्मोहन और समाधी की इस विधि को बैठ कर करने में असहजता महसूस करे तो लेट कर भी कर सकते है। इस विधि की सारी अवस्थाये वही है जो बैठ कर करने में होती है। इससे आपकी आकर्षण शक्ति और आपका विचारो पर गजब का नियंत्रण बढाती है।
दोस्तों हमारी हमेशा कोशिश रहती है की आपको पूर्ण रूप से आजमाई हुई विधिया ही पढ़ने को सिखने को मिले। इसलिए अगर ध्यान त्राटक से जुडी किसी समस्या को लेकर आपके मन में कोई शंका हो तो आप हमें कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है। हमें subscribe करना न भूले।
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सम्मोहन और समाधी एक सहज ध्यान विधि
दोस्तों ध्यान की ये विधि जिसके द्वारा सम्मोहन और समाधी दोनों अवस्था प्राप्त की जा सकती है मूल रूप से आपके सांसो पर टिकी हुई है.
आप सांसो की मात्रा पर जितना नियंत्रण बनाते है उतना ही आपके अन्दर प्राण उर्जा की मात्रा बढती है और आप आसानी से किसी पर भी अपना प्रभाव दाल सकते है.
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बहुत ही शानदार लेख है। आपने बहुत ही अच्छीे जानकारी दी है।