8 effective साधना के नियम और मंत्र सिद्धि के सिद्धांत जो किसी भी तरह की साधना काल में सफलता के लिए आवश्यक है


WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

हम जब भी किसी साधना को सिद्ध करने की कोशिश करते है वो सफल नहीं हो पाती है. इसकी मुख्य वजह आपका शाबर मंत्र साधना के नियम से वंचित होना है.

आज आपको हर जगह साधना के बारे में जानकारी मिल जाएगी लेकिन किस साधना में किस नियम का पालन करना है, किस तरह की सावधानी रखनी है इसके बारे में साफ तौर पर कोई नहीं बताता है.

पहले के समय में साधना जल्दी फलित होती थी क्यों की तब गुरु की प्राप्ति सरल थी. आज के समय में गुरु का मिलना मुश्किल काम है क्यों की ज्यादातर लोग गुरु के नाम पर ठगने का काम कर रहे है.

आज हम मंत्र सिद्धि के 8 नियम के बारे में जानने वाले है जो गृहस्थ साधक के लिए आवश्यक है.

अगर आप गृहस्थ जीवन में रहते हुए साधना करना चाहते है तो आपको साधना के दौरान रखी जाने वाली सावधानी और साधना के नियम का पालन करना चाहिए. आज हम साधना को बगैर किसी नियम और सावधानी करते है और वो फलित नहीं होती है.

Basic Reason of Unsuccess in Sadhna
साधना के नियम और मंत्र सिद्धि के सिद्धांत

इसकी वजह से हमें लगता है मंत्र शक्ति काम नहीं करती है लेकिन, आपको अभी तक किसी भी मंत्र की प्रचंड शक्ति के अनुभव ना होने की वजह गलत साधना नहीं है बल्कि नियमो का पालन ना करना है.

बार बार प्रयास करने के बावजूद अगर आप असफल हो रहे है तो एक बार यहाँ शेयर किये गए साधना काल से जुड़े नियम का पालन कर साधना की सही शुरुआत करे.

बिना गुरु के साधना हालाँकि संभव नहीं है लेकिन, अगर आप ब्रह्मचर्य का पालन करते है तो आपको साधना में समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा.

गृहस्थ साधना के नियम

आज ज्यादातर साधक गृहस्थ जीवन में रहते हुए साधना करना चाहते है. पहले का समय अलग था जब साधना के लिए कुछ समय अवकाश लेकर एकांतवास में साधना को संपन्न किया जाता था लेकिन आज, ना तो पहले जैसी परिस्थिति रही है ना ही उन नियमो का पालन.

दूसरे शब्दों में कहे तो गृहस्थ में रहते हुए साधना करने का मतलब है की आप मिठाई के सामने बैठे है और उसे खाना नहीं है.

गृहस्थ में रहते हुए साधना काल के नियम का पालन करना और गृहस्थ जीवन का पालन करना एक साथ संभव नहीं है. अगर कुछ नियमो को हटा भी दे तो गृहस्थ जीवन के कई ऐसे कार्य है जो साधना में आगे बढ़ने से साधक को रोक सकते है.

शाबर मंत्र को सिद्ध करने की विधि को शेयर हुए हमने साधना के नियम के बारे में बात की थी. किसी भी साधना का मूल है साधक का ब्रह्मचर्य का पालन करना.

कभी विचार किया है की क्यों आपको साधना काल के दौरान एकांत वास, कम से कम बातचीत और ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए कहा जाता है.

इसकी वजह है एकांत वास आपके विचारो में चंचलता को स्थिर करता है. कम से कम बातचीत आपके उर्जा को क्षरण होने से रोकती है और उसका प्रयोग आप मंत्र साधना सिद्धि में लगा सकते है.

ब्रह्मचर्य का पालन करना बेहद आवश्यक इसलिए माना जाता है क्यों की पुरुष में उसका वीर्य रचना का मूल माना जाता है.

अगर वीर्य का सही उत्थान नहीं होता है तो साधक काम में फंस कर रह जाता है.

ब्रह्मचर्य का पालन करने से आपके अन्दर तेज बनता है, साधना जल्दी फलित होती है क्यों की उर्जा आपके अन्दर बनना शुरू हो जाती है और सबसे खास बात वीर्य का ऊपर की तरफ उत्थान होने से आपको सूक्ष्म जगत के रहस्यों को समझने में आसानी रहती है.

साधना के दौरान रखी जाने वाली सावधानी और नियम

गृहस्थ जीवन में रहते हुए साधना करने की जरुरत तब महसूस होती है जब साधक किसी अलौकिक शक्ति से दिव्य संसाधन की पूर्ती चाहता है. आज सबसे ज्यादा की जाने वाली साधना में शाबर मंत्र साधना है क्यों की ये जल्दी फलीभूत होती है. लेकिन साधना के नियम का क्या ?

यक्षिणी और अप्सरा साधना करने की सबसे बड़ी वजह सौन्दर्य और संसाधन की पूर्ती करना है. कौन नहीं चाहता है की कम से कम समय में अपनी गरीबी को दूर कर अमीर बन जाए.

अगर आप एक साधक है तो आपको साधना काल से जुड़े नियम / मंत्र सिद्धि के 12 नियम या फिर शाबर मंत्र साधना के नियम के बारे में पता होना चाहिए.

अगर आपका कोई गुरु है तो आपको इसके बारे में वे बता देते है लेकिन, बिना गुरु के साधना की शुरुआत कर रहे है तो साधना के दौरान रखी जाने वाली सावधानी और नियम साधना काल से जुड़े नियम के बारे में आपको मालूम होना चाहिए.

साधना के नियम का पालन करते हुए किसी भी साधना को गृहस्थ व्यक्ति कर सकता है.

इसके लिए आवश्यक शर्त सिर्फ नियम पालन की है. किसी साधना को करने के लिए धर्म या जाति विशेष का कोई महत्त्व नहीं है. जिसका भी साधना में आस्था है वो इन साधनाओ को कर सकता है.

आज हम बात करने वाले है मंत्र सिद्धि के 12 नियम या फिर किसी भी तरह की गृहस्थ साधना से जुड़े नियम के बारे में.

पुरुष और स्त्री के लिए साधना के नियम

ज्यादातर साधना में स्त्री और पुरुष का कोई भेद नहीं है. विवाहित या अविवाहित कोई भी इन साधनाओ को कर सकता है. महिलाओं को रजस्वला के समय किसी भी साधना को करना वर्जित है. जिस दिन रजस्वला हो उसके अगले 5 दिन तक कोई साधना नहीं करनी चाहिए.

अगर आपने अनुष्ठान या साधना शुरू की हुई है और बीच में रजस्वला / पीरियड शुरू हो गए है तो 5 दिन के लिए साधना को रोक दे. छ्टे दिन स्नान कर सर धो ले और फिर पवित्र हो साधना दोबारा शुरू करे.

साधना के नियम के अनुसार ऐसा होने पर साधना में व्यवधान नहीं माना जाता है और आप दोबारा वही से साधना शुरू कर सकती है जहाँ से आपने साधना छोड़ी है.

अगर आप माला पर साधना जप कर रही है तो जहाँ से आपने जाप छोड़ा है वही से शुरू करे और इसी तरह साधना को पूरा करे.

उम्मीद है की अब आपको क्या महिलाओ को पीरियड / मासिक के दौरान साधना करनी चाहिए इसके बारे में ज्ञात हो चूका है. ये साधना के नियम किसी भी अनुष्ठान, पूजा या साधना में लागू होता है.

साधना में खान पान कैसा होना चाहिए ?

साधना काल में जप संख्या और दिन की अवधि तय की जाती है. इस दौरान साधक को साधना के अनुकूल भोजन करना चाहिए. सात्विक साधना में सात्विक भोजन हो वो भी एक समय ग्रहण करे.

साधना काल के दौरान मांस, मदिरा और लहसुन प्याज का सेवन मना किया जाता है.

मंत्र जप शुरू होने से पहले या बाद में चाय या दूध का सेवन किया जा सकता है लेकिन, मंत्र जप के बीच में ये सब वर्जित है. घर का बना खाना ही ले बाहर का खाना खाने से बचे.

साधना काल में गृहस्थ के साधना के नियम

साधना काल में भूमि शयन को प्राथमिकता दी जाती है. भूमि पर किसी प्रकार का बिछोना बिछाकर सोया जा सकता है.

कुछ परिस्थिति में आप पलंग का इस्तेमाल कर सकते है लेकिन जहाँ तक हो शयन के लिए भूमि का चुनाव करे.

साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है. स्त्री ससर्ग से बचे और काम वासना को भड़काने वाले किसी भी सोर्स से दूर रहे. एकांत समय व्यतीत करे और आत्म मंथन करते रहे ताकि आपका मन न भटके.

avlokan-karna

साधना से पहले स्नान करना आवश्यक है लेकिन अगर आप सक्षम नहीं है तो पूरे शरीर को कपड़ा भिगोकर पोछ ले.

पेंट या निकर पहन कर साधना नहीं की जा सकती है. साधना के दौरान धोती का चयन करे. साधना के दौरान धोती के निचे कच्छा पहनना निषेध है इसलिए इस पर विशेष ध्यान दे.

एक धोती को कमर के निचे पहने और ओढ़ ले. अगर मौषम सर्दी का है तो कम्बल ओढ़ सकते है. साधना के दौरान धोती हमेशा साफ और पवित्र होनी चाहिए.

पढ़े : सबसे शक्तिशाली शारीरिक सुरक्षा वशीकरण की 3 विधि जो आपको बुरी नजर और काले जादू से सेफ रखती है

दैनिक कार्यो से जुड़े साधना के नियम

साधना काल में क्षोर कर्म यानि सर और दाढ़ी के बाल नहीं कटवाने चाहिए. साधना काल के दौरान आप साबुन का प्रयोग कर सकते है लेकिन इत्र का इस्तेमाल ना करे.

अगर आप कही बाहर जा रहे है तो साधना के बाद आप जूते पहन कर जा सकते है.

साधना काल के दौरान बाहरी कार्य को जितना हो सके कम से कम करे.

अगर आप रात्रि में साधना कर रहे है तो दिन में नौकरी पर जा सकते है लेकिन, अगर हो सके तो साधना काल के दौरान अवकाश ही ले ले.

साधना काल के दौरान आप सिनेमा नहीं देख सकते है ना ही किसी पार्टी या रंग मंच में जा सकते है.

साधना काल में मान्य नियम और साधक का व्यवहार

साधना काल के दौरान जितना हो सके कम से कम बोले. आवश्यक होने पर जितनी जरुरी है उतनी ही बातचीत करे और झूठ बोलने से बचे.

फालतू की गप्प और बहस में आप साधना काल में अर्जित की गई उर्जा को खर्च कर देंगे तो ये साधना के लिए नुकसानदायी होता है.

साधना के नियम के अनुसार साधना घर में किसी एकांत कमरे या मंदिर में पूरी की जा सकती है.

अगर आपके आसपास नदी का तट है तो सबसे उत्तम है लेकिन, साधना के नियम को फॉलो करने के लिए इस बात का ध्यान रखे की ये जगह कोलाहल और किसी भी तरह के व्यवधान से दूर हो.

साधना शुरू करने से पहले ही एक जगह पर साधना से जुड़ी सामग्री, माला, चित्र और यंत्र आदि को एकत्रित कर ले.

पूजन सामग्री की व्यवस्था पहले से ही कर ले. साधना शुरू करने से पहले अपने गुरु या जिससे आप साधना ले रहे है उनसे अपने मन में आ रहे किसी भी सवाल या शंका का समाधन कर ले.

साधना काल के दौरान आपको अलग अलग अनुभव हो सकते है. आपको ऐसा लग सकता है मानो कोई आपको आवाज दे रहा है या फिर आपके आसपास कोई टहल रहा है जो आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है.

इस पर ध्यान ना दे और अपनी साधना को पूर्ण करने पर फोकस रखे.

साधना के नियम में से एक है साधना काल में अपने पास जल से भरा एक लोटा या कलश रखना चाहिए.

उबासी, जम्भाई या फिर अपान वायु के निकलने पर अपने कानो से जल का स्पर्श करने से ये दोष मिट जाता है. माला जप के बीच में अगर लघु शंका लग रही है तो कर ले और फिर स्नान कर दूसरी धोती पहन दोबारा साधना शुरू करे.

पढ़े : महिलाए किसी को नहीं बताती है अपने 5 सीक्रेट क्या आपको पता है ?

साधना और माला का नियम

साधना के दौरान साधक के हाथो से माला गिरनी नहीं चाहिए.

अगर माला गिर रही है तो दोबारा मंत्र का जप शुरू से करे. माला का जप के बीच में टूटना और गिरना ये आपके जप में त्रुटी का संकेत है.

अपने गुरु से इस बारे में बात करे और आवश्यक निर्देश ले. बेहतर होगा की माला जप के लिए गौमुखी का प्रयोग करे. गौमुखी किसी भी कपड़े की हो सकती है.

अगर साधना में 100% सफलता चाहते है तो साधना के नियम का पालन करते हुए पूर्व दीक्षा ले. दीक्षित व्यक्ति के साधना में सफल होने चांस बढ़ जाते है.

साधना की शुरुआत में एक माला गुरु मंत्र की संपन्न करे और अपने गुरु से साधना को सफल बनाने के लिए निवेदन करे फिर साधना जप शुरू करे.

मंत्र जप के बीच कैसी भी परिस्थिति आ जाए उठना नहीं है. किसी से बातचीत के लिए संकेत का भी प्रयोग ना करे.

यदि ऐसी परिस्थिति आ जाती है तो साधना से उठे स्नान करे और फिर दोबारा साधना की शुरुआत करे.

जिस साधना को करने जा रहे है उस साधना को लेकर मन में किसी तरह की शंका ना रखे. अधूरे मन से साधना को ना करे क्यों की ये फलित नहीं होती है और साधना के दौरान आपकी पूरी श्रद्धा साधना में होनी चाहिए.

साधना काल के दौरान साधक का शांत बने रहना आवश्यक है. किसी भी तरह के असभ्य भाषण का प्रयोग ना करे. अपशब्द और निति के विरुद्ध कोई काम ना करे. पूरी निष्ठा और गुरु आशीर्वाद लेकर साधना में पूर्ण होने का निश्चय कर शुरुआत करे.

ये सब किसी भी साधना के नियम और आधारभूत तथ्य है जिनके बगैर सफलता की उम्मीद नहीं की जा सकती है.

पढ़े : आकर्षण के लिए मोहिनी वशीकरण मंत्र साधना के आसान उपाय और टोटके मनचाहा प्यार पाने के लिए

बिना गुरु के साधना कैसे करें?

ज्यादातर साधको के मन में सवाल आता है मेरा कोई गुरु नहीं है, पर मैं साधना करना चाहता हूँ. कैसे करूँ ? इसका सबसे सटीक जवाब देना चाहूँगा.

जब शिष्य पूर्ण रूप से तैयार हो जाता है तब उसे गुरु की प्राप्ति हो जाती है. आपको अगर अभी तक गुरु नहीं मिल रहे है तो इसका मतलब है की आप मानसिक रूप से साधना के लिए तैयार नहीं है.

इसका मिलता जुलता सवाल ये भी है की क्या बिना गुरु साधना सम्भव है? अगर नहीं, तो आज के समय में गुरु कैसे पहचानें ?

इसकी सबसे बड़ी वजह है क्योंकि हर कोई छल करने के लिए बैठा है? ऐसे में साधना की इच्छा रखने वाले लोग कैसे साधना करें ये सबसे बड़ी शंका मन में चलती रहती है.

quote-on-brahmcharya-in-Hindi

इसकी सबसे बड़ी वजह साधक को साधना के नियम के बारे में मालूम न होना है.

बिना गुरु के साधना संभव नहीं है क्यों की आध्यात्मिक रहस्यों और अनुभव को समझने की शक्ति सामान्य स्तर के इन्सान में विकसित नहीं होती है.

अगर आप त्राटक साधना या ध्यान का अभ्यास लम्बे समय से कर रहे है तो आपको सूक्ष्म जगत के रहस्यों की अनुभूति होना शुरू हो जाती है. ऐसे में आपको गुरु की प्राप्ति आसान हो जाती है.

साधना की शुरुआत कैसे करें?

अगर आप साधना करने जा रहे है तो साधना के नियम का पालन करने के साथ साथ स्टेप का भी ध्यान रखे. साधना की शुरुआत प्राथना से की जाती है. गुरु पूजा और निवेदन करने के बाद कुछ देर ध्यान अपनी सांसो पर लगाए और अपने मन को शांत करने की कोशिश करे.

साधना में सफलता पाने के लिए आपका trance like state में रहना जरुरी है जो alter state of consciousness है. इसके बारे में ज्यादा जानने के लिए लिंक पर क्लिक करे.

साधना के नियम का पालन करने के साथ साथ इसका सबसे बड़ा फायदा ये है की ये आपके तनाव को दूर करता है जिसकी वजह से आपको साधना के दौरान एकाग्र रहने में आसानी रहती है.

विचार-शून्यता की अवस्था आपको सूक्ष्म जगत से जोड़ती है इसलिए साधना में सफलता के चांस बढ़ जाते है.अगर आप इन बातो का ध्यान रखते है तो आप भी साधना की सही शुरुआत करते हुए बिना गुरु के भी साधना को संपन्न कर सकते है.

साधना के नियम और सावधानी क्या आपको इनके बारे में पहले पता था ?

आपने कितनी बार साधना की कोशिश की है ये कोई मायने नहीं रखती है. अगर आप साधना से जुड़े नियम और सावधानी का पालन नहीं करते है तो आपकी साधना कभी फलित नहीं होगी. बिना गुरु के साधना संपन्न करने में काफी सारी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.

गुरु शक्तिपात के द्वारा हमारे अंतर्मन को कुछ समय के लिए जाग्रत करते है ताकि आने वाले अनुभव हमें विचलित ना कर सके.

यही वजह है की गुरु दीक्षा को सबसे ज्यादा महत्त्व दिया जाता है. अगर आप बिना गुरु के साधना शुरू कर रहे है तो आपके मन में साधना के सफल होने को लेकर शंका बनी रहती है.

शाबर मंत्र की सिद्धि में सहायक साधना के नियम का पालन करने से शाबर मंत्रो को आसानी से सिद्ध किया जा सकता है.

गृहस्थ जीवन में रहते हुए साधना करना मुश्किल जरुर है लेकिन, एक समय के बाद ये आसान हो जाता है.

साधना के दौरान उपवास रखने से या एक समय भोजन ग्रहण करने से हमारे अन्दर ऊर्जा का प्रवाह ज्यादा से ज्यादा होना शुरू हो जाता है.

अगर आप भी साधना में जल्दी सफलता पाना चाहते है तो ऊपर दिए गए साधना के नियम का पालन करे आपको सफलता जरुर मिलेगी.

Leave a Comment