योग साधना के जरिये हम अपने अन्दर अनेको असाधारण क्षमता को प्राप्त कर सकते है. सामान्य जीवन में जिसे हम चमत्कार कहते है वो और कुछ नहीं योग साधना के चमत्कार है. प्राचीन काल में इंसानी बल की तुलना करना आसान नहीं था.
उस बल को आज प्राप्त करना बेहद मुश्किल है. आज हम त्राटक साधना के चमत्कार के बारे में बात करने वाले है.
त्राटक साधना का नियमित अभ्यास करने के क्या क्या फायदे है इन्हें आप इस आर्टिकल में शेयर किये जा रहे 5 उदाहरण के जरिये समझ सकते है.
त्राटक साधना के फायदे इतने है की आप हर उस काम को संभव बना सकते है जिसे सामान्य तौर पर असंभव या फिर मुश्किल माना जाता है.
अभी हाल ही मैंने त्राटक साधना के चमत्कार पुस्तक को पढ़ा और इसके फायदे के बारे में जाना. ये पुस्तक पूरी तरह से उन लोगो के लिए समर्पित है जिन्हें त्राटक साधना के लिए मोटिवेशन की जरुरत है.
त्राटक साधना के बारे में जानकारी हम ब्लॉग पर पहले ही दे चुके है इसलिए इस आर्टिकल में सिर्फ The power of trataka gazing meditation के बारे में ही बात करने वाले है.
जैसे जैसे अभ्यास में हम मन बुद्धि और आत्मा में अनंत शक्ति के विकास की प्रक्रिया से गुजरते है वैसे वैसे हमारे अन्दर ऐसी शक्तियां विकसित होना शुरू हो जाती है जिन्हें सामान्य स्तर पर किसी जादू या चमत्कार की तरह देखा जाता है.
आइये जानते है त्राटक साधना के 5 ऐसे चमत्कार जो आपको त्राटक साधना के लिए लिए प्रेरित करने में सहायक हो सकते है.
त्राटक साधना के चमत्कार और उपाय
इतिहास में ऐसे कई उदाहरण आपको मिल जायेंगे जो त्राटक साधना के चमत्कार और उपाय से जुड़े है. हमारे लिए जो कार्य असंभव प्रतीत होता है उसे योगी जन आसानी से कर सकते है ये त्राटक का चमत्कार ही तो है.
आज विज्ञान भी मन की शक्ति को परख रहा है और इसकी अनंत शक्ति को समझने की कोशिश कर रहा है. त्राटक साधना के जरिये हम जिन शक्तियों से परिचित होते है वे त्राटक साधना के चमत्कार और कुछ नहीं एकाग्र होते हुए मन की शक्ति का परिचय ही है.
योगी जन के अनुसार जितनी भी साधना और सिद्धि है उनमे त्राटक साधना की सिद्धि सबसे सहज और पावरफुल है.
त्राटक से एकाग्रता सहज ही प्राप्त होना शुरू हो जाती है जिसकी वजह से हमारा मन चमत्कार करने सक्षम हो जाता है. आइये ऐसे ही 5 त्राटक साधना सिद्धि के चमत्कार के बारे में जान लेते है.
त्राटक साधना इतनी सहज क्यों है
त्राटक साधना और सिद्धि एक महत्वपूर्ण साधना है जो अनादि काल से की जाती रही है. बड़े बड़े योगी, तपस्वी, संन्यासी, साधक त्राटक साधना के चमत्कार साधना के द्वारा अद्भुत सिद्धि प्राप्त करते रहे हैं.
हठयोग साधक भी त्राटक-साधना करते रहे हैं. इसलिए योग-ग्रन्थों में भी Tratak gazing meditation का उल्लेख मिलता है. प्राचीन ऋषि-मुनि तो इस साधना के द्वारा अभूतपूर्व क्षमताओं के स्वामी रहे है, वर्तमान समय में अनेक व्यक्ति इस साधना के द्वारा लाभ उठा रहे हैं.
भारत, तिब्बत तथा विभिव पाश्चात्य देशों में भी इन साधना के प्रति जिज्ञासा बढ़ती जा रही है.
त्राटक-साधना हमेशा से चमत्कार पूर्ण साधना रही है. त्राटक साधना के चमत्कार द्वारा साधक की नेत्र दृष्टि अभूतपूर्व और अंतर दृष्टि जाग उठती है. उसमें इतनी शक्ति आ जाती है कि यदि किसी को क्रोध पूर्वक देखे तो वह तुरन्त भस्म हो जाए, पत्थर या वृक्ष वन जाय अथवा प्राणविहीन होकर परकटे पक्षी के समान धरती पर गिर जाए.
यदि त्राटक-सिद्ध साधक किसी को प्रेम पूर्वक देखे तो उस पर अनु ग्रह की वर्षा कर सकता है. कुरूप को रूपवान और अस्वस्थ को स्वस्थ बना सकता है. यदि दान दृष्टि से देखें तो किसी के घर को वैभव सम्पन्न किसी के खेत को हरा-भरा, किसी के सरोवर को जल से परिपूर्ण कर सकता है .
बाबा ने रेलगाड़ी को स्तम्भित कर दिया
नीम करौली नाम से प्रसिद्ध एक सन्त बाबा हुए हैं. इनके त्राटक साधना के चमत्कार को श्री के. एम. मुखी, डॉ सम्पूर्णानन्द, डॉ. शंकरदयाल शर्मा आदि स्वयं देखकर आश्चर्यचकित हो चुके थे. यह बाबा अत्यन्त फक्कड़ तथा मस्त सन्त थे. अधिकतर नैनीताल के कैची नामक रमणीक स्थान के निकट रहा करते थे. जहां उन्होंने हनुमानजी का एक भव्य मन्दिर भी बनवाया हुआ था.
कहते हैं कि बाबा के दर्शनों को बड़े-बड़े राजे-महाराजे तथा पदाधिकारी पुरुष आते ही रहते थे. उनके स्थान पर प्रातः काल से सायंकाल पर्यान्त भण्डारा चलता ही रहता था. नित्य प्रति सैंकड़ों गृहस्थ और साधु-सन्त भी उनके दर्शनार्थ आया करते थे.
बाबा कभी-कभी रेलयात्रा भी करते थे. किन्तु टिकट नहीं लेते एक बार जब वे रेल में यात्रा कर रहे थे तब टिकट निरीक्षक ने उनसे टिकट मांगा. बाबा के पास टिकट था ही नहीं, इसलिये उन्होंने स्पष्ट बता दिया कि नहीं है टिकट.
टिकट निरीक्षक ने कहा पैसा लाओ या उतरो गाड़ी से. बाबा ने कहा कि ‘हम फकड़ हैं, टिकट लेने के लिये न तो पैसा ही हैं, न ध्यान ही रहता है उसका.‘ किन्तु निरीक्षक कब मानने वाला था.
उसने कहा टिकट नहीं है तो उतर क्यों नहीं जाते, व्यर्थ माथा-पच्ची करते हो ? बाबा ने उसे त्राटक साधना के चमत्कार दिखाने के बारे सोचा.
बाबा भी कुछ रुष्ट हो गये, बोले ‘नहीं मानता है तो हम तो उतरे जाते हैं, पर ध्यान रख, अव तेरी रेलगाड़ी ही नहीं चलेगी. निरीक्षक ने क्रोध पूर्वक कहा अरे बहुत देखे हैं तेरे जैसे साधु-सन्त.
बाबा उत्तर गये. इंजिन ने सीटी दी, किन्तु सीटी देकर ही रह गया. ड्राइवर ने लाख प्रयत्न किया उसे चलाने का, किन्तु बाबा के दृष्टिपात ने एकदम चक्का जामकर दिया था. इसलिये वह जहाँ खड़ी थी, यहां से हिश भी नहीं सकी .
अव तो, सभी की समझ आ गया कि बाबा की करामात है यह निरीक्षक, गार्ड तथा स्टेशन मास्टर सभी ने बाबा के चरण पकड़ कर क्षमा याचना की ओर आग्रह पूर्वक उन्हें रेलगाड़ी में बैठाया, बस बाबा के बैठते ही गाड़ी चल पड़ी.
त्राटक साधना के चमत्कार और इच्छाशक्ति की प्रबलता
त्राटक में सम्मोहन पूर्ण रूप से निहित है, चाहे वह hypnotism के रूप में हो, चाहे telepathy के रूप में. telepathy की क्रिया विचारों के सुदूर संचार में बहुत प्रभावकारी होती है . वस्तुतः त्राटक साधना के चमत्कार की सभी सिद्धियों के द्वारा willpower को strong किया जा सकता है.
बिना किसी बाधा के सम्मोहन शक्ति का संचार होता है ओर भेजा हुआ सन्देश लाखों किलोमीटर तक सहज में ही पहुँच जाता है. वस्तुतः टेलीपैथी की क्रिया उतनी ही अधिक प्रभावशाली होगी, जितनी कि इच्छा शक्ति की प्रबलता.
एक गृहस्थ परिवार हरिद्वार, ऋषिकेश, स्वाधम आदि के भ्रमणार्थ गया था स्वर्गाश्रम से ऊपर कुछ किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने पर नीलकण्ठ महादेव का एक स्थान मिलता है. वहां के नैसर्गिक सौन्दर्य और शिवजी के प्रभाव की प्रशंसा सुन कर वे सब लोग वहां गये, किन्तु लौटते समय एक युवक उनसे बिछड़ गया.
सायंकाल हो चुका था, भूखे-प्यासे युवक को मार्ग दिखाई नहीं दे रहा था, अन्धकार बढ़ता जाता था. युवक ने एक पगडंडी पर बढ़ते-बढ़ते देखा कि मार्ग बन्द है और सामने के पर्वत पर रीछों का झुण्ड उछल-कूद कर रहा है. इससे युवक और भी भयभीत हुआ तथा घबरा गया .
तभी उसने देखा एक शिला खण्ड पर कोई महात्मा बैठे हैं, जिन्होंने संकेत से युवक को अपने पास बुला लिया उनके पास पहुंचकर उसने देखा कि उसी समय एक दोना आकर गिरा उसके सामने, जिसमें सत्तू के बने दो लड्डू रखे थे. ऊपर दृष्टि उठाई तो एक तोता आकाश में उड़ रहा था.
महात्मा जी के संकेत पर युवक ने ने लड्डू खायें और उनके कमंडल से शीतल पानी पी लिया. इससे उसे बड़ी सान्त्वना मिली. दो लड्डुओं में ही उसकी भूख समाप्त हो चुकी थी. तत्पश्चात् युवक ने महात्मा जी से कुछ पूछा तो वे बोले नहीं, वरन् संकेत से ही उत्तर दिया. किन्तु युवक उन संकेतों को ठीक प्रकार से समझने में असमर्थ रहा.
तभी एक अन्य साधु वहां आया और उसने पहले वाले महात्मा जी के चरण स्पर्श पूर्वक प्रणाम किया. फिर वह युवक से बोला ‘तुम गुरुदेव से जो कुछ जानना चाहते थे वह मुझसे पूछो. में गुरुदेव की आज्ञा से यहां आया हूं. व्यक्ति त्राटक साधना के चमत्कार को देखकर हैरान रह गया.
गुरुदेव मौनव्रती है, इसलिए तुम्हारी बात कर उत्तर संकेत में ही दे सकते थे. किन्तु जब तुम्हारी समझ में संकेत नहीं जाये, तब उन्होंने मुझे यहां आने का आदेश दिया.
युवक को बड़ा आश्चर्य हुआ. उसने सोचा कि यहाँ गुरुदेव के अलावा कोई अन्य व्यक्ति है ही नहीं, फिर इस साधु को बुलाने को गया ?
उसने यह शंका आगंतुक साधु के समक्ष रखी तो उसने कहा ‘यह सब इच्छा शक्ति का ही प्रभाव है. गुरुदेव ने त्राटक साधना द्वारा सबल हुई अपनी इच्छा शक्ति के द्वारा ही मुझे तुरन्त यहाँ पहुंचने का आदेश दिया, जिसे पाते ही में बहुत दूर होता हुआ भी क्षण भर में यहाँ आ गया हूँ.
युवक का आश्चर्य और भी बढ़ा- आप बहुत दूर होते हुए भी क्षण भर में यहाँ कैसे आ गये ?
साधु ने कहा- ये सब त्राटक साधना के चमत्कार है और इच्छा शक्ति प्रबल हो तो सभी कुछ सहज सम्भव है युवक ! उसी के अभ्यास से मैं डेढ़ सौ वर्ष की आयु का होते हुए भी अभी प्रौढ़ दिखाई देता हूँ.
युवक के गुरुदेव की आयु पूछने पर साधु ने बताया- गुरुदेव की आयु तो तीन सौ वर्ष से भी अधिक है .
युवक अभी हैरत में ही था कि शिष्य साधु ने कहा गुरुदेव की आज्ञा है कि तुम्हें तुरन्त ही स्वर्गाश्रम में पहुंचा दिया जाय. वहाँ तुम्हारे माता-पिता और कुछ पर्वतीय मार्गदर्शक व्यग्रता से तुम्हारी खोज कर रहे हैं.
यह सुन कर युवक ने पूर्व महात्माजी को प्रणाम किया और शिष्य साधु के साथ चलने लगा. तभी उसने कहा कहा–’अपनी आँखे बन्द करके बैठ जाओ युवक ने बैठ कर आँखें बन्द कर लीं. क्षण भर में ही उसे सुनाई
दिया ‘आँखें खोलो, अब तुम स्वर्गाश्रम में हो .’ उसने आंखें खोली तो अपने को उसी कमरे के पास पाया, जिसमें वह अपने परिवार जन के साथ ठहरा हुआ था. किन्तु यह देख कर उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि वह साधु भी यहां नहीं था, जिसने आंखें खोलने को कहा था
नेत्रों में चुम्बक शक्ति
त्राटक साधना के अभ्यास से नेत्रों में चुम्बक शक्ति बढ़ जाती है. ऐसे साधक के अन्दर त्राटक साधना के चमत्कार से जो चमक उत्पन्न होती है, वह असामान्य से दिखाई देती है. एक साधक सुई पर दृष्टि टिकाने का अभ्यास करते थे. उनका कथन था कि मैं चलती हुई घड़ी को रोक सकता हूँ. बस घण्टा बताने बाली छोटी सूई पर स्थिर रूप से दृष्टिपात करने की आवश्यकता होगी मुझे.
उसका यह भी दावा था कि घड़ी की सुइयों पीछे की ओर घूमने लग सकती है. मजे की बात यह कि घडी सीधी चल रही है और सुइयां पीछे को घूम रही है.
इसका सिद्धान्त बताते हुए डॉ० मेस्मर का कहना था कि मानव शरीर में animal magnetism है. नेत्र दृष्टि को स्थिर करने के अभ्यास के अनुसार ही यह शक्ति नियमानुसार बढ़ती है. जो लोग अभ्यास छोड़ देते हैं, उनकी चुम्बक शक्ति घट भी जाती है. इसलिए त्राटक साधना के चमत्कार चाहने वालो को उम्मीद तो कभी छोड़ना ही नहीं चाहिए.
यदि नेत्रों को चुम्बक शक्ति बढ़ जाती है तो आप प्रत्येक प्राणी को अपने आकर्षण में बाँध सकते हैं. एक व्यक्ति जो बहुत ही साधारण प्रतीत होता था, उसे देखते हो लगता था जैसे यह अनजाने ही खींच रहा है. बाद में पता चला कि वह व्यक्ति सम्मोहन का अभ्यास कर रहा है.
त्राटक सिद्धि से स्वभाव परिवर्तन भी त्राटक साधना के चमत्कार है
वृन्दावन के निकट ही एक साधु रहते थे कोई उन्हें सिद्ध बाबा कहते तो कोई चमत्कारी बाबा. कहते हैं कि वे बहुत ही सौम्य स्वभाव के थे और एकान्त में रहना पसन्द करते थे.
वे नहीं चाहते थे कि लोग उनके पास आये, इसलिये कभी-कभी तीर्थाटन को निकल जाते, जिससे लोगों का आना जाना स्वभावतः रुक जाता था.
एक बार एक व्यक्ति ने उन्हें अपने घर चलकर भोजन करने का निमन्त्रण दिया. बाबाजी किसी के घर नहीं जाते थे, इसलिये उन्होंने मना कर दिया. अब तो वह व्यक्ति बहुत रुष्ट हुआ, बोला तुमने मेरे सम्मान पर भी ध्यान नहीं दिया. इतना अहंकार है तुम्हें कि मेरे घर भी नहीं चलना चाहते हो.
बाबा ने कहा भाई ! मैं कभी किसी के घर नहीं जाता. तुमने कभी देखा हो तो बताओ.’ न देखा सही उसने कहा मेरे घर तो चलना ही होगा. न चलोगे तो मैं भी तुम्हें देख लूँगा.’
बाबा ने जाना स्वीकार न किया. वोले- ‘तुम मेरे सामने बैठो’ फिर समझ लोगे मैं सत्य है या नहीं ? फिर भी तुम मुझे झूठा समझो तो चलूँगा तुम्हारे साथ.’
त्राटक साधना के चमत्कार के देखते ही देखते वह व्यक्ति कुछ शान्त हुआ और उनके कहने के अनुसार सामने ही के बैठ गया. बाबा वोले- ‘मेरी ओर देखो .’ उसने देखा बाबा की ओर तो नजर से नजर मिल गई. पता नहीं, क्या हुआ कि वह व्यक्ति वावा के चरण पकड़ कर क्षमा माँगने लगा बोला- ‘मुझसे बड़ी भूल होगई, क्षमा कर दीजिये.
वह बहुत क्रोधी स्वभाव का था, उस दिन से उसका क्रोध ही समाप्त हो गया.
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दूसरों के मन की बातें जान लेने की सहज प्रक्रिया
त्राटक साधना के चमत्कार और त्राटक-सिद्धि के बल पर दूसरों के मन की बातें जान लेना सहज होता है. गोवर्धन के पास एक बाबा रहते थे जो दूसरों के मन की बात जान लेते थे. कहा जाता है कि जो कोई उनसे कुछ प्रश्न करता चाहता, उस प्रश्न को वे पहले ही बता देते और साथ ही उसका उत्तर भी दे दिया करते थे.
एक बार एक व्यक्ति ने उनकी परीक्षा लेनी चाही. उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि बाबा में ऐसी शक्ति है की वे त्राटक साधना के चमत्कार कर सके. अतः वह उनके पास जाकर बैठ गया. बाबा ने बहुत देर तक उसकी ओर ध्यान ही नहीं दिया, अपनी साधना में लगे रहे. उस मनुष्य ने सोचा कि बाबा शायद मेरी उपेक्षा कर रहे हैं तो कुछ रुष्ट होकर बोला- ‘बाबा ! में कुछ पूछना चाहता हूँ ?
वे बोले– ‘मैं समझ रहा हूँ तेरा अभिप्राय, तू मेरी परीक्षा लेना चाहता है न ! तो समझ ले कि साधु-सन्त निर्लिप्त होते हैं, वे न परीक्षा देते हैं, न लेते हैं. फिर भी तेरी इच्छा परीक्षा की ही है तो सुन, अब पहले तुम मानसी गंगा में स्नान करोगे, मगर सावधानी से स्नान करना.
उसने कहा ‘मैं तो राधाकुण्ड की परिक्रमा देता हुआ वहीं स्नान करूँगा. मानसी गंगा में इस समय स्नान करने का कोई प्रश्न ही नहीं है. वो व्यक्ति त्राटक साधना के चमत्कार से अनजान था.
बाबा ने कहा – ‘प्रश्न हो या न हो, तू गानसी गंगा में ही स्नान करेगा और राधाकुण्ड की परिक्रमा देगा शाम को तथा एक बात और सुन ले राधाकुण्ड में स्नान नहीं करेगा आज ‘
उसने सोचा वावा की भविष्य वाणीं सच्ची नहीं, वह अवश्य ही राधाकुण्ड पहुँचेगा अभी और वहीं स्नान करेगा. ऐसा निश्चय कर वह वहाँ से चल दिया. उसके कुछ साथी थोड़ी दूर पर ही बैठे थे. उनमें से एक के पेट में बड़े जोर का दर्द हुआ.
वह व्यक्ति बिल्कुल पसीने पसीने हो गया. ये त्राटक साधना के चमत्कार ही थे जो परिस्थिति को इस तरह बना रहे थे. लगता था कि उसकी स्थिति गम्भीर होती जा रही है, अतः यह आवश्यक समझा गया कि उसे तुरन्त ही गोवर्धन ले जाया जाए.
सभी को एक मत होना पड़ा. रोगी के साथ सभी गोवर्धन लोटे और वहाँ किसी चिकित्सक से उपचार कराया .
रोगी एक घंटे भर में ठीक हो गया. अब शौच आदि से निवृत्ति होकर सब मानसी गंगा पहुंचे. एक एकान्त घाट पर गये जहाँ सीढ़ियों पर बहुत काई थी. स्नान करते समय उस व्यक्ति का पाँव फिसल गया जिसे बाबा ने सावधानी से स्नान करने की चेतावनी दी थी.
उसके दो साथियों ने उसे बचा लिया, नहीं तो गहरे में पहुंच सकता था. त्राटक साधना के चमत्कार अभी बाकि थे.
सायंकाल राधा कुंड की परिक्रमा को गये. राधाकुण्ड पहुंचते पहुंचते वर्षा आ गई, ऋतु की प्रतिकूलता के कारण वहां कोई स्नान न कर सका.
बाबा की परीक्षा करने वाला व्यक्ति बहुत चाह कर भी बाबा की भविष्य वाणी को मिथ्या नहीं कर सका. इसलिये उसने समझ लिया कि सिद्ध पुरुषों से कभी विवाद न करना ही श्रेयस्कर होता है.
क्यों आपको एक बार त्राटक साधना के चमत्कार पुस्तक को पढना चाहिए ?
मोमबत्ती और दर्पण त्राटक साधना के बारे में आपको YouTube or Blog पर काफी कुछ पढने को मिल जायेगा. आखिर क्यों बड़े बड़े योगी इस साधना को करने पर इतना जोर देते है ये आपको त्राटक साधना के चमत्कार पुस्तक को पढने पर मिल जायेगा. ये पुस्तक ऐसे ऐसे चमत्कार से भरी हुई है जो त्राटक साधना से सम्भव हुए है.
आज से ही नहीं प्राचीन काल से आपको त्राटक साधना के उपाय देखने को मिल जायेंगे. ऐसा कहा जाता है की इच्छा शक्ति और मनोबल को जगाने के लिए त्राटक सिद्धि से बड़ा और कुछ नहीं है.
अगर आप अपने मन की शक्ति को जगाना चाहते है या फिर त्राटक साधना के चमत्कार को होता हुआ देखना चाहते है तो एक बार ये बुक पढ़े और फिर शुरुआत करे. आपको इस बार परिणाम 100% मिलेंगे. इसकी एक वजह आपको अब त्राटक साधना की असली शक्ति के बारे में पता होना है.