आपने विक्रम बेताल के बारे में तो सुना ही होगा. महाराजा विक्रमादित्य के पास 2 सहायक बेताल थे ऐसा हम आज कहानियो में सुनते आ रहे है. आज हम बात करने वाले है बेताल साधना और अगिया बेताल से जुड़ी 2 महत्वपूर्ण साधनाओ के बारे में.
बेताल की साधना करना साधक को निर्भीक बनाता है जिसकी वजह है बेताल का सहायक बनना. ये एक ऐसी साधना है जो साधक की सभी इछाओ की पूर्ति करती है और किसी भी संकट से उसे बचाती है.
बेताल साधना में सिद्धि के समय बेताल का भयानक रूप देखकर कई साधक इसे बिच में ही छोड़ देते है जो की साधक की कमी और बहुत बड़ी गलती होती है.
किसी भी तरह की उग्र साधना आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकती है.
बेताल साधना के दौरान आपको भयभीत करने की कोशिश की जाती है जिसकी वजह से साधक अगर भयभीत हो जाता है तो उसका मानसिक प्रभाव उसे नकारात्मक बना देती है. हमेशा ध्यान रखे की उग्र साधना का प्रभाव बेशक भयभीत कर सकता है लेकिन आपको मार नहीं सकता है.
ये सब साधक की परीक्षा होती है जो उसे रोकने की कोशिश करती है.
साधना के दौरान कई ऐसी स्थिति से गुजरना होता है जिसमे साधक को मानसिक रूप से बहुत ज्यादा डिस्टर्ब हो जाता है.
ये साधना काफी उग्र होती है और साधक के मानसिक संतुलन की अवस्था में ना होने की वजह से ये शक्तियां साधक को ही control करने लगती है.
इस साधना के दौरान साधक को संयमित होना चाहिए. अगर आप शांत और सात्विक प्रवृति के है तो आपको ये साधना नहीं करनी चाहिए.
बेताल साधना करने का मुख्य उदेश्य
ये साधना कई तरह की है जिसमे अगिया बेताल की साधना काफी ज्यादा popular साधना में से एक है.
बेताल की साधना को करने के पीछे सबके उदेश्य अलग अलग है. ये भय नाशक साधना है यानि जिसके पास बेताल का साथ होता है वो सभी प्रकार के भय से मुक्त रहता है.
बेताल साधना के जरिये षट्कर्म करना संभव है. साधक को आने वाले संकट की जानकारी बेताल के जरिये मिल जाती है जिसकी वजह से वो अपना बचाव कर सकते है.
ऐसा भी माना जाता है की मुश्किल साधनाओ के दौरान बेताल को एक सहायक के तौर पर भी काम में लिया जाता है. अगर किसी साधना में मुश्किल आ रही है तो बेताल के जरिये साधना में आ रही मुश्किल को दूर कर लिया जाता है.
बेताल साधक का मकसद धन, आने वाले समय की जानकारी, संकट से निकलने और किसी भी तांत्रिक कार्य को आसान करने के लिए किया जाता है.
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बेताल की साधना का मुख्य लाभ
- बेताल साधना किसी भी तरह के बड़े से बड़े तंत्र कर्म से साधक का बचाव कर सकता है.
- किसी भी तरह के गड़े धन की जानकारी के लिए बेताल का इस्तेमाल किया जा सकता है.
- किसी भी तरह के तंत्र कर्म को सफलतापूर्वक किया जा सकता है.
- बेताल को सहायक के रूप में या फिर एक गुलाम के रूप में सिद्ध किया जाता है लेकिन सहायक के रूप में सिद्ध करना सही रहता है.
साधक के लिए आवश्यक शर्ते
- बेताल की साधना के लिए साधक का निडर होना आवश्यक है.
- साधना को बिच में नहीं छोड़ा जा सकता है.
- साधना के दौरान होने वाले अनुभव को किसी से share नहीं करना है ना ही डरना है.
- बेताल साधना को घर पर ना करे. एकांत शिव मंदिर या फिर शमशान जैसी जगह पर ये साधना करनी चाहिए.
- साधना के दौरान बेताल कवच और सुरक्षा कवच की आवश्यकता अनिवार्य है.
- साधक को ये साधना एकाएक शुरू नहीं करनी चाहिए बल्कि कुछ दिन पहले शिव मंदिर में पूजा करे और फिर गुरु की आज्ञा ले.
- साधना का समय 21 दिन और सवा लाख मंत्र जप सबसे सही तरीका है.
- साधना में लौंग, पतासे और मदिरा का भोग अनिवार्य है और साधना में इन्हें साथ में रखना चाहिए.
यहाँ इस article में share की गई बेताल की साधना प्रमाणिक नहीं है और ना ही हम इसकी सत्यता का दावा करते है. साधना का प्रभाव और इसकी सफलता साधक के अपने विवेक पर निर्भर करती है. साधना करने से पहले आवश्यक बातो पर गुरु से चर्चा जरुर कर ले हम सिर्फ यहाँ जानकारी के उदेश्य से साधना share कर रहे है.
बेताल साधना मंत्र
ये एक वीर बेताल की साधना है. इस तरह की साधना में बेताल को सहायक के रूप में सिद्ध किया जाता है और सिद्धि के बाद साधक के किसी भी एक अंग में बेताल अपना स्थान ग्रहण करता है. इस साधना का मंत्र निम्न है.
ॐ नमो वीर बेताल माई, काली के लाल
संकट भागो देर न लगाओ जल्दी आओ
कुरु कुरु फट स्वाहा
साधना विधि
इस बेताल साधना मंत्र का जप रात्रि के 12 बजे से शुरू करे. हर रोज 31 हजार जप और इसका दशांश हवन करना है. हवन में समिधा के रूप में आक की लकड़ी ले और चरु कडवा तेल मिश्रित राई की रखे. जाप करते समय बाकला और मघ अपने सामने बेताल के नाम से रखे.
21 रोज साधना करने के बाद बेताल अपने भयानक रूप में साधक के सामने प्रकट होता है.
साधक को डरना नहीं है बल्कि इस समय बेताल को बाकला और मघ भेंट करनी है.
इससे बेताल प्रसन्न होता है और इसी दौरान साधक को वचन लेना है की जब भी वह मंत्र जप करे बेताल को प्रकट होना है. बेताल को सही कामो में ले और अपने रास्ते में आ रही मुश्किल को दूर करने के लिए काम में ले.
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अगिया बेताल की साधना विधि 1
अगिया बेताल साधना यानि अग्नि बेताल जो साधक के दुश्मनों को भयभीत करने के लिए सिद्ध किया जाता है.
ऐसा माना जाता है की अगिया बेताल साधना की सिद्धि के बाद ककड की चोट के जरिये बेताल को प्रकट किया जाता है. इस साधना की 2 विधि यहाँ share की जा रही है आप यहाँ देख सकते है.
ॐ अगिया बेताल महाबेताल बैठ बेताल अग्नि अग्नि
तेरे मुख में सवामन अग्नि महाविकराल फट स्वाहा ||
साधना विधि
इस बेताल साधना के लिए रुद्राक्ष की माला की जरुरत होती है. एकांत जगह का चुनाव करे अगर किसी शिव मंदिर में करने को मिले तो उत्तम है.
बेताल साधना के दौरान सूखे फूस पास में रखे और कुछ दिन बीतने के बाद इन फूस पर उड़द के दाने रखने शुरू कर दे. साधना में जब आप सफल होने लगते है तब आपके पास रखे फूस में अपने आप आग लगने लगती है.
पास में मेवा का प्रसाद और माला रखे. जब ये प्रक्रिया शुरू हो तो ये संकेत है की बेताल जल्दी ही प्रकट होने वाला है.
ज्यादातर बेताल अदृश्य रूप में दिखाई देते है लेकिन अगर ये शरीरी रूप में प्रकट हो तो भयभीत ना हो. दाहिने हाथ में मावे का प्रसाद ले और बेताल को प्रणाम करते हुए माला पहना दे. इससे खुश होकर बेताल वचन मांगने के लिए कहे तो उसे आवाहन के साथ ही आने के लिए वचन मांग ले.
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अगिया बेताल साधना विधि 2
अगिया बेताल की ये साधना बहुत ही उग्र है इसलिए ये साधना बहुत सोच समझ कर और किसी गुरु की देखरेख में करनी चाहिए. इस साधना में तिकोना हवनकुंड बनाना होगा और मंत्र जप के साथ हवन अनिवार्य है.
ये बेताल साधना खुले मैदान में, एकांत शिव मंदिर या फिर शमशान में की जाती है. अर्धरात्रि के समय ये साधना की जानी चाहिए और साधक के साथ गुरु हो या उसकी देखरेख में साधना की जानी चाहिए.
ॐ अगिया बेताल वीरवर बेताल ,महाबेताल इहागच्छ इहतिष्ठ
अग्निमुख अग्निभक्षी अग्निवासी महाविकराल फट स्वाहा ||
गुरु इस लायक हो की बेताल साधना के किसी भी विपरीत प्रभाव को दूर करने में सक्षम होना चाहिए. साधना कितने दिन होगी और मंत्र जप कितना होगा ये साधक की इच्छा शक्ति पर निर्भर है.
कम से कम 21 दिन और 10000 मंत्र जप का संकल्प होना चाहिए. सबसे पहले शिव पूजा से इसकी शुरुआत करे. एक माला और खाद्य पदार्थ हमेशा पास में रखे.
साधना के दौरान उग्र सामग्री का प्रयोग साधना में होता है. जब साधना का अभ्यास बढ़ता जाता है तब एक दिन ऐसा आता है जब मंत्र जप के समय हवन की अग्नि का प्रवाह उग्र हो जाता है.
इस बेताल साधना में अगिया बेताल सशरीर प्रकट नहीं होता है बल्कि आवाज के जरिये संकेत देता है. ऐसा होने पर दाहिने हाथ से मेवे का प्रसाद भोग अर्पण करे.
बेताल को शरीर में स्थान देना होता है जिसमे ये 3 स्थान को विकल्प के तौर पर चुनता है.
साधक का दाहिने हाथ का अंगूठा, आँखे और उसकी जीभ. अगर बेताल साधक के जीभ पर स्थान ग्रहण करता है तो इसकी पूर्ण शक्ति साधक को मिलती है. साधक जो भी सोचता है बेताल उसे पूरा कर देता है.
बेताल साधना मेरे अंतिम विचार
तंत्र साधना में ऐसी कई साधना है जो बिना गुरु के नहीं की जानी चाहिए. एक साधना को आप दोनों ही तरीके से कर सकते है.
बेताल साधना को करने के पीछे की वजह में इसका साधक को शक्तिशाली बनाना है. वीर, बेताल ये कुछ साधनाए ऐसी है जो साधक को या तो नियंत्रित कर सकती है या फिर उनके नियंत्रण में रहते हुए उसका काम करती है.
बेताल की साधना के बाद साधक किसी भी तरह के तंत्र कर्म को आसानी से कर सकता है जिसका सीधा सा मतलब है ये एक सहायक तंत्र साधना भी है.
पुराने समय में महाराजा विक्रमादित्य के पास 2 सहायक बेताल थे जिनके बारे में काफी सारी कहानियां आज हम सुनते रहते है.
अगिया बेताल साधना के जरिये एक साधक दूसरो पर विजय पा सकता है. उग्र प्रवृति के साधक के लिए ये साधना सही है क्यों की इसके प्रभाव उग्र है जिसकी वजह से शांत स्वभाव वाले साधक को ये साधना नहीं की जानी चाहिए.