त्राटक में प्राण का महत्व आपने शायद पहली बार सुना होगा। क्या त्राटक में प्राण का भी उतना ही महत्व है जितना की दूसरे अभ्यास। प्राण वायु और आध्यात्मिक शक्तिया ये दोनों ही शब्द आपस में बहुत गहरे है। प्राण वायु शब्द हमारे जीवन से जुड़ा है।
प्राण वायु वो जीवनदायनी ऊर्जा है जो समस्त सजीव में है और उनके अस्तित्व के लिए जरुरी है। प्राण वायु ही है जो हमें जीवन में सभी जरुरी काम के लिए ऊर्जा प्रदान करती है। हम सभी जानते है की जीवन में ऑक्सीजन का कितना महत्व है। पुराने समय में जितनी भी शक्तिया और सिद्धि थी सभी प्राण से संचालित थी।
आज भी हम जो सम्मोहन, और मानसिक शक्तियों के खेल देखते है सब प्राण के ही विभिन्न रूप है। कैसे ? आइये जाने।
त्राटक में प्राण का महत्व समझते हुए हम सफलता हासिल कर सकते है. जीवन में हम जितनी भी श्वसन क्रिया करते है। वो हमारे अंदर जीवन के सभी जरूरी कामो के साथ साथ एक अंश के रूप में जमा होती रहती है।यही प्राण वायु प्राण ऊर्जा में बदल कर हमें आवश्यक सभी कार्यो को करने की शक्ति देती है।
वैसे तो ऊर्जा हर उस वस्तु में है जो हम ग्रहण करते है। जैसे भोजन, पानी और अन्य सभी पदार्थ जिनसे हमें ऊर्जा मिले। आज की पोस्ट में हम बात करेंगे प्राण वायु का हमारे जीवन में महत्व और इसका हमारे शारीरिक और मानसिक के साथ साथ आध्यात्मिक विकास में महत्व।
त्राटक में प्राण का महत्व
हम सभी प्राण से संचालित है। जब तक प्राण है हम क्रियाशील है जब प्राण हमारा साथ छोड़ देते है तब हम निष्क्रिय और विज्ञान की भाषा में मृत हो जाते है। लेकिन क्या आप जानते है की हम प्राण को भी विभिन्न रूप और ऊर्जा में बदल सकते है। जैसे आकर्षण शक्ति, विधुत ऊर्जा, Healing यानि निवारण ऊर्जा।
इसके लिए अलग अलग अभ्यास भी है। हम आज बात करेंगे त्राटक में सफलता के पीछे प्राण ऊर्जा का कितना महत्व है।
साथ ही अगर आप सफल सम्मोहनकर्ता बनना चाहते है तो आपको किन बातो पर ध्यान देना चाहिए। अपने सूक्ष्म शरीर की यात्रा के बारे में भी सुना होगा सूक्ष्म को गति कैसे प्रदान करे ये सब आज की पोस्ट में पढ़े।
प्राण ऊर्जा और त्राटक में इसका महत्व
त्राटक में प्राण का महत्व आप ऐसे समझ सकते है की त्राटक करते वक़्त हमें अपने आँखों से जो तीव्र रौशनी महसूस होती है वो प्राण ऊर्जा का ही रूप होती है।
ये तो हम सब जानते है की प्राण ऊर्जा सबसे ज्यादा हमारे हाथो के पौरुओं और हमारी आँखों के मध्य विचरण करती है और स्थानांतरित भी सबसे ज्यादा इन्ही माध्यम से होती है।
हमारे अंदर जितनी ज्यादा प्राण ऊर्जा होगी हम त्राटक के अभ्यास में आकर्षण शक्ति को उतना ही बढ़ा सकते है।
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शवासन के अभ्यास से बढ़ता है प्राण
इसलिए अगर आप त्राटक के साथ शवासन और न्यास ध्यान करते है तो आपकी सफलता के चांस दोगुना तक बढ़ जाते है। ये मेरा खुद का किया हुआ अनुभव भी है जो मुझे काफी फायदेमंद रहा।
वैसे तो 16 से 28 की उम्र तक हमारे अंदर ऊर्जा का इतना बहाव होता है की थोड़े से प्रयास से ही हम अच्छा खासा बदलाव महसूस कर सकते है।
फिर भी हम ऊपर के दोनों अभ्यास त्राटक के साथ कर ना सिर्फ ऊर्जा के व्यर्थ उपभोग को रोकते है बल्कि ज्यादा से ज्यादा खुद को सरंक्षित करते है। त्राटक में प्राण का महत्व अगर आपने समझ लिया तो अभ्यास सरल बन जाता है.
हमारा मन और शरीर भौतिक और मानसिक क्रियाओ में प्राण ऊर्जा का बहुत बड़ा भाग खर्च करता है और वो भी व्यर्थ में कैसे आइये जानते है वो क्रिया जो सबसे ज्यादा आपकी प्राण ऊर्जा को क्षय करती है।
- दिन भर के व्यर्थ के विचार।
- व्यर्थ की गतिविधि जैसे पैरो का हिलाते रहना, नाख़ून चबाना या फिर ख्याली पुलाव बनाते रहना।
अगर आप ज्यादा से ज्यादा वक़्त व्यर्थ की बातो को सोचने में निकालते है तो भी आप बहुत बड़ी प्राण ऊर्जा को ऐसे ही व्यर्थ कर देते है जिसके निम्न परिणाम होते है।
- चिड़चिड़ापन, गुस्सा, तनाव, और बड़बड़ाना।
- आपके रिश्तो में खटास आना क्यों की आप ज्यादातर उन बातो को खुद पर लागु कर लेते है जिनका असल जिंदगी में कोई महत्व ही नहीं।
- आप खुद को बहुत ज्यादा उलझा लेते है क्यों की सामने वाला अगर एक बात भी बोलता है तो उसकी 10 व्यर्थ की परिणाम सोचते है, जो शायद ही सामने वाले आपको कहता हो या सोचता हो।
हमें इस तरह के विचारो से बचना चाहिए। अगर आप ज्यादा व्यर्थ की बाते न सोचे तो आप ज्यादातर ऊर्जा को बचा सकते है।
त्राटक में प्राण का महत्व-आपकी प्राण ऊर्जा ही है आपका आकर्षण
योग व्यायाम और ध्यान जैसे अभ्यास में आपके औरा, तेज का राज छुपा हुआ है। अगर आप नियमित व्यायाम करते है तो आपका तेज कुछ अलग ही होगा।
शरीर चुस्त और दुरुस्त होगा जिससे आप खुद को दैनिक कामो के लिए बेहतर तरीके से तैयार कर सकते है।
योग और प्राणायाम ज्यादा से ज्यादा प्राण का सरंक्षण करने के ऊपर आधारित है। जिसमे हम ऊर्जा के बहाव और प्रवाह दोनों को कण्ट्रोल करते है।
अगर आप एक सम्मोहनकर्ता बनने की सोचते है या फिर दुसरो के बिच आकर्षण का केंद्र बनना चाहते है तो सबसे पहले अपने प्राण को बढाए।
इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा क्यों की हमारे चेहरे का तेज हमें उत्साहित करता है।
प्राण वायु को प्राण ऊर्जा में बदले
वैसे तो हम पुरे दिन में इतनी प्राण वायु ग्रहण कर लेते है की हमारी दैनिक आवश्यकता पूर्ति होती रहे फिर भी अगर आप चाहते है की उसी प्राण में से कुछ हिस्से को बचा कर हम सरंक्षित करे और दूसरे कामो में इस्तेमाल करे तो कुछ बातो को अपना सकते है। जैसे की :
कम से कम अपने मस्तिष्क को भटकने दे जिससे की आपका मन व्यर्थ में ना उलझे। त्राटक में प्राण का महत्व उतना ही है जितना सम्मोहन सिखने के लिए त्राटक का अभ्यास.
सुबह सुबह योग और प्राणायाम से खुद के साँस को नियमित बनाए अगर आप बेतरतीब तरीके से साँस लेते है तो भी आप विचारो में उलझ सकते है क्यों की सांसो का हमारे सोचने या विचार करने से काफी गहरा सम्बन्ध है।
हमेशा खुद को संयमित रखने की कोशिश करे अगर आप खुद को दूसरे के सामने नियंत्रित कर सकते है तो आप अपनी सभी समस्या से छुटकारा पा सकते है जैसे उसके विचारो से प्रभावित होना, खुद को उसके प्रति कमजोर समझना और भी बहुत कुछ।
त्राटक में प्राण का महत्व के लिए इन सब बातो को अगर आप ध्यान रखते है तो आप खुद को तेजस्वी बना सकते है, अपने आकर्षण के दायरे को बढ़ा सकते है। हमने आज की पोस्ट में त्राटक में प्राण का महत्व समझने की कोशिश की है।
आगे की पोस्ट में हम प्राण वायु से सम्मोहन, मानसिक शक्ति और सूक्ष्म की यात्रा जैसे रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश करेंगे औरउनके सबसे सिंपल मेथड को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करेंगे।
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