कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना का अभ्यास करने के बाद आप काल ज्ञान रखते है. सामने वाले को महज देखते ही उसके बारे में सबकुछ बताने की प्राचीन कला जो आपको काल ज्ञान साधना के अलावा सबसे प्रसिद्द साधना कर्ण पिशाचनी साधना के जरिये ही संभव है.
किसी व्यक्ति के आपके सामने आते ही उसके बारे में सबकुछ ज्ञात और अज्ञात जानकारी को बता देना ये कर्णपिशाचनी साधना के सिद्धि के बाद संभव है.
पिशाचनी नाम सुनने के बाद आपके मन में भी यही आ रहा होगा की ये एक वाम मार्गी साधना है और इसमें आपको कई अनैतिक काम को अंजाम देना पड़ता है लेकिन, ऐसा नहीं है.
साधक किसी साधना को किस तरह सिद्ध करता है उसके आधार पर सात्विक और तामसिक दोनों तरह की साधना होती है.
कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना की सात्विक विधि में नियम और समय देना पड़ता है जबकि वाम मार्गी साधनाए कम समय में सिद्ध हो जाती है क्यों की उनके सिद्धि का मूल आधार आपके मूलाधार चक्र की उर्जा है.
कर्ण पिशाचनी साधना के जरिये आप किसी भी व्यक्ति के भूतकाल के बारे में जान सकते है. जन्म से लेकर अब तक के ज्ञात और अज्ञात रहस्यों को पल भर में बता सकते है.
यहाँ तक की कुछ ज्योतिष भी आपके हाथ की रेखा और चेहरे को देखकर आपके बारे में सबकुछ बता देते है लेकिन, कुछ ज्योतिष साधक असल में कर्णपिशाचनी सिद्धि किये हुए होते है और वे इसके लिए ज्योतिष का दिखावा करते है ताकि लोगो की नजर में ना आये.
इसके बारे में हम असल जिंदगी के 3 पारलौकिक घटनाओं के अनुभव में काफी कुछ बता चुके है.
वास्तव में कर्ण पिशाचनी साधना को कोई भी सीख और सिद्ध कर सकता है. अगर आप दक्षिण मार्गी कर्णपिशाचनी साधना सिद्धि के बारे में सोच रहे है तो बेहतर होगा की आप पहले गुरु दीक्षा ले.
आइये जानते है कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना के कुछ गुप्त और सात्विक साधना अभ्यास के बारे में.
कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना का सात्विक अभ्यास
कर्ण पिशाचनी साधना की सिद्धि करने के लिए अनेको उपाय है और साधना है जिनका आप अभ्यास कर सकते है.
जिस व्यक्ति ने इसकी सिद्धि की है सिर्फ उन्हें ही इसकी आवाज सुनाई देती है यहाँ तक की उसके पास बैठे व्यक्ति को भी कर्ण पिशाचनी के होने का अहसास नहीं होता है.
कर्ण पिशाचनी साधना की सिद्धि के बाद सिर्फ भूतकाल की सटीक जानकारी मिलती है, भविष्य को लेकर आपको उनकी बातो का भरोसा नहीं करना चाहिए.
हालाँकि कर्णपिशाचनी साधना के मंत्र का ये अभ्यास प्रमाणिक है और सिद्ध किये हुए है लेकिन, बिना किसी गुरु के निर्देशन के आपको ये साधना नहीं करनी चाहिए.
अगर ये साधना अधूरी रह जाती है तो साधक को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते है. इसके बावजूद अगर आप इस साधना को करने के लिए इच्छुक है तो आप यहाँ दिए गए अभ्यास में से कोई एक अभ्यास कर सकते है.
कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना प्रयोग 1
कर्णपिशाचनी साधना का ये अभ्यास 11 दिन का है जिसे आप घर पर रहते हुए इसका अभ्यास कर सकते है.
कांसे की एक थाली लेकर उस पर सिंदूर से त्रिशूल बनाए और उस पर कर्ण पिशाचनी यंत्र की स्थापना करे और यंत्र पूजन करे.
ये साधना आपको आपको दोनों समय करनी है. दिन में शुद्ध गाय के घी का दीपक जलाकर काली माला से 1100 मंत्र का जप करे.
ठीक इसी तरह रात में भी ठीक इसी तरह दीपक जलाकर 1100 बार मंत्र का जप करना है.
कर्ण पिशाचनी मंत्र :
ॐ नमः कर्ण पिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनि मम कर्णे अवतरावतर अतीतानागतवर्तमानानि दर्शय दर्शय मम भविष्यं कथय कथय ह्रीं कर्णपिशाचिनी स्वाहा
om namha karna pishachini amogh satyavadini mam karne avataravatar atitanagtvartmanani darshaya darshaya mam bhavishyam kathya kathya hreem karnapishachini swaha
इसी तरह विधि को 11 दिन तक लगातार करने से कर्ण पिशाचनी सिद्ध हो जाती है.
साधक को इस दौरान कुछ बातो का ध्यान रखना है जैसे की काले कपड़े पहनना, एक समय का भोजन ग्रहण करना, व्यर्थ की बातचीत से बचना जितना हो सके एकांतवास करना और स्त्री गमन से बचना चाहिए.
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कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना प्रयोग 2
इस साधना अभ्यास में आपको आम की लकड़ी से बने पट्टे पर गुलाल बिछाकर कर्ण पिशाचनी यंत्र की स्थापना करनी है.
इस पट्टे पर दिए गए मंत्र को अनार की कलम से 108 बार लिखना और मिटाना है.
ॐ नमः कणपिशाचिनी मत्तकारिणी प्रवेषे अतीतानगतवर्तमानानि सत्यं कथय मे स्वाहा ।।
om namah karnapishachini mattkarni praveshe ateetanagatvartmanani satyam kathya mey swaha
लिखते समय भी मंत्र का जप करना है और जब आप अंतिम मंत्र लिखते है तब उसे मिटाना नहीं है बल्कि काली माला से पंचोपचार पूजन करने के बाद इस मंत्र का 1100 बार जप करना है.
अब इस पट्टे को अपने सिरहाने रखकर सो जाए. 21 दिन तक इसी प्रयोग को दोहराने से आपको कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना में सिद्धि मिलती है.
साधक को इस मंत्र साधना के प्रयोग की शुरुआत होली, दिवाली या ग्रहण से करनी चाहिए. आप चाहे तो किसी भी साफ़ सुथरी जगह पर बैठ कर इस मंत्र को लिखने का अभ्यास कर सकते है.
कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना प्रयोग 3
इस साधना प्रयोग में काले ग्वारपाठे को अभिमंत्रित किया जाता है. अब इसका लेप हाथ और पैरो पर कर ले. काले कपड़े को बिछाकर उस पर कर्ण पिशाचनी यंत्र की स्थापना करे.
दिए गए मंत्र का काली माला से 5000 बार जप करना आरम्भ करे.
कर्ण पिशाचनी मंत्र : ॐ ह्रीं नमो भगवति कर्णपिशाचिनि चंडवेगिनि वद वद स्वाहा
कर्ण पिशाचनी मंत्र ॐ ह्रीं सनामशक्ति भगवति कर्णपिशाचिनि चंडरोपिणि वद वद स्वाहा
इस प्रकार 21 दिन में ये मंत्र सिद्ध हो जाता है और साधक को किसी भी व्यक्ति के सामने जाते ही उसके भूतकाल के बारे में सब बाते साफ सुने देने लगती है.
कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना प्रयोग 4
ये साधना प्रयोग एकांत में किया जाना चाहिए. इसके लिए आपको धरती पर मिट्टी और गाय के गोबर का लेप देना है और बहुत सारी कुश को बिछा देना है.
भगवती कर्ण पिशाचनी यंत्र पंचोपचार पूजन करना है और काली माला से हर रोज 10000 की मात्रा में इस दिए गए मंत्र का जप करना है.
कर्ण पिशाचनी मंत्र : ॐ हंसो हंस : नमो भगवति कर्णपिशाचिनि चण्डवेगिनि स्वाहा
ये साधना का अभ्यास 11 दिन का है और 11 वे दिन साधना की सिद्धि हो जाती है.
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कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना प्रयोग 5
इस साधना प्रयोग में साधक को लाल रंग के वस्त्र धारण करने होते है.
कर्ण पिशाचनी यंत्र की स्थापना करे और गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाकर हर रोज 10000 बार दिए गए मंत्र का जप करे.
कर्ण पिशाचनी मंत्र : ॐ भगवति चंडकर्णे पिशाचिनि स्वाहा
लगातार 21 दिन तक साधना अभ्यास करने पर आपको कर्णपिशाचनी की सिद्धि मिलती है.
कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना प्रयोग 6
इस साधना को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. एक सफ़ेद कागज ले और अपने ह्रदय में कर्ण पिशाचनी देवी का ध्यान करते हुए रक्त चन्दन से इस मंत्र को लिखे.
इस पर कर्ण पिशाचनी यंत्र की स्थापना करे. यंत्र की रक्त चन्दन और बंधूक पुष्प से पूजा करे. ‘ॐ अमृतं कुरु कुरु स्वाहा’ इस मंत्र से यंत्र को और लिखे हुए मंत्र का प्रोक्षण करना चाहिए. इसके बाद ‘काली माला’ से निम्न मंत्र का जप करना चाहिए.
मंत्र ॐ कर्ण पिशाचिनि दग्धमीनबलिं गृहाण गृहाण मम सिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा
इस प्रकार एक लाख जप करना चाहिए और उसका दशांश होम करने के बाद फिर दशांश तर्पण करना चाहिए।
इसके बाद रात्रि को पांच हजार मंत्र जप करना चाहिए तथा प्रातः काल तर्पण करना चाहिए. तर्पण निम्न मंत्र से किया जाता है.
ॐ कर्ण पिशाचिनी तर्पयामि स्वाहा
ऐसा करने पर निश्चय ही सिद्धि प्राप्त होती है और कठिन से कठिन से कठिन समस्या और गोपनीय भूतकाल भी उसे स्पष्ट दिखाई देता है.
साधना के बाद साधक को माला को किसी बहते हुए जल स्त्रोत में प्रवाहित कर देना चाहिए.
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कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना प्रयोग के दौरान होने वाले अनुभव
कर्ण पिशाचनी साधना के अनुभव के बारे में बात करे तो ये भयानक भी हो सकते है और सौम्य भी क्यों की साधना के पूर्ण होने से पहले कर्ण पिशाचनी आपकी साधना को भंग करने की अपनी हर संभव कोशिश करती है.
साधना के दौरान होने वाले भयानक अनुभव में साधक को शुरुआत में साधना के दौरान विघ्न का सामना करना पड़ता है. उसके सामने ऐसी स्थिति बनना शुरू हो जाती है की उसके लिए साधना में बने रहना मुश्किल हो जाता है.
सौम्य अनुभव में पिशाचनी का मादक रूप में साधक को बहलाने की कोशिश करना है. कर्ण पिशाचनी अपनी हर संभव कोशिश करती है की वो आपकी साधना को पूरा ना होने दे.
अगर साधक भय से नहीं लेकिन, वासना से हार जाता है तब भी साधक की साधना असफल हो जाती है. सिद्ध होने से पहले पिशाचनी अपने साधक की हर रूप में परीक्षा लेती है इसलिए आपको इस साधना के दौरान किसी भी तरह के अनुभव के लिए तैयार होना चाहिए.
हमेशा एक बात का ध्यान रखे अगर आप अपने मन और इच्छा को काबू कर सकते है तभी आप किसी भी साधना में सफल हो सकते है वर्ना नहीं.
कमजोर दिल वालो के लिए कर्ण पिशाचनी मंत्र साधना वैसे भी नहीं है इसलिए अगर आपको भय की अनुभूति होती है और आप अपने मन को काबू नहीं कर सकते है तो इस साधना को ना करे.
त्रिकाल ज्ञान की साधना के बारे में भी हमने ब्लॉग पर डिटेल से जानकारी शेयर की है. अगर आप इस साधना को नहीं कर सकते है तो आपको वो साधना करनी चाहिए. इसके बाद आपको हर काल की चाहे वो भूतकाल हो, वर्तमान हो या भविष्य उसकी सटीक जानकारी होना शुरू हो जाती है.
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