काफी समय पहले हमने कुण्डलिनी पर कुछ आर्टिकल शेयर किये थे. क्रिया योग विधि के जरिये कुण्डलिनी को जाग्रत करने का जो तरीका शेयर किया था वो सबको अच्छा लगा क्यों की सेफ था.
कुण्डलिनी शक्ति / kundalini energy के बारे में जानने के लिए आपको बहुत सारी चीजे जाननी होगी जिसमे Kundalini energy एक है. इसके अलावा snake power का हमारे spine से क्या सम्बन्ध है इन सब टॉपिक को डिटेल से अब हम जानने वाले है.
आपको बता दे की ध्यान की विधि में हम universal cosmic energy को life force के रूप में ग्रहण करते है. दिनभर के कार्यो में यही उर्जा काम आती है.
उर्जा का प्रवाह हमारे मस्तिष्क से होते हुए बेस तक जाता है जिसकी वजह से हम बाहरी माध्यम और उर्जा पर निर्भर हो जाते है.
अगर हम Awaken the Snake in Yoga Practice की प्रक्रिया को जान ले तो महसूस करेंगे की जिस उर्जा के लिए हम बाहर प्रयास कर रहे है उससे कही तीव्र वेग वाली हमारी Kundalini the snake power एक storehouse of energy का काम कर सकती है.
आपने सुन रखा होगा की कुण्डलिनी शक्ति को बिना किसी निर्देशन के जगाना सेफ नहीं है.
ये बात 100% सच है क्यों की इस उर्जा का वेग संभाल पाना सामान्य इन्सान के बस की बात नहीं खासकर शक्ति अर्जन के उदेश्य से इस प्रक्रिया को जबरदस्ती करने की कोशिश की जाए.
कुण्डलिनी उर्जा क्या है इस बारे में हम इस पोस्ट में बात करने वाले है इसलिए आइये जानते है…
What is Kundalini energy?
हम सभी चेतना के अलग अलग स्तर के बारे में पढ़ चुके है लेकिन क्या आप ये जानते है की level of consciousness को मुख्य रूप से yoga science में इसकी डायरेक्शन से समझा जाता है.
flow of cosmic energy बॉडी में मस्तिष्क के निचले हिस्से से लेकर स्पाइन की और होता है. आगे चलकर seven chakras से गुजरते हुए सम्पूर्ण nerve system में फ़ैल जाती है ताकि हम अपने सभी Physical needs को पूरा कर सके.
लेकिन क्या ये सही है ? जब हम ध्यान करते है तब बाहरी उर्जा का फ्लो हमारे शरीर में होने लगता है.
हमारी बॉडी Universal cosmic energy को ग्रहण करना शुरू कर देता है. लेकिन इस तरह के अभ्यास में outward flowing energy हमारे दिमाग को बाहरी माध्यम पर निर्भर बना देते है.
दिनभर के कार्यो के दौरान हम इस उर्जा को प्रयोग में लाते है. जब तक Life force energy हमारे अन्दर ऊपर से निचे की और flow करती है हम conscious world में ही फंसे रहते है.
Kundalini yoga में इसके ठीक विपरीत अवधारणा होती है. जब एनर्जी का फ्लो निचे से ऊपर की ओर होना शुरू हो जाता है तब हम consciousness another world में जाना शुरू करते है.
इस भौतिक संसार से एक अलग एक दुनिया जिसमे किसी तरह का तत्व नहीं होता बल्कि spirit होती है. यही पर शुरुआत होती है Kundalini energy की.
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Kundalini the evolutionary energy in man
हम सब में एक positive magnet होता है जो की top of the head पर स्थित होता है. इसे the spiritual eye and crown chakra के नाम से जाना जाता है. ये हिस्सा हमारी चेतना को positive energy यानि spiritual life की तरफ attract करता है.
ठीक उसी समय हमारे base of the spine में भी एक magnet होता है जो हमें negativity, selfishness, and unawareness की तरफ धकेलता है. ध्यान के दौरान हम बार बार less aware state की तरफ धकेले जाते है क्यों की असंभव के पार की दुनिया के लिए हम तैयार नहीं होते है.
Kundalini जो की base of the spine के center में सुप्त अवस्था में रहती है एक तूफान की तरह ऊपर की ओर फ्लो करना शुरू करती है.
यही वो storehouse of energy है जिसके कारण हम ध्यान के समय खुद को restlessness के लिए फ़ोर्स करते है. हमारे शरीर के दोनों मेग्नेट जब आपस में मिलते है तभी enlightenment occurs process शुरू होती है.
यहाँ से raising the energy की जरुरत और उसके महत्त्व को लेकर कोशिश शुरू होती है. ऐसे व्यायाम जिनमे सांसो के प्रवाह को कण्ट्रोल किया जाता है यानि violent breathing exercises के जरिये Life force को अपान वायु ( गुदा द्वार से ली जाने वाली वायु ) से मिला देना.
इसके संगम से जो विस्फोट होता है वह उर्जा कुण्डलिनी उर्जा को निचे से ऊपर हर चक्र से गुजरने में मदद करती है. Kundalini energy इसी क्रिया से उत्पन होने वाली उर्जा है.
Be aware about side effect
Kundalini awakening process जितनी amazing yoga practice है उतनी ही extremely harmful भी हो सकती है. अगर इसे सही निर्देशन में ना किया जाए तो सामान्य इन्सान इसके वेग को झेल नहीं सकता है क्यों की उर्जा का दबाव साधक को विचलित कर सकता है.
अगर हमारा उदेश्य physical and willful means से भरा हुआ है तो भी Over-stimulating Kundalini की process खतरनाक हो सकती है.
हम सब समझते है की कुण्डलिनी जागरण शक्ति के अनुभव करने का सफ़र है लेकिन ऐसा नहीं है. असल में ये सफ़र है हमारा चेतना से अंतर की ओर बढ़ने का जिसमे शक्ति का अर्जन तो बस एक हिस्सा है.
असल में एक साधक की लाइफ में काफी सारे Physical and mental change आते है जो की चक्र शुद्धि का परिणाम होता है.
अगर इस kundalini energy क्रिया को बगैर समझे किया जाए तो इतनी खतरनाक उर्जा का विस्फोट होता है जो की ऊष्मा की मात्रा को बढ़ा देता है और आपके nerve system को damage कर सकता है.
The founder of Ananda ने अपनी एक पुस्तक The New Path में इसके बारे में जिक्र करते हुए लिखा है की kriya yoga अपने आप में ही एक highest technique for awakening Kundalini है.
उनके अनुसार spiritual tradition में स्टूडेंट को moral precepts को फॉलो करने के लिए प्रेरित करना चाहिए.
आप खुद अनुभव कर सकते है की जब भी हम generous or loving thoughts के बारे में सोचते है उर्जा का प्रवाह निचे से ऊपर की ओर होता है जबकि दूसरी ओर हमारे personal desire कुण्डलिनी को निचे की और धकेल देते है ताकि उस जरुरत को पूरा किया जा सके.
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योग का कुण्डलिनी जागरण में महत्त्व
योग का महत्त्व life force को स्पाइन में निचे से ऊपर की और उठाना होता है. अगर आप भी जागरण की क्रिया को सरल बनाना चाहते है तो आपको outer life को पूरी तरह बदलना होगा ताकि उसका असर आपको meditative efforts में मिल सके.
जब तक हम बाहरी विषयों को लेकर प्रक्रिया को शुरू करते है इसमें सफलता मिलने का चांस भी नहीं होता है.
इसकी वजह है contractile attitudes यानि हमारे दिमाग में बने हुए पहले के आभास जैसे की साधना में बैठने से पहले ही उसके बारे में पूर्वधारणा बना लेना की अनुभव कैसे रहेंगे.
इस वजह से जो kundalini energy के अनुभव होते है और जो हमने सोचा है वो मेल नहीं खाता है. हम spirituality की तरफ जाना चाहते है लेकिन दिमाग फिर से विषयों में उलझा देता है.
योग का महत्त्व यही है. ये न सिर्फ बॉडी के लिए शुद्धिकरण का कार्य करता है बल्कि mental cleansing की प्रोसेस को भी प्रभावशाली बना देता है और हम विषयों में उलझे रहने की बजाय खुद को तलाशना शुरू कर देते है.
हम कुण्डलिनी की तुलना एक बहुत विशाल नदी से कर सकते है. अगर आप सही दिशा की तरफ चलते है तो बहाव के साथ आगे बढ़ सकते है लेकिन, अगर एक साधक extreme breathing exercises के जरिये forces Kundalini upward की प्रक्रिया को अंजाम देता है तो वो सफल नहीं हो पायेगा.
ये सब वो अपने ईगो के चलते करता है. इसकी वजह से उसकी चेतना उन अनुभव के लिए तैयार नहीं हो पाती है जो आगे चलकर उसे विचलित करते है.
Kundalini energy flow को चक्र से गुजारा जाए लेकिन वे सही तरह से refined ही ना हो तो ? ऐसी स्थिति में उर्जा का विस्फोट ही साधक को विचलित कर देता है क्यों की उर्जा चक्र से न गुजरते हुए एक जगह फंस जाती है.
प्राण वायु और अपान वायु का संगम
हमारा शरीर 8 अलग अलग तरह की वायु को ग्रहण करता और छोड़ता है. पहली 4 तरह की वायु को हम शुद्ध मानते है और बची 4 को अशुद्ध. बॉडी के positive magnet और negative magnet की उर्जा जब आपस में टकराती है तब एक विस्फोट होता है.
यही विस्फोट उर्जा को हमारे स्पाइन में निचे से ऊपर की और गुजारता है.
ये एक यौगिक क्रिया है जिसमे बंध लगाकर हम दो अलग अलग वायु का संगम करवाते है. अश्वनी मुद्रा में बैठकर गुदा द्वार से अपान वायु को अन्दर खींचना और फिर उसे प्राण वायु से मिलाना इसका हिस्सा है. जब ऐसा होता है तब उर्जा का उद्भव शुरू होता है.
ये kundalini energy का अनुभव शुरू में हमें ठंडक प्रदान करता है लेकिन आगे बढ़ने के बाद ये सप्त चक्र में उर्जा के भेदन की प्रक्रिया को शुरू कर देता है.
इसे करने का तरीका बेहद आसान है अगर आप योग करते है तो आप इसे खुद करके देख सकते है. सबसे पहले प्राण वायु को अन्दर की ओर खींचे और बांध लगा ले.
इसके बाद गुदा द्वार से हवा को अन्दर खींचे और उसे बंद कर ले. अब दोनों वायु के संगम को करने की कोशिश करे.
दोनों वायु लगभग नाभि क्षेत्र के आसपास मिलती है और जब ऐसा होता है तो सबसे पहले हमें बेहद ठंडक का आभास होता है.
इसके बाद जैसे एक भंवर नाभि क्षेत्र में उठ रहा है जो धीरे धीरे ऊपर की ओर उठता है.
Snake power can damage your nerve system
kundalini energy जागरण की प्रक्रिया से पहले चक्र शुद्धिकरण की प्रक्रिया बेहद आवश्यक है. अगर ऐसा नहीं होता है तो kundalini energy flow चक्र से न होकर आपके बॉडी में nerve system में बहने लगता है.
जब ऐसा होता है तब हमें अत्यधिक ऊष्मा और उर्जा का अनुभव होता है साथ ही हमारी चेतना भी विचलित हो जाती है.
योगी आनंद इस वजह से intense yoga practices का विरोध करते है और एक दूसरी balanced and spiritually mature approach to enlightenment विधि के जरिये आगे बढ़ने के लिए कहते है. यही वजह है की उनका सुझाया गया Kriya Yoga path पूरी तरह सेफ है.
Kundalini energy awakening process भी इसमें जबरदस्ती नहीं किया जाता है जिसकी वजह से जितने भी अनुभव होते है सब सही होते है.
Life force को सही दिशा में काम में लेने के लिए Yoga techniques बेहतरीन सुझाव है. इसमें आपको सही अनुभव मिले इसके लिए purity of heart के साथ साथ right attitude और scientific technique का होना बेहद जरुरी है तभी आप spiritual experience को बिना किसी नुकसान के अनुभव कर पाएंगे.
जब भी योग का अभ्यास loving spirit of self-offering के उदेश्य से किया जाता है उर्जा का प्रवाह निचे से ऊपर की ओर उठता है. ये सेफ तो होता है लेकिन साथ ही बेहद प्रभावशाली भी होता है.
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Kundalini energy final thought
दोस्तों कुण्डलिनी उर्जा / kundalini energy को जाग्रत करने के पीछे ज्यदातर लोगो का मानना होता है की इसे जाग्रत करने से हम amazing powers के मालिक बन सकते है जब की हकीकत में ऐसा नहीं है.
जागरण एक यौगिक प्रक्रिया है और इसे क्रिया योग के माध्यम से किया जाना चाहिए. इससे हमें सही लाभ मिलते है साथ ही किसी तरह के नुकसान के होने की सम्भावना भी नहीं रहती है.
kundalini the snke को हम सब शक्ति का स्त्रोत मानते है जबकि इसके जागरण से साधक के अन्दर जो बदलाव आते है वे शारीरिक और मानसिक होते है.
जिस तरह योग करने से हम स्वस्थ रहते है वैसे ही इसमें होता है.
कुण्डलिनी शक्ति का जागरण और kundalini energy के अपने स्त्रोत से ऊपर उठाना spiritual practice है इसलिए इसे हठ से करने की कोशिश ना करे. अगर आप ऐसा करते है तो नुकसान होने की सम्भावना बनी रहती है.
kundalini energy और सप्त चक्र के बारे में हम आगे बात करेंगे.
इस पोस्ट में सिर्फ कुण्डलिनी शक्ति उर्जा के बारे में जानकारी शेयर की गई है ताकि आपको इसके बारे में कुछ समझने को मिले. बेसिक क्लियर होने के बाद अभ्यास में आगे बढ़ना सही रहता है. पोस्ट पसंद आये तो शेयर करना न भूले.