अगर आप किसी के पहनावे या धर्म के आधार पर उसे आध्यात्मिक मानते है तो ये जरुर जान ले


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आध्यात्म क्या है और एक आध्यात्मिक व्यक्ति के लक्षण क्या है ? हमारी daily life में हम ऐसे लोगो को देखते है जो माथे पर तिलक लगाते है, धोती पहनते है क्या वो आध्यात्मिक है ? आध्यात्म की वास्तविक परिभाषा क्या है जो हमारे आसपास धर्म को लेकर सवेंदनशील लोग है वो या कोई और ?

क्या वास्तव में आध्यात्म का हमारे पहनावे से कोई लेना देना / रिश्ता है ऐसे ही कई सवाल है जो एक सामान्य इन्सान को परेशान करते है जब वो खुद को आध्यात्म से जोड़ना चाहता है. क्या वाकई जिसके पास super natural powers है वही इन्सान spiritual person है ?

what is the meaning of spirituality and how it is differ from religion in hindi के बारे में आज बात करते है.

Basic Reason of Unsuccess in Sadhna
meaning of spirituality

मुझे अच्छे से याद है जब मैंने त्राटक का अभ्यास करना शुरू किया था मेरे आसपास के लोगो को ये सबकुछ अजीब लगता था और वो मुझे तांत्रिक भी बुलाने लगे थे.

शुरू में बुरा भी लगा लेकिन जैसे जैसे कुछ अनुभव होने शुरु हुए इन सब बातो को ignore करना शुरू कर दिया, खैर ये किसी के साथ भी हो सकता है क्यों की हम आज अपनी संस्कृति के प्रति बेहद कम सजग है जिसकी वजह से हमें ये सब अलग लगता है.

आखिर ऐसी क्या वजह है की लोगो की नजर में जिसके पास supernatural power है वो ही एक spiritual person लगता है, for example – कुण्डलिनी जागरण लोगो को लगता है की जिसकी kundalini activate हो गई है वो super natural power से कुछ भी कर सकता है.

meaning of spirituality – आध्यात्म क्या है ?

ज्यादातर लोग spirituality को धर्म विशेष / पहनावे विशेष से जोड़ कर देखते है. वास्तव में आध्यात्म की कोई सम्पूर्ण परिभाषा नहीं है, हम इसे जितना समझे है उतना ही अपने शब्दों के अनुसार परिभाषित करते आये है.

आध्यात्मिक का मतलब पूजा पाठ करने वाला, विशेष पहनावा और वेश-भूषा जैसे की साधू संतो का पहनावा नहीं है बल्कि वो इन्सान जो sensetive to other people, nature, animal है. वो इन्सान जो खुद के अस्तित्व के प्रति सजग है spiritual person कहलाता है.

आध्यात्मिक यात्रा का वास्तव में अब तक का सबसे अच्छा meaning of spirituality अगर है तो वो है खुद की तलाश करना, सबके प्रति संवेदनशील रहते हुए खुद के अस्तित्व की तलाश करना और जीवन का असली मतलब और उदेश्य जिसके लिए उसका जन्म हुआ है को समझना और अपनी life को बेस्ट देना यही एक आध्यात्मिक व्यक्ति की असली परिभाषा है.

इसे किसी चमत्कार से नहीं जोड़ा जा सकता बल्कि ये तो सहज रहकर खुद को समझना और जीवन को बेहतर ढंग से यापन करना है.

अंतर्मुखी होना और आध्यात्म का संबंध

जिन लोगो को आध्यात्मिक अनुभव होना शुरू हो जाते है या फिर जो ध्यान या त्राटक साधना और अन्य किसी माध्यम के अभ्यास के बाद लोगो से दूर रहना शुरू कर देते है या फिर जिनकी life अचानक से बदल जाती है उन लोगो को introvert person कहते है.

introvert इसलिए क्यों की वो बाह्य माध्यम की तलाश करने की बजाय आन्तरिक तलाश करने लगते है इसकी वजह से spirituality को introvert से जोड़ कर भी देखा जाता है. लेकिन क्या वास्तव में ऐसा समझना सही है.

क्या spiritual person वही लोग है जो introvert है, जैसे की जंगलो में पर्वतों में भटकने वाले, तप करने वाले सन्यासी या फिर एक सामान्य जीवन जीने वाला इन्सान भी spirituality से जुड़ा हो सकता है ?

spirituality and introvert personality – आपसी relationship

ज्यादातर लोगो को पता ही होगा की भगवान् बुद्ध सत्य की तलाश में घर से निकल गए थे और उन्हें एक पेड़ के निचे खुद के अस्तित्व का पता चला था जिसे निर्वाण जैसी स्थिति भी कहा जाता है, यीशु को भी 40 दिन बाद खुद के अस्तित्व का अनुभव हुआ ऐसे ही अलग अलग धर्म के किस्से है जिनमे एकांत में समय बिताने के बाद आध्यात्म का जागरण होने की बाते लिखी है.

एकांत मतलब introverts यानि जो व्यक्ति दुसरे लोगो से मिलने की बजाय अलग थलग रहता हो, आज की परिभाषा में कहे तो लोगो से मिलने जुलने या सोशल होने की बजाय अकेले रहने वाला व्यक्ति क्या वास्तव में एक आध्यात्मिक व्यक्ति के लिए introvert यानि अंतर्मुखी होना आवश्यक है ? वास्तव में जब meaning of spirituality समझने की प्रक्रिया में अंतर की गहराई में उतरने लगते है ऐसा होता ही है.

introverts आध्यात्मिकता के लिए सिर्फ एक आवश्यक तत्व है न की की जरुरत. दिन का कुछ हिस्सा जब हम एकांत में बिताते है तब हमें खुद के साथ जुड़ने का मौका मिलता है, चेतना को विचारो से छुटकारा मिलता है जिसकी वजह से वो सही से हमें अंतर चेतना से जोड़ने में हेल्प करती है और हम बेहतर समझ के मालिक बनने लगते है. यानि introverts personality हमें खुद से जोडती है लोगो से दूर नहीं करती है.

जिन्हें भी ध्यान / त्राटक / योग द्वारा खुद को जानने का मौका मिला है उनमे सबसे बड़ा बदलाव एक ही देखने को मिलता है और वो है की वो एक बार खुद से जुड़ने के बाद दुसरो के साथ ज्यादा जुड़ना पसंद नहीं करते है.

एकांत में समय बिताना उन्हें अच्छा लगने लगता है, पहले जहाँ वो timepass के लिए दोस्तों का साथ पाना चाहते थे अब वो अकेले रहना ज्यादा पसंद करते है. ऐसा क्यों होता है ? अधिकतर लोग इससे परेशान भी हो जाते है क्यों की अब उन्हें बाहर की चीजो की बजाय खुद में रस मिलने लगता है.

introvert personality – क्यों लोग सिर्फ खुद में खोया रहना पसंद करते है ?

एक बार आपको ध्यान या किसी अन्य माध्यम द्वारा खुद से जुड़ने का मौका मिल जाए तो आप फिर बाहरी चीजो की तरफ भागना बंद कर देते है. इसकी वजह है खुद को जानने की इच्छा, हम खुद की रची हुई दुनिया में समय बिताना पसंद करने लगते है.

आंखे बंद कर खुद के सुख की अनुभूति करना, शांति महसूस करना और अपने अंतर की गहराई में उतरने का आनंद जो सिर्फ हम महसूस कर सकते है बयां नहीं कर सकते है. महापुरुष इसी meaning of spirituality की तलाश में अपना जीवन व्यतीत करते आये है.

हम बाहरी चीजो की तरफ तभी भागते है जब तक हमें खुद से जुड़ने का मौका नहीं मिलता है. एक बार हम खुद को जानने की कोशिश करने लगे तो बाहर की भागदौड़ ख़त्म हो जाती है.

सामान्य तौर पर इंसानी चंचलता ही हमें एक जगह स्थिर नहीं होने देती है और हम क्षणिक सुख की तलाश में भटकते रहते है जबकि असली सुख हमारे अन्दर ही है.

यही वजह है की जब हम इसे महसूस करना शुरू कर देते है तो हमें समय का अभाव खलने लगता है, मन बार बार उसी सुख की अनुभूति करने की कोशिश करता है जो उसे ध्यान में मिलता है इसी वजह से आप जब भी खाली होते है आपका मन आपको दुसरो के साथ समय बिताने की बजाय उसी अवस्था में ले जाने की कोशिश करता है.

ये कोई side effect नहीं है बल्कि एक शुरुआत है खुद के प्रति sensetive बनने की. एक बार आपने आध्यात्म का महत्त्व और meaning of spirituality समझ लिया आप अपने आप इससे बाहर निकल सकते है.

 is introvert person more spiritual than normal ?

शायद आपका जवाब होगा हाँ लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है. एकांत में ज्यादा समय बिताने वाले लोगो से ज्यादा spiritual आपको वो लोग मिलेंगे जो सभी के प्रति ज्यादा ही sensetive होते है.

एक introvert personality के साथ जीने के तब कोई मतलब नहीं रहता है जब आप किसी की पीड़ा को महसूस ही नहीं कर सको, आप जान ही नहीं सको की दुसरे क्या महसूस करते है यहाँ तक की nature और आपके आसपास के पेड़ पौधे भी.

सभी के साथ emotional और sensetive attachment हमें एक introvert person की तुलना में कही ज्यादा spiritual बनाता है.

सिर्फ एकांत में समय बिताने और लोगो से अलग थलग रहने को हम spirituality नहीं कह सकते है. जब तक आप खुद और दुसरो के प्रति sensitive नहीं बन सकते आप सिर्फ एक normal person ही है.

आध्यात्म हमें एक बेहतर जीवन जीने के तरीका सिखाता है जिसके लिए सबसे पहले ये जानना बेहद जरुरी है की हम है कौन, हम अभी कहाँ पर है. आध्यात्मिक यात्रा पर चलने से पहले आपको किन किन सवालों का जवाब पाना चाहिए आइये जानते है.

true meaning of spirituality – आध्यात्मिक जीवन हमें क्या सिखाता है ?

life में spiritual journey को शुरू करने से पहले हमें खुद को जानना होगा, हम अभी कहाँ पर है हम कहाँ तक जा सकते है जैसे प्रश्नों का जवाब पाना ही हमें spirituality के नजदीक ले जाता है. अगर आप भी अपनी life को बदलना चाहते है तो सबसे पहले आपको जानना होगा की

“आप अभी कहाँ पर है” ?

बिना वर्तमान स्थिति को जाने हम आगे नहीं बढ़ सकते है इसलिए सबसे पहले ये जानना बेहद जरुरी है की हमारी वर्तमान परिस्थिति कैसी है और हम इसमें क्या बदलाव कर सकते है. इसके अभाव में हम एक जीवन चक्र में घूमते रहते है अपने बनाए दायरे में जो हमारी क्षमता को एक सीमा में बांध देता है.

ज्यादातर लोग एक ही तरीके का जीवन जीते आ रहे है वो वही करते है जो वो करते आए है इस वजह से उन्हें मिलता भी वही है.

अगर आप कुछ अच्छा और बेहतर पाना चाहते है या फिर अपने life में अच्छे बदलाव की उम्मीद रखते है तो उस लायक खुद में बदलाव करे. meaning of spirituality  हमें यही सिखाता है लेकिन सवाल ये उठता है की आखिर हम अपने लिए सही परिस्थिति का चुनाव कैसे करे ?

इसके लिए आपको अपनी वर्तमान परिस्थिति से सवाल करने होंगे जैसे की

  • हम अभी क्या कर रहे है और हम क्या पा रहे है ?
  • इसमें हम क्या बदलाव कर सकते है और इसके अनुपात में ही क्या पा सकते है ?
  • वर्तमान परिस्थिति के लिए हमारे कौन कौनसे विश्वास और पूर्वधारणा जिम्मेदार है जिनमे हम बदलाव कर सकते है ?

ये सब हमें खुद के प्रति अवेयर करने का पहला चरण है

खुद के प्रति अवेयर बनने के अभिन्न चरण

एक बार आप meaning of spirituality समझ जाओ तो चेतना को बढाना कोई मुश्किल कार्य नहीं है और न ही इसके लिए आपको घंटो ध्यान की स्थिति में बैठे रहने की आवश्यकता है, आपको जरुरत है तो बस खुद के प्रति जागरूक बनने की. अगर daily life में हम जो भी कर रहे है उसे जागरूक रहते हुए करे तो भी हम खुद को sensetive बना सकते है साथ ही spiritual person भी. शुरुआत आप छोटी छोटी activity से कर सकते है जैसे की

  • दांतों की सफाई करते समय दांतों के प्रति अपनी चेतना को जोड़ना ( सारा ध्यान सिर्फ ब्रश करने में )
  • खाना खाते समय हम क्या खा रहे है इसका स्वाद कैसा है और ये हमारे शरीर में कैसे ग्रहण किया जा रहा है के प्रति पूरी चेतना रखना.
  • दोड़ते वक़्त हमारे पैर कैसे गति कर रहे है इसका ध्यान रहना.

हमारी चेतना सिर्फ एक ही जगह रहती है जब हम टीवी देखते है ऐसा क्यों ? क्यों की हमें ये पसंद है और जब हम टीवी पर अपने पसंद का प्रोग्राम देखते है तो हमें और कुछ भी ध्यान नहीं रहता है, for example – action movie देखकर खुद में वही पॉवर महसूस करना, शक्तिमान जैसे सीरियल देख कर खुद को ध्यान योग की स्थिति में महसूस करना ये सब हमारी चेतना के जुड़ाव को दर्शाते है.

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ध्यान हमें किस तरह बदलता है

ध्यान या मैडिटेशन के द्वारा जब हम खुद को शांत और स्थिर महसूस करना शुरू कर देते है तो ये हमारी जागरूकता को बढ़ा देता है जिसके बाद हमें किसी चीज को महसूस कर उसेके प्रति जुडाव को अनुभव करने की जरुरत नहीं पड़ती है बल्कि हमारे विचार और भाव के प्रति आये बदलाव की वजह से हम सिर्फ एक observer बन जाते है.

ध्यान हमारी reaction करने की क्षमता को बदलता देता है जिसकी वजह से हम एक normal life person की तरह तुरंत reaction करने से बचते है और एक action के अलग अलग वजह को अनुभव करते है.

ये सब हमारी meaning of spirituality को समझने के बाद सोच के दायरे में आये बदलाव की वजह से संभव हो सकता है.

मैडिटेशन की वजह से हमारी सोच का दायरा बढ़ता है और हमारे कार्यप्रणाली में बदलाव आता है जिसकी वजह से हम किसी काम को conventional way की बजाय creative way में ले जाते है और हमें बेहतर रिजल्ट मिलने लगते है.

यही वजह है की मैडिटेशन के प्रति लोगो का जुडाव ज्यादा देखने को मिलता है. वास्तव में मैडिटेशन के जरिए हम हमारे सोचने की क्षमता को expand करते है और फर्क महसूस करते है.

meaning of spirituality – differ from religion final word

आध्यात्म यात्रा की परिभाषा यानि meaning of spirituality वास्तव में किसी धर्म विशेष पर आधारित नहीं है. न ही किसी धर्म विशेष पर ये लागू होती है. जो लोग spirituality को धर्म से जोड़ कर देखते है यकीं माने उन्होंने सिर्फ बाहरी बदलाव को समझा है उनके लिए आन्तरिक बदलाव न तो कभी हुए है न ही होंगे.

विचारो की सीमा को तोड़ कर सोच के दायरे को बढ़ाना ही आध्यात्मिक यात्रा का पहला चरण है. उम्मीद करता हूँ अब आप किसी person की spirituality को उसके कपड़े, परिवेश और रहन सहन नहीं बल्कि आचरण के आधार पर देखने का प्रयास करेंगे.

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credit – what is spirituality 

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