साल 2019 में नवरात्रि पर्व खास होने वाली है क्यों की इस वर्ष बहुत सारे शुभ संयोग है जो की नवरात्री के दौरान की गई साधना और पूजा पथ को फलीभूत करने वाले है. नवरात्री का पर्व माँ दुर्गा के 9 स्वरूप की पूजा से जुड़ा है.
इस दौरान हमें क्या करना चाहिए, नियम, सावधानी, किस रंग के कपडे पहनने चाहिए ये सब हम इस पोस्ट में जानने वाले है. साथ ही हम ये भी जानेंगे की ये नवरात्री बाकि सभी से अलग कैसे है. इससे जुड़े कुछ फैक्ट और भी बहुत कुछ.
इस साल की नवरात्री साधना के लिए बेहद शुभ है और आपको मनचाहा फल देने वाली है.
अगर इस दौरान साधना की जाए तो साधक की मनोकामना जल्दी पूर्ण होने की सम्भावना है. भक्तिभाव से पूजा करने वाले साधक के लिए भी ये नवरात्री शुभ फल देने वाली है.
कलश स्थापना का शुभ महूर्त सुबह 11 बजे के बाद है और हस्त नक्षत्र होने की वजह से कई मायने में शुभ फल देने वाला है.
नवरात्रि पर्व साल 2019 बेहद खास है
नवरात्रि पर्व हिन्दू धर्म में अपना महत्त्व रखता है. नवरात्री के 9 दिन माँ दुर्गा के 9 स्वरूप से जुड़े है इसलिए उनके 9 स्वरूप की पूजा की जाती है.
देखा जाए तो साधना और शक्ति अर्जन के लिए ये सबसे उत्तम अवसर होता है. निष्कर्म भाव से माँ दुर्गा के व्रत रखने वाले भक्ति भाव से अपने पूजा पाठ को पूरा करते है वही शक्ति अर्जन के उदेश्य की साधना में कुछ नियम का पालन किया जाता है.
नवरात्री से जुडी कई धार्मिक कथाए प्रचलन में है. महिषासुर वध से जुडी कथा और माँ दुर्गा के नव स्वरूप की पूजा से जुडी इस कथा को हम यहाँ जानने वाले है.
माँ दुर्गा और महिषासुर का वध
धार्मिक कथा के अनुसार महिषासुर ने अपने पराक्रम और बल से देवताओ के स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया था. जब तीनो लोको में उसने उत्पात मचाना शुरू कर दिया तब सभी देवता त्रिदेव की शरण में गए. जब ये बात महादेव और श्री विष्णु जी को पता चली तो उन्होंने अपने तेज से एक रचना की जो दुर्गा के नाम से जानी गई.
- महादेव ने अपने तेज से मुख का निर्माण किया
- यमराज के तेज से दुर्गा के केशो का निर्माण हुआ
- भगवान श्री विष्णु जी ने अपने तेज से भुजाओं का निर्माण किया.
- चन्द्रमा के तेज से वक्ष स्थल का सृजन हुआ.
- सूर्य देव ने अपने तेज से पैरो की अंगुली का निर्माण किया.
- कुबेर के तेज से नाक बनी.
- प्रजापति देव के तेज से दांत बने
- अग्नि देव के तेज से नेत्रों की, संध्या के तेज से भ्रकुटी और वायु देव के तेज से कानो की उत्पति हुई.
दुर्गा शक्ति की रचना का कार्य पूर्ण होने के बाद सभी देवो ने अपने अपने खास अस्त्र और शस्त्र से उन्हें पोषित किया.
- श्री विष्णु ने सुदर्शन चक्र, महादेव ने त्रिशूल दुर्गा को दिया.
- अग्नि देव ने अपने तेज और वायु देव ने शंख से शक्ति दुर्गा को पोषित किया.
- इन्द्रदेव ने वज्र और घंटा दिया.
- पवन देव ने धनुष बाण और यमराज ने काल पाश अर्पण किया.
- ब्रह्मदेव ने कमंडल और प्रजापति दक्ष ने स्फटिक की माला अर्पण की.
- सूर्य देव ने अपना तेज और सरोवर ने कमल माला जो कभी ना मुरझाये प्रदान की.
- हिमालय ने सवारी के लिए सिंह प्रदान किया.
- कुबेर देव ने मधु से भरा दिव्य पात्र प्रदान किया.
- समुन्द्र देव ने देवी दुर्गा को एक उज्जवल हार, दिव्य वस्त्र, चूड़ामणि. कुंडल आदि श्रृंगार प्रदान किया.,
इस तरह माँ दुर्गा की उत्पति हुई. इन सब के साथ माँ दुर्गा ने महिषासुर और उसके सहयोगी असुर से युद्ध किया और उनका संहार किया.
नवरात्री की पूजा पाठ और अखंड ज्योत की स्थापना
नवरात्रि पर्व से जुडी सबसे खास बात है भक्ति भाव और अखंड ज्योत की स्थापना. नवरात्री के पहले दिन माँ दुर्गा के मंदिर में श्रृंगार का सामान अर्पण किया जाता है और पहले दिन सुबह सभी क्रिया से फ्री होकर ब्रह्म महूर्त में अखंड ज्योत की स्थापना की जाती है. इसी के साथ माँ दुर्गा की पूजा पाठ और ज्वार बोये जाते है. कलश स्थापना और अखंड ज्योत को शुभ महूर्त देखकर ही स्थापित किया जाना चाहिए.
नवरात्री के दिनों से जुड़े कुछ सामान्य नियम
- अगर आप नवरात्री के अवसर पर व्रत रख रहे है और भूमि शयन करे.
- 9 दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करे.
- अगर आप नवरात्री में व्रत रख रहे है तो इस अवसर पर दूध और फल का ही सेवन करे.
- रोजाना माँ को भोग लगाना पूजा पाठ का हिस्सा है.
- व्रत रखने वाले को संकल्प लेना चाहिए की वो इस दौरान सभी तरह से संयम और नियंत्रण रखेगा.
- दुसरो के प्रति उदार भाव रखते हुए साधक का पूरा ध्यान अपने अंतर होना चाहिए.
नवरात्री 2019 में कलश स्थापना का शुभ महूर्त के लिए आप प्रतिपदा तिथि का समय देख सकते है. ज्योतिष केंद्र के अनुसार प्रतिपदा तिथि 29 september को सुबह 6:04 बजे से शुरू होगी. इसका मान हस्त नक्षत्र में रात के 10:01 बजे तक रहेगा. कलश स्थापना का शुभ महूर्त सुबह के 11:36 बजे से दोपहर 12:24 बजे तक रहेगा.
साल 2019 की नवरात्रि से जुड़े कुछ खास fact
इस साल की नवरात्रि पर्व कुछ खास होने वाली है. इससे जुड़े कुछ खास fact आप यहाँ पढ़ सकते है.
- शुभ संयोग : इस साल घट स्थापना ( कलश स्थापना ) के लिए बनने वाले योग सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और द्विपुष्कर योग एक साथ बन रहे है. इन तीन शुभ योग के संयोग में कलश स्थापना का महूर्त शुभाशुभ है.
- नवरात्रि है पुरे 9 दिन की : नवरात्रि 9 दिन की होती है लेकिन ऐसा होना बेहद दुर्लभ होता है की 9 दिन नवरात्रि और अगले दिन विसर्जन हो. तिथि क्षय और दुसरे कारण से दिन का फर्क होता रहता है लेकिन साल 2019 में ऐसा नहीं है. इस बार नवरात्रि पुरे 9 दिन की है और इसके अगले दिन विसर्जन यानि 10 दिन.
- सुख समृद्धि योग : इस बार कलश स्थापना के समय सुख समृद्धि के कारक शुक्र देव का उदय बेहद शुभ माना जा रहा है. धन की इच्छा रखने वाले इस बार अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रयास कर सकते है. इस दिन बुध का तुला राशि में आना इस राशि वालो के लिए बेहद शुभ है J
- नवरात्रि में दो सोमवार और रविवार : इस बार नवरात्री में 2 सोमवार, रविवार का संयोग बना है. पहले सोमवार को माँ दुर्गा के दुसरे स्वरूप की पूजा होगी वही दुसरे सोमवार को सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा होगी. ऐसा होना शुभ संयोग माना जाता है.
- नवरात्री का आरम्भ हस्त नक्षत्र में : हस्त नक्षत्र कुल 26 में से 13 वां नक्षत्र माना जाता है. इसके स्वामी गृह चन्द्रमा है और इसे ज्ञान मुक्ति और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है. अगर आप इस नक्षत्र में कलश में जल लेकर संकल्प लेते है तो ये बेहद शुभ रहता है.
- नवरात्र में बनने वाला अमृत सिद्धि योग : इस बार की पूजा में 2 दिन यानी दुसरे और चौथे दिन की पूजा में अमृत सिद्धि योग बन रहा है जो की बेहद शुभ है.
- इस बार बनने वाला रवि योग : इस बार तीसरी, छटी और सातवी पूजा के दिन रवि योग बन रहा है. 8 october को इसी योग में विजयादशमी का पर्व मनाया जायेगा और विसर्जन होगा.
- 4 सर्वार्थ सिद्धि योग : इस साल की नवरात्री इसलिए भी खास है क्यों की इस बार 4 सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे है यानि 29, 2, 6 और 7 तारीख को.
इस बार बनने वाले योग इतने ज्यादा शुभ है की आप चाह कर भी इस बार खुद को भक्तिमय होने से नहीं रोक पाएंगे.
देवी माँ की पूजा पाठ की विधि
अगर आप नवरात्रि पर्व पर माँ दुर्गा की पूजा पाठ विधि विधान से करना चाहते है तो आपको निचे दी गई विधि से इसकी शुरुआत करना चाहिए.
- सबसे पहला काम है कलश स्थापना का जिसमे आपको शुभ महूर्त देखकर कलश स्थापना करनी है.
- दूसरा काम है देवी दुर्गा की पूजा जिसके लिए आप षोडशोपचार से शुरुआत करे. पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है जिनका जपनीय मंत्र निम्न है.
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम। वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम॥
मंत्र
वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम॥
- तीसरा क्रम है कुंवारी पूजन का जिसमे रोज कुंवारी पूजन होना चाहिए. ज्यादातर इसे अंतिम दिन या पहले दिन ही करते है. आप प्रतिदिन एक बढाते हुए पूजन कर सकते है. कही कही कुलाचार का नियम होता है जिसमे छ्टे से नवे दिन तक कुमारी पूजन का नियम होता है.
- दुर्गा सप्तशती पाठ नवरात्रि में विधिवत पूर्ण किया है. इसमें कुल 13 अध्याय है. कवच, अर्गला, कीलक और 3 रहस्य समेत ये 6 अंग क्रम में पाठ किये जाते है.
- श्रीमद देवी भागवत पारायण का भी अपना महत्त्व है जो जगत जननी की महिमा का वर्णन करता है. 12 स्कन्द के इस महा पुराण का पाठ नवरात्री के दिनों में किया जाता है. पहले दिन ही कलश स्थापना के बाद देवी पूजा और श्रीमद भागवत देवी पाठ के बाद गंध अक्षत और पुष्प अर्पण करना चाहिए. इसके बाद इस विनियोग का पाठ करे
ऊं अस्य श्रीमद्देवीभागवताखयस्तोमंत्रस्य श्रीकृष्ण द्वैपायन वेदव्यास ऋषि: अनुष्टुप छंद: श्रीमणिदीपाधि वासिनी भगवती महाशक्ति: देवता ब्रह्म बीजम गायत्री शक्ति भुक्तिमुक्तिके कीलकम् पुरुषार्थ चतुष्टय सिद्ध्यर्थ पाठे विनियोग:।
- माँ दुर्गा का करे ध्यान : पहले दिन प्रथम से लेकर तीसरे अध्याय तक पाठ करना चाहिए. इसके अंत में श्रीमद भागवत देवी की आरती की जाती है.
बालाकार्युततेजसां त्रिनयनां रक्तांबरोल्लिासिनीं नालड्कृति राजमानवपुषां बालोडुराट्शेखराम् हस्तैरिक्षुधनु: सृणिं सुमशंर पाशं मुदा विभ्रतीं श्री चक्रस्थितसुंदरीं त्रिजगतामाधारभूतां स्मरेत्।। इस तरह से देवी दुर्गा की पूजा संपन करे
9 दिन के 9 रंगों का महत्त्व
अगर आप color therapy के बारे में जानते है तो आपको पता होगा की रंगों का हमारे मूड पर क्या प्रभाव होता है. आइये जानते है नवरात्रि पर्व के 9 दिन और उनसे जुड़े रंगों के बारे में
नवरात्री के दौरान 9 दिन हमें देवी के स्वरूप के अनुसार रंगों का चुनाव करना चाहिए.
- शैलपुत्री : नवरात्री के पहले दिन इनकी पूजा की जाती है इसलिए इस स्वरूप की मानस पूजा और पीले कपडे पहने.
- ब्रह्मचारिणी : दूसरे दिन हरा रंग पहने.
- चंद्रघंटा : इस दिन हलके भूरे रंग का कपडा पहने
- कूष्मांडा : इस दिन संतरी रंग का कपडा पहनना शुभ है.
- स्कंदमाता : माता का ये स्वरूप मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है इस दिन आपको सफ़ेद रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए.
- कात्यायनी : छ्टे दिन माता की पूजा करते समय लाल रंग का वस्त्र धारण करे.
- महागौरी : इस दिन गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करना शुभ होता है.
- सिद्धिदात्री : माता के इस स्वरूप की पूजा के दौरान बैंगनी रंग का वस्त्र धारण करे.
इस तरह से माता के 9 स्वरूप की पूजा के दौरान आपको इस तरह के वस्त्र धारण करना चाहिए. इन रंगों का चुनाव करना मानस पूजा में माता के स्वरूप और उर्जा के रंग को मजबूत करता है जो आपके अन्दर उर्जा केन्द्रों को सक्रिय करती है.
साल 2019 का नवरात्रि पर्व – मेरे अपने विचार
दोस्तों मेने अपनी लाइफ में कभी एक व्रत तक नहीं रखा है लेकिन इस बार सोच रहा हूँ की में पूजा और साधना का अभ्यास करू जिसकी कई वजह है.
पहली इस दौरान ऐसे कई योग बन रहे है जो साधना को पूर्ण करने के लिए दुर्लभ होते है.
इस वर्ष का नवरात्रि पर्व इतना दुर्लभ है की ऐसा कई सालो में एक बार होता है. ऐसे मौके पर अगर हम मन को भक्तिमय बनाते हुए साधना करे तो अवश्य उसमे सफलता मिलेगी.
मेने तो साधना की तैयारी शुरू भी कर दी है आप भी कर सकते है.