निराकार साधना या फिर साकार साधना कौनसी साधना सबसे ज्यादा सर्वश्रेष्ठ है ? निराकार यानि जिसका कोई आकार नहीं है. इस साधना को करने वाले साधक का चित सर्व-शक्तिशाली बन जाता है और उसके लिए किसी भी स्थिति में खुद को स्थिर रखना संभव बन जाता है.
निर्गुण या निराकार की साधना करने वाला साधक ही साधना के उच्च स्तर को हासिल कर सकता है. निर्गुण निराकार में कोई आकार नहीं होता है और ना ही इसे किसी एक आकार से परिभाषित किया जा सकता है.
ब्रह्मा को निराकार माना जाता है क्यों की वे एक तत्व है. मूर्ति पूजा साकार है और तत्व पूजा निराकार साधना का हिस्सा है. ऐसी कई साधना है जहाँ साधक अपनी मन की कल्पना से तत्व को साकार करता है.
ये सब साधनाए उच्च स्तर की होती है और इसके परिणामस्वरूप साधक की चेतना का स्तर भी उच्च स्तर का बन जाता है. निराकार साधना में कृत्या साधना / मानस साधना को सबसे उच्च स्तर की साधनाओ में से एक माना जाता है.
चेतना का साकार रूप में प्रकट होना, स्थूल आकारों के गुणों को अपनाकर ही संभव होता है पर साकार के मूल में वो ही निराकार परा शक्ति है. जब हम साधना आरंभ करते हैं तो हम अपने मूल में वापस जाने की यात्रा आरंभ करते हैं.
हम मानव शरीर में एक साकार रूप में हैं अतः परब्रह्म को पाने की यात्रा तभी पूर्ण हो सकती है जब हम पुनः अपने परम चेतन स्वरूप को अनुभव कर लें. इसलिए हमको सगुण से पुनः निर्गुण की ओर जाना होगा.
निर्गुण अवस्था प्राप्त करने के लिए हमें तमो गुण, रजो गुण और सतो गुण से पार हो ब्रह्माण्ड कि शुद्ध चेतना से एकाकार होना होगा. आज के इस आर्टिकल में हम निराकार साधना के बारे में बात करने वाले है.
निराकार साधना का महत्त्व
मन की कल्पना को एक जगह स्थिर करना साकार रूप में होता है. निराकार में हम अपनी कल्पना को साकार करते है. भगवान महादेव की पूजा निराकार और साकार दोनों रूप में की जाती है.
शिवलिंग के स्वरूप में उनकी पूजा निराकार रूप में होती है वही उनका महादेव का स्वरूप साकार स्वरूप है. तत्व की जब पूजा या साधना की जाती है तब वो निराकार साधना में आता है.
युगों से ही साकार और निराकार साधना को लेकर लोगो के अलग अलग मत देखने को मिले है. दोनों साधना में से कौनसी साधना सर्वश्रेष्ठ है इस बात को लेकर आज भी अलग अलग राय देखने को मिलती है.
निराकार स्वरूप की साधना करना हमें स्थिर बनाता है क्यों की हम खुद को कल्पनाओ की सीमा से परे रखते है. अगर आप उच्च स्तर की निराकार साधना करना चाहते है तो यहाँ दी जा रही सबसे प्रभावी साधना का प्रयोग कर सकते है.
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निराकार साधना का प्रयोग
एक कमरे का चुनाव करे जिसमे पूरी तरह अँधेरा हो. कमरे में सुखासन में बैठ जाइये और अपनी आँखों से 2 फुट की दूरी पर आपके ह्रदय तक की ऊंचाई पर एक अगरबत्ती जला ले.
इस बात का खास ख्याल रखे की ये कमरा पूरी तरह खाली हो और इसमें किसी भी देवी या देवता की कोई फोटो ना हो. निराकार साधना अभ्यास के दौरान कोई भी दूसरा व्यक्ति आपके कक्ष में ना जाए.
अगरबत्ती के जलने पर धुआं निकलेगा और धीमी अग्नि की लपट दिखाई देगी. आपको अपना पूरा फोकस इस लपट पर लगाना है.
कमरे में मध्य में ये अगरबत्ती जलती है और अब आपको अगरबत्ती के बाए से दाए ध्यान का चक्कर लगाना है. चक्कर लगाकर वापिस उसी पॉइंट पर पहुंच जाना है.
वहां पहुँच कर एक मिनट ध्यान करना है. विचारशून्य केवल ध्यान में उस अग्नि की जड़ को देखना है और फिर उसी तरह उल्टा चक्र लगाना है और उसी पॉइंट पर ध्यान केन्द्रित करना है.
तत्पश्चात् उस अग्नि के ठीक ऊपर की नोंक पर (राख झाड़कर, कारण दो मिनट में उस पर राख आयगी) ध्यान केन्द्रित कर ध्यान का सीधा व उल्टे चक्र घूमकर उसी पॉइंट पर ध्यान ले आये और फिर जितनी देर इच्छा हो ध्यान लगाए रहे.
यह अगरबत्ती में जो अग्नि जल रही है वह चेतना का प्रतीक है और नेत्र की जो दृष्टि शक्ति है वह जगत का प्रतीक है, तो हम अपने नेत्र द्वारा (भौतिक शक्ति) चेतना की परिक्रमा करते हैं जो कि सारे जगत के कण कण में व्याप्त है.
फिर अन्त में जो चोटी की परिक्रमा है उसके बाद जो ध्यान करते हैं वो अपनी भौतिक सत्ता का चेतना में समर्पण है.
आँख बन्द करने के बाद यानि ध्यान करते समय सोचना कुछ भी नहीं है. जो भी दृश्य ध्यान में सामने आये उनको केवल देखना है.
अगरवत्ती के पैकेट का और माचिस का दूसरे किसी भी कार्य में प्रयोग नहीं करना है, अलग रख दिया जाय. उसकी झड़ी हुई राख को कूड़े में न फेंक दें उसे नदी में बहा दें. उस अगरवत्ती व माचिस को इसी प्रयोग में सेना है जब जब ही करें.
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निराकार साधना के फायदे
इस साधना का परिणाम असीम शांति और स्थिरता है. इससे आपका चित एकाग्र होता है. जब भी आपका मन व्याकुल हो या फिर किसी परेशानी से घिर जाए तो इस प्रयोग को करे.
इस क्रिया को करने से आपका मन तुरंत शांत और चित एकाग्र होने लगेगा. निराकार साधना का अभ्यास करना आपकी परेशानी को दूर नहीं करता है बल्कि उसकी वजह से जो अशांति आपके मन में उत्पन होती है उसे दूर करता है.
जब आपका मन शांत होता है तब आप किसी भी मुश्किल का समाधान आसानी से कर सकते है.
इस साधना में साधक की इच्छा शक्ति प्रबल होती है जिसकी वजह से उन्हें दूसरे फायदे भी मिलते है. यही वजह है की निर्गुण निराकार साधना को उत्तम साधना में एक माना जाता है.