हम दिन भर हजारो जानकारियों से गुजरते है जिनमे से ज्यादातर तो विज्ञापित होती है। किसी भी जानकारी को हम ज्यादा से ज्यादा और क्लियर तरीके सेयाद रख पाए इसलिए बाजार में विज्ञापनों का सहारा लिया जाता है जो आवाज और वीडियोके मिश्रण से हम पर अपना प्रभाव छोड़ते है।
विज्ञान के अनुसार सिर्फ देखने या सुनने की बजाय दोनों के मिश्रित रूपका प्रभाव ज्यादा पड़ता है। ऐसे में कल्पना शक्ति का जादू कैसे काम करता है को आज समझते है।
हर रोज हजारो की मात्रा में जानकारिया हमारे आँखों और कानो से होकर दिमाग तक पहुँचती है। इन सबका मकसद हमारे दिमाग पर अपने उत्पाद या वस्तु को लेकर अच्छी पकड़ बनाना है। आजकल के बाजार की स्थिति ये है की जिस उत्पाद का प्रचार हमारे सामने सबसे ज्यादा होता है उसे हम जरुरत ना होते हुए भी खरीद लेते है।
ये सब एक तरह से सम्मोहन का जादू सा है जो की लम्बे समय तक प्रचार करने की वजह से पैदा होता है। आजकल देखा जाए तो हम ज्यादातर चीजे सिर्फ इसलिए खरीद लेते है ताकि उन्हें समय आने पर आजमा सके।
इन सबकी वजह से ही एक बाजार सफल बनता है क्यों की वो हमारे कल्पना शक्ति के काम करने के तरीके पर अपनी अच्छी पकड़ बनता जा रहा है। मान लीजिये हम लोग विदेशी उत्पाद की खरीददारी को नकारना शुरू कर रहे है।
क्यों ? किस वजह से ?
क्यों की हमें पता चला है की स्वदेशी उत्पाद हमारे लिए हानिकारक नहीं है और ये सब कैसे संभव हुआ प्रचार और advertise से। 100 में से 90 समय में हम कल्पना शक्ति द्वारा ही अपने आसपास की वस्तु और माहौल को समझते है। यह कल्पना शक्ति का जादू ही है जो वस्तुओ को हमारी जरुरत बनाता जा रहा है।
कल्पना शक्ति का जादू
The power of imagination यानि हमारी सोच का मैजिक ये सब हमारे मस्तिष्क के अंदर चलने वाली एक सीरीज में घटनाओ के क्रम का परिणाम है। उदहारण के तौर पर
कहने का मतलब है जब भी हम किसी नई जानकारी से रूबरू होते है हमारे मस्तिष्क में वो कल्पना शक्ति के साथ व्यस्थित होती है।
हर जानकारी को हम कल्पना यानि सोच के द्वारा मस्तिष्क में जमा करते है। इसके बाद जब भी हमें उस जानकारी की आवश्यकता होती है हमारे मस्तिष्क में जानकारी कल्पना के माध्यम से ही उभरती है ना की शब्दों के जरिये।
यही कहलाता है कल्पना शक्ति का जादू
कृति भावनाओ के लिए जिम्मेदार है :
हम दिनभर अलग अलग जानकारियों से गुजरते है और हर जानकारी पर आपका एक अलग इमोशन यानि भावना या फिर यू कहे की फीलिंग होती है। हम शब्दों पर उतना अच्छे से रिएक्ट नहीं कर सकते जितना फोटो और पिक्चर पर।
यही वजह है की बाजार में या दिनभर हम जहा भी जाए हमारे आसपास उत्पाद और जानकारियों को फोटो के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है जिसकी वजह है हमारे इमोशन को फोटो के प्रति समझना ताकि वो हमारे जरुरत को पैदा कर सके समझ सके और उसके अनुसार ही मार्किट में उत्पाद को बेच सके।
कल्पनाशक्ति का जादू फोटो और शब्दों का मिश्रण है जिसमे हमारे दिनभर की दिनचर्या में सोचने और रहने के तरीके में और ज्यादा विस्तार कर सके। ये सब हमारे अवचेतन मन को सोचने की प्रक्रिया को लेकर मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को दर्शाता है।
आपने कई जगह देखा होगा की हम कुछ फोटो को सिर्फ देख कर उसके उदेश्य को समझ जाते है यहाँ तक की उसमे शब्दों की कमी भी होती है जिससे की कोई उसके बारे में सही जानकारी नहीं समझ सकता लेकिन फिर भी उसमे हमारा ध्यान खींचने वाले कुछ ऐसे फोटो इस्तेमाल किये जाते है जो जल्दी ही समझ आने वाले होते है।
शब्दों का खेल सीधे अवचेतन पर असर करता है
हमारा अवचेतन मन शब्दों को सीधे दृश्य में बदलने का काम भी करता है जो की समझने का सबसे अच्छा माध्यम साबित हुआ है। हम जो पढ़ते है वो एक दृश्य के रूप में हमारे मस्तिष्क में छपता रहता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है खाना बनाने वाली पुस्तक।
हम जैसे जैसे पुस्तक पढ़ते है हमारे दिमाग में वो सब एक फिल्म की तरह चलता है जो की उस वक़्त पढ़े हुए को याद रखने में अहम् भूमिका निभाता है। ये सब होता है हमारे इंटरेस्ट के अनुसार वस्तुओ को याद रखने की वजह से।
अगर शिक्षा के क्षेत्र में बात की जाए तो एक प्रयोग के अनुसार क्लास में बच्चो को किताब पढ़ाने और लैब में प्रोजेक्टर मदद से वही किताब बच्चो को समझाई गयी। एग्जाम में उन बच्चो का रिजल्ट अच्छा रहा जिन्होंने क्लास के साथ साथ प्रोजेक्टर पर पढाई की।
फर्क सिर्फ इतना ही था की प्रोजेक्टर पर किताब को आसान भाषा में बदल दिया गया जिसमे प्रश्नो के जवाब आसानी से खोजे जा सकते थे। ये विषय था अंग्रेजी जो ज्यादातर बच्चो को कठिन लगता है लेकिन मुश्किल चीजों को आसान बनाने के लिए हमने विकल्प भी चुने है।
दिमाग में बनती है छवि
जब बच्चो को प्रजेक्टर पर पढ़ाया गया तो उनके मस्तिष्क का सबसे ज्यादा हिस्सा उस दौरान पढ़ने और वहा प्रोजेक्टर पर दिखाए जाने वाले मेटर पर व्यस्त था जबकि क्लास में ये संभव नहीं था। यही वजह थी की कल्पना शक्ति का जादू काम कर गया और बच्चो ने रिजल्ट अच्छा प्राप्त किया।
महसूस करे कल्पना शक्ति का जादू :
गुजरते वक़्त के साथ हम एक ही अनुभव के अलग अलग पहलुओं से गुजरते है। मान लीजिये स्कूल में आप किसी चीज में कमजोर थे और उस वक़्त आपको लगता था की आपमें ये कमी है। आप कॉलेज में आ जाते है और यहाँ आप अनुभव करते है की अच्छा हुआ आप उस चीज में कमजोर थे जिसका आज आपको फायदा मिला।
जैसे की दुसरो से अलग रहना। इसके अलग अलग पहलु पर विचार करे तो हम पाएंगे की,
अगर हम सोचते है की दुसरो से अलग रहना कोई कमी है तो हम पाएंगे की हम सिर्फ उन परिणामो के बारे में सोच रहे है जिनमे हमें नुकसान हुआ है जैसे की अलग रहने की वजह से आप कुछ कामो में पिछड़ जाते है। जैसे दुसरो के सामने खुद को कमजोर महसूस करना। लेकिन दूसरी तरफ
कल्पना शक्ति का दायरा
हमें सिर्फ हमारे कल्पना शक्ति के दायरे को बढ़ाना है इसके बाद तो आप किसी भी नकारात्मक सोच से, रवैये से आसानी से बाहर निकल सकते है। Imagination हमारे अवचेतन मस्तिष्क पर काफी प्रभाव डालती है। अब ये आप निर्भर करता है की आप कल्पना करते करते परेशान होना चाहते है या फिर समस्या से बाहर निकलना।
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अंतिम शब्द :
दोस्तों आज की पोस्ट अवचेतन मस्तिष्क और कल्पना शक्ति का जादू आपको सिर्फ ये समझाने की कोशिश है की किस तरह हम Imagination द्वारा खुद को सकारात्मक और नकारात्मक बना सकते है। इनका प्रभाव बहुत गहरा होता है इसलिए अगर सही तरीके से इसका इस्तेमाल दैनिक जीवन में किया जाये तो बहुत सी मुश्किलों को हम आसान बना सकते है।
कल्पना शक्ति को बढ़ाने और छटी इंद्री के रहस्य पर आधारित एक बुक पर आप पढ़ सकते है जो हिंदी में है सस्ती है और अच्छी भी है।
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