क्या आप जानते है की अक्सर की गई साधना फैल क्यों हो जाती है ? हम प्रयास करते है किताबो से पढ़कर लोगो से सुनकर लेकिन टोने टोटके में सफलता हासिल नहीं होती है.
इसके लिए आपको ध्यान रखना चाहिए तंत्र मंत्र यन्त्र साधना से जुड़ी खास बाते और कर्म के अनुसार की जाने वाली साधना ताकि आप सिर्फ कुछ खास नियम और निर्देशों का पालन कर सफलता हासिल कर सकते है.
आज की पोस्ट में आपको कुछ सूक्ष्म जानकारिया सीखने को मिलेगी.
हम टोने-टोटके और तंत्र मंत्र यन्त्र में बहुत विश्वास रखते है लेकिन कई बार प्रयास करते रहने के बावजूद हमें सफलता नहीं मिलती है.
इन्टरनेट या किताबो से पढ़कर हम कई बार कोशिश करते है लेकिन हम कामयाब नहीं हो पाते है.
इसकी कई वजह होती है जिनका हमें ध्यान रखना होता है अक्सर हम इस कार्य को जितना आसान समझते है ये उतना आसान होता नहीं है. इस पोस्ट में हम जानने वाले है की तंत्र में कर्म क्या होते है और कितने प्रकार के होते है. साथ ही कुछ आवश्यक जानकारी भी. तो चलिए शुरू करते है.
तंत्र मंत्र यन्त्र साधना से जुड़ी खास बाते
तंत्र मंत्र यन्त्र में कर्म प्रयोग के आधार पर 6 भाग में विभाजित किये गए है.
- पहला शंतिकरण
- दूसरा वशीकरण
- तीसरा स्तम्भन
- चौथा विद्वेष
- पांचवा उच्चाटन
- सबसे अंत में आता है मारण
जो सबसे खतरनाक और अचूक होता है. इन छ कर्म के आधार पर तंत्र प्रयोग किये जाते है. तो जानते है तंत्र कर्म और तंत्र मंत्र यन्त्र साधना से जुड़ी खास बाते जिनका ध्यान रखकर आप भी सफलता हासिल कर सकते है.
- रोग, क्रिया और ग्रह आदि के दोष निवारण को शांतिकरण कहा जाता है.
- किसी भी जीव-जंतु को अपने वश में करना वशीकरण के कर्म में आता है.
- किसी चलते हुए कार्य को उसकी गति को रोक देना स्तम्भन है.
- एक जगह से दूसरी जगह भेज देना उच्चाटन कहलाता है.
- किसी भी तरह के शारीरिक और मानसिक आघात के लिए की गयी क्रिया मारण के अंतर्गत आता है.
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छ कर्म और उनके देवी देवता
हम जिस तरह के कर्म का प्रयोग करते है उसके अनुसार किस तरह के देवी देवता की पूजा अर्चना की जानी चाहिए इसका ज्ञान हमें छ कर्म और उनके देवी देवता के अंतर्गत मिलता है. अलग अलग कर्म की अधिष्टात्री देवी और देवता अलग अलग है.
- शांतिकर्म की अधिष्टात्री देवी रति है.
- वशीकरण में हमारी आराध्य देवी माँ सरस्वती है.
- स्तम्भन में देवी लक्ष्मी और विद्वेष में ज्येष्ठा की पूजा अर्चना की जाती है.
- उच्चाटन में देवी दुर्गा की और मारण में भद्रकाली देवी अधिष्टात्री है.
आपको इन छ कर्म में सफलता के लिए इसके अनुसार ही अधिष्टात्री देवी की पूजा अर्चना की जानी चाहिए.
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छ कर्म और उनकी दिशा के अनुसार तंत्र मंत्र यन्त्र साधना से जुड़ी खास बाते
सभी कर्म में दिशा का भी महत्त्व रहता है और हमें इसके अनुसार ही कर्म के अनुसार दिशा में बैठ कर प्रयोग करना चाहिए.
- शांतिकरण हमेशा ईशान दिशा में किये जाने चाहिए.
- वशीकरण उत्तर दिशा में सफल होते है.
- स्तम्भन कर्म पूर्व दिशा में किये जाते है.
- विद्वेष कर्म हमेशा दक्षिण-पश्चिम में फल प्रदान करते है.
- उच्चाटन के कर्म उत्तर पश्चिम दिशा में होने चाहिए.
- मारण के लिए दिशा का चुनाव दक्षिण-पूर्व होना चाहिए.
आप जिस तरह की साधना या अभ्यास कर रहे है आपको कर्म के अनुसार उसी दिशा में बैठना चाहिए.
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कर्म और समय ऋतू विचार – तंत्र मंत्र यन्त्र साधना से जुड़ी खास बाते
एक दिन में 10 घड़ी होती है इन 10 घड़ी में वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर ऋतू विचार किया जाता है.
अगर इन्हें दिन के हिसाब से देखा जाए तो सुबह प्रात:काल में हेमंत ऋतू, दोपहर से पहले वसंत, दोपहर में ग्रीष्म, दोपहर बाद वर्षा, संध्याकाल में शिशिर, आधी रात में शरद ऋतू का विचार किया जाता है. अगर आप इनके अनुसार तंत्र कर्म करना चाहते है तो हेमंत ऋतू में शांतिकर्म, वसंत में वशीकरण, शिशिर में स्तम्भन, ग्रीष्म काल में विद्वेष, वर्षा काल में उच्चाटन और शरद में मारण कर्म करना श्रेयकर होता है.
दोपहर से पहले वशीकरण का कर्म, दोपहर में विद्वेषण और उच्चाटन, तीसरे पहर में यानि दोपहर बाद शांतिकर्म और स्तम्भन के कर्म, सांयकाल में आपको मारण कर्म करना चाहिए.
इसी के अनुसार हमें साधना में रंग का ध्यान रखना चाहिए जिस तरह का रंग यानि वर्ण साधना के अभ्यास के दौरान हमारे अंतर में उतरता हुआ महसूस होता है उसके प्रकार के आधार पर निचे दी गयी सारणी में आप ज्यादा बेहतर समझ सकते है.
साधना से जुड़े खास नियम
छ कर्म | देवी-देवता | दिशा ज्ञान | ऋतू | रंग |
---|---|---|---|---|
शांतिकर्म | रति | ईशान | हेमंत | श्वेत |
वशीकरण | माँ सरस्वती | उत्तर | वसंत | लाल |
स्तम्भन | लक्ष्मी देवी | पूर्व दिशा | शिशिर | पीला |
विद्वेषण | ज्येष्ठा | दक्षिण पश्चिम | ग्रीष्म | लाल |
उच्चाटन | माँ दुर्गा | उत्तर-पश्चिम | वर्षा ऋतू | धूम्र ( धुँआ ) |
मारण | भद्रकाली | दक्षिण-पूर्व | शरद ऋतू | काला रंग |
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छ कर्म और इससे जुड़ी माला का चुनाव
हम जिस तरह के तंत्र कर्म कर रहे है उसी के आधार पर हमें माला और उसके धागे का चुनाव करना चाहिए. जैसे की वशीकरण में मोती या हीरे की माला, आकर्षण के मंत्रो का जाप गजमुक्ता की माला, विद्वेषण और उच्चाटन में बहेड़े की माला, धर्म-कार्य में सिद्धि के लिए शंखमणि की माला और मारण में अपने आप मरे हुए गधे के दांतों की माला का चुनाव करना चाहिए.
अगर ऐसा नहीं कर पाते है तो सभी तरह के शुभकर्म में आप रुद्राक्ष की माला का जाप कर सकते है.
इसी तरह माला के धागे का चुनाव किया जाता है. शांति और पुष्टिकर्म में कमल के तंतु की डोर बनाकर, वशीकरण और उच्चाटन में घोड़े की पूंछके बाल, मारण में मनुष्य की नसों का प्रयोग किया जाना चाहिए.
अगर आप बहेड़े की माला प्रयोग में ला रहे है तो आप रुई के धागे में बना सकते है. आपको तंत्र मंत्र यन्त्र साधना से जुड़ी खास बाते ध्यान में रखकर माला और उससे जुड़ी सूक्ष्म जानकारी के आधार पर चुनाव करना चाहिए.
माला संख्या का भी ध्यान रखना चाहिए क्यों की अलग अलग कर्म में अलग अलग माला के मनको की संख्या होती है. मोती की माला में 27 मोती, बहेड़े की माला में 15 और रुद्राक्ष की माला में 108 मनके होते है. तंत्र में कर्म के अनुसार आपको इनका प्रयोग करना चाहिए.
तंत्र कर्म और माला जाप में अंगुली का नियम
शांति कर्म, स्तम्भन, वशीकरण में अंगूठे और बिच की अंगुली से माला फेरे, आकर्षण में अंगूठे और अनामिका से, विद्वेषण और उच्चाटन में अंगूठे और तर्जनी से और मारण में कनिष्ठा और अंगूठे से माला जाप करना चाहिए.
इसके साथ ही साथ वशीकरण मंत्र को पूर्व की ओर मुख करके, अभिचारक कर्म को दक्षिण की ओर, धन प्राप्ति की इच्छा के लिए पश्चिम दिशा और शांति कर्म में उत्तर दिशा में मुख करके जपना चाहिए. उत्तर दिशा में मंत्र जाप करने से आयु, शांति और पुष्टि की प्राप्ति होती है.
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तंत्र मंत्र यन्त्र साधना से जुड़ी खास बाते – अंतिम शब्द
तो दोस्तों अब तो आप तंत्र मंत्र यन्त्र साधना से जुड़ी खास बाते समझ ही गए होंगे की छ कर्म और उनमे सफलता से जुड़े नियम को ध्यान में रखकर ही आप इनमे सफलता प्राप्त कर सकते है. अगर आप वशीकरण में सफलता प्राप्त करना चाहते है तो आपको इससे जुड़े सूक्ष्म नियम पता होने चाहिए.
वैसे और भी कई ऐसे निर्देश है जिनका पालन करना चाहिए लेकिन आज कल के ज़माने में इतना सबकुछ कर पाना हर किसी के लिए सम्भव नहीं हो पाता है. अगर आप इन बातो का ध्यान रखते है तो किसी भी तंत्र-मंत्र-यन्त्र के प्रयोग में आपको सफलता मिलना सुनिश्चित है.
अगली पोस्ट में हम बात करेंगे साधना में हवन की अनिवार्यता और उसमे सही विधि से सफलता प्राप्त करने के नियम की.
आज की पोस्ट तंत्र मंत्र यन्त्र साधना से जुड़ी खास बाते आपको कैसी लगी हमें जरुर बताए. अगर आप लम्बे टाइम से साधना और टोने टोटके का प्रयास कर रहे है तो एक बार इन बातो का ध्यान रख कर साधना करे सफलता जरुर मिलेगी. किसी भी तरह के सवाल, राय या सुझाव आप कमेंट में पूछ सकते है.