ज्यादातर लोग मानसिक अशांति से पीड़ित है और ऐसी साधना करना चाहते है जिससे उन्हें जीवन में सफलता मिले, मानसिक शांति मिले, उनकी और उनके परिवार की हर तरह के किये कराये और बुरी नजर से रक्षा हो.
आज हम बात करने वाले है बटुक भैरव साधना के बारे में जो की उन साधनाओ में से एक है जो सिर्फ एक रात्रि में सिद्ध की जा सकती है और इसके लिए किसी तरह के तंत्र कर्म की आवश्यकता भी नहीं है.
बटुक महाराज की ये साधना पूर्ण रूप से सात्विक साधना है और साधक के जीवन में सुख, उन्नति और सफलता लाती है.
अगर आपके घर में अकाल मृत्यु हो रही है, बार बार घरवालो को बुरी नजर लग रही है या फिर काले जादू की वजह से अक्सर घर में कलह का माहौल बना रहता है तो आपको batuk bhairav sadhna करनी चाहिए.
इस साधना को करने से आप किसी भी बाहरी बुरी नजर से बचाव कर सकते है. बटुक साधना की वजह से साधक को सिद्धि मिलना शुरू हो जाती है और वो आगे उन्नति के मार्ग पर बढ़ने लगते है.
आम लोगो को बटुक भैरव, शनि या माँ काली के नाम से ही डर लगता है लेकिन, क्या वाकई ये साधनाए आम लोगो के लिए नहीं होती है ?
अगर आपका मन साफ़ है और आपका रास्ता साफ़ है तो आपको इन साधनाओ से डरना नहीं चाहिए क्यों की सिद्ध होने के बाद ये शक्तियां आपको जीवन में हर तरह से आगे बढ़ने में मदद करती है.
भैरव कवच की घर में स्थापना करने से ये साधक की हर तरह के बुरी शक्ति से रक्षा करता है. भैरव महायंत्र की स्थापना करना घर में शांति लाता है और भैरव साधना आपको मन की शांति को प्रदान करता है.
बटुक महाराज को महादेव के साथ ब्रह्मा के अंश में भी गिना जाता है लेकिन साधक इससे भ्रमित ना हो ये साधना हमें महादेव के करीब लाती है. आइये जानते है सात्विक तरीके से की जाने वाली बटुक भैरव महाराज की साधना के बारे में.
बटुक भैरव साधना
भगवान बटुक भैरव की महिमा कई शास्त्रों में देखने को मिलती है. इन्हें महादेव के गण में भी गिना जाता है और माँ दुर्गा के अनुचारी के रूप में भी माना जाता है.
इनकी साधना करना साधक को मानसिक शांति और सुख देता है. इनकी साधना में चमेली के फूलो का महत्त्व है क्यों की इन्हें चमेली के पुष्प प्रिय है. भगवान बटुक महाराज को भैरव रात्री के देवता भी माना जाता है.
बटुक भैरव साधना करने वाले साधक को मानसिक शांति प्राप्त होती है. संतान को लम्बी उम्र प्राप्त होती है.
सबसे खास बात ये है की अगर आप किसी तरह की भूत बाधा, किया कराया से परेशान है तो शनिवार या मंगलवार के दिन भैरव पाठ करने से आपको सभी तरह के दुःख से निजात मिलती है.
अगर घर में किसी की अकाल मृत्यु के योग बन रहे है या हो रही है तो ऐसी स्थिति में बटुक भैरव साधना पाठ करने से आपको इसका समाधान मिलता है.
बटुक भैरव जयंती को हर साल श्री बटुक भैरव जयंती 28 मई के रूप में मनाया जाता है.
तंत्र क्रिया में कुल 6 तरह के कर्म माने गए है
- शांति कर्म
- वशीकरण
- स्तंभन
- विद्वेषण
- उच्चाटन और
- मारण
अगर आप इनके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो हमारे सबसे पुराना इंद्रजाल को खरीद सकते है जो PDF Book है और इसके बाद आप बिना किसी गुरु के भी खुद तंत्र क्रिया को सीख सकते है.
लोगो के अनुभव है की मात्र पढने से ही मंत्र अपना प्रभाव दिखाने लगते है.
इंद्रजाल में आपको तंत्र के 9 प्रयोग जिनसे मिलकर इंद्रजाल बनता है वो सब देखने को मिलते है जैसे की
- मारण
- मोहनं
- स्तंभनं
- विद्वेषण
- उच्चाटन
- वशीकरण
- आकर्षण
- यक्षिणी साधना
- रसायन क्रिया ( बंगाल का असली जादू इसी पर निर्भर है )
आइये जानते है बटुक महाराज की साधना के बारे में.
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घर पर कैसे करे भगवान बटुक भैरव साधना
बटुक भैरव साधना / बटुक महाराज की साधना का प्रयोग समय रात्रिकालीन है. जून महीने में ये साधना की जाती है और साल में सिर्फ एक दिन की साधना में ये साधना उत्तम साधनाओ में से एक है. एक काले रंग के आसन पर दक्षिण की ओर मुख कर बैठ जाए.
अपने सामने बटुक भैरव महायंत्र की स्थापना करे और इसके आगे 5 काले हकिक के पत्थर रखे. सबसे पहले बटुक महायंत्र की पूजा अर्चना करे.
इसके लिए यंत्र पर सिंदूर लगाए. अक्षत पुष्प और नेवैध अर्पण करे. इसके आगे 11 तेल के दिए जलाए. तेल के दिए के मुह साधक की तरफ होना चाहिए.
दिए में तेल आप कोई भी इस्तेमाल कर सकते है लेकिन कोशिश करे की सुगन्धित हो.
साधना के दौरान आपको मूंगे की माला / काले हकिक की माला का प्रयोग करना है. बिना किसी भय के आपको निम्न मंत्र का जप करना है.
॥ ॐ ह्रौं ह्रीं हूं ह्रीं हुं ॐ ||
इस मंत्र का आपको 51 माला का जप एक रात्रि में पूरा करना है. जप पूर्ण होने पर यंत्र को घर में किसी सुरक्षित जगह पर रख दे.
साधना पूर्ण होने के बाद आपको इसका किसी के साथ जिक्र नहीं करना है और यंत्र को ऐसी जगह स्थापित करे की रोज इसकी पूजा हो उस समय धूप दीप मिलता रहे.
ये साधना पूर्ण रूप से सात्विक है और यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद इसका प्रभाव आप अपनी जिंदगी पर साफ महसूस करने लगते है.
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बटुक भैरव साधना का महत्त्व और फायदे
वैसे तो आम आदमी माँ काली, शनि, भैरव साधना के नाम ही डरता है लेकिन सच्चे दिल से की गई इनकी आराधना साधक को भय मुक्त बनाती है.
ये साधक के हर दुःख को दूर करती है और किसी भी तरह के काले जादू, किये कराये, बुरी नजर इन सबसे रक्षा करती है. साधक को मानसिक शांति और संपदा भी प्रदान करती है.
अगर आपका रास्ता सही है तो आपको इनकी आराधना करनी चाहिए क्यों की सही तरह से की गई इनकी साधना आपके जीवन को बदल सकती है.
भैरव कवच आपको अकाल मृत्यु से बचाता है. कालभैरव अष्टमी पर किया गया दर्शन आपको अशुभ कर्मो से मुक्ति दिलाता है.
कई जगह इनकी साधना कुलदेवता के रूप में की जाती है.
अगर आप परेशान है और दुःख आपका पीछा नहीं छोड़ रहे है तो आपको भैरव तंत्रोक्त, बटुक भैरव कवच, काल भैरव स्तोत्र, बटुक भैरव ब्रह्म कवच आदि का नियमित पाठ करना चाहिए. परिवार में सुख-शांति, समृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य की रक्षा होती है.
- बटुक भैरव साधना से साधक को बल, बुद्धि, तेज, यश, धन तथा मुक्ति प्रदान करते हैं.
- सिद्ध होने पर उपासक की दसों दिशाओं से रक्षा करते हैं.
- बटुक महाराज साधक को सुरक्षा प्रदान करते हैं, अकाल मौत से बचाते हैं.
- ऐसे साधक को कभी धन की कमी नहीं रहती और वह सुखपूर्वक वैभवयुक्त जीवन- यापन करता है.
इन सब फायदों के अलावा आपको बटुक भैरव साधना के दौरान रखे जाने वाले नियम और सावधानी के बारे में भी जान लेना चाहिए.
भैरव साधना नियम व सावधानी जो साधना के दौरान आपको मालूम होना चाहिए
ऐसी कई सावधानियां है जो आपको बटुक महाराज की साधना के दौरान ध्यान में रखना होगा. स्कंद पुराण के अवंति खंड के अंतर्गत उज्जैन में अष्ट महाभैरव का उल्लेख मिलता है. अगर आप ये साधना कर रहे है तो इन नियम, सावधानियो को जरुर पढ़ ले.
- अगर बटुक भैरव साधना का कोई उदेश्य है तो पहले अपने उदेश्य को संकल्प में बोले और फिर साधना की शुरुआत करे.
- यह साधना दक्षिण दिशा में मुख करके की जाती है.
- साधना में मूंगे की माला, रुद्राक्ष या हकीक की माला से मंत्र जप किया जाता है.
- भैरव की साधना रात्रिकाल में ही करें.
- भैरव पूजा में केवल तेल के दीपक का ही उपयोग करना चाहिए.
- साधना के दौरान लाल या काले रंग के कपड़े पहन कर साधना करनी चाहिए.
- हर मंगलवार को लड्डू के भोग को पूजन-साधना के बाद कुत्तों को खिला दें और नया भोग रख दें.
- भैरव को अर्पित नैवेद्य को पूजा के बाद उसी स्थान पर ग्रहण करना चाहिए.
- भैरव की पूजा में दैनिक नैवेद्य दिनों के अनुसार किया जाता है, जैसे रविवार को चावल-दूध की खीर, सोमवार को मोतीचूर के लड्डू, मंगलवार को घी-गुड़ अथवा गुड़ से बनी लापसी या लड्डू, बुधवार को दही-बूरा, गुरुवार को बेसन के लड्डू, शुक्रवार को भुने हुए चने, शनिवार को तले हुए पापड़, उड़द के पकौड़े या जलेबी का भोग लगाया जाता है.
ये सब वो सावधानियां है जिन्हें जानने के बाद ही शुरुआत करनी चाहिए ताकि साधना में सफलता मिले.
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बटुक भैरव साधना किन लोगो को करनी चाहिए
जिन लोगो के घर में हमेशा लड़ाई झगड़ा होता रहता है, मानसिक अशांति रहती है, किया कराया रहता है और बुरी नजर लगती रहती है तो आपको बटुक भैरव साधना करनी चाहिए.
ये साधना मानसिक शांति प्रदान करती है. सारे रुके हुए काम बनने लगते है और साधक की लाइफ में सबकुछ अच्छा होने लगता है.
भैरव साधना आपको सुरक्षा, संपदा और सिद्धि भी प्रदान करती है.
जीवन में सफलता प्रसिद्धि और सम्मान पाने का एकमात्र उपाय बटुक भैरव महाराज की साधना ही है.
मुख्य तौर पर समझे तो इस साधना को करने के पीछे हमारे 3 उदेश्य छिपे है पहला मानसिक शांति, दूसरा अटूट परिवार की सफलता, तीसरा अपनी छिपी हुई शक्तियों को पहचानने की क्षमता और इन तीनो उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए बटुक महाराज की ये साधना अचूक उपाय है.
Download now बटुक भैरव साधना by श्री नारायण दत्त श्रीमाली / batuk bhairav sadhna pdf book by narayan datt shrimali ji