सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग के बारे में आप कितना जानते है ? सम्मोहन में दृष्टि की शक्ति के साथ-साथ उंगलियों की शक्ति का भी प्रयोग किया जाता है.
प्रत्येक मनुष्य की उंगलियों के सिरों से इस प्रकार की विद्युत शक्ति निकला करती है.
उंगलियों के सिरों से निकलने वाली विद्युतीय चुंबकीय तरंगों को नियंत्रित एवं विकसित करके इतना शक्तिशाली बनाया जाता है कि उस विद्युतीय चुंबकीय शक्ति द्वारा किसी भी जड़-चेतन वस्तु को प्रभावित करके उसे सम्मोहित किया जा सकता है.
यह क्रिया ‘स्पर्श’ के द्वारा सम्पन्न होती है. इस क्रिया से हम सुविधापूर्वक किसी को भी सम्मोहित कर सकते हैं यानी यदि हम चाहें तो अपने शरीर में विद्यमान इस शक्ति को दूसरों को भी दे सकते हैं. सम्मोहन के क्षेत्र इसे ‘पास देने की क्रिया’ कहा जाता है.
डॉ. मेस्मर ने यह सिद्ध भी किया है कि प्रत्येक मनुष्य के शरीर में एनीमल मेग्नेटिज्म’ है और यह मेग्नेटिजम आंखों के माध्यम से या हाथों की उंगलियों के सिरों द्वारा दूसरों को प्रभावित करता है.
सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग ज्यादातर मैजिक करने वाले करते है.
जब त्राटक के माध्यम से साधक के शरीर में विद्युतीय चुंबकीय शक्ति बढ़ जाए तो इस चुंबकीय शक्ति को वह दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करा सकता है.
इस प्रवेश कराने की क्रिया को ही सम्मोहन में “पास देने की क्रिया’ कहते हैं. भारतीय दर्शन में इसी को ‘शक्तिपात्’ कहते हैं. रेकी में इसे पास मार्जिन के नाम से जाना जाता है.
स्पर्श देने में सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे पहले किसी निर्जीव वस्तु पर अभ्यास करना चाहिए. जब उसमें पूर्ण सफलता मिल जाये, तब किसी स्त्री-पुरुष आदि सजीव प्राणी पर स्पर्श का प्रयोग करना चाहिए.
जिस व्यक्ति को सम्मोहित करना होता है, सम्मोहन करने वाला उसके शरीर पर कुछ विशेष तरीकों से हाथ फेरता है. उस हाथ फेरने की क्रिया को ही स्पर्श करना कहते हैं.
सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग
इसके लिए आप माध्यम को सामने किसी कुर्सी स्टूल पर बैठा दीजिए जिसके शरीर में चुंबकीय शक्ति स्पर्श द्वारा देनी है.
अब उसके सामने खड़े हो और अपने दोनों हाथों की उंगलियों को फैला दें तथा जितनी भी तन सकें, उतनी तान (कड़ी कर) लें.
अब अपनी उंगलियों पर अपनी दृष्टि स्थिर करें और मानसिक भावना से सोचें कि आपके शरीर की विद्युतीय चुंबकीय शक्ति इन उंगलियों में प्रभावित हो रही है और उसमें वृद्धि हो रही है.
सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग में कुछ देर के बाद आप अपनी उंगलियों में झनझनाहट का अनुभव करेंगे.
कुछ समय तक इसी प्रकार भावना देते रहने से आप को अपने पूरे शरीर में झनझनाहट सी बढ़ रही अनुभव होगी.
ऐसा अनुभव होगा कि आपका सारा शरीर एक विचित्र प्रकार की झनझनाहट से भरता चला जा रहा है. आंखों में और विशेष रूप से यह झनझनाहट हाथों की उंगलियों में बहुत तेजी से महसूस होगी.
जब यह झनझनाहट बहुत अधिक तीव्रता के साथ अनुभव हो, तब उंगलियों को कड़ी और कुछ अलग-अलग करके माध्यम के सिर पर हाथ पर यह भावना दें कि आपके शरीर की विद्युतीय चुंबकीय शक्ति उंगलियों के माध्यम से निकलकर माध्यम के शरीर में प्रवेश कर रही है.
सम्मोहन में भावना शक्ति का भी इस्तेमाल है महत्वपूर्ण
इसके साथ ही आप माध्यम को भी यह भावना दें कि वह उस शक्ति को पूर्णरूप से ग्रहण कर रहा है और उसके सारे शरीर में धीरे-धीरे झनझनाहट सी महसूस हो रही है. इससे हाथ से विद्युतीय शक्ति निकलकर माध्यम (सम्मोहित किये जाने पात्र) के शरीर में प्रवेश करती है.
सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग के अलावा कुछ लोग इस विद्युतीय प्रवाह को ‘ऊष्मा’ कहते हैं. यह विद्युतीय चुंबकीय शक्ति प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में विद्यमान है.
विशेष प्रकारों से हाथ फेरने से वह उंगलियों के सिरों से निकलती है. मानव शरीर के इस विद्युतीय प्रवाह को दूसरे शरीर में प्रवेश कराया जाता है.
जब यह विद्युतीय प्रवाह माध्यम के शरीर में प्रवेश करने लगता है तो उसे अपने शरीर में एक प्रकार की झनझनाहट का सा अनुभव होता है.
आप देखेंगे कि कुछ समय बाद आपकी झनझनाहट बिल्कुल समाप्त हो गयी है और स्वयं को पहले से ज्यादा स्वस्थ व हल्का महसूस कर रहे हैं.
यानी अपने एक बार के स्पर्श क्रिया में जितनी भी विद्युतीय शक्ति माध्यम को दे सकते थे, अब यदि आप दुबारा फिर से विद्युतीय शक्ति देना चाहें तो इसी प्रकार प्रयोग करके दे सकते हैं.
इस प्रकार सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग के बाद सम्मोहनकर्त्ता किसी भी व्यक्ति के शरीर में विद्युतीय चुंबकीय ढ़ाकर या स्पर्श क्रिया द्वारा दकर उसे रोगमुक्त कर सकता है.
माध्यम इस प्रकार की शक्ति प्राप्त वह समस्त लाभ उठा सकता है जो एक सम्मोहनकर्त्ता उठाता है.
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ध्यान रखने योग्य बातें
- प्रायः स्पर्श देते समय हाथों को रोगी व्यक्ति से तीन-चार इंच की दूरी पर रखा जाता है. परन्तु कभी-कभी किसी रोगी को विशेष रोग के उपचार के लिए “स्पर्श” 1 से 2 इंच की दूरी पर रखकर दिया जाता है अथवा शरीर को स्पर्श करते हुए भी दिया जाता है.
- स्पर्श सदैव ऊपर से नीचे की ओर देना चाहिए तथा प्रत्येक बार हाथ को नीचे से ऊपर ले जाते समय मुट्ठियां बंद कर लेनी चाहिए.
- सामान्य रूप से स्पर्श देने की क्रिया पुरुष के दायीं ओर तथा स्त्री के बाय ओर से की जाती है. परन्तु किसी अंग विशेष पर प्रभाव डालने के लिए उस अंग विशेष पर भी स्पर्श दिया जाता है.
- सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग में सामान्य रूप से एक स्पर्श देने की क्रिया में 5 मिनट का समय लगाना चाहिए, परन्तु कभी-कभी आवश्यकतानुसार इससे कम और अधिक समय भी लगाया जाता है.
- एक दिन में 3-4 बार से ज्यादा स्पर्श देने की क्रिया नहीं करनी चाहिए.
- स्पर्श देने के बाद सम्मोहनकर्त्ता को अपने हाथ ठंडे पानी से अवश्य घो लेने चाहिए.
उंगलियों की शक्ति को विकसित करने के लिए मानसिक शक्ति को ही विकसित किया जाता है.
मानसिक शक्ति यदि त्राटक साधना से विकसित कर चुके हों, तो इसे उंगलियों में केन्द्रित करने एवं नियंत्रित करने की साधना की जाती है. इसके विकसित करने के अनेक तरीके हैं.
कुछ साधक सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग करते हुए अपनी साधना के लिए कुछ विशेष तरीकों का आविष्कार कर लेते हैं और फिर उसी के अनुसार अभ्यास साधना करते हैं.
हमारे देश में प्राचीनकाल से ही ‘स्पर्श’ करने या हाथ फेरने का प्रचलन था.
साधु-महात्मा किसी रोगी के सिर अथवा शरीर के अंग विशेष पर हाथ रखकर उसे आशीर्वाद देते तो उस रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक राहत मिलती थी.
यह राहत उसे उंगलियों के माध्यम से विद्युतीय चुंबकीय शक्ति को ग्रहण करने से संभव हुई थीं.
यानी उंगलियों के माध्यम से विद्युतीय तरंगें उस रोगी के शरीर की विद्युतीय चुंबकीय शक्ति को भेदकर उसके सूक्ष्म शरीर के उस भाग को प्रभावित करती है, जहां रोग होता है, इसलिए रोग स्वयं ठीक हो जाता है.
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सिर के बाल पर अभ्यास
एक ऐसे कमरे में जिसमें हवा का कहीं से भी जरा सा भी प्रवेश न हों, एकदम पतले धागे से अपने सिर का एक चाल बांधकर लटकाएं.
सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग में महारत हासिल करने के लिए आपको सबसे पहले ऐसे ऑब्जेक्ट का चुनाव करना चाहिए जो आसानी से प्रभावित किया जा सकता है.
बाल को लटकाने के लिए किसी स्टैण्ड या लम्बी खूंटी का प्रयोग करें और इससे इतनी दूरी पर कुर्सी बिछाकर बैठे कि हाथ को एकदम तानने से वह बाल से लगभग 6 इंच दूरी पर रहें.
कमरे में हल्के प्रकाश की व्यवस्था भी बनायें रखें.
अब अपनी कुर्सी इतनी दूर रखें कि हाथ को एकदम सीधा तानने पर उंगलियाँ बाल से 6 इंच दूर रहें.
सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग के दौरान अब बाल से 6 इंच दूर अपनी उंगलियों पर अपना पूरा ध्यान एकाग्र करें और मानसिक शक्ति द्वारा यह भावना करें कि आपकी उंगलियों के सिरों से निकलने वाली चुंबकीय शक्ति बाल को पूरी शक्ति से अपनी ओर खींच रही हैं.
इस अभ्यास को प्रतिदिन 15 मिनट से आधा घंटा तक नियमित रूप से करते रहें.
कुछ दिनों के अभ्यास के बाद बाल बराबर आपकी उंगलियों की ओर खींचने लगेगा. फिर एक समय ऐसा भी आएगा कि जब बाल खींचकर एकदम आपकी उंगलियों से सट जायेगा.
यह सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग प्रयोग निरंतर जारी रखें और बाद में बाल के बीच की दूरी बढ़ाते हुए अभ्यास करते रहें.
जब लगभग एक फीट की दूरी पर अभ्यास सिद्ध हो जाये, तब इसमें पूर्णता माननी चाहिए.
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दीपक की लौ पर सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग
एक ऐसे कमरे में जिसमें हवा की हल्की सी सिसकी भी न हो. उसमें किसी स्टैण्ड पर गौ-घृत या शुद्ध सरसों के तेल का दीपक जलाकर रखें.
फिर इस दीपक से इतनी दूरी पर कुर्सी डालकर बैठे कि बांह एकदम सीधी करके तानने पर उंगलियां दीपक की लौ से 4-5 इंच की दूरी पर रहें.
अब हाथ को सीधा करके तान दें और उंगलियों को लौ की ओर तानते हुए अपना सारा ध्यान उंगलियों पर एकाग्र करें.
यह भावना करें कि आपकी उंगलियों से विद्युतीय चुंबकीय शक्ति की किरणें निकलकर दीपक की लौ को प्रभावित कर रही है.
अब आप सम्मोहन में स्पर्श साधना प्रयोग के अभ्यास करते हुए दीपक की लौ को उंगलियों से निकलने वाली शक्ति से हिलाने का प्रयास करें.
आप देखेंगे कि कुछ दिनों के अभ्यास के बाद लौ उंगलियों के इशारे पर हिलने लगेगी. निरंतर अभ्यास करते रहने पर तब लौ आपकी उंगलियों का इशारा पाते ही आप जैसा चाहें हिलाना चाहें, हिलने लगे, तब अपने अभ्यास को पूर्ण समझें.
यह अभ्यास प्रतिदिन लगभग आधा घंटा तक करें. यह कुछ कठिनता से सिद्ध होता है. अतः धैर्य बनाएं रखते हुए अभ्यास करते रहें.